विविध भारती का इतिहास
विविध भारती का रेडिओ प्रसारण सबसे पहले 2 अक्टूबर 1957 को किया गया | विविध भारती ने जल्द ही लोगो के दिल में जगह बना ली यह सबसे पसंदीदा रेडिओ चैनल बना | विविध भारती में कई रंगारंग कार्यक्रम शुरू किये गए जिन्हें श्रोताओं ने दिल से लगाया | विविध भारती पर हिंदी फ़िल्मी गीतों एवं कहानियों का प्रसारण श्रोताओं को बहुत ललचाता था | उस वक्त रेडिओ गली मौहल्ले की शान बन चूका था | दहेज़ में रेडिओ की मांग पहली पसंद थी |
विविध भारती का इतिहास Vividh bharti Radio History In Hindi :
विविध भारती रेडिओ का पहला चैनल था | 1967 में विविध भारती में विज्ञापन का प्रसारण शुरू किया गया जो कि पैसा कमाने का बड़ा जरिया सामने आया इससे ना केवल विविध भारती को उन्नति मिली अपितु व्यापार की दिशा में भी उन्नति हुई क्यूंकि रेडिओ के माध्यम से विज्ञापन ने देश के हर छोटे बड़े स्थानों पर हर तरह की जानकारियाँ पहुंचाई | यह विज्ञापन व्यापारियों के साथ- साथ देश के जनता के लिए भी हितकारी साबित हुए |
आजादी के बाद देश में कई रेडिओ चैनल आये जिन में से एक था आकाशवाणी | आकाशवाणी को भी लोगो ने बहुत पसंद किया खासकर फ़िल्मी गीतों ने धूम मचा रखी थी लेकिन कुछ कारण से फ़िल्मी गीतों पर रोक लगा दी गई उस वक्त रेडिओ सीलोन पर फ़िल्मी गीतों का प्रसारण किया जा रहा था जो कि श्री लंका का रेडिओं चैनल था जिस पर भारतीय सिनेमा के गीतों का प्रसारण किया जा रहा था जो दिन पर दिन लोकप्रिय हो रहा था यह देख कर गिरिजा कुमार माथुर ने पंडित नरेन्द्र शर्मा और उनके सहयोगियों के साथ मिलकर एक नए रेडिओं चैनल की सोच प्रकट की जिसका नाम विविध भारती सेवा रखा गया |
तमाम तैयारियों के बाद 2 अक्टूबर 1957 को विविध भारती का पहला प्रसारण हुआ जिसमे नाचे मयूरा गीत श्रोताओं को सुनाया गया जिसे मन्ना डे ने गया था |
शुरुवाती दौर में शील कुमार ने विविध भारती को अपनी आवाज दी इनके बाद अमीन सायानी की आवाज को श्रोताओं ने बहुत पसंद किया उन्हें आज तक फॉलो किया जाता हैं |
1999 में सेना के जवानो के लिए विविध भारती ने एक नया कार्यक्रम शुरू किया जिसका नाम “Hello Kargil” रखा गया जिसके ज़रिये फोज़ियों के घर वाले अपना संदेश उन तक पहुँचाते थे साथ ही देश की भावना फोज़ियों तक पहुँचाकर उनका मनोबल बढ़ाया जाता था |
विविध भारती पर कई तरह के कार्यक्रम शुरू किये गए जिनमे सबसे पहले था
जयमाला : विवध भारती ने यह विशेष रूप से फोज़ियों के लिए शुरू किया गया था जिसमे वो अपने दिल की बात कहते थे और उन्हीं के पसंदीदा नगमे सुनाये जाते थे जयमाला सोमवार से शुक्रवार तक इसी फोर्मेट पर चलता था | शनिवार को जयमाला किसी फ़िल्मी हस्ती द्वारा प्रसारित किया जाता था और रविवार को फ़ौजी भाईयों का सन्देश देश को सुनाया जाता था |
हवामहल : यह विविध भारती का एक बहुत यादगार कार्यक्रम था अभी भी हैं इसमें नाटक पैश किया जाता था जिसमे असरानी, ओम पूरी, अमरीश पूरी एवम दीना पाठक जैसे महान कलाकार अपनी प्रस्तुति देते थे | नाटक के बीच में किया जाने वाला ध्वनि को लोग आज भी याद करते हैं जिनमे पानी पिने, ठोकर खाने जैसे कई साउंड जिन्हें देख कर ही समझा जा सकता हैं उन्हें रोचक तरीकों से पैश किया जाता था जो श्रोताओं को अत्यंत लुभाता था |
पिटारा : विविध भारती ने यह श्रोताओं को जानकारी देने हेतु तैयार किया गया था जिसमे सेहत, कृषि जैसे मुद्दों पर बात होती थी मनोरंजन के लिए गीतों को सुनाया जाता था |
सखी सहेली: विविध भारती ने यह खासतौर पर महिलाओं के लिए शुरू किया जिसमे फेशन से लेकर स्वस्थ संबंधी सभी जानकारियों को पैश किया जाता हैं |
मंथन : विविध भारती का खास कार्यक्रम हैं मंथन जिसमे देश को जागरूक करने की दिशा में काम किया जाता हैं और कई बड़े मुद्दों पर देश वासियों की राय ली जाती हैं |
यूथ एक्सप्रेस : विविध भारती ने यह यूवावर्ग के लिए शुरू किया जिसके जरिये उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शन दिया जाता हैं साथ ही बदलते वक्त के प्रति जागरूक किया जाता हैं ताकि वो वक्त की दौड़ में पीछे ना रहे |
संगीत सरिता : विविध भारती ने सुर का ज्ञान श्रोताओं तक पहुँचाने के लिए संगीत सरिता शुरू किया जिसमे संगीत की बारीकियों को संगीत का ज्ञान रखने वाले महान कलाकारों द्वारा श्रोताओं तक पहुँचाया जाता हैं |
उजाले उनकी यादों के: विविध भारती की बहुत ही अच्छी पेशकश हैं | जिसमे शुरुवात से लेकर आज तक के सभी जाने माने लोगो का परिचय कराया जाता हैं उनकी यादों को ताजा किया जाता हैं |
विविध भारती द्वारा कई तरह के कार्यक्रम शुरू किये गए जिन्हें सफलता भी मिली | 2007 में विविध भारती ने 50 वर्ष पुरे कर अपना स्वर्ण दिवस मनाया |
आज कई तरह के चैनल रेडिओ पर प्रसारित किये जाते हैं लेकिन विविध भारती में जो सादगी हैं उसे कोई कायम नहीं कर सका और विविध भारती अखिल भारत में प्रसारित किया जाता हैं |
माना आज के दौर में टीवी, इन्टरनेट आ गए हैं जिनसे फुरसत पाना ही मुश्किल हैं लेकिन फिर भी रेडिओं की अपनी दुनियाँ हैं कई बार केवल कानों से सुनना दिल को बहुत अच्छा लगता हैं देश के कई लोग हैं जो बिना रेडिओं सुने सो नहीं सकते हैं | कार स्टार्ट करते ही रेडिओ ऑन किया जाता हैं |
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