बुधिया सिंह का जीवन परिचय Budhia Singh biography in hindi बायोग्राफी आयु फिल्म
भारत देश में तरह तरह के लोग रहते है, जिनमें कई तरह का टैलेंट होता है. बच्चों से लेकर बड़ों तक, कई ऐसे टैलेंट है जिनके बारे में हमने टीवी, समाचार पात्र में सुना या देखा है. कभी कोई बच्चा गूगल बॉय बन जाता है, जो जोड़ घटाना कैलकुलेटर से भी तेज कर दिखाता है. ऐसे ही एक अद्भुत टैलेंटेड लड़का है बुधिया सिंह. कुछ सालों पहले आपने इसके बारे में टीवी में बहुत देखा है, ये वही लड़का है जिसने 4 साल की उम्र में 65 किलोमीटर की मैराथन में हिस्सा लेकर लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में नाम अर्जित कराया था. बुधिया सिंह की कहानी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है, जन्म से लेकर अभी तक, सब कुछ एक कहानी की तरह लगता है. इतना महान तेज धावक बुधिया का आज कोई अता पता नहीं है, देश की गन्दी राजनीती में फंसकर बेचारा कही गुम गया है. बुधिया सिंह को अगला मिल्खा सिंह कहा जा रहा, जो भारत को ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिला सकता था.
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बुधिया सिंह का जीवन परिचय Budhia Singh biography in hindi
जीवन परिचय बिंदु | बुधिया सिंह जीवन परिचय |
पूरा नाम | बुधिया अवूगा सिंह |
जन्म | 2002 |
जन्म स्थान | उड़ीसा, इंडिया |
माता | सुकांति सिंह |
कोच (गुरु) | बिरंची दास |
जाना जाता है | सबसे छोटा मैराथन धावक |
रिकॉर्ड | लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्डस रिकॉर्ड |
बुधिया का जन्म 2002 में उड़ीसा के एक गरीब परिवार में हुआ था. उसके 3 भाई बहन थे. बुधिया जब 2 साल का था तब उसके पिता की मौत हो गई, जिससे पालन पोषण की ज़िम्मेदारी माँ के कंधो पर आ गई. बुधिया की माँ दूसरों के घर में बर्तन, झाड़ू-कटका करके पैसा कमाती थी और अपने बच्चों को पालती थी. एक बार वो बीमार पड़ गई, घर में दवाई के लिए भी पैसे नहीं थे, ऐसे में चार बच्चों के खाने पीने का इंतजाम करना तो और भी मुश्किल था. तब बुधिया की माँ सुकांति ने पैसों के लिए अपने बेटे बुधिया को एक फेरीवाले को सन 2004 में 800 रुपय में बेच दिया.
वो फेरीवाला बुधिया को बहुत प्रताड़ित करता था, उसे खाने को भी नहीं देता था. ये सब जब उसकी माँ ने देखा तो उसका कलेजा तड़प उठा, लेकिन पैसों की तंगी की वजह से वो उसे वापस अपने पास भी नहीं ला पा रही थी. तभी वो अपने घर के पास के ही अनाथालय में गई, जिसे बिरंची दास चलाते थे, और वहां बच्चों को जुडो की ट्रेनिंग दिया करते थे. बुधिया की माँ ने बिरंची से विनती की कि वो उसके बच्चे को किसी तरह फेरीवाले से वापस ले आये. बिरंची बहुत दयालु थे, उन्होंने फेरीवाले को पैसे देकर बुधिया ले लिया, और उसे अपने ही आश्रम में पनाह दी. यहाँ बिरंची के पास बुधिया की लीगल कस्टडी थी.
बुधिया सिंह करियर (Budhiya singh career)–
नन्हे बुधिया सिंह का जीवन अनाथालय आने के बाद बदल गया, उसे वापस अपना बचपन मिल गया, जहाँ वो अपने मन की कर सकता था, खेल-कूद सकता था, भरपेट खाना खा सकता था. एक बार बिरंची दास अपने किसी काम में मशरूफ थे, तभी उसके आस पास बुधिया हल्ला करने लगा और उन्हें परेशान करने लगा. बिरंची ने बुधिया को गुस्से में सजा दी, और कहा मैदान के चक्कर लगाओ. नादान बुधिया अपने गुरु को बहुत मान देता था, उसके चक्कर लगाने शुरू किये और 5 घंटे लगातर करता रहा. बिरंची दास तो भूल ही गए कि उन्होंने बुधिया को सजा दी है. 5 घंटे बाद बाद जब वे बाहर निकले तब, मैदान में बुधिया को चक्कर लगाते देखा, जिसे देख वे चौंक ही गए. इसके बाद बुधिया की हार्ट बीट चेक की गई, तो वह बिलकुल नार्मल थी. यहाँ बिरंची ने बुधिया की महान प्रतिभा को जान लिया और, देश को सबसे छोटा धावक मिल गया.
बिरंची दास ने बुधिया को अपना शिष्य मान लिया, और उसकी प्रतिभा को और निखारने के लिये उसे कड़ी ट्रेनिंग देने लगे. बिरंची उसकी प्रतिभा को सबके सामने लाना चाहते थे, वे चाहते थे बुधिया देश का नाम रोशन करे. उसकी ट्रेनिंग के लिए बिरंची बुधिया के साथ सुबह 4 बजे से दौड़ते थे, 3 साल का छोटा सा बालक लगातार 3-4 घंटे बस दौड़ता रहता था. इसके बाद शाम को भी उसे ट्रेनिंग दी जाती थी. रोज की 7-8 घंटे की ट्रेनिंग के बाद बुधिया एक अच्छा धावक बन गया था. चार साल की उम्र तक बुधिया से 48 मैराथन में हिस्सा लेकर उसे पूरा किया था.
मैराथन बॉय बुधिया (Marathon boy Budhia singh) –
2 मई 2006 को उड़ीसा में 65 किलोमीटर की मैराथन रेस आयोजित हुई, जो भुवनेश्वर से पूरी के बीच 65 किलोमीटर की थी. जिसमें बड़े बड़े लोगों ने हिस्सा लिया, लेकिन एक 4 वर्षीय बालक ने उस समय पूरी लाइमलाइट अपनी ओर कर ली. बुधिया ने उड़ीसा के भुवनेश्वर शहर से सुबह 4 बजे मैराथन शुरू की, और 7 घंटे 2 min बाद जगन्नाथ पूरी में समाप्त की. जगन्नाथ पूरी की रथ यात्रा केबारे मे जानने के लिए पढ़े. 65 किलोमीटर की इस रेस को पूरा करने वाला ये पहला बच्चा था, जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया. यहाँ बुधिया का जीवन बदल गया. उड़ीसा के छोटे से गाँव के छोटे से बच्चे को स्टारडम मिल गया. इस रेस को सभी न्यूज़ चैनल, समाचार पत्र में दिखाया गया. जीवन में समाचार पत्र का महत्व जानने के लिए पढ़े.
बुधिया सिंह कंट्रोवर्सी (Budhia singh controversy) –
मैराथन बॉय बनने के बाद, बुधिया स्टार बन गया. उसे टीवी पर बहुत से ऐड फिल्मों में काम मिलने लगा. इसके अलावा लोग उसे कई जगह गेस्ट के रूप में बुलाने लगे. काम बढ़ने के कारण बुधिया को पैसा भी अच्छा मिलने लगा, जिससे उसकी तत्कालीन स्थिति सुधर गई. इसके बाद सब बुधिया पर अपना हक जताने लगे, उसकी माँ भी कोर्ट पहुँच गई और बिरंची दास के खिलाफ केस कर दिया. बिरंची दास पर आरोप लगा कि उसने अपने फायदे के लिए बुधिया का उपयोग किया. जनवरी 2006 में भारतीय बाल कल्याण अधिकारियों ने बिरंची दास पर आरोप लगाये, और छोटे बच्चे से काम करवाने का आरोप लगाया, लेकिन इन सभी आरोपों का बिरंची दास ने खंडन किया.
बुधिया पर अब कंट्रोवर्सी गर्माने लगी थी, तत्कालीन सरकार ने बुधिया के जांच के आरोप दिए. जांच के बाद कहा गया कि बुधिया शारीरिक रूप से कमजोर है, उसका इतना दौड़ना ठीक नहीं है. जिसके बाद बुधिया को बिरंची दास के पास से लेकर भुवनेश्वर के सरकारी हॉस्टल में रखा गया. बुधिया की मेडिकल रिपोर्ट कभी भी सरकार ने सामने नहीं लाइ, जिससे इस केस में सनसनी बनी रही. बुधिया के दौड़ने पर पाबन्दी लगा दी गई, और उसे किसी भी मैराथन में हिस्सा न लेने को कहा गया.
बिरंची दास की हत्या (Biranchi das death) –
13 अप्रैल 2008 को बिरंची दास की उड़ीसा के भुवनेश्वर में कुछ लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद बुधिया सिंह का केस फिर लोगों के सामने आ गया. बिरंची की रहस्यमयी हत्या को बुधिया सिंह केस से जोड़ा गया. पुलिस के अनुसार 13 अप्रैल को बिरंची दास BJB कॉलेज में थे, वे वहां जुडो की ट्रेनिंग दिया करते थे, यहाँ राजा आचार्य और उसके साथियों ने उनकी गोली मार के हत्या कर दी. कहते है बिरंची ने मॉडल लेसली त्रिपाठी का सपोर्ट किया, जिसे गैंगस्टर राजा आचार्य परेशान करता था. बिरंची की मौत से सरकार हिल गई, और सियासत को और गरमा दिया.
बिरंची के कातिल राजा व चागला की खोज की गई, इन्हें गिरफ्तार कर 13 दिसम्बर 2010 को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
क्यूँ नहीं बन पाया बुधिया महान धावक –
- बुधिया महान धावक नहीं बन पाया, इसका कही न कही दोष सरकार के उपर भी जाता है.
- जिस उम्र में उसे सही ट्रेनिंग मिलनी थी, उसे दौड़ने की भी पाबन्दी हो गई. सरकार चाहती तो अपनी देख रेख में उसे किसी उचित व्यक्ति द्वारा ट्रेनिंग दे सकती थी.
- कल का बुधिया जो सूरज की तरह चमक रहा था, आज अंधकारी गलियों में कही गुम हो गया है.
- भुवनेश्वर के स्पोर्ट्स हॉस्टल में रह रहा बुधिया, 14 साल का हो चूका बुधिया अब कुपोषण से ग्रसित है.
- 65 किलोमीटर की मैराथन जीतने वाला बुधिया अब 100 मीटर की स्कूल रेस भी जीत नहीं पाता है.
- बिरंची दास ने कहा था कि बुधिया 2016 में भारत को स्वर्ण पदक दिलाएगा, लेकिन बिरंची की मौत के साथ साथ उनका सपना भी दफन हो गया.
बुधिया सिंह बोर्न टू रन मूवी (Budhia singh born to run movie) –
बुधिया सिंह की कहानी को सबके सामने लाने के लिए बायोपिक फिल्म बनाई जा रही है, जिसे सौमेंद्र पधि डायरेक्ट कर रहे है.
कलाकार | मनोज बाजपेयी, मयूर पटोले, तिल्लोत्मा शोमे, श्रुति मराठे, छाया कदम, गोपाल सिंह, प्रसाद पंडित |
निर्माता | वायोकॉम 18 मोशन पिक्चर, कोड रेड फिल्म्स |
निर्देशक | सौमेंद्र पधि |
लेखक | सौमेंद्र पधि |
संगीत | सिध्यांत माथुर, इशान छाबरा |
रिलीज़ डेट | 5 अगस्त 2016 |
फिल्म में मनोज बाजपेयी कोच बिरंची दास बने है, बुधिया सिंह की भूमिका में मास्टर मयूर को फाइनल किया गया है. फिल्म को विदेश में एक कार्यक्रम में दिखाया गया था, जहाँ इसे बहुत पसंद किया गया है. इस फिल्म के द्वारा बुधिया सिंह की कहानी को हम और करीब से जान पायेंगें, और समझ पायेंगें की आखिर गलती किसकी है.
बुधिया सिंह के विकास रोकने में कहीं न कहीं हमारी सरकार और हम भी ज़िम्मेदार है. जब फिल्म आ रही है, तो इस बच्चे को याद किया जा रहा है, आठ साल से ये कहाँ था, किस हाल में था, इसकी किसी को कोई परवाह नहीं थी. एक न्यूज़ चैनल के अनुसार उन्होंने बुधिया का इंटरव्यू लिया था, जिसमें बुधिया ने बोला है, वो पूरी तरह से स्वस्थ है, और हॉस्टल में रहता है. उसने कहा उसका किडनैप नहीं हुआ है, वो कभी कभी अपनी माँ से मिलता है.
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