कंप्यूटर वायरस इतिहास व बचने के उपाय (Computer Virus history type karan bachane upay in hindi)
एक दशक पूर्व, लोग कम्प्युटर को जानते तक नही थे| परन्तु बदलते समय के साथ, कम्प्युटर का इतना उपयोग होने लगा है, कि आज का युग कम्प्युटर का युग कहा जाने लगा| आज के समय मे, कम्प्युटर व्यक्ति का हाथ या जिन्दगी का एक अहम हिस्सा बन चूका है| जिस तरह से कम्प्यूटर का उपयोग बढ़ रहा है, उसके चलते कम्प्यूटर मे होने वाली समस्याए भी बढ़ रही है| जिसकी सबसे बड़ी समस्या उसमे होने वाला वायरस है|
सामान्य जिंदगी मे, यदि कोई व्यक्ति 2-3 दिन के लिए भी बीमार हो जाता है तो, वह कमजोरी महसूस करने लगता है| ठीक उसी तरह कम्प्यूटर मे वायरस जोकि, वाइरल की तरह है| कम्प्यूटर मे होते ही उसकी गति को धीमा कर, उसके डाटा (Data) को नष्ट करने लगते है| आगे हम इसके बारे मे विस्तार से देखेंगे|
कम्प्यूटर वायरस के सम्बन्ध मे महत्वपूर्ण बिन्दु
- वायरस क्या है?
- वायरस की इतिहास (History)
- कम्प्यूटर वायरस के प्रकार
- कम्प्यूटर वायरस के हानिकारक प्रभाव
- वायरस के कारण
- वायरस से बचने के उपाय/तरीके
Table of Contents
कंप्यूटर वायरस क्या है (What is Computer Virus)
बहुत ही प्रचलित शब्द है, आम जिंदगी का| वायरस एक तरह का विषाणु या कीड़ा है जोकि, बहुत तीव्रता से फैलता है| वायरस कई तरीके का होता है जो,किसी भी माध्यम से कम्प्यूटर मे जाकर, उसे नष्ट कर देता है|
कंप्यूटर वायरस की इतिहास (History of Computer Virus)
कम्प्युटर बहुत ही पुराना इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है| अर्थात जब से, कम्प्यूटर बना उससे संबंधित समस्याओं का विकास हुआ| बिल्कुल उसी तरह कम्प्यूटर वाइरस जो कि कम्प्यूटर की सबसे बड़ी समस्या है ,का इतिहास भी बहुत पुराना है|
मैलवेयर (Malware) कम्प्यूटर मे होने वाले वायरस का नाम है, जोकि एक दीमक की तरह कम्प्यूटर के डाटा (Data) को नष्ट कर देता है|
Malware वायरस का संक्षिप्त इतिहास –
बदलते समय के साथ वायरस के नाम परिवर्तित होते चले गये| Malware वायरस के नाम की संक्षिप्त सूची
वर्ष | वायरस का नाम |
1949 | सेल्फ – रिप्रोड्युसिंग ऑटोमेटा |
1959 | कोर वारस |
1971 | क्रीपर |
1981 | एलक क्लोनेर |
1986 | ब्रेन |
1988 | द मोरिस वोर्म |
1995 | कांसेप्ट |
1998 | सी.आई.ऐच वायरस |
1999 | हैप्पी99 |
2000 | आई लव यू वायरस |
2001 | ऐना कौर्निकोवा |
2002 | एल.एफ.एम-926 |
2004 | मायडूम |
2006 | ओ.एक्स.एस/लीप-A |
2007 | स्टॉर्म वोर्म |
2010 | केंज़ेरो |
2014 | बेकऑफ |
इसके आलावा और भी बहुत प्रकार के वायरस होते थे, परन्तु यह कुछ प्रमुख नाम है|
कम्प्यूटर वायरस के प्रकार (Type of Computer Virus)
- रेसिडेंट वायरस (Resident Virus) – यह वायरस रेम (RAM) मे स्थायी रूप से हो जाते है| यह सिस्टम को ओपरेट करने मे, शट-डाउन करने मे, डाटा को कॉपी-पेस्ट करने मे बाधा उत्पन्न करता है|
- ओवर-राइट वायरस (Overwrite Virus) – यह वायरस से इन्फेक्टेड फाइल होती है, जोकि फाइल के ओरिजिनल डाटा को नष्ट कर देती है|
- डायरेक्ट एक्शन वायरस (Direct Action Virus) – यह वायरस, हार्ड ड्राइव रूट डायरेक्टरी (Hard Drive’s Root Directory) के अंदर होता है| जो फाइल और फोल्डर को डिलीट (Delete) कर देता है|
- फाइल इन्फेक्टोर्स (File Infectors) – यह वायरस बहुत ज्यादा हानि पहुचता है क्यों कि, यह सीधे Running की फाइल पर असर कर डाटा नष्ट कर देता है| आज-कल ये ही वायरस सिस्टम मे होता है, जो डाटा को हटा देता है|
- बूट वायरस (Boot Virus) – फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) और हार्ड ड्राइव (Hard Drive) को सबसे ज्यादा नुकसान पहुचाती है| और इन्हें चलने से रोक देते है|
- डायरेक्टरी वायरस (Directory Virus) – यह एक बहुत ही अजीब किस्म का वायरस होता है| यह फाइलों के Path ओर Location चेंज कर देता है| Main Location से ले जाकर कही भी फाइल को छोड़ देता है|
- मैक्रो वायरस (Macro Virus) – इस वायरस का असर निश्चित (Particular) प्रोग्राम और एप्लीकेशन पर ही होता है| ये उनकी Speed मे परिवर्तन करता है|
- ब्राउज़र हाईजैक वायरस (Browser Highjack Virus) – 2014-2015, अर्थात् यह वर्तमान मे फैला हुआ वायरस है| बढ़ते इंटरनेट उपयोग के चलते ये बहुत आसानी से किसी Website, Games, File के जरिये System मे प्रवेश करती है| और इसकी Speed और अन्य फाइलों पर नष्ट कर देते है|
कम्प्यूटर वायरस के हानिकारक प्रभाव (Disadvantage of Computer Virus)
- वायरस कम्प्यूटर की गति धीमी कर देता है|
- वायरस कम्प्यूटर के किसी भी फाइल या प्रोग्राम को नष्ट कर सकता है|
- वायरस System की Windows के बूट मे समस्या उत्पन्न कर उसे नष्ट कर सकता है|
- वायरस होने के कारण System की Power Consume (बिजली की खपत) करने की क्षमता बढ़ जाती है|
- बड़े-बड़े ऑफिस, फर्म, स्कूलों, कालेजों मे जहा भी लेन (LAN) मे कई सिस्टम जुड़े होते है, वहा वायरस तेजी से फैलता है, ओर नुकसान का कारण बनता है|
वायरस के कारण (Computer Virus Cause)
हाईटैक जमाने के अनुसार, कम्प्यूटर और उससे संबंधित उपकणों का उपयोग बहुत बढ़ रहा है| एक छोटे बच्चे से लेकर तो बड़े बुजुर्ग तक कम्प्यूटर व मोबाइल का उपयोग करने लगे है| पर ये लोग कम्प्यूटर वायरस से परिचित नही है| जिसके चलते वह बिना सोंचे, सिस्टम का उपयोग करते है जिससे, सिस्टम मे वायरस आ जाते है| जैसे-
- पैन ड्राइव को स्कैन किये बिना Use करना|
- ऑनलाइन गेम, मूवी देखना|
- कोई भी प्रोग्राम, फाइल, डाटा ऑनलाइन डाउनलोड करना|
- मोबाईल और अन्य डिवाइस से सिस्टम को जोड़ना|
- LAN मे कई सिस्टम को चलाना|
- सिस्टम मे Anti-virus का आउटडेट होजाना|
वायरस से बचने के उपाय/तरीके (Computer Virus bachane upay)
- System मे , किसी अच्छी कम्पनी का Anti-Virus डाले व उसे रजिस्टर्ड करे|
- एंटीवायरस की Last Date याद रख उसे अपडेट कराये|
- जब भी कम्प्यूटर से मोबाईल, पेनड्राइव या कोई भी डिवाइस जोड़ते ही उसे स्कैन करे|
- ऑनलाइन जब भी कुछ देखे या डाउनलोड करे तो उसे अच्छी और रजिस्टर्ड Site से ही डाउनलोड करे|
- सिस्टम का डाटा Save कर, उसका बैकअप लेकर System को एक समय के बाद फॉर्मेट कराये|
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