संतुष्ट जीवन ही ईश्वर का प्रसाद हैं

कहानी :संतुष्ट जीवन ही ईश्वर का प्रसाद हैं 

एक गाँव में एक व्यक्ति था जिसका एक छोटा सा घर था और वो बस आज में जीने जितना कमाता था उसे कल का कोई भय ना था | उसकी ईश्वर में अपार भक्ति थी उसका मानना था ईश्वर जो करता हैं भले के लिए करता हैं | उसके चेहरे पर ये शांति का भाव देखकर कई लोगो को उस पर क्रोध आता था सच तो यह था लोग उससे जलते थे | आज के समय में कोई किसी को संतुष्ट देखकर भी जलता हैं | पर वह व्यक्ति सभी को सिखाता था ईश्वर में विश्वास रखे वो जो करता हैं अच्छे के लिए करता हैं |

एक दिन गाँव में एक बच्चे की उंगली दरवाजे में फँस गई और कट गई वो बहुत रोया, पास के दवाखाने ले जा कर उसकी मलहम पट्टी की गई लेकिन उसकी आधी ऊँगली को नहीं जोड़ा जा सका | उसकी माँ बहुत रो रही थी उसके पिता भी बहुत दुखी थे तभी वो संतुष्ट व्यक्ति वहाँ से गुजरा उसने पूरी बात सुनी और बच्चे और उसके माता- पिता को समझाया और कहा- भगवान में विश्वास रखे वो जो करता अच्छे के लिए करता | यह सुनकर बच्चे के माँ बाप और गाँव के लोगों को गुस्सा आ गया |हमारे बच्चे की ऊंगली कट गई इसमें तुम्हे और तुम्हारे भगवान को क्या अच्छा दीख रहा हैं | वो व्यक्ति मुस्कुराता हुआ बोलता देखों सज्जन वक्त तुम्हे सब बताएगा और वहाँ से चला जाता हैं |

Santusht Jeevan Kahani

छह महीने बाद ……

गाँव में कुछ अन्धविश्वासी जंगली लोगों की टोली के कारण भय उत्पन्न हो गया | वे लोग हर एक गाँव से एक बच्चे को ले जाते और उसकी बलि देते उनका मानना था इससे खुशहाली आती हैं | अब इस गाँव की बारी थी| वे लोग उसी बच्चे को उठाकर बलि देने ले गए जिसकी छोटी ऊँगली कट गई थी | उसके माँ बाप का रो रोकर बुरा हाल था पर उन लोगो ने एक ना सुनी उनके अनुसार जिसकी बलि दी जाती हैं वो शहीद माना जाता हैं | जब उस बच्चे को बलि के लिए तैयार किया गया तब उस टोली के मुखियाँ ने देखा बच्चे कि एक ऊँगली कटी हुई हैं | इस तरह उन लोगो ने इस बच्चे को छोड़ दिया और वहाँ से चले गये क्यूंकि उन्हें एक गाँव से एक ही बच्चा लेना था | बच्चा सही सलामत घर पहुँचाया गया | सभी ख़ुशी का ठिकाना ना था |तभी वो संतुष्ट व्यक्ति आया | बच्चे के माँ बाप ने उसके हाथ जोड़कर कहा भाई तुम सही थे ईश्वर जो करता हैं अच्छे के लिए करता हैं |

Moral Of  The Hindi Story

ऐसा नहीं कि अन्धविश्वासी बने और भगवान पर सब कुछ छोड़ कर्महीन बन जाए | लेकिन अगर कोई दुर्घटना घटी है तो उसे लेकर ना बैठे | आगे की और देखे क्यूंकि जीवन में जो होता हैं उसका कोई न कोई मायना जरुर होता हैं |

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