घर के लिए बुनियादी वास्तुशास्त्र के टिप्स Basic Vastu Tips For Home in hindi
घर एक व्यक्ति के लिए वह स्थान होता है जहां वह परिवार के साथ आराम से रहते हुए अच्छी यादों को तलाशता है. घर हमारे रहने, हमारी मानसिक स्थान कि वृद्धि और हमारी पहचान के लिए आवश्यक है, घर से हमारे जीवन का हर हिस्सा गहराई से जुड़ा हुआ रहता है. इसलिए हम घर के डिजाइन, सजावट और रखरखाव पर विशेष ध्यान देते है. वास्तु का अर्थ होता है निवास या घर, वास्तुशास्त्र पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को पूरी तरह से समायोजित करने के लिए एक विज्ञान है. घर के लिए वास्तुशास्त्र अलग अलग उर्जा पर निर्भर करता है जैसे सौर उर्जा, चन्द्र उर्जा, पवन उर्जा, प्रकाश उर्जा और चुम्बकीय उर्जा इत्यादि. अगर वास्तुशास्त्र के हिसाब से इन ऊर्जाओं को ध्यान में रख कर घर का निर्माण किया जाये तो घर में सुख, शांति और समृधि हमेशा बनी रहेगी और अगर वास्तुशास्त्र के खिलाफ घर का निर्माण किया जाये तो तनाव और अशांति का वतावरण घर में बना रहेगा. सौर ऊर्जा पर निबंध यहाँ पढ़ें.
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घर के निर्माण में वास्तु का महत्त्व (Importance of Vastu in House Construction)
वास्तु सकारात्मकता को बढ़ाते हुए नकारात्मकता को मिटा देता है, इसलिए जब भी आप अपने घर के निर्माण बारे में सोचते है, तो सबसे पहले आप ऐसे घर की कल्पना करते है जहां आपका परिवार सुरक्षित और खुशहाल रहे. साथ ही किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियों से बचा रहे, इसलिए वास्तु का महत्व अत्यधिक हो जाता है. अगर घर का निर्माण करते समय हम वास्तु का अनुपालन न करे तो हमारे साथ कई समस्यायें हो सकती है जिनमे से कुछ का वर्णन निम्न है –
सामाजिक हानि :
समाज में सम्मान का नुकसान, क़ानूनी मामलों की परेशानी या अन्य तरह की परेशानियाँ हमेशा बनी रहेंगी.
मौद्रिक परेशानी :
व्यापारिक हानि और दिवालियापन भी वास्तु दोष की वजह से हो सकता है.
चिकित्सीय संकट :
वास्तु दोष होने पर विभिन्न तरह की बीमारियों की समस्या के बचाव में परिवार के सदस्य घिरे रहते है, कई तरह की घातक बीमारियों के साथ ही असामयिक मृत्यु का दंश भी परिवार को झेलना पड़ सकता है.
घर के लिए बुनियादी वास्तुशास्त्र के टिप्स (Basic Vastu Tips For Home in hindi)
विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक वास्तु दिशानिर्देश के पीछे एक वैज्ञानिक तर्क है जिसका उद्देश्य सभी को एक संगठित और सुविधाजनक जीवन प्रदान करना है. हम माने या ना माने लेकिन वास्तु का असर होता है घर में कुछ बदलाव को लाकर हम अपने जीवन में काफी शांति ला सकते है. घर के लिए वास्तु के कुछ प्रमुख बुनियादी सिद्धांत निम्नलिखित है-
- अगर आप घर के लिए भूखंड खरीदने की योजना बना रहे है, तो सबसे पहले यह सुनिश्चित कर लें, कि भूमि दक्षिण और पश्चिम दिशा में है या नहीं, क्योंकि इस दिशा की भूमि अन्य दिशाओं की भूमि से अधिक लाभप्रद मानी जाती है.
- भूमि वर्ग या आयताकार में हो साथ ही साथ उसका झुकाव उत्तर और पूर्व या उत्तर-पूर्व की तरफ हो.
- एक घर जिसमे आम, केला, अनार, अशोका, नारियल, चंपा चमेली और चन्दन का पेड़ हो तो यह शुभ माना जाता है.
- जब भी घर के निर्माण कार्य के बारे में सोचे उस वक्त इस बात का ध्यान रखें कि घर के दक्षिण दिशा और पश्चिम दिशा में खुली या खाली जगह ज्यादा नहीं होनी चाहिए, तथा उत्तर दिशा और पूर्व दिशा की तरफ अन्य दिशाओं की अपेक्षा अधिक जगह रखनी चाहिए.
- घर की पहली मंजिल की ऊँचाई ग्राउंड फ्लोर से अधिक नहीं होनी चाहिए साथ ही पहली मंजिल पर कोई भंडार घर नहीं होना चाहिए.
- घर का प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्व या उत्तर और पूर्व दिशा में होना चाहिए. प्रवेश द्वार अर्थात घर का मुख्य दरवाजा घर के अन्य कमरों के द्वारों से बड़ा होना चाहिए और घर के मुख्य द्वार का दरवाज़ा हमेशा अंदर की तरफ़ ही खुलना चाहिए, इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश घर के अन्दर होता है. प्रवेश द्वार के सामने मंदिर नहीं होनी चाहिए ना कूड़ेदान रखना चाहिए किसी भी तरह की रूकावट मुख्य द्वार के सामने नहीं होनी चाहिए. रोशनी अच्छी होनी चाहिए, इससे घर में शुभकामनायें, समृधि और सामंजस्य आएँगी.
- घर के बीचों बीच कभी भी शौचालय, सीढ़ी, बीम या दीवार ना हो यह भाग किसी भी तरह की रुकावटों से मुक्त हो. घर की साफ सफाई करने के टिप्स यहाँ पढ़ें.
- दरवाजे का आकार के लिए दरवाजे की लम्बाई से उसकी चौडाई आधी होनी चाहिए.
- युद्ध, हिंसा या दुःख संघर्ष किसी भी तरह के नकारात्मकता को चित्रित करने वाले तस्वीर को घर में नहीं लगाना चाहिए.
- घर में रहने वाला कमरा उत्तर, पूर्व और पूर्वोतर दिशा में होना चाहिए. बेड, अलमारी जैसी भारी वस्तुओं दक्षिण, दक्षिण पश्चिम और पश्चिम दिशा में होना चाहिए. कमरे के एकदम बीच में सोने के बिस्तर को नहीं लगाना चाहिए ऐसा करना वास्तु दोष को बढ़ावा देता है इस तरह के कमरे की सजावट से बचने की कोशिश करनी चाहिए. शयनकक्ष में सिर को दक्षिण या पूर्वी दिशा की ओर रख कर सोना चाहिए. इससे गहरी और अच्छी नींद आती है. साथ ही आयु भी लम्बी होती है. सिर की तरफ़ कोई खिड़की नहीं होनी चाहिए.
- वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण और पश्चिम में स्थित होना चाहिए. सोने वाले कमरे में दर्पण नहीं रखना चाहिए साथ ही इसे बिस्तर से दूर रखना चाहिए. आगे आपके पास पहले से शयनकक्ष में दर्पण है तो सोते समय दर्पण पर पर्दा डाल दें. वास्तु के मुताबिक इससे बीमारियाँ और संबंधो में विच्छेद का खतरा रहता है.
- घर में पवित्र गंगा जल को रखना चाहिए इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, और स्वस्तिक के प्रतीकों का प्रयोग घर के मुख्य द्वार पर करना शुभ माना जाता है. यह घर में धन और समृधि का प्रतीक है साथ ही घर में शांति और खुशहाली को बनाये रखने के लिए 3 साल में एक बार नवग्रह और गणेश पूजन करना चाहिए, जिससे घर के वास्तु दोष दूर होते है.
- दक्षिण-पूर्व जिसे शास्त्र में अग्नि कोण भी कहते है, इस दिशा में रसोई घर होना चाहिए. रसोई घर के दरवाजे के सामने शौचालय और स्नानागार का दरवाज़ा नहीं होना चाहिए इसे वास्तुशास्त्र में अशुभ माना जाता है. रसोई घर में कभी भी दवाईयों को न रखें क्योकिं रसोई घर स्वास्थ्य और खुशहाली को इंगित करता है और दवा बीमारी को.
- पूजा का घर हमेशा घर के पूर्व दिशा या उत्तर दिशा या पूर्वोत्तर दिशा में स्थित होना चाहिए. पूजा करते समय मुख पूर्व की ओर होना चाहिए. पूजा कक्ष में रखी मूर्तियों की ऊँचाई 9 सेंटीमीटर से अधिक और 2 सेंटीमीटर से कम नहीं होनी चाहिए. पूजा कक्ष को शयनकक्ष या स्नानघर की दीवार से जुडी दीवार पर कभी नहीं बनाना चाहिए.
- अध्ययन कक्ष इस तरह से डिजाईन होना चाहिए कि जब भी आप पढाई करे तो आपका मुख हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ़ होना चाहिए. अध्ययन कक्ष में रोशनी की व्यवस्था अच्छी तरह होनी चाहिए. इस कमरे में भगवान गणेश और देवी सरस्वती की प्रतिमा होनी चाहिए. साथ ही एक पैंडुलम घडी कमरे के उत्तरी दीवार पर होना चाहिए. खिड़कियाँ पूर्व की दिशा में और बड़ी होनी चाहिए.
- दरवाजे के बहार एक नाम पटल होना चाहिए, यह घर का स्वामित्व दर्शाता है इस से सकारात्मकता आती है.
इस तरह से इन सभी वास्तु टिप्स का अपनाकर आप भी खुशहाल जीवन जी सकते हैं.
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