“नन्ही की पुकार” : कन्या भ्रूणहत्या एक जघन्य सामाजिक अपराध (हिंदी कविता)
“Nanhi Ki Pukar Poem in Hindi ” : यह हिंदी कविता “नन्ही की पुकार” सामाजिक बुराई कन्या भ्रूणहत्या Female Foeticide पर लिखी गई हैं एक बच्ची के दिल की पुकार हैं जिसमे उसने इस समाज की सभी महिलाओ से सवाल किये हैं |
बेटी एक प्यार का समन्दर हैं जिसे आज इस दुनिया में अपनी जगह के लिए लड़ना पड़ रहा हैं | एक नन्ही बच्ची अपने आपको सबसे सुरक्षित अपनी माँ की गोद में ही पाती हैं उसे जो दुलार अपनी माँ के सांये में मिलता हैं वो कहीं नहीं मिलता हैं | लेकिन बेटी जब हताश हो जाती हैं जब एक माँ ही उसे अपने गर्भ में मारने का निर्णय लेती हैं | जब एक औरत ही औरत की दुश्मन हो जाती हैं तो इस तरह के पाप को अंजाम देती हैं | क्या कसूर हैं इस नन्ही कली का जो उसकी माँ ही उसे मार देती हैं | जब माँ ही बेटी की सगी नहीं तो पराई दुनिया क्या उसे प्यार देगी |
आज के इस दौर में जब लड़कियों ने हर क्षेत्र में अपना नाम बनाया हैं उसे हक़ हैं जीवन जीने का | और कन्या भ्रूणहत्या (Female Foeticide) को रोकने के लिए औरत को आवाज उठाने की जरुरत हैं | डर कर अन्याय सहने से कुछ ना होगा | यह सवाल उस नन्ही का हैं जो दुनियाँ में आने से पहले ही बेदर्दी से मार दी जाती हैं उसे इन्साफ दिलाने के लिए हर माँ को आवाज उठानी होगी और साथ ही यह स्वीकार करना होगा कि बेटा हो या बेटी उसे जीवन का अधिकार हैं |
नन्ही की पुकार
माँ तेरे आँचल में छिप जाने को मन करता है,
तेरी गोद में सो जाने को मन करता है |
जब तू है साथ मेरे,जिन्दगी जीने का मन करता है |
तू ही है जिसके साथ,मै खुश हूँ ,
बस तेरे दामन में ही मह्फुस हूँ,
पर माँ, जब तू भी दुश्मन बन जाती है,
मेरी नन्ही सांसों को, जब तू ही खामोश कर जाती है|
क्या कसूर होता है मेरा, जो तू भी पराया कर जाती है |
मुझे जिन्दगी के बजाय, मौत के आगोश में सुला देती है|
डरती है रूह मेरी, न जाने कब क्या होगा ,
जब तू भी साथ ना है माँ ,तो कौन मेरा अपना होगा ,
कौन मेरा अपना होगा ????
कर्णिका पाठक