अंधविश्वास पर निबंध लेख दोहे कहानी | Blind Faith Article Dohe, Story in hindi

अंधविश्वास पर निबंध लेख दोहे कहानी | Blind Faith Article Dohe, Story in hindi

अंधविश्वास एक ऐसी समस्या जिसका समाधान सामने होते हुये भी कोसो दूर हैं. विश्वास टूट कर बिखरता हैं अंधविश्वास मजबूती से खड़ा होता हैं. खोखला हैं लेकिन मजबूती की जड़े लिये हुये जिसे समझते हुए भी कोई स्वीकारना नहीं चाहता.आज का समय जिस तरह से बुराइयों को अपने अंदर समाय हुए हैं. मनुष्य सगे से सगे रिश्ते पर भी विश्वास नहीं कर सकता लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे अंधविश्वास हैं जिसका शिकार आज हर एक तीसरा व्यक्ति हैं फिर चाहे वो पढ़ा लिखा हो या अनपढ़

क्या हैं अंधविश्वास (What is Blind Faith)?

किसी भी बात को बिना सोच समझ के, बिना किसी आधार के चरम सीमा के परे जाकर करना एवम मानना अंधविश्वास हैं फिर वो भगवान की भक्ति हो या किसी इन्सान की. कई बार भगवान की भक्ति में इस कदर खो जाते हैं कि कोई भी उनसे भगवान के नाम पर कुछ भी करवाले वो झट से कर देते हैं. यह ईश्वर के अस्तित्व में आस्था नहीं बल्कि ईश्वर के नाम पर अंधविश्वास हैं.

अंधविश्वास के उदहारण (Example of Blind Faith in hindi):

कई तरह के अंधविश्वास होते हैं जिनमे कुछ मान्यता होती हैं जो नुकसान नहीं देती और कुछ ऐसी मान्यता होती हैं जो नुकसान पहुंचाती हैं. इसकी कोई गिनती नहीं की जा सकती. कुछ बाते हैं जो आपने अक्सर सुनी होगी जैसे :

3 और 13 नंबर अशुभ होता हैं :

कई लोग इस संख्या को अशुभ मानते हैं और इन तारीखों पर कोई शुभ काम नहीं करते. यहाँ तक की कई लोग तीन रोटी नही खाते. कई देशो में तेरह संख्या को अशुभ मानते हैं उस नम्बर के माले पर नही रहते ना ही उस नंबर के फ्लैट लेते हैं.

छींक आने पर रुकना :

कई लोग छींक को बहुत बुरा शगुन समझते हैं. अगर घर से बाहर निकलते वक्त कोई भी छींक दे तो वो बैठ जाते हैं. कहा जाता हैं छींक के कारण आप जो भी काम करने जा रहे हैं वो बिगड़ जायेगा और व्यक्ति इसी डर के कारण छींक को बुरा मानने लगता हैं.

कांच टूटना :

लोगो के अनुसार कांच के टूटने से बुरी खबर आती हैं. अनजाने में काँच टूट जाता हैं और लोग डर जाते हैं इसके लिए वे भगवान को मनाने लगते हैं.

  • कौये की आवाज सुनकर कहते हैं घर में मेहमान आयेगा.
  • हथेली में खुजाल आये तो कहते हैं पैसा मिलेगा.
  • पैर में खुजाल आये तो कहते हैं कहीं बाहर जाने का योग हैं.

ऐसे ही कई अंधविश्वास हैं जिससे मनुष्य ग्रसित हैं लेकिन ये अंधविश्वास किसी का ज्यादा कुछ बिगाड़ते नहीं लेकिन तकलीफ देय जब होता हैं तब कुछ अंधविश्वास अपनी सीमा लांग जाते हैं जैसे

  • विधवा, बाँझ, तलाकशुदा और अनाथ लोग अपशगुनी हैं उन्हें हर अच्छे कार्य से दूर रखा जाये.यहाँ तक की उनका मुख देखना भी लोग पाप समझते हैं.
  • विधवा औरत रंगीन वस्त्र नहीं पहन सकती और भी कई दकियानुसी बाते.
  • ज्योतिष ज्ञान को भी कई लोग इतना ज्यादा मानने लगते हैं कि बिना उनके ज्योतिष के वे एक कदम भी आगे नहीं रखते. हर एक बात को सीमा के परे जा कर मानना एवम करना भी एक तरह का अंधविश्वास हैं.
  • सबसे बड़ी अंधश्रद्धा वह हैं जब मनुष्य किसी अन्य मनुष्य को भगवान का दर्जा दे बैठता हैं फिर वो व्यक्ति जो कहे उसे बिना किसी सवाल के, बिना किसी समझ के मानता हैं, और करता हैं. वो इस अंधविश्वास में इस कदर ग़ुम हो जाता हैं कि उसे अपना पराया, सही गलत कुछ भी दिखाई नहीं देता. इस बात का फायदा सामने भगवान बन बैठा वो धूर्त उठाता हैं. इस अंधविश्वास के कारण कई घर तबाह हो गये. लेकिन फिर भी इसे स्वीकार कर मनुष्य अपनी गलती नहीं सुधारता.
    andhvishvas

क्यूँ होता हैं अंधविश्वास ?

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जिसमे हैं पुश्तैनी मान्यता और सबसे अहम् हैं डर. बरसो से जो बाते चली आ रही हैं उनका आधार हो या ना हो वो पीढ़ियों तक निभाई जाती हैं जिसके कारण अंधविश्वास बढ़ता ही जाता हैं जैसे हमारे घर में काला रंग नहीं पहनते. शादी के सवा महीने तक लड़की काला या सफ़ेद नहीं पहनती. प्रथा का नाम देकर कई सालों के अंधविश्वास पीढ़ियों तक निभायें जाते हैं.

डर एक ऐसी बीमारी जिसका इलाज किसी के पास नहीं लेकिन फिर भी यह इलाज ढूंढे जाते हैं और इसी के कारण उत्पन्न होता हैं अंधविश्वास. जैसे घर से बाहर निकलते वक्त छींक आ जाये तो व्यक्ति कहीं बैठने की जगह ढूंढता हैं. बिल्ली रास्ता काट जाये तो किसी के निकलने की रास्ता देखता हैं. ऐसे ही कई अनगिनत मान्यतायें जिसमे फंस व्यक्ति अपने आप को डराता हैं. वास्तव में इन सबके पीछे छिपा हैं व्यक्ति का डर. एग्जाम में फ़ैल होने का डर, बीमारी होने का डर, नौकरी ना मिलने का डर, एक्सीडेंट का डर, मरने का डर आदि कई ऐसे डर जिसके कारण व्यक्ति अपने आपको कमजोर महसूस करता हैं, उसे दूर करने के लिए कई तरह के कार्य करता हैं और वही कार्य उसे कहीं ना कहीं अंधविश्वासी बना देते हैं.

सबसे पहले व्यक्ति कई तरह के टोटके अपनाता हैं जैसे नींबू मिर्ची. नींबू जितना खाने में इस्तेमाल नहीं होता उतना दुकानों और गाड़ियों में लगा होता हैं.इसके बाद हैं कुंडली दिखाना फिर कई तरह के उपाय में फँस जाना.

भारत में फैलता अंधविश्वास :

भारत देश में सबसे ज्यादा अंधविश्वासी हैं क्यूंकि यहाँ भगवान को अधिक माना जाता हैं जिसका कई लोग गलत फायदा उठाते हैं.ईश्वर में आस्था जरुरी हैं जीवन को दिशा देने के लिए मन में श्रद्धा होना जरुरी हैं लेकिन सही गलत का विचार भी जरुरी हैं. मनुष्य को सबसे उपर मानव धर्म को रखना चाहिये उसके आस-पास सही गलत का अवलोकन करना चाहिए.

आज कल हर एक गली मोहल्ले, शहर में एक भगवा चौला ओढे मिलता हैं और उसके कई अनुयायी बन जाते हैं. सन्यासी का भेस लिये वो लोग राजनीती, फ़िल्मी, टेलीविजन की दुनियाँ में चमक रहे हैं. और लोग उनके पीछे अपना घर द्वार त्याग उनके चरणों में पड़े हुए हैं जो मनुष्य खुद राजनीति और फेम का मोह नहीं छोड़ पाता वो आपको कैसे वैराग्य सिखा सकता हैं. कैसे पढ़े लिखे होकर भी मनुष्य सही गलत का आंकलन भूल गया हैं. कैसे किसी ज्ञानी महात्मा और एक लोभी व्यक्ति में मनुष्य अंतर नही कर पा रहा हैं और बढ़ते समय के साथ इसका गुलाम होता जा रहा हैं.

अंधविश्वास पर कई फिल्मे भी बनाई जा रही हैं. आज कई केस भी हम सबके सामने हैं जिनसे पता चलता हैं कि भगवा चौले के पीछे कितने घिनौने अपराध हो रहे हैं लेकिन इसके बाद भी यह रुक नहीं रहे.

अंधविश्वास का उपाय

  • खुद पर भरोसा करें :

इसका एक मात्र उपाय हैं अपने आप पर भरोसा. कड़ी मेहनत लगन और संकल्प से अपने पथ पर चलने वालों को मंजिल मिलती ही हैं. इसके लिए कोई टोटका काम नहीं आता. मेहनत ही वो आखरी टोटका हैं जो आपको आपकी मंजिल तक पहुँचा सकता हैं.

  • डर को दूर करें :

डर जिसके कारण ही अन्धविश्वास जन्म लेता हैं मनुष्य को सबसे पहले अपने डर का सही कारण तलाशना चाहिये और उस कारण का एक बेहतर उपाय खोजना चाहिये. डर जब ही महसूस होता हैं जब मनुष्य किसी न किसी बात को लेकर अपने अंदर कमी महसूस करता हैं. अगर मनुष्य उस कमी को पूरा कर दे तो खुद ही डर खत्म हो जाता हैं और आत्मविश्वास पनप जाता हैं. ऐसे स्थान पर अन्धविश्वास का कोई सांया नहीं होता.

  • कर्मठ बने :

मनुष्य अगर कर्मशील हैं तो उसमे अंधविश्वास की कोई जगह नहीं होती. कई बार हम जो चाहते हैं वो हमें नहीं मिलता और हम उसे पाने के लिए कई तरह के अलग रास्ते अपनाते हैं जबकि शायद उस चीज को पाने के लिए जो काबिलियत होनी चाहिये वो हममे नहीं हैं और हम उसी बात को सही वक्त पर स्वीकार नहीं करते और कहीं न कहीं टोटके, तंत्र मंत्र और कई अवैज्ञानिक तरीकों का शिकार हो जाते हैं.मनुष्य को सदैव अपने कर्म पर विश्वास करना चाहिये और उस रास्ते पर मिलने वाली सफलता एवम असफलता से सीखना चाहिये.

  • सच्चाई का सहजता से स्वीकार करें :

कई बार हमें सफलता मिलती हैं कई बार असफलता हाथ आती हैं. हम निराश हो जाते हैं जबकि हमें उस एक बिंदु पर खुद को परखने की जरुरत हैं कि क्या वास्तव में हम जिस राह पर हैं हम उसके लायक हैं या नहीं. अगर हैं तो हमें गलतियों से सीख कर आगे बढ़ना चाहिए और अगर आपको जवाब मिलता हैं कि नहीं हम लायक नहीं हैं तो उसे सहर्षता से स्वीकार करना चाहिये और अपने लिए नया और अपनी काबिलियत के मुताबिक रास्ता ढूंढना चाहिए.

यह सभी उपर लिखे वे सब उपाय हैं जो मनुष्य को किसी भी बात के अन्धविश्वासी होने से बचाते हैं. और इन्ही उपाय से मनुष्य में आत्म विश्वास बढ़ता हैं.

अंधविश्वास पर दोहे (Dohe):

  • मूरति धरि धंधा रखा, पाहन का जगदीश
    मोल लिया बोलै नहीं
    , खोटा विसवा बीस

अर्थात :

यह कबीर दास जी का दोहा हैं जो बहुत विस्तार को अपने अंदर समाये हुये हैं वे कहते हैं आज लोग ईश्वर की मूर्ति को खरीद उसका धंधा करते हैं वो पत्थर की मूरत को भगवान कह कर खुद पैसा कमाते हैं जिस ईश्वर को वो मोल लेते हैं उसे खुद कुछ नहीं मिलता लेकिन उसके नाम पर एक खोटा बिना काम का व्यक्ति महान बन जाता हैं.

विस्तार यही हैं ईश्वर की आस्था मन एवम सत्कर्म से जाहिर होती हैं उसके लिए धार्मिक आडम्बर व्यर्थ हैं.

  • भेष फकीरी जे करै, मन नहिं आये हाथ।
    दिल फकीरी जे हो रहे, साहेब तिनके साथ।

अर्थात :

महान कवी संत मलूक ने कहा हैं फ़क़ीर के कपड़े पहने,भगवा धारण करने से उस मनुष्य का मन, चरित्र निर्मल अर्थात साधू का नहीं हो जाता,उसके उपर ईश्वर का हाथ नहीं आ जाता हैं. जिसके मन में फकीराना भाव होते हैं ,जो मन से निश्छल होता हैं, ईश्वर उसी के साथ होता हैं.

अंधविश्वास पर कहानी (Story)

एक गरीब व्यक्ति बहुत परेशान था दिन रात मजदूरी करता था बहुत थक चूका था लेकिन उसके जीवन से यह कठोर परिश्रम रुक ही नही रहा था इसके लिए वो एक महात्मा के पास गया उसने महात्मा से बोला हे महात्मा मुझे कोई रास्ता दिखाये ताकि मेरा बोझ कम हो सके. महात्मा को उस पर दया आ गई उन्होंने उसे एक गधा दिया कहा तू इससे अपना काम करवा सकता हैं. गरीब मजदुर बहुत खुश हुआ हैं उसने सोचा कि अब उसका बोझ गधा उठायेगा इससे उसे राहत मिलेगी और वो अधिक काम भी ले सकेगा. मजदूर गधा साथ में ले गया लेकिन रास्ते में वो गधा मर गया. मजदूर को बहुत दुःख हुआ उसने उसी जगह उस गधे की कब्र बनाई पूरी विधि के साथ उसका अंतिम संस्कार किया. उसकी कब्र के पास आँख बंद कर मजदूर अपनी किस्मत के बारे में सोच दुखी हो रहा था. इतने में एक व्यक्ति वहाँ से गुजरा उसे लगा जरुर यह कोई दिव्य स्थान हैं तब ही यह आदमी यहाँ इस तरह ध्यान की मुद्रा में बैठा हैं उसने आकर उस स्थान पर मस्तक टेका और कुछ रूपये चढ़ा कर चला गया उसे देख कईयों ने यही किया. देखते ही देखते धन इक्कट्ठा हो गया. मजदूर वो धन लेकर महात्मा के पास गया और सारी बात विस्तार से कहकर बैठ गया. तब महात्मा मुस्कुराये उन्होंने उसके मजदूर के सिर पर हाथ रखते हुये कहा कि तू दुखी क्यूँ होता हैं वो गधा जीते जी तुझे जो ना दे सका वो मरकर दे रहा हैं. जब मनुष्य में अंधश्रद्धा इतना व्यापक रूप ले चुकी हैं तो उसमे तेरा क्या दोष ? तू बस इस धन का सही कार्य में उपयोग कर और तेरे शरण में आये लोगो को इस अंधविश्वास से पहचान करा. उन्हें खुद पर भरोसा रखने की सलाह दे. इस रास्ते पर भी तू अपना सैयम बना और  लोगो को सही ज्ञान दे. बस व्यर्थ के आडम्बर और चमत्कार में मत पड़ना.

इस कहानी के यही शिक्षा मिलती हैं कि मनुष्य को कुछ भी देख कर उसका कुछ भी मतलन नहीं निकालना चाहिये बल्कि वास्तविक्ता को समझना चाहिये. इसके साथ ही यह कहानी उन साधुओं को भी शिक्षा देती हैं जिन पर कई लोग विश्वास करते हैं उनका दायित्व हैं कि वे इस विश्वास का गलत फायदा ना उठाये और मनुष्य को सही राह दिखाये.

अंधविश्वास आज एक अभिशाप हैं जो देश की जड़ो को कमजोर कर रहा हैं और कहीं ना कही मनुष्य को कर्मठ बनाने के बजाय भाग्यवादी बना रहा हैं. इसे समझने एवम आस-पास के लोगो को समझाने की जरूरत हैं.

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