धृतराष्ट्र ,पांडू और विदुर का जन्म और उनके विवाह की कहानी Dhritarashtra Pandu Vidura birth and marrige in hindi पढ़े
Table of Contents
धृतराष्ट्र ,पांडू और विदुर के जन्म की कहानी
प्राचीन समय में भारतवर्ष में एक बहुत ही शक्तिशाली राज्य हुआ करता था – हस्तिनापुर और इसके पालक महाराज शान्तनु थे. यह कुरु कुल के राजा थे. महाराज शान्तनु की पत्नि का नाम था – सत्यवती और इनका पुत्र था – विचित्रवीर्य. महाराज शान्तनु के बाद महाराज विचित्रवीर्य ने हस्तिनापुर का राज्य संभाला. महाराज विचित्रवीर्य का विवाह काशी नरेश की दो कन्याओं से हुआ था, जिनका नाम था – राजकुमारी अंबिका और राजकुमारी अंबालिका.
अभी महाराज विचित्रवीर्य का विवाह हुए, कुछ ही समय हुआ था कि उनकी अकाल मृत्यु हो गयी. उस समय तक दोनों ही राजकुमारियों से उत्तराधिकारी की प्राप्ति नहीं हुई थी. राज्य को अपने उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी क्योंकि महाराज विचित्रवीर्य की मृत्यु हो चुकी थी और राजकुमार भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया था. ऐसे में उत्तराधिकारी प्राप्त करने की चिंता स्वाभाविक भी थी. तब राजमाता सत्यवती ने अपने सन्यासी पुत्र महर्षि वेदव्यास को बुलावा भेजा और उनके हस्तिनापुर आने पर अपनी चिंता का कारण बताया. व्यास बहुत बड़े ज्ञानी और तपस्वी होते है. सत्यवती व्यास को अपने ज्ञान और तप से अम्बिका और अम्बालिका को गर्भवती करने को बोलती है. व्यास अपनी माँ की बात को मना नहीं कर पाते और अम्बिका और अम्बालिका को एक एक कर अकेले अपने पास बुलाते है. पहले अम्बिका महर्षि व्यास के पास जाती है , अम्बिका महान योगी व्यास के सामने डर जाती है और अपनी आँख बंद कर लेती है . इसके बाद अगले दिन राजकुमारी अंबालिका महर्षि वेद व्यास के पास जाती है. इस दौरान राजकुमारी अंबालिका ने आँखें तो बंद नहीं की, परन्तु वे महर्षि वेदव्यास के तेज के कारण पीली पड़ गयी थी.
इन प्रक्रियाओं के बाद राजमाता सत्यवती ने महर्षि वेदव्यास से इसके परिणामों के बारे में पूछा. तब महर्षि वेदव्यास ने बताया कि राजकुमारी अंबिका ने अपनी आँखें बंद कर ली थी, इस कारण उनका पुत्र अंधा होगा, परन्तु बहुत बलशाली होगा और राजकुमारी अंबालिका पीली पड़ गयी थी, इस कारण वह भी निस्तेज होगा और उसकी आयु अल्प होगी, परन्तु वह पुत्र बलशाली और सुन्दर होगा.
इन परिणामों को सुनकर राजमाता सत्यवती दुखी हो गयी, क्योंकि उनकी समस्या अब भी विद्यमान थी, क्योंकि एक राजकुमार जन्म से अंधा और दूसरा राजकुमार अल्पायु के साथ जन्म लेने वाला था, तो हस्तिनापुर के भविष्य की बागडोर किसके हाथों में सौपी जाती. इस समस्या के चलते महारानी सत्यवती महर्षि वेदव्यास को अंबिका के पास पुनः जाने को कहती है.
उचित समय बाद दोनों पुत्रों का जन्म हुआ और जैसाकि पूर्व निश्चित था, महर्षि वेदव्यास का पुनः राजकुमारी अंबिका के पास जाने के लिए हस्तिनापुर आगमन हुआ. इस बार राजमाता सत्यवती ने राजकुमारी अंबिका को आँख खुली रखने और भयभीत न होने के निर्देश दिए. परन्तु राजकुमारी अंबिका महर्षि वेदव्यास के सामने जाने का साहस नहीं कर पायी और स्वयं के स्थान पर अपनी दासी को भेज दिया. वो दासी पूरी हिम्मत और विश्वास के साथ जाती है , जिसकी वजह से उसका बेटा तंदरुस्त होता है. इसके बारे में राजमाता सत्यवती के पूछने पर महर्षि वेदव्यास ने बताया कि उनके पास राजकुमारी अंबिका नहीं, अपितु एक दासी आई थी. जिसके द्वारा विदुर का जन्म हुआ.
इस प्रकार कुरु कुल में तीन राजकुमारों का जन्म हुआ और जैसाकि महर्षि वेदव्यास ने कहा था, राजकुमारी अंबिका का पुत्र जन्मांध हुआ और इसका नाम धृतराष्ट्र रखा गया, राजकुमारी अंबालिका का पुत्र निस्तेज था और इसका नाम पांडु रखा गया और दासी पुत्र, जो बहुत ही बुद्धिमान था, उसका नाम विदुर रखा गया.
इस प्रकार ये कथा सिर्फ धृतराष्ट्र और पांडु के जन्म की नहीं, अपितु विदुर के जन्म की भी हैं. तीनों राजकुमारों की शिक्षा – दीक्षा भीष्म की निगरानी में हुई. इनमे धृतराष्ट्र बहुत ही शक्तिशाली थे, पांडु एक अच्छे तीरंदाज और विदुर बहुत ज्ञानी थे. तीनों में आयु में सबसे बड़े धृतराष्ट्र थे, परन्तु उनके अंधे होने के कारण उन्हें राजा नहीं बनाया जा सकता था, इसलिए उनके छोटे भाई राजकुमार पांडु को हस्तिनापुर का महाराज घोषित किया गया और विदुर को राज्य का प्रधानमंत्री बनाया गया.
शकुनी कौरवों का हितेषी नहीं बल्कि उनका विरोधी था, जानने के लिए क्लिक करे .
कुरु राजकुमारों के संक्षिप्त परिचय और उनके विवाह की कथा -:धृतराष्ट्र का परिचय [Introduction of Dhrutrashtra] -:
पिता | महर्षि वेदव्यास |
माता | अंबिका |
भाई [Half brothers] | पांडु, विदुर |
पत्नि | गांधारी |
उपपत्नि | सुघदा |
संतानें | गांधारी से दुर्योधन, दुर्षासन, विकर्ण और अन्य 97 पुत्र और एक पुत्री दुशाला. सुघदा से युयुत्सु नामक पुत्र. |
शिशुपाल का वध की कहानी, जानने के लिए क्लिक करे
धृतराष्ट्र का विवाह [Marriage of Dhrutrashtra] -:
गांधार राज्य की राजकुमारी गांधारी उस समय की सबसे सुन्दर और गुणी कन्या थी और इसलिए पितामह भीष्म, गांधार के महाराज सुबल के राज्य में अपने सैन्य बल के साथ राजकुमारी गांधारी के साथ धृतराष्ट्र के विवाह का प्रस्ताव लेकर गये थे. गांधार राज्य बल में हस्तिनापुर की तुलना में छोटा राज्य था. फिर भी महाराज सुबल ने धृतराष्ट्र के अंधे होने के कारण इस विवाह के लिए आपत्ति जताई. तब पितामह भीष्म ने धृतराष्ट्र के बाहुबल के बारे में बताया और साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से हस्तिनापुर के अपेक्षाकृत रूप से अधिक शक्तिशाली राज्य होने की बात भी कह दी. इस कारण महाराज सुबल को इस विवाह प्रस्ताव हेतु अपनी सहमति देनी पड़ी और इस प्रकार महाराज धृतराष्ट्र का विवाह गांधार के महाराज सुबल की पुत्री ‘गांधारी’ से हुआ था. परन्तु महाराज सुबल का पुत्र और राजकुमारी गांधारी का भाई शकुनि इस विवाह के अब भी खिलाफ था, क्योंकि वह अपनी बहन का विवाह किसी अंधे व्यक्ति से नहीं कराना चाहता था. विवाह के समय जब राजकुमारी गांधारी को यह पता चला कि उनका विवाह जिस व्यक्ति से हो रहा हैं, वह जन्म से अंधा हैं तो उन्होंने अपने पति की पीड़ा को स्वयं महसूस करने करने के लिए और प्रेम – वश अपनी आँखों पर पट्टी बांधने का निर्णय लिया और जीवन पर्यंत इस नियम का पालन किया. इस निर्णय से धृतराष्ट्र को बहुत ठेस पहुंची थी क्योंकि वो अपनी पत्नि गांधारी को अपनी आँखें बनाना चाहते थे, जिससे वे संसार देखना चाहते थे, परन्तु ऐसा न होने के कारण वे बहुत समय तक गांधारी से क्रोधित भी रहे थे.
महारानी गांधारी को भगवान शिव से 100 पुत्रों को प्राप्त करने का वरदान मिला था, अतः महारानी गांधारी से महाराज धृतराष्ट्र को 100 पुत्रों और एक पुत्री की प्राप्ति हुई, जो आगे चलकर कौरव कहलाये.
महाभारत में द्रोपदी का स्वयंवर, एक रोचक कहानी हैं जानने के लिए क्लिक करे.
पांडु का परिचय [Introduction of Pandu]
पिता | महर्षि वेदव्यास |
माता | अंबालिका |
भाई [Half brother] | धृतराष्ट्र और विदुर |
पत्नि | कुंती और माद्री |
संताने | महारानी कुंती से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन और महारानी माद्री से नकुल और सहदेव. |
हिंदी कहानियाँ पढ़ने के लिए यहाँ दी गई लिंक पर क्लिक करे .
पांडु का विवाह [Marriage of Pandu] -:
महाराज पांडु के दो विवाह हुए थे. उनका प्रथम विवाह हुआ था – कुंती भोज राज्य की पुत्री कुंती से. यह महाराज कुंती भोज द्वारा गोद ली गयी कन्या थी, इनके पिता यादव कुल के प्रमुख शूरसेन थे. राजकुमारी कुंती बहुत ही गुणी कन्या थी. इन्होने महर्षि दुर्वासा की अनन्य भाव से बहुत सेवा की थी और इस कारण उन्होंने प्रसन्न होकर महारानी कुंती को वरदान स्वरुप एक मन्त्र दिया, जिसके अनुसार वे जिस भी देवता का नाम लेकर उस मन्त्र का उच्चारण करेंगी, उस देवता के गुणों वाला पुत्र उन्हें प्राप्त होगा.
महाराज कुंती भोज ने अपनी दत्तक पुत्री का स्वयंवर आयोजित किया, जिसमे हस्तिनापुर को भी निमंत्रण भेजा गया. तब हस्तिनापुर ने इसे स्वीकार किया. इस निमंत्रण को स्वीकार करने के पीछे एक कारण यह भी था कि इससे कुंती राज्य और यादव कुल दोनों से ही हस्तिनापुर के राजनैतिक संबंध भी मजबूत होंगे. राजकुमारी कुंती ने स्वयंवर में महाराज पांडु के गले में वरमाला पहनाइ और इस प्रकार महाराज पांडु का विवाह राजकुमारी कुंती से हो गया.
पांडु ने महाराज पद धारण करने के बाद अपने राज्य के विस्तार के लिया अनेक युद्ध लड़ें और विजय भी प्राप्त की. इस दौरान वे युद्ध करने मद्र राज्य पहुंचे, जहाँ एक विशाल सेना युद्ध के लिए उनकी प्रतीक्षा कर रही थी. तब महाराज पांडु ने देखा कि महाराज शल्य का रथ बहुत तेज गति से दौड़ रहा था, तब उन्होंने महाराज शल्य से इसका कारण पूछा. तब उन्होंने बताया कि उनका रथ उनकी बहन माद्री के द्वारा चलाया जा रहा था. तब महाराज पांडु ने माद्री के साथ अपने विवाह का प्रस्ताव रखा और इस प्रकार महाराज पांडु का दूसरा विवाह मद्र राज्य के महाराज की पुत्री माद्री से हुआ था.
महाराज पांडु को मिले श्राप के कारण वे पिता नहीं बन सकते थे. तब महारानी कुंती को महर्षि दुर्वासा द्वारा मिला वरदान काम आया और इस प्रकार उन्हें देव प्रसाद के रूप में कुंती से तीन पुत्र युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन प्राप्त हुए थे और महारानी माद्री से नकुल और सहदेव. ये पुत्र आगे चलकर पांडव कहलाये.
FAQ
गांधारी
सो एवं एक कन्या
एक
महर्षि वेदव्यास,परंतु वे विचित्र वीर के पुत्र के नाम से जाने जाते थे।
अंबिका जोकि विचित्रवीर्य की पहली पत्नी थी
कुंती एवं मादरी
अंबालिका
महर्षि वेदव्यास परंतु वे विचित्रवीर्य के पुत्र के नाम से जाने जाते थे।
5
एक ऋषि के श्राप के कारण
विदुर हस्तिनापुर में रानी अंबा की दासी के पुत्र थे
महर्षि वेदव्यास परंतु वे विचित्रवीय के संतान के रूप में प्रचलित हुए
महामंत्री
अन्य पढ़ें –