29 days in February (Leap Years) in Hindi हर चौथे साल में फ़रवरी के महीने में एक दिन और जुड़ जाता है, जिससे 29 दिन हो जाते है. इस साल को लीप इयर और इस दिन को लीप डे कहते है. लीप इयर में 365 की जगह 366 दिन होते है. फ़रवरी साल का सबसे छोटा महिना है, इसमें सिर्फ 28 दिन होते है, इसलिए इस लीप डे को इस महीने में जोड़ा गया है. पृथ्वी को सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में 365 दिन, 6 घंटे का समय लगता है. तो ये 6 घंटे चार साल में जुड़ कर 24 घंटे बन जाते है, जिससे 1 लीप डे बन जाता है. अगर हम इस अतिरिक्त दिन को हर चौथे साल में नहीं जोड़ते है तो हर साल कैलेंडर से 6 घंटे हट जायेंगें और फिर हर 100 साल में कैलेंडर से 24 दिन ही गायब हो जायेंगें.
हर चौथे वर्ष फरवरी में 29 दिन क्यों होते हैं
Why 29 days in February Leap Years in Hindi
फ़रवरी में 28 दिन क्यों होते है? (Why February has 28 days in hindi) –
सबसे पहले कैलेंडर रोमन लोगों ने बनाया था, वे लोग बहुत व्यावहारिक हुआ करते थे. रोमन लोगों ने चन्द्र की स्थिती के अनुसार इस कैलेंडर को बनाया था. उनका कैलेंडर मार्च से दिसम्बर तक का होता था, जिसमें 304 दिन ही होते थे. वैसे रोमन लोगों ने इसे मार्च से दिसम्बर के बीच का क्यूँ बनाया, इसके बारे में अधिक जानकारी तो नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि रोम में जनवरी फ़रवरी में अधिक ठण्ड पड़ती थी, तो यह समय रोमन के लिए महत्वपूर्ण नहीं होता था. जिस वजह से इसे कैलेंडर में शामिल ही नहीं किया गया. दिसम्बर के आखिर से ही मौसम बदलने लगता, जो मार्च की शुरुवात में भी रहता था. कैलेंडर को एक सही क्रम की जरूरत थी.
कुछ समय बाद राजा नुमा आया, जिसने सोचा की कैलेंडर को एक सही क्रम की बहुत आवश्कता है. उन्होंने जनवरी और फरवरी महीने को साल में जोड़ा. भगवान् जानूस के नाम पर जनवरी महीने का नाम रखा गया. उस समय भी मार्च से नया साल शुरू होता था. लगभग 7 दशक बाद जूलियस ने जनवरी को साल का पहला महिना बोला और तब से इस महीने से नया साल शुरू हुआ. फ़रवरी में 23-24 दिन रखे गए, जबकि बाकि महीनों में 29 या 31 दिन हुआ करते थे.
जूलियन कैलेंडर –
BC पहली शताब्दी में रोम में जूलियन द्वारा लीप डे लाया गया था. एक समय यह भी था जब रोम में लोग 355 दिन साल के मानते थे, जिससे हर 2 साल में 22 दिन अलग से बच जाते थे. 45 BC में जूलियस सीज़र ने अपने खगोलशास्त्री को आदेश दिया कि इस परेशानी का हल निकाले. खगोलशास्त्री ने इसे चन्द्र की जगह सूर्य की स्थिती के अनुकूल बनाने का प्रयास शुरू किया. खगोलशास्त्री 365 दिन का एक साल बनाया, जिसमें बचे हुए समय से हर चौथे साल में एक दिन फरवरी में जोड़ा गया. फरवरी का महिना सबसे छोटा था, जिस वजह से लीप इयर में लीप डे फरवरी में जोड़ा गया. इसके अलावा फ़रवरी को उस समय आखिरी महिना मानते थे, इसलिए भी इस दिन को साल के आखरी दिन के रूप में फ़रवरी में जोड़ा गया.
एक कारण यह भी था कि 28 नंबर रोमन लोग अच्छा नहीं मानते थे, लेकिन इसे कैलेंडर में जोड़ना जरुरी था, इसलिए इसे छोटे महीने के रूप में ही रखा गया. फ़रवरी का महिना उनकी दृष्टि में अच्छा नहीं हुआ करता था. इस महीने में रोमन लोग अपने पुरखों का श्राद्ध, तर्पण किया करते थे, एक यह भी वजह है ये महीना उनके लिए अच्छा नहीं था. इस महीने में कोई भी शुभ काम नहीं हुआ करते थे. इसलिए लीप इयर में इसमें एक दिन जोड़ कर इसे 29 दिन का बना दिया गया.
कुछ लोग का कहना है कि पहले फ़रवरी में 30 दिन हुआ करते थे, और अगस्त में 29 दिन हुआ करते थे. लेकिन जब सीज़र ऑगस्टस शासक बने, तब उन्होंने अपने नाम के महीने में फ़रवरी से 2 दिन कम करके अगस्त में जोड़ दिए, जिससे अगस्त में भी जुलाई के बराबर 31 दिन हो सकें.
वैज्ञानिक कारण –
पृथ्वी सूर्य का चक्कर 365 दिन, 5 घंटे, 48 min, 45 सेकंड में लगाती है. अगर साल में सिर्फ 365 दिन होंगे तो बाकि का बचा हुआ समय हर साल कैलेंडर से निकलता जायगा. जिससे 100 साल में 24 दिन गायब हो जायेगें जो एक बड़ा आकड़ा है. इससे पुरे कैलेंडर का क्रम गड़बड़ा जायेगा. त्यौहार, तिथि, यहाँ तक की समय भी अलग हो जाता. ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ सौर प्रणाली को समान रखने के लिए इस लीप डे को फ़रवरी में जोड़ा गया था.
लीप इयर कैसे देखा जाता है? (How to calculate leap year)
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार तीन बातों का पूरा करने पर ही उस साल को लीप इयर माना जाता है.
- उस साल को 4 से पूरी तरह विभाजित होना चाहिए.
- साल को 100 से विभाजित होना चाहिए, लेकिन वो तभी लीप इयर होगा जब-
- वह साल 400 से भी विभाजित होगा.
इसका मतलब सन 2000 और 2400 लीप इयर है, जबकि 1800, 1900, 2100, 2200, 2300 और 2500 लीप इयर नहीं है.
सन्न 1900 से 2000 के (अधिवर्ष) की सूची (List of Leap Year):
1 | 1904 |
2 | 1908 |
3 | 1912 |
4 | 1916 |
5 | 1920 |
6 | 1924 |
7 | 1928 |
8 | 1932 |
9 | 1936 |
10 | 1940 |
11 | 1944 |
12 | 1948 |
13 | 1952 |
14 | 1956 |
15 | 1960 |
16 | 1964 |
17 | 1968 |
18 | 1972 |
19 | 1976 |
20 | 1980 |
21 | 1984 |
22 | 1988 |
23 | 1992 |
24 | 1996 |
25 | 2000 |
26 | 2004 |
27 | 2008 |
28 | 2012 |
29 | 2016 |
30 | 2020 |
जूलियस सीजर ने लीप इयर की शुरुवात की थी, लेकिन उन्होंने सिर्फ एक ही रूल रखा था. उनके अनुसार अगर कोई साल 4 से विभाजित हो जाये तो वो लीप इयर होगा. इस रूल के अनुसार कई लीप इयर हो जाते लेकिन वे सौर स्थिती के अनुसार सही नहीं थे. फिर ग्रेगोरियन कैलेंडर ने लगभग 200 साल बाद लीप इयर के लिए नए रुल निकले, जिसके बाद सही लीप इयर का पता चल पाया.
लीप वर्ष के विषय में अंधविश्वास –
- ग्रीक में कई लोग लीप वर्ष में शादी करना को अच्छा नहीं मानते है. वहां लोग इस साल शादी करना अवॉयड करते है.
- रूस में लीप इयर को मौसम के हिसाब से बुरा माना जाता है. उनका मानना है, मौसम ख़राब होने की वजह से इस साल मृत्यु दर बढ़ जाती है. उनका यह भी मानना होता है कि लीप वर्ष में अगर मटर और बीन्स बोया जाता है तो वे अच्छी फसल नहीं देते है.
लीप इयर में जो बच्चे पैदा होते है, उन्हें लीपलिंग्स या लीपर्स कहा जाता है. एक बच्चे का लीप डे में पैदा होने का चांस 1461 में एक होता है. पूरी दुनिया में लगभग 5 मिलियन लीपलिंग्स है. कुछ अन्धविश्वासीयों का मानना है, जो बच्चे इस दिन पैदा होते है वे असामान्य प्रतिभा, महान व्यक्तित्व, यहाँ तक की विशेष शक्तियों के मालिक होते है. वे लोग अपना जन्म दिन 28 फ़रवरी या 1 मार्च को मनाते है.
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