साबरमती आश्रम (गांधी आश्राम अथवा सत्याग्रह आश्रम ) का इतिहास एवं म्यूजियम | Sabarmati Ashram History and Museum in hindi
साबरमती आश्रम भारत का वह स्थान है, जहाँ पर राष्ट्रपिता बापू रहा करते थे. इस स्थान पर रहते हुए महात्मा गांधी ने देश को एक नयी दिशा देने का कार्य किया. इस आश्रम को गांधी आश्राम अथवा सत्याग्रह आश्रम भी कहा जाता है. यह आश्रम साबरमती नदी से लगभग 4 मील दूर गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है. इस स्थान पर महात्मा गांधी ने अपनी पत्नी के साथ 12 वर्ष का जीवन व्यतीत किया. यहाँ पर इस आश्रम से सम्बंधित विशेष बातों का वर्णन किया जा रहा है.
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साबरमती आश्रम का इतिहास (Sabarmati Ashram History in hindi)
गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से अपनी पढाई पूरी कर लेने के बाद भारत आये और अपने प्रथम आश्रम की स्थापना अहमदाबाद के कोचरब में जीवनलाल के बंगलों में किया. इस स्थान का नाम उन्होंने पहली बार सत्याग्रह आश्रम रखा. यह आश्राम उन्होंने 25 मई 1915 में स्थापित किया था. किन्तु गांधी अपने आश्राम में खेती बाड़ी, पशुपालन जैसा कार्य करना चाहते थे, जो इस आश्रम में मुमकिन नहीं था. अतः इसके उपरान्त उन्होंने 2 वर्ष के बाद इस आश्रम को 17 जून 1917 में साबरमती नदी के किनारे स्थापित किया. इस स्थान पर आश्रम स्थापित करने की वजह से इसे साबरमती आश्रम कहा गया.
ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर ऋषि दधिची का भी आश्रम रहा था. ऋषि दधिची ने अपनी अस्थियाँ एक असुर से युद्ध के समय देवो को प्रदान की थी. यह स्थान एक शमशान और जेल के मध्य स्थित है. यहाँ पर रहते हुए वर्ष 1930 तक इन्होने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी. इस वजह से इस स्थान का एक ऐतिहासिक महत्व है. जब अंग्रेजो ने देश में नमक क़ानून पारित किया था, उस समय महात्मा गांधी ने इसी स्थान से दांडी मार्च किया था और दांडी पहुँच कर नमक क़ानून तोड़ा था. इस तरह से यह स्थान कई लोगों के लिए एक आदर्श स्थल बन गया, जहाँ पर गांधी जी के करीबी अनुयायी भी रहते थे.
इस आश्रम में गांधी जी ने एक पाठशाला जैसा स्थान भी बनाया था. इस पाठशाला का मुख्य उद्देश्य यहाँ पर रहने वाले लोगों को मानव श्रम, खेती बाड़ी और शिक्षा का महत्त्व समझाना था और साथ ही आश्रम के अनुयायियों को प्रशिक्षित करना भी था. इसके बाद 12 मार्च वर्ष 1930 को महात्मा गांधी ने यह शपथ ली, कि जब तक भारत पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हो जाता वे आश्राम में अपना कदम नहीं रखेंगे. हालाँकि काफ़ी संघर्ष के बाद भारत को 15 अगस्त 1947 में आज़ादी तो प्राप्त हो गयी, किन्तु इसी के बाद 30 जनवरी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या कर दी गयी, और गांधी आश्रम नहीं लौट सके.
साबरमती आश्रम के क्रियाकलाप (Sabarmati Ashram Activities)
तात्कालिक समय में आश्रम के क्रियाकलापों का वर्णन निम्नलिखित है.
- इस आश्रम में प्रति वर्ष लगभग 7 लाख भ्रमणकारी घुमने के लिए आते हैं. आश्रम प्रतिदिन सुबह आठ बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है.
- इस स्थान पर आने वाले लोगों को आश्रम से संबधित सभी स्मृतियाँ जैसे लेखन, पेंटिंग, वौइस् रिकॉर्डिंग आदि से परिचित कराया जाता हैं.
- इस म्यूजियम में महात्मा गांधी के हाथ का चरखा और उनके द्वारा प्रयोग किये गये लेखन के लिए टेबल को बहुत अच्छे से रखा गया है.
- इस स्थान पर महात्मा गांधी के जीवन से सम्बंधित सभी विशेष वस्तुएं रखी गईं हैं.
- इस स्थान पर आने वाले लोगों और युवाओं को महात्मा गांधी जी के महान विचारों से अवगत कराया जाता है.
तात्कालिक समय में आश्रम में मौजूद स्थान (Sabarmati Ashram Visiting Places)
तात्कालिक समय में यह आश्रम महात्मा गांधी की स्मृतियों के कारण एक म्यूजियम में बदल दिया गया है. आज कल इस आश्रम को गांधी स्मारक संग्रहालय कहा जाता है. यह स्थान आश्राम का वह हिस्सा है, जहाँ पर गांधी स्वयं रहा करते थे. इसे ह्रदय कुञ्ज कहा जाता था. इस म्यूजियम की डिजाईन चार्ल्स कोर्रा ने की है. इस आश्रम में अन्य स्थान भी हैं, जो भ्रमण स्थल के रूप में है, यहाँ पर इसका वर्णन किया जा रहा है.
- नंदिनी : नंदिनी आश्रम का वह स्थान है, जहाँ पर भारत तथा अन्य देशों से आश्रम में आने वाले लोग रहा करते थे. यह स्थान ह्रदय कुञ्ज के बाएं तरफ स्थित है.
- विनोबा कुटीर : इस स्थान का नाम आचार्य विनोबा भावे के नाम पर रखा गया है. यहाँ पर महात्मा गांधी के अनुयायी विनोबा भावे निवास करते थे. इस स्थान पर महात्मा गांधी के अन्य शिष्य मीराबेन भी रहीं थी, इस वजह से इस स्थान को मित्र कुटीर भी कहा जाता है.
- उपासना मंदिर : उपासना मंदिर एक प्रार्थना स्थल है. यह स्थान पूरी तरह से खुला हुआ है. इस स्थान पर महात्मा गांधी अपने अनुयायियों के प्रश्नों का उत्तर देते थे. यह स्थान मगन निवास और ह्रदय कुञ्ज के मध्य स्थित है.
- मगन निवास : इस स्थान पर आश्रम के मेनेजर रहा करते थे. यह एक छोटी सी कुटिया हुआ करती थी. मगनलाल महात्मा गांधी के प्रिय लोगों में एक थे.
अन्तराष्ट्रीय अहिंसा शांति दिवस पर भाषण
म्यूजियम में स्थित चीजें (Sabarmati Ashram Museum)
यह स्थान गांधी आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट की तरफ से संचालित होता है. यहाँ पर 90 मिनट का एक गाइड युक्त भ्रमण आरम्भ होता है, जिसके अन्तर्गत निम्नलिखित स्थानों पर ले जाया जाता है.
- सोमनाथ छात्रालय : यह इस आश्रम में ही स्थित है.
- उद्योग मंदिर : इस स्थान पर श्रमिको के मान को उद्घाटित किया जाता है.
- पेंटिंग गैलरी : इस स्थान पर आठ बड़ी और अनोखी पेंटिंग दिखाई जाती हैं.
- माई लाइफ इज माई मेसेज : यह घटना महात्मा गांधी के जीवन का मुख्य पड़ाव था. अतः यहाँ पर साभी घटनाओं का चित्रण आयल पेंटिंग और फोटोग्राफ की सहायता से किया जाता है.
- लाइब्रेरी : इस स्थान पर महात्मा गांधी की 34,000 पांडुलिपि, 6000 फोटो नेगेटिव, 200 फ़ोटोस्टेट फाइल आदि रखे हुए हैं. इसके अलावा यहाँ पर किताबों की संख्या 35,000 है. यह लाइब्रेरी दिन के 11 बजे से शाम के 6 बजे तक खुली रहती है.
इस तरह से यह स्थान एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व लिए हुए है. इस स्थान पर भ्रमण करने से महात्मा गांधी के विचारों को समझने में काफ़ी आसानी होती है, और जीवन में सत्य अहिंसा का महत्त्व पता चलता है. अतः भारत के इतिहास को समझने के लिए इस स्थान का भ्रमण आवश्यक है, जो कि अपने आप में भारतीय संस्कृति को समाहित किये हुए हैं.
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