शादी का लड्डू हिंदी कविता | Shadi Ka Laddu Vivah Kavita Poem In Hindi

Shadi Ka Laddu Vivah Kavita Poem In Hindi खासतौर पर शादी एवम महिला संगीत के फंक्शन के लिए लिखी गई हैं |भारत में शादी की परिभाषा अलग हैं इसे जिंदगी की सबसे अनमोल रस्म माना जाता हैं फिर भले ही जोर जोर से चिल्लाये “शादी का लड्डू जो खाये पछताये जो ना खाये वो भी पछताये”|

Vivah Kavita Poem In Hindi..

शादी का लड्डू हिंदी कविता (Shadi Ka Laddu Vivah Kavita Poem In Hindi)

मेरे देश का एक बड़ा झोल  
पैदा होते ही बजता शादी का ढोल

सपने दिखाते शादी के ही हर दम
पढ़ले बेटा नहीं तो दहेज़ मिलेगा कम

शादी के लड्डू कभी किसी को ना भाये
पर बिना इसे खाये रहा भी ना जाये

कैसी विकट परिस्थिती हैं भैया
रोटी गोल बनेगी तो ही मिलेगा सैंया

सात फेरों का हैं यह काला जादू
ख़ुशी मनाये दुनियाँ फंस जाये राजा बाबू

जो लड़की होती थी घर की रानी
सांतवे फैरे के बाद बन जाये नौकरानी

काला जादू ना कहे तो क्या कहे
जो खाये पछताए जो ना खाये वो भी पछताए
कर्णिका पाठक

शादी समारोह में Anchoring script in Hindi में खासतौर पर हिंदी कवितायेँ बोलने का चलन हैं इसी लिए Shadi Ka Laddu Vivah Kavita Poem In Hindi आपके लिए लिखी गई हैं |

होम पेजयहाँ क्लिक करें

अन्य पढ़े :

Leave a Comment