खुद को ज्ञानी मानने वाला सबसे बड़ा अज्ञानी हैं
पुराने वक्त में कबूतर झाड़ियों में अंडे देते थे लेकिन वह अंडे सुरक्षित नहीं थे उन्हें अन्य प्राणी खा जाते थे | तब कबूतरों ने चिड़ियों से परामर्श लिया और उन्हें घोंसला बनाने की सलाह दी | कबूतरों ने चिड़ियों से आग्रह किया कि वे ही उन्हें घोंसला बनाना सिखाएं |
अगले दिन चिड़ियाँ कबूतरों को घोंसला बनाना सिखाने आई उन्होंने घोंसला बनाना शुरु किया थोड़ी देर में ही कबूतर बोले – अरे यह काम तो बहुत आसान हैं अब हम बना लेंगे | चिड़ियों को वापस जाने को कहा | फिर कबूतरों ने घोंसला बनाना शुरु किया पर वे नहीं कर पाए | कबूतरों ने फिर से चिड़ियों को बुलावा भेजा | चिड़ियों ने आकर फिर से घोसला बनाना सिखाया पर आधा ही बनाया थी कि उन्हें फिर रोक दिया और कहा कि इतना तो वह जानते ही हैं अब बना लेंगे | चिड़ियाँ फिर वापस चली गई | कबूतरों ने फिर कोशिश की पर घोंसला नहीं बना पाए|
कबूतर फिर से चिड़ियों के पास गए पर इस बार चिड़ियों ने आने को मना कर दिया और कहा “जिसे यह लगता हैं कि उसे सब कुछ आता हैं उसे कोई कुछ नहीं सिखा सकता |”
घमंडी कबूतर आज तक घोसला बनाना नहीं सीख पाए |
Moral Of The Story:
किसी से कुछ भी सीखने के लिए अपने अन्दर के घमंड को मिटाना जरुरी हैं | अगर पहले से ज्ञानी बनकर ज्ञान प्राप्त करने जायेंगे तब कुछ सीख नहीं पाएंगे |
“घड़े में पानी भरने के लिए उसमे पर्याप्त जगह का होना जरुरी हैं, भरे हुए घड़े में पानी डालेंगे तो वह बाहर ही गिरेगा| ”
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