बाबा रामदेव पतंजलि केस स्टडी 2024, सुप्रीमकोर्ट का फैसला, ताज़ा खबर, न्यूज़, अपडेट, मार्केटिंग स्ट्रेटेजी, प्रोडक्ट्स (Ramdev Baba Patanjali Case Study 2024) (Supreme Court Decision, Latest News, Update, Marketing Strategy, Products)
रामदेव बाबा, जिन्हें बाबा रामदेव या स्वामी रामदेव के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय योग गुरु, आयुर्वेदिक उद्यमी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के सह-संस्थापक हैं। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1965 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अली सैयदपुर गाँव में हुआ था। उन्होंने योग के प्रति अपनी रुचि और ज्ञान को बढ़ाया और बाद में भारतीय और विश्वभर में योग को प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बाबा रामदेव ने योग को एक नई पहचान दी और आम लोगों के बीच इसे लोकप्रिय बनाया। उन्होंने टेलीविजन पर योग शिक्षण कार्यक्रम प्रसारित किये, जिससे उन्हें व्यापक पहचान मिली। बाबा रामदेव की शिक्षाएँ मुख्य रूप से अष्टांग योग पर आधारित हैं और उन्होंने स्वास्थ्य, आहार और लाइफस्टाइल पर भी विशेष जोर दिया।
उन्होंने आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर 2006 में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की स्थापना की। यह कंपनी आयुर्वेदिक दवाइयों और विभिन्न स्वास्थ्य संबंधित उत्पादों का निर्माण करती है और भारत में इसकी विशाल पहुंच है।
बाबा रामदेव को उनके योग शिक्षण और आयुर्वेदिक उत्पादों के प्रचार के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है। वे भारतीय संस्कृति और चिकित्सा प्रणाली के एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में उभरे हैं।
Patanjali Case Study 2024
हाल ही में बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट के सामने एक भ्रामक विज्ञापन मामले में उपस्थित हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद की अपील खारिज कर दी, जिसके बाद उन्हें और उनके योग शिविरों पर सर्विस टैक्स लगाने का आदेश दिया गया। यह मामला पतंजलि द्वारा प्रकाशित ‘झूठे और भ्रामक’ विज्ञापनों से संबंधित था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पतंजलि को सभी प्रकार के विज्ञापन रोकने का निर्देश भी दिया था। रामदेव ने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी और उन्हें अदालत ने अवमानना कार्यवाही न शुरू करने के लिए एक और मौका दिया गया।
पतंजलि के विवाद (Controversies)
यहाँ पतंजलि से जुड़े विवादों की सरल हिंदी में संक्षिप्त सूची दी गई है:
1. 2006 ब्रिंदा करत का आरोप: CPI नेता ब्रिंदा करत ने दिव्य फार्मेसी पर इंसान और जानवरों की हड्डियों का उपयोग करने का आरोप लगाया था। सरकारी लैबों में भेजे गए नमूनों की दो अलग-अलग रिपोर्ट आईं, जिससे इस बात का विवाद बढ़ गया कि ऐसे आरोपों से मल्टीनेशनल कंपनियों को फायदा पहुंचता है और आयुर्वेद की बदनामी होती है।
2. आटा नूडल्स: मैगी के विवाद के बाद, जिसमें MSG और सीसा पाया गया था, बाबा रामदेव ने आटा नूडल्स लॉन्च किए। हालांकि इन नूडल्स को अप्रूवल नहीं मिला था, और उन्होंने कहा कि पास्ता बेचने का लाइसेंस होने के नाते यह उसी श्रेणी में आता है।
3. पतंजलि घी: एक रिपोर्ट में पता चला कि पतंजलि घी में मिलावट की गई थी और इसमें रंग मिलाया गया था ताकि इसे शुद्ध गाय के दूध का घी दिखाया जा सके।
4. पतंजलि दिव्य आंवला जूस: आर्मी कैंटीन्स में बिक्री पर रोक लगाई गई क्योंकि इसमें pH मान निर्धारित सीमा से कम पाया गया।
5. शिवलिंगी बीज: इसमें 31.68% तक विदेशी पदार्थ पाए गए। बालकृष्ण ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया और बताया कि यह एक प्राकृतिक उत्पाद है जिसमें मिलावट नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी कहा कि लैब रिपोर्ट पतंजलि की छवि खराब करने का एक प्रयास थी।
6. रुद्रपुर लैब परीक्षण: 2012 में, पतंजलि के सरसों का तेल, नमक, अनानास जैम, बेसन और शहद ने गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे, और जिला खाद्य सुरक्षा विभाग ने एक मामला दर्ज किया गया था।
7. हरिद्वार कोर्ट जुर्माना: दिसंबर 2016 में, पतंजलि आयुर्वेद पर अपने उत्पादों की गलत ब्रांडिंग और भ्रामक विज्ञापन लगाने के लिए 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
8. कोरोनिल किट: 23 जून 2020 को लॉन्च की गई कोरोनिल किट, जिसे बालकृष्ण ने पहली आयुर्वेदिक दवा बताया जो कि 14 दिनों में कोरोना का इलाज कर सकती है। इसे तेलंगाना में 1,800 रुपये में बेचा गया, जबकि इसकी असली कीमत 545 रुपये थी।
पतंजलि के अलावा अन्य ब्राण्ड्स जो झूठे विज्ञापन के जाल में फंसे –
1, Bournvita –
हाल ही में, भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे Bournvita सहित सभी पेय पदार्थों को ‘स्वास्थ्य पेय’ श्रेणी से हटा दें। यह कदम राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की जांच के बाद उठाया गया है, जिसमें पाया गया कि Bournvita में उच्च मात्रा में शुगर होता है और इसका बच्चों की स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। इसी कारण से इसे ‘स्वास्थ्य पेय’ के रूप में वर्गीकृत करने पर प्रश्न उठाया गया है।
इस मुद्दे को लेकर Bournvita ने यह भी कहा है कि उनके उत्पाद वैज्ञानिक रूप से तैयार किए गए हैं और इसमें सभी जरूरी पोषक तत्वों की जानकारी उपभोक्ताओं को दी गई है, ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें।
इस प्रकरण में, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भी ई-कॉमर्स कंपनियों को खाद्य उत्पादों के सही वर्गीकरण को सुनिश्चित करने की अधिसूचना जारी की है। FSSAI ने स्पष्ट किया है कि ‘स्वास्थ्य पेय’ की परिभाषा कहीं भी निर्धारित या मानकीकृत नहीं की गई है, और इसलिए इसे उचित श्रेणी में रखने की आवश्यकता है।
2, cerelac ban –
वर्तमान में भारत या विश्व में Cerelac पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि, Cerelac के विपणन और उसके सामग्री में शुगर की मात्रा को लेकर कुछ विवाद उठे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बच्चों के आहार में जोड़ा गया शुगर नहीं होना चाहिए, लेकिन कुछ रिपोर्टों के अनुसार, Cerelac में भारत में बेचे जाने वाले उत्पादों में प्रति सर्विंग लगभग 3 ग्राम शुगर पाया गया है। इससे संबंधित विवादों में Nestle, Cerelac के निर्माता, ने दावा किया है कि उन्होंने पिछले पांच वर्षों में अपने उत्पादों में शुगर की मात्रा में 30% तक की कमी की है।
3, Everest Masale –
हाल ही में Everest मसाले से जुड़ी दो प्रमुख खबरें हैं। पहली खबर सिंगापुर से है जहां Everest Fish Curry Masala को एथिलीन ऑक्साइड के असुरक्षित स्तर के कारण याद किया गया है। एथिलीन ऑक्साइड एक कीटनाशक है जिसे मानव उपभोग के लिए असुरक्षित माना जाता है। दूसरी खबर अमेरिका से है, जहां Everest Sambhar Masala और Garam Masa (PTC News)स्थ्य जोखिम के कारण याद किया गया है। इन उत्पादों में साल्मोनेला की उपस्थिति पाई गई थी, जो गंभीर और कभी-कभी घातक संक्रमण का कारण बन सकती है.
4, Johnson and Johnson –
जॉनसन एंड जॉनसन के कई मुकदमों और विवादों में शामिल हैं जैसे कि टैल्कम पाउडर मामले में उन्हें अस्बेस्टोस पाए जाने के बाद कैंसर के दावों का सामना करना पड़ा। 2020 में, कंपनी ने घोषणा की कि वे टैल्कम-आधारित बेबी पाउडर की बिक्री अमेरिका और कनाडा में बंद कर देंगे। इसके अलावा, विभिन्न जूरियों ने कंपनी को अरबों डॉलर के मुआवजे का आदेश दिया, जिसमें से एक मामले में टैल्कम पाउडर के उपयोग से ओवेरियन कैंसर होने का दावा था और इस मामले में $4.69 बिलियन का जुर्माना लगाया गया था जो बाद में घटा दिया गया।
पतंजलि के उत्पाद गलत है या सही इन्हे अपनाए या छोड़े यह विषय चर्चा के योगी है परंतु एक बात साफ है कि योग और आयुर्वेद भारतीय संस्कृति के मूल तत्व हैं और सदियों से हमारे स्वास्थ्य संबंधी प्रथाओं में शामिल हैं। इन्हें अपनाने का महत्व सिर्फ स्वास्थ्य लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन शैली का एक अभिन्न अंग है। विज्ञापनों के द्वारा कभी-कभी गलत जानकारी दी जाती है, लेकिन उपभोक्ताओं को इनके प्रभावों को समझते हुए सूचित निर्णय लेने चाहिए। आयुर्वेदिक उत्पादों और योग प्रथाओं का सही उपयोग और समझ न सिर्फ हमें स्वस्थ रख सकता है, बल्कि इससे विरासती ज्ञान का भी संरक्षण होता है। अतः, यह महत्वपूर्ण है कि हम योग और आयुर्वेद के प्रति सजग रहें और इसे बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनाएं।
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