मित्रता पर निबंध, अर्थ, शायरी, स्टेटस, स्लोगन, सुविचार, दोस्ती का महत्व, दोहे (Friendship Day 2024, Mahatv, Dohe in Hindi) (Quotes, Kab hai, Wishes)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और साथ ही उसमे विचारों को व्यक्त करने एवम भावनाओं को महसूस करने की शक्ति होती हैं. इसी कारण मनुष्य अकेला नहीं रह सकता. एक मनुष्य दुसरे मनुष्य अथवा किसी अन्य प्राणी की तरफ आकृषित होता हैं. उसे भावनात्मक रूप से अपना समझाता हैं बिना किसी रक्त संबंध के अपने दुःख सुख उससे बाटता हैं और सदैव उसकी मदद करता हैं. ऐसे ही संबंध को दोस्ती अथवा मित्रता का संबंध कहा जाता हैं. इसी लिए हर साल अगस्त माह के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाता है.
Table of Contents
मित्रता या दोस्ती पर निबंध, महत्व (Friendship Day Essay, Mahatva)
नाम | मित्रता या दोस्ती का महत्व |
सच्ची मित्रता का उदहारण | कृष्ण एवं सुदामा |
मित्रता दिवस | अगस्त का पहला रविवार |
2024 में | 4 अगस्त |
प्रस्तावना
मित्रता क्या होती हैं ये तो सब जानते हैं. लेकिन दुनिया में दोस्ती यानि मित्रता एक रिश्ता बनाया गया है जोकि हर उम्र के लोगों के लिए है. यह विभिन्न प्रकारों में होता है. लेकिन इसका महत्व बहुत अधिक और हर उम्र के लिए बहुत मायने रखता है. मित्रता वह नहीं होती जिसके साथ आप खेलते कूदते या पढ़ी करते हैं. यह वह होती है जो आपके साथ हमेशा रहती हैं आप अपने हर दुःख सुख ही नहीं बल्कि हर वो चीज अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं, जो आप अपने किसी और रिश्ते से नहीं कर सकते. आइये हम आपको मित्रता के संबंध में जानकारी देते हैं.
दोस्ती मित्रता के प्रकार (Type of Friendship)
बचपन की मित्रता :
जब हम छोटे से होते हैं.खेलने के लिए हमें हमेशा अपनी उम्र के किसी दोस्त की जरुरत होती हैं. कॉलोनी में हमें कई तरह के मित्र मिलते हैं पर उन में भी कुछ हमें खास लगने लगते हैं, जिसके साथ हमें खेलना अच्छा लगता हैं. जिससे हम अपने खिलोने शेयर कर सकते हैं, जिसे हमेशा हम अपने साथ देखना चाहते हैं. ये वो मित्रता हैं जिसका पहला और आखरी मतलब हैं खेल. बस इस उम्र की मित्रता में मनुष्य को खेलना ही सबसे अधिक प्रिय और महत्वपूर्ण काम लगता हैं और उनके इस कार्य में जो उनके सबसे अच्छे सहभागी हैं वे उसके खास मित्र बन जाते हैं.
स्कूल,कॉलेज एवम ऑफिस की मित्रता :
बच्चा बड़ा होता हैं. यह समय उसकी लाइफ का सबसे सुंदर समय होता हैं, जिसमे वो जिंदगी का सबसे अच्छा वक्त बिताता हैं, लेकिन यही वो समय होता हैं जब एक बच्चा अपना भविष्य बनाता हैं या बिगाड़ता हैं. इस समय दोस्तों का बच्चे की मानसिकता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं. अच्छी एवम बुरी संगति उस बच्चे के पुरे जीवन को प्रभावित करती हैं. स्कूल एवम कॉलेज के दौर में एक बच्चे को दोस्ती की सबसे ज्यादा जरुरत होती हैं. पढाई के लिए, मनोरंजन के लिए यहाँ तक की मन में उठ रहे विचारों के लिए उसे एक हम उम्र साथी की जरुरत होती हैं.
ऑफिसियल लाइफ में व्यक्ति को मित्रों की बहुत आवश्यक्ता होती हैं. व्यस्त शीड्यूल के कारण मनुष्य मानसिक रूप से बहुत थक जाता हैं. ऐसे में मनुष्य को मित्र ही इस थकावट से बाहर निकालता हैं.
रक्त संबंध में मित्रता :
जरुरी नहीं दोस्ती केवल स्कूल,कॉलेज या गली मोहल्ले के हम उम्र के लोगो के बीच ही होती हैं. आज के समय में सबसे करीबी दोस्त माता, पिता, दादा दादी एवम भाई बहन ही होते हैं. जब ये रिश्ते अपनी उम्र के अनुभव को छोड़ अपने बच्चो के साथ उनके जैसे बन जाते हैं. उन्हें खेल खेल में सही गलत समझाते हैं तब ये रिश्ते ही सबसे बेहतर दोस्त कहलाते हैं. आज क्राइम इस कदर बढ़ रहा हैं कि बाहरी दुनियाँ पर व्यक्ति कम ही विश्वास कर पाता हैं ऐसे में दोस्त शब्द के मायने घर में ही तलाशने पड़ते हैं. रक्त संबंध से बने मित्रता के रिश्ते आज के समय में ज्यादा कारगर सिद्ध होते हैं.
जानवरों एवम पशु पक्षियों से मित्रता :
मनुष्य केवल मनुष्य के मित्रता करे यह जरुरी नहीं. कई लोगो को पालतू जानवरों से बहुत अधिक प्रेम होता हैं. वे अपने दिल की सभी बाते अपने पालतू जानवर से करते हैं.भले ही उस जानवर से उन्हें कोई उत्तर प्राप्त नही होता लेकिन फिर भी वे उनसे बात करके स्वयं को हल्का महसूस करते हैं.
इस प्रकार यह थे मित्रता अथवा दोस्ती के प्रकार जो आमतौर पर हमारे सामने होते हैं और जो हमें इस सामाजिक जीवन का हिस्सा बनाते हैं.
मित्रता फ्रेंडशिप का महत्व (Friendship Mitrata Dosti Mahatva)
मित्रता का महत्व बहुत बड़ा हैं. जब भी व्यक्ति किसी अन्य के साथ स्वयं को परिपूर्ण समझे. उसके साथ उसकी तकलीफों को अपना समझे. अपने गम उसे कह सके. भले ही दोनों में न रक्त संबंध हो, न जातीय संबंध और नहीं इंसानी,सजीवता का संबंध लेकिन फिर भी वो भावनात्मक दृष्टि से उससे जुड़ा हुआ हो यही मित्रता का अर्थ हैं. जैसे :
एक राइटर को अपने कलम अपनी डायरी से भी वैसा ही लगाव होता हैं जैसे किसी मित्र से. बचपन में छोटे बच्चो को अपने खिलोने से बहुत लगाव होता हैं. वे उनसे बाते करते हैं लड़ते हैं जैसे किसी मित्र के साथ उनका व्यवहार होता हैं ,वैसा ही वो अपने खिलोनो के साथ करते हैं. वही कई व्यक्ति ईश्वर से मित्रता करते हैं. उनसे अपने दिल की आपबीती कहते हैं. अपने सुख दुःख कह कर अपना मन हल्का करते हैं. ईश्वर में आस्था ही ईश्वर से मित्रता कहलाती हैं.
इन सब बातों का मतलब यही हैं कि मनुष्य एक ऐसा प्राणी हैं जो अकेला नहीं रह सकता. उसे अपने दिल की बात कहने के लिए किसी न किसी साथी की जरुरत होती हैं फिर चाहे वो कोई इन्सान हो, जानवर हो या कोई निर्जीव सी वस्तु या फिर भगवान.
मित्रता दोस्ती पर दोहे ( Mitrata Dosti Par Dohe)
मथत मथत माखन रही, दही मही बिलगाव
रहिमन सोई मीत हैं, भीर परे ठहराय
अर्थात : दही को मथते- मथते उसके उपर माखन आ जाता हैं और दही छांछ में विलय हो जाता हैं इस प्रकार रहीम कवी कहते हैं कि एक मित्र भी इसी तरह विप्प्ती में अपने मित्र के साथ खड़ा होता हैं और माखन रूप समस्या को अपने मित्र के साथ अपने सर पर भी धारण करता हैं अर्थता जो विपत्ति में साथ देते हैं वही सच्चे मित्र कहलाते हैं.
गिरिये परवत शिखर ते, परिये धरनि मंझार
मूरख मित्र न कीजिए, बूडो काली धार
अर्थात लगे तो ऊंचे पहाड़ से गिर जाओं भले किसी बीच राह पर फंस जाओं किसी भी तरह की विप्पति क्यूँ न हो इसमें किसी असंगत मुर्ख दोस्त की सहायता नहीं लेनी चाहिये यह एक नयी विप्पत्ति के समान होगा. अर्थात बुरी संगती में दोस्ती सदैव विनाश का कारण बनती हैं.
उपरोक्त दो दोहे जो कवी रहीम एवम कबीर ने अपने मुख से कहे मित्र के सच्चे एवम झूठे व्यक्तित्व को बताते हैं जो मित्र विकट परिस्थिती में आपने मुँह फैर ले वो आपका मित्र नहीं हो सकता वो केवल आपका उपहास करने वाला मौका परस्त व्यक्ति हैं ऐसे दोस्त हमेशा हमें कठिन परेशानी में देख खुश होते हैं.
वर्तमान एवम एतिहासिक मित्रता में अंतर
आज के कलयुगी समय में मित्रता की परिभाषा बहुत भिन्न हैं पहले दोस्ती होने पर मरते दम तक निभाई जाती थी और आज एक माह दो माह या एक नौकरी से दूसरी नौकरी तक ही दोस्ती रहती हैं. दोस्ती में विश्वासघात तो मानों इस कलयुग में आम बात हैं. वही इतिहास दोस्ती के उदाहरनो से भरा हुआ हैं. पहले के समय में मनुष्य में एका होता था.मनुष्य ज्यादा सामाजिक था इसलिए मित्रता को सर्वोपरी रखता था इसलिए ही उस समय धोखाधड़ी जैसे अपराध नहीं होते थे. दोस्ती के कई उदाहरण तो पौराणिक काल में भी मिलते हैं जैसे कृष्ण सुदामा की दोस्ती, राम एवम सुग्रीव की दोस्ती अथवा पृथ्वी राज चौहान और चन्द्रवरदायी की मित्रता या फिर महा राणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक की मित्रता. यह सभी ऐसे प्रमाण हैं जो आज हमें मित्रता का सही महत्व मित्रता का अर्थ सिखाते हैं.
उपसंहार
इस सभी बातों से यही समझ आता हैं मनुष्य किसी भी दौर में चले जाये उसे मित्र की जरुरत हमेशा रहेगी. एक सामाजिक प्राणी के तौर पर वो मित्र शब्द के बिना अधुरा हैं. कहते हैं न सुख बाटने से बढ़ता हैं और दुःख बांटने से कम होता हैं. इस पंक्ति को चरितार्थ करने के लिए हमें एक मित्र की हमेशा ही जरुरत होती हैं. मित्रता एक अनमोल बंधन हैं जो जीवन में होना हमारी जरुरत भी हैं और हमारा हक़ भी. अतः हमेशा स्वयं को किसी न किसी दोस्ती के बंधन में जरुर बंधना चाहिये.यही एक सामाजिक जीवन का सत्य हैं समाज में कोई बिना किसी साथी, दोस्त, सखा के बिना नहीं रह सकता.
FAQ
Ans : अगस्त के पहले रविवार को
Ans : कृष्ण एवं सुदामा
Ans : 4 अगस्त
Ans : जो आपके अच्छे वक्त में साथ हो न हो लेकिन बुरे वक्त में जरुर साथ दें.
Ans : लोगों के बीच जब पारस्परिक लगाव हो जाता है तो वहीँ से शुरुआत होती है मित्रता की, जोकि धीरे धीरे गहरी होती चली जाती है, और फिर यह सच्ची मित्रता में परिवर्तित हो जाती है.
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