Bihari Ke Dohe With Meaning In Hindi
बिहारी के दोहे हिंदी अर्थ सहित यह हिंदी पाठको के लिए लिखा गया हैं एवम जिन्हें काव्य में रूचि हैं लेकिन बिहारी के दोहे को शब्दों में बाँधना बहुत कठिन हैं. बिहारी रीतिकाल के कवी थे उस समय के कविराज कहे जाते थे यह मुक्तक काव्य रचते थे . इनके काव्य का अर्थ शाब्दिक नहीं होता था ये थोड़े में अथाह का भाव व्यक्त करते थे . बिहारी ने विरह काव्य का अति मार्मिक वर्णन किया हालाँकि इन्हें अतिश्योक्ति कहा गया परन्तु फिर भी उन्होंने प्रेमभाव का मार्मिक चित्रण अपने काव्य में कियाबिहारी के दोहे का हिंदी अनुवाद किया हैं जो कि अत्यंत कठिन कार्य हैं अगर कोई गलती हुई हैं तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ
बिहारी जीवन परिचय एवं दोहे :
SN | बिंदु | बिहारीलाल जीवन परिचय |
1 | जन्म | 1595, ग्वालियर |
2 | मृत्यु | 1664 |
3 | काल | रीती काल, राजा जय सिंह |
4 | रचना | सतसई मुक्तक काव्य |
5 | अलंकर | संयोग, विरह, अतिश्योक्ति, व्यंग |
Bihari Ke Dohe With Meaning In Hindi बिहारी के दोहे हिंदी अर्थ सहित
Bihari Ke Dohe
सतसइया के दोहरा ज्यों नावक के तीर।
देखन में छोटे लगैं घाव करैं गम्भीर।।
Bihari Ke Dohe In Hindi :
कविवर बिहारी कह रहे हैं कि उनकी रचना सतसई के दोहे देखने में छोटे हैं जैसे नावक एक प्रकार का तीर जो बहुत छोटा होता हैं लेकिन गहरा गंभीर घाव छोड़ता हैं |उसी प्रकार सतसई के दोहे छोटे हैं लेकिन उनमे अथाह ज्ञान समाहित हैं
Bihari Ke Dohe
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास यहि काल।
अली कली में ही बिन्ध्यो आगे कौन हवाल।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
कविवर बिहारी ने राजा को व्यगं करते हुए यह कहा कि विवाह के बाद वे अपने जीवन में रसमय हो गये हैं और विकास कार्य की तरफ उनका कोई ध्यान नहीं हैं और राजकीय कार्य से भी दूर हैं ऐसे मैं कौन राज्य भार सम्भालेगा
Bihari Ke Dohe
घर घर तुरकिनि हिन्दुनी देतिं असीस सराहि।
पतिनु राति चादर चुरी तैं राखो जयसाहि।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
कविवर बिहारी की वाणी सुनने के बाद राजा जय सिंह को समझ आ गया हैं और उन्होंने राज्य की रक्षा की
Bihari Ke Dohe
मोर मुकुट कटि काछनी कर मुरली उर माल।
यहि बानिक मो मन बसौ सदा बिहारीलाल।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
सिर पर मौर मुकुट, पीली धोती और बांसुरी लिए मीठी वाणी बोलने वाला मेरा बिहारी सदा मेरे मन मैं बसा हैं
Bihari Ke Dohe
मेरी भववाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
प्रेम की छाया पड़ने से सभी का रंग बदल जाता हैं उसी प्रकार पीले वर्ण की राधा की छाया जब श्याम सलौने पर पड़ती हैं तब उनका रंग हरा हो जाता हैं
Bihari Ke Dohe
चिरजीवौ जोरी जुरै, क्यों न स्नेह गम्भीर।
को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर॥
Bihari Ke Dohe In Hindi
यह जोड़ी लंबी रहे क्यूँ न प्रेम गंभीर हो, एक बैल की बेटी हैं और दूसरा जोतने वाले का भाई
Bihari Ke Dohe
करि फुलेल को आचमन मीठो कहत सराहि।
रे गंधी मतिमंद तू इतर दिखावत काँहि।।
कर लै सूँघि, सराहि कै सबै रहे धरि मौन।
गंधी गंध गुलाब को गँवई गाहक कौन।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
कवी बिहारी मूर्खो को व्यंग कर रहे हैं कि एक इत्र बेचने वाली खुशबु की तारीफ कर उसे बेचने आई हैं अरे मुर्ख खुशबू को तारीफ के शब्दों की क्या जरुरत
Bihari Ke Dohe
काजर दै नहिं ऐ री सुहागिन, आँगुरि तो री कटैगी गँड़ासा
Bihari Ke Dohe In Hindi
बिहारी के काव्य में अतिश्योक्ति का परिचय मिलता हैं जैसे कि वे कह रहे हैं हे सुहागवती अपनी आँखों में काजल मत लगा वरना तेरे नैन गड़ासे अर्थात चारा काटने के औजार जैसे कटीले हो जायेंगे
Bihari Ke Dohe
सुनी पथिक मुँह माह निसि लुवैं चलैं वहि ग्राम।
बिनु पूँछे, बिनु ही कहे, जरति बिचारी बाम।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
विरह की आग में जल रही प्रेमिका के अंदर इतनी अग्नि होती है मानो माघ के माह में भी लू सी ताप रही हो जैसे की वो किसी लुहार की धौकनी हो
Bihari Ke Dohe
मैं ही बौरी विरह बस, कै बौरो सब गाँव।
कहा जानि ये कहत हैं, ससिहिं सीतकर नाँव।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
या तो मैं पागल हूँ या सारा गाँव . ये सभी कहते हैं कि चंद्रमा शीतल हैं जबकि माता सीता ने इस चन्द्रमा से कहा था कि मुझे इस तरह विरह की आग में जलता देख यह अग्निरूपी चन्द्रमा भी अग्नि की बारिश नहीं करता (तुलसीदास दोहे अनुसार)
Bihari Ke Dohe
कोटि जतन कोऊ करै, परै न प्रकृतिहिं बीच।
नल बल जल ऊँचो चढ़ै, तऊ नीच को नीच।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
कोई सौ बार भी प्रयत्न करे किन्तु मनुष्य स्वभाव नहीं बदलता जैसे नल से पानी उपर की तरफ चढ़ तो जाता हैं लेकिन बहता नीचे की तरफ ही हैं
Bihari Ke Dohe
नीकी लागि अनाकनी, फीकी परी गोहारि,
तज्यो मनो तारन बिरद, बारक बारनि तारि।
Bihari Ke Dohe In Hindi
हे ईश्वर अब आप भी आँख मिचौली करने लगे हैं प्रार्थना सुनी अनसुनी करना आपको अच्छा लगने लगा हैं शायद भक्त की पुकार में वो बात नहीं रही शायद एक हाथी को तारने के बाद अब आपने उस और देखना बंद कर दिया हैं
Bihari Ke Dohe
कब को टेरत दीन ह्वै, होत न स्याम सहाय।
तुम हूँ लागी जगत गुरु, जगनायक जग बाय।।
Bihari Ke Dohe In Hindi
हे कृष्ण मैं कब से आस लगाये तुझे पुकार रहा हूँ लेकिन आप मुझे सुन ही नहीं रहे, हे गुरुवर जगदनाथ क्या तुम भी इस संसार की तरह कठोर हो गये हो .
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