सरोगेसी क्या है (कितना खर्च आता है, सरोगेसी बिल 2019-2020, प्रक्रिया, कानून, नियम, विधेयक) (Surrogacy kya hai in Hindi in India, Rules, Cost, Process, Surrogate Mother)
इस दुनिया में बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिनको मां बनने का शौक भगवान की तरफ से ही प्राप्त नहीं होता है ऐसे में वे निराश हो जाते हैं परंतु सरोगेसी ऐसी ही महिलाओं के लिए वरदान है। यदि आप भी अपने जीवन में संतान का सुख प्राप्त करना चाहती हैं तो सरोगेसी के बारे में जरूर जाने और अपने जीवन में अपनाकर अपने माँ ना बन पाने वाले अभिशाप को वरदान बना ले। तो आइए जानते हैं आखिर सरोगेसी क्या होती है और कौन होती है सेरोगेट मदर
क्या होती है सरोगेसी?
जैसा कि आप जानते ही हैं आज के समय में विज्ञान हर जगह अपनी पहुंच साबित कर चुका है। विज्ञान उन महिलाओं के लिए भी वरदान साबित हो चुका है जो महिलाएं मां नहीं बन सकती हैं लेकिन अब विज्ञान की मदद से एक ऐसी ही खोज कर ली गई है जिसे आईवीएफ तकनीक कहा जाता है जिसके जरिए कोई भी महिला मातृत्व का सुख प्राप्त कर सकती है। इस तकनीक में जो भी महिला मां बनना चाहती है उसके गर्भाशय में भ्रूण का अंडा लगाया जाता है और बाद में जब अंडा थोड़ा सा विकसित होने लगता है तब उसे एक स्वस्थ महिला के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। बच्चा जब पूरी तरह से विकसित हो जाता है और जन्म लेने के लिए तैयार हो जाता है तो उसे जन्म दे दिया जाता है। इस प्रक्रिया को ही सरोगेसी या किराए की कोख कहा जाता है।
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सरोगेसी प्रक्रिया में कितना खर्च आता है?
आज के समय में भारत और दुनिया के बहुत सारे देशों में सरोगेसी का तरीका अपनाया जाता है क्योंकि एक महिला मातृत्व का सुख प्राप्त करने का हक रखती है और इच्छा भी ऐसे में यदि वह किसी कारणवश मां नहीं बन पाती है तो दूसरी महिला की कोख उधार लेना आजकल कोई बड़ी बात नहीं है। भारत में लगभग 70% से भी ज्यादा महिलाएं अपनी कोख बेच देती हैं ऐसे में को खरीदने वाली महिलाएं व उनके परिवार 8 से 10000 रुपये महीना सेरोगेट मदर को देते हैं। कोख उधार लेने के बदले जो महिलाएं बच्चा प्राप्त करने की इच्छा रखती है वह उस उधार देने वाली महिला को एक मासिक राशि का भुगतान करती है जिसे कोख का किराया भी कहा जा सकता है। इस प्रक्रिया में लगभग पूरा खर्च 15 से 20 लाख रुपए के अंदर हो जाता है। आप जिस महिला की कोख उधार ले रहे हैं उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल करना आप का प्रथम कर्तव्य और अधिकार भी है।
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सरोगेसी के प्रकार
शोधकर्ताओं द्वारा मुख्य रूप से सरोगेसी को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है जो निम्नलिखित है:-
- पारंपरिक सरोगेसी:– इस प्रक्रिया के अंतर्गत एक सरोगेट मदर के गर्भाशय में उस व्यक्ति का शुक्राणु निषेचन किया जाता है जो उस बच्चे का पिता बनने वाला होता है। उससे जायकोट्ट बनता है और अंडाणु बन जाता है जिसका अनुवांशिक संबंध केवल उसके पिता से होता है।
- जेस्टेशनल सेरोगेसी:- इस प्रक्रिया में माता और पिता दोनों के ही अंडाणु और शुक्राणु को एक परख-नली नली में लेकर दोनों को पूरी तरह से मिला दिया जाता है उसके बाद सेरोगेट मदर के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। इस प्रक्रिया से पैदा होने वाले बच्चे के अंदर माता और पिता दोनों के ही जेनेटिक गुण प्रवेश कर जाते हैं।
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सरोगेसी प्रक्रिया
विशेषज्ञ द्वारा निंलिखित चरणों से अंतर्गत सरोज ऐसी कि प्रक्रिया को पूरी देख रेख से अंजाम दिया जाता है:-
- मेडिकल स्क्रीनिंग:- जब एक दंपत्ति जो जब एक दम्पति जो उस महिला जिसकी कोख उधार लेना चाहते हैं उन दोनों से बीच संपूर्ण सहमति के साथ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो जाते हैं उसके बाद को उधार देने वाली महिला की पूरी मेडिकल स्क्रीनिंग कराई जाती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए सक्षम है भी या नहीं।
- भ्रूण स्थानांतरण:- जब एक महिला सरोगेसी के लिए तैयार हो जाती है तो जन्म नियंत्रण गोलियों की मदद से उसको पूरी तरह से भ्रूण के लिए तैयार किया जाता है। उस महिला के शरीर में हार्मोन के स्तर को बनाए रखने के लिए डॉक्टर द्वारा उन्हें प्रोजेस्ट्रोन के कुछ इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। उस महिला के हार्मोन लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए 12 हफ्ते तक लगातार उन्हें यह इंजेक्शन दिए जाते हैं। उसके बाद जब भ्रूण पूरी तरह से तैयार हो जाता है तब उस महिला के गर्भाशय में उस भ्रूण को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- गर्भावस्था:- भ्रूण स्थानांतरित करने के बाद सेरोगेट मदर गर्भवती हो जाती है। भ्रूण स्थानांतरित के एक हफ्ते बाद गर्भवती महिला को डॉक्टर से जांच करवाना अति आवश्यक होता है ताकि डॉक्टर उस महिला के हार्मोन के स्तर को पूरी तरह से जांच लें।
- समय–समय पर जांच कराई जाती है:- गर्भ में बच्चा किस तरह से पल रहा है इसके लिए डॉक्टर 9 महीने के अंतराल में कई बार अल्ट्रासाउंड और बच्चे की धड़कन सुनने का काम करते हैं। समय समय पर उस दंपत्ति को भी उस बच्चे की जानकारी दी जाती है कि बच्चा कितना स्वस्थ है और कितना नहीं।
- बच्चे का जन्म:- 9 महीने तक गर्भवती महिला का पूरा ख्याल रखा जाता है और उसके बाद वह बच्चे को डॉ की देखरेख में जन्म देती है और उस दंपत्ति को सोंप देती है जिन्होंने उस महिला की कोख उधार ली हो।
- सरकारी प्रक्रिया:- सरोगेसी की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए भारत में बहुत सारी सरकारी एजेंसिया है जिसके अंतर्गत बच्चों का लेन-देन होता है उसके बाद बच्चे को जन्म देने वाली महिला कभी भी उस बच्चे पर ना तो हक जता पाती है और ना ही उस बच्चे को अपने पास रख सकती है।
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सेरोगेसी के लिए आवश्यक योग्यता है
किन महिलाओं को सेरोगेसी के अंतर्गत मां बनने का अवसर दिया जाता है उसकी कुछ निम्मलिखित योग्यताएं है:-
- जिस महिला को आप सरोगेट मदर के तौर पर रखना चाहते हैं उसका मेडिकल रिकार्ड पूरी तरह से स्वस्थ हो ना चाहिए । यदि उसके पहले भी बच्चे हों तो उसकी डिलीवरी उचित तरीके से हुई होनी चाहिए।
- सरोगेट मदर की भी एक उम्र निर्धारित की गई है जिसके अनुसार वह महिला 21 वर्ष से लेकर 41 वर्ष की उम्र के बीच होनी चाहिए।
- उस महिला का बॉडी मास इंडेक्स बिल्कुल भी 33 से अधिक नहीं होना चाहिए।
- वह महिला जो एक दम्पति के बच्चे को अपनी कोख में रखने वाली है उस महिला का शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार का स्वास्थ संपूर्ण प्रकार से स्वस्थ होना चाहिए।
- वह एक सामान्य जीवन व्यतीत करने वाली महिला होनी चाहिए । उस महिला में धूम्रपान, शराब जैसी कोई बुरी लत नहीं होनी चाहिए।
- सबसे महत्वपूर्ण बात सेरोगेसी के लिए उसे खुद अपने मन से राजी होना बेहद जरुरी है । किसी के दबाव में आकर उसे यह फैसला बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए।
सेरोगेसी बिल क्या है?
हाल फिलहाल 15 जुलाई साल 2019 को लोकसभा के अंदर सेरोगेसी के बिल के प्रावधान में बहुत सारे बदलाव किए गए जो निम्नलिखित हैं:-
- सेरोगेसी बिल में यह साफ-साफ बताया गया है कि सरोगेसी के अंतर्गत केवल वही दंपत्ति सेरोगेट मदर रख सकते हैं जो कम से कम 5 साल से शादी के गठबंधन में बंधे हुए हो। इसके अलावा यदि वे मेडिकल तौर पर बच्चा पैदा करने में असक्षम साबित होते हैं तभी वे सरोगेसी का विकल्प चुन सकते हैं।
- इस अधिनियम के अंतर्गत ऐसा भी प्रावधान किया गया है कि जो दंपत्ति सरोगेसी प्रक्रिया की सहायता से बच्चा प्राप्त करना चाहते हैं उनमें जोड़े की उम्र 23 से 50 साल (स्त्री) और 26 से 55 साल (पुरुष) की होनी चाहिए और उनकी नागरिकता भारत की ही होनी चाहिए।
- आप एक ऐसी महिला को ही सरोगेट मदर चुन सकते हैं जो आपके नजदीकी रिश्तेदारों के अंतर्गत आती हो।
- इस बिल के अंतर्गत यह भी बताया गया है कि सरोगेट महिला पहले से विवाहित होनी आवश्यक है और साथ ही उसका पहला बच्चा भी होना चाहिए।
- यदि कोई व्यक्ति सरोगेसी के अंतर्गत प्रक्रिया को आरंभ कर चुका है तो वह उसे बीच में नहीं छोड़ सकता है और बच्चा पैदा होने के बाद उसे अपने पूरे अधिकार देने भी अनिवार्य हैं।
- सरोगेसी अधिनियम के तहत एक महिला को केवल एक ही बार सरोगेसी के तहत बच्चा पैदा करने की अनुमति दी जाती है।
- जो भी दंपत्ति अपने लिए सरोगेसी कराना चाहता है वह सरोगेट महिला को सभी प्रकार के खर्चे उसके भरण-पोषण के लिए मानसिक रूप से प्रदान अवश्य करना होगा। यदि उससे ज्यादा पैसे कोई व्यक्ति देता है या कोई सरोगेट महिला मांगती है तो वह कानूनी अपराध माना जाता है।
- इस अधिनियम में बताई गई किसी भी शर्त को ना मानने पर दंडनीय अपराध माना जाएगा। और किसी भी प्रकार की शर्त ना मानने वाले व्यक्ति पर तुरंत कार्यवाही करके उसे दंड दिया जाएगा।
कहते हैं मनुष्य एक मनुष्य की परेशानी में उसका साथ अवश्य देता है । ऐसे में यदि एक माँ व वह दंपत्ति जो एक संतान प्राप्ति की इच्छा रखता है। ऐसे में सेरोगेसी उनके लिए एक बहुत बड़ा वरदान है, और जो उनकी इस प्रक्रिया में सहायता करती है । वह महिला उनके लिए किसी भी प्रकार से एक देवी-देवता से कम नहीं है। क्योंकि इस प्रक्रिया से वे जो सुख प्राप्त करते है, उसके बदले यदि कोई भी मूल्य चुकाया जाए वह कम ही रहता है।
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