शेख जमील-उर-रहमान, एक पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी कमांडर, जो भारत की सबसे वांछित आतंकवादियों की सूची में थे, खैबर पख्तूनख्वा के अब्बोटाबाद में मृत पाए गए। उनकी मौत को “रहस्यमय परिस्थितियों” के रूप में वर्णित किया गया है, जिससे पाकिस्तान के उच्च-प्रोफ़ाइल आतंकवादी ऑपरेटिव्स को शरण देने के आरोपों पर पुनः चिंताएँ जाहिर होती हैं।
Table of Contents
Sheikh Jameel-Ur-Rehman Detail
विवरण | जानकारी |
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पूरा नाम | शेख जमील-उर-रहमान |
मूल निवासी | पुलवामा, जम्मू और कश्मीर |
व्यवसाय | आतंकवादी कमांडर |
संबंधित संगठन | यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी), तहरीक-उल-मुजाहिदीन (टीयूएम) |
उपलब्धियां | यूजेसी का सेक्रेटरी, टीयूएम का प्रमुख |
भारत सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित | अक्टूबर 2022 में आतंकवादी घोषित |
मौत की तारीख | मार्च 2024 |
मौत का स्थान | अब्बोटाबाद, खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान |
मौत की परिस्थितियां | रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाए गए |
शेख जमील-उर-रहमान कौन था?
शेख जमील-उर-रहमान एक पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी कमांडर थे जिन्हें भारतीय प्रशासन द्वारा एक कुख्यात आतंकवादी माना जाता था। वह मूल रूप से जम्मू और कश्मीर के पुलवामा जिले का निवासी था और बाद में पाकिस्तान चला गया था, जहां उसने तहरीक-उल-मुजाहिदीन (टीयूएम) और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ काम किया।
उन्हें भारत सरकार द्वारा अक्टूबर 2022 में आतंकवादी घोषित किया गया था। शेख जमील-उर-रहमान को जम्मू-कश्मीर में कई आतंकवादी हमलों में शामिल बताया गया था और उन्होंने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) के साथ मिलकर कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया था। उनकी गतिविधियां मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने और इस्लामिक कट्टरपंथी साजिशों को बढ़ावा देने पर केंद्रित थीं।
उनकी मौत मार्च 2024 में खैबर पख्तूनख्वा के अब्बोटाबाद में “रहस्यमय परिस्थितियों” में हुई थी। उनके निधन के पीछे के कारणों पर कोई स्पष्टता नहीं है।
तहरीक-उल-मुजाहिदीन क्यों बनाया गया था?
तहरीक-उल-मुजाहिदीन (टीयूएम) की स्थापना जम्मू और कश्मीर में इस्लामिक शासन की स्थापना और भारत से इस क्षेत्र को मुक्त कराने के उद्देश्य से की गई थी। इस संगठन का मुख्य लक्ष्य जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने और वहां एक इस्लामिक राज्य की स्थापना करने का था। टीयूएम की स्थापना के पीछे एक प्रमुख कारण यह था कि इसने कश्मीरी आंदोलन को एक इस्लामिक चरित्र प्रदान किया और कश्मीर में जिहाद के विचार को बढ़ावा दिया।
संगठन की रणनीति में सशस्त्र संघर्ष शामिल था, जिसमें भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ हमले और गुरिल्ला युद्ध तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। टीयूएम ने अपनी गतिविधियों के लिए स्थानीय समर्थन और अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक समूहों से धन और सामग्री सहायता प्राप्त की।
इस संगठन की स्थापना उस समय की वैश्विक और क्षेत्रीय राजनीतिक परिस्थितियों से प्रभावित थी, जिसमें जिहादी आंदोलनों का उदय और इस्लामी कट्टरपंथ का प्रसार शामिल है। तहरीक-उल-मुजाहिदीन ने जम्मू और कश्मीर में एक स्वतंत्र या पाकिस्तान से जुड़े इस्लामिक राज्य के निर्माण के लिए जिहाद को एक प्रमुख औजार के रूप में देखा।
लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष आतंकवादी पाकिस्तान में मारा गया:
हबीबुल्लाह, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा एक आतंकवादी, 17 दिसंबर 2023 को खैबर पख्तूनख्वा में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा मारा गया। उनकी मौत की रिपोर्ट उसी दिन सामने आई जब भारत के सबसे वांछित अपराधी, दाऊद इब्राहिम के विषाक्तता के कारण अस्पताल में भर्ती होने की अपुष्ट रिपोर्टें सामने आईं। हालांकि, दाऊद इब्राहिम को पिछले सप्ताह अस्पताल में भर्ती किया गया था और फिर उन्हें छुट्टी दे दी गई, स्रोतों का दावा है कि यह दाऊद इब्राहिम पर ‘हमला’ जैसा था।
इस तरह की घटनाएं पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के संचालन और उनके बीच आंतरिक संघर्षों की ओर इशारा करती हैं। ये घटनाएं न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय हैं।
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