भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय

भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय (Rakesh Sharma biography in hindi)

गौरतलब है कि अंतरिक्ष की सैर जहाँ विज्ञान के क्षेत्र में इंसान का क्रांतिकारी कदम माना गया, वहीँ एक इंसान के लिए यह किसी रोमांच से कम नहीं था. वैसे तो अमेरिका और सोवियत संघ की अंतरिक्ष में उड़ान की कहानी बहुत पुरानी है और उसके कई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष की सफल यात्रा कर चुके हैं. परन्तु अंतरिक्ष विज्ञान के एक नए खिलाड़ी और एक विकासशील देश के किसी व्यक्ति को अंतरिक्ष की यात्रा का सौभाग्य प्राप्त हो, तो यह किसी अजूबे से कम नहीं माना जा सकता. हालाँकि यह अजूबा हुआ और भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की यात्रा कर एक नया इतिहास रचा. आज से 33 वर्ष पूर्व यानि 2 अप्रैल वर्ष 1984 का वह ऐतिहासिक दिन था, जब राकेश शर्मा दो अन्य सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्षयान सोयुज टी-11 में सवार होकर अंतरिक्ष यात्रा पर निकले थे. इस यात्रा के दौरान वे 8 दिनों तक अंतरिक्ष में सोवियत रूस द्वारा स्थापित अंतरिक्ष केंद्र सोल्युज-7 में रहे. इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष से उत्तरी भारत के ढ़ेरों चित्र लिए और वहां गुरुत्वाकर्षणहीन उड़ान भरने के साथ-साथ योगाभ्यास भी किया. अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले राकेश शर्मा विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री थे. राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा प्रत्येक भारतीयों के लिए एक गौरव का विषय है.

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राकेश शर्मा का परिचय

परिचय बिंदुपरिचय
पूरा नाम (Full Name)राकेश शर्मा
पेशा (Profession)अंतरिक्ष यात्री, भारतीय एयर फ़ोर्स पायलट
प्रसिध्य है (Famous for)पहले भारतीय जो अन्तरिक्ष गए थे
जन्म (Birth)13 जनवरी 1949
उम्र (Age)70
जन्म स्थान (Birth Place)पटियाला पंजाब
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
गृहनगर (Hometown)हैदराबाद
जाति (Caste)ब्राह्मण
राशीमकर
अन्तरिक्ष में रहे7 दिन 21 घंटे, 40 मिनिट
पसंद (Hobbies)घूमना, रीडिंग, योग
वैवाहिक स्थिति (Marital Status)विवाहित
मुख्य अवार्ड·        अशोक चक्र

 

·        संग्राम मैडल

·        विदेश सेवा सर्विस मैडल

·        9 साल लॉन्ग सर्विस मैडल

·        हीरो ऑफ़ दी सोवियत संघ

राकेश शर्मा का प्रारंभिक जीवन (Rakesh Sharma early life)

अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 को हुआ था. उनकी माता का नाम तृप्ता शर्मा और पिता का नाम देवेन्द्र शर्मा था. राकेश के जन्म के बाद उनके माता पिता आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर में रहने के लिए चले गए. यहीं पर पढाई के लिए राकेश का दाखिला सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल में कराया गया. स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात राकेश शर्मा ने स्नातक की पढाई के लिए हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. स्नातक की पढाई के दौरान ही वर्ष 1966 में उनका चयन राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) में हुआ और वे ट्रेनिंग के लिए चले गए.

राकेश शर्मा के परिवार की जानकारी

पिता का नाम (Fathers Name)देवेन्द्रनाथ शर्मा
माता का नाम (Mothers Name)त्रिपता शर्मा
पत्नी का नाम (Wife Name)मधु शर्मा
बेटा (Son)कपिल शर्मा (फिल्म डायरेक्टर)
बेटी (Daughter)·        स्वर्गीय मानसी

 

·        कृतिका शर्मा

राकेश शर्मा का कैरियर (Rakesh Sharma career)   

कहा जाता है कि राकेश शर्मा को बचपन से ही विज्ञान के विषयों से लगाव था. स्कूल के दिनों से ही वे इलेक्ट्रॉनिक्स में रुचि दिखाने लगे थे. एक कैडेट के तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी की ट्रेनिंग पूरी करने के पश्चात, जब वर्ष 1970 में राकेश शर्मा को भारतीय वायु सेना में बतौर टेस्ट पायलट भर्ती किया गया तो उनकी मन की मुराद पूरी हुई. भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमान उड़ाने की योग्यता का प्रदर्शन करने का उन्हें मौका जल्दी ही मिल गया. वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने युद्ध के मैदान में मिग विमान का सफलतापूर्वक संचालन कर अपनी योग्यता को साबित किया. अपनी योग्यता की बदौलत वर्ष 1984 में राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद तक पहुंचे. इसी बीच 20 सितम्बर 1982 को राकेश शर्मा का चयन एक और भारतीय नागरिक रवीश मल्होत्रा के साथ भारत और सोवियत संघ के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के लिए किया गया. इस अभियान के तहत दोनों में से किसी एक को अंतरिक्ष यात्रा का मौका मिलने वाला था.

दरअसल, भारत के अंतरिक्ष विज्ञान संगठन ‘इसरो’ और सोवियत संघ के ‘इन्टरकॉसमॉस’ के इस संयुक्त अभियान के तहत अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए दोनों देशों के तीन अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्षयान द्वारा अंतरिक्ष में जाना था. तीन अंतरिक्ष यात्रियों में से दो सोवियत संघ से और एक भारत से चुने जाने थे. बहरहाल, भारत से नामित दोनों लोगों राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा को यात्रा पूर्व प्रशिक्षण के लिए सोवियत संघ के कज़ाकिस्तान स्थित अंतरिक्ष स्टेशन बैंकानूर भेजा गया. इस प्रशिक्षण में राकेश शर्मा अव्वल रहे और अंतिम तौर पर उनका चुनाव अंतरिक्ष यात्रा के लिए कर लिया गया. फिर 2 अप्रैल 1984 का वह ऐतिहासिक दिन आया जब राकेश शर्मा ने दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों कमांडर वाई वी मलिशेव और फ्लाइट इंजीनियर जी एम स्त्रोक्लोफ़ के साथ अंतरिक्षयान सोयुज टी-11 में सुदूर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरा. उड़ान भरने के बाद तीनों अंतरिक्ष यात्री सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में सोवियत संघ द्वारा स्थापित ऑर्बिटल स्टेशन सोल्युज-7 में पहुंच गए. इस ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन के साथ भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला विश्व का 14वा देश बन गया. राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में लगभग 8 दिन  (7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट) बिताए थे. इस दौरान इस अंतरिक्ष दल ने वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन से संबंधित 33 प्रयोग किए. राकेश शर्मा को विशेष तौर पर बायो-मेडिसिन और रिमोट सेंसिंग के संबंध में अध्ययन करने की जिम्मेदारी मिली थी.

अंतरिक्ष यात्रा के दौरान संयुक्त दल ने मास्को के सोवियत संघ के अधिकारीयों के साथ मिलकर नई दिल्ली में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के साथ एक संयुक्त वार्तालाप भी की. इस वार्तालाप के दौरान इंदिरा गाँधी ने राकेश शर्मा से एक दिलचस्प सवाल पूछा था – ‘अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?’ श्रीमती गाँधी के दिलचस्प सवाल का जबाव भी राकेश शर्मा ने बड़े दिलचस्प अंदाज में दिया – ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा…’. उस समय देश के अख़बारों में इंदिरा गाँधी और राकेश शर्मा के बीच का यह वार्तालाप चर्चा का विषय बन गया था.  हालाँकि उस समय खबर यह भी थी कि कुछ धार्मिक कट्टरपंथी समूहों ने राकेश शर्मा के अन्तरिक्ष यात्रा पर नाखुशी भी जाहिर की थी. इसके समर्थन में उन समूहों का कहना था कि पवित्र ग्रहों पर इंसान का जाना धर्म के विपरीत है. परन्तु विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के लिए कशमकश करते भारतीय जनमानस ने उन कट्टरपंथियों के विचारों को नकारते हुए उनकी आवाज को अनसुना कर राकेश शर्मा की उपलब्धि पर जश्न मनाना बेहतर समझा.

राकेश शर्मा की उपलब्धियाँ (Rakesh Sharma achievements)

अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद भारत में राकेश शर्मा का जोरदार स्वागत हुआ.

  • भारत सरकार ने उन्हें शांतिकाल में बहादुरी के लिए दिए जाने वाले सबसे बड़े पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया.
  • सोवियत संघ ने भी भारत से अपनी गहरी मित्रता को जाहिर करते हुए राकेश शर्मा को ‘हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन’ के पुरस्कार से सम्मानित किया.
  • वर्ष 1987 में राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना से विंग कमांडर के पद से सेवा के लिए नियुक्त हुए. सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने ‘हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) में टेस्ट पायलट के तौर पर कुछ समय के लिए अपनी सेवाएं दी.
  • इसके बाद वर्ष 2006 में राकेश शर्मा को ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) के बोर्ड में नामित किया गया.
  • बाद के वर्षों में वह एक कंपनी ‘ऑटोमेटेड वोर्कफलोर’ के चेयरमैन भी नियुक्त हुए.

राकेश शर्मा का व्यक्तिगत जीवन (Rakesh Sharma personal data)

राकेश शर्मा सरल और सौम्य प्रवृति के व्यक्ति रहे हैं. उनका विवाह कर्नल पी एन शर्मा की बेटी मधु शर्मा से हुआ था. पति-पत्नी दोनों रुसी भाषा के भी ज्ञाता हैं. इनके बेटे का नाम कपिल और बेटी का नाम कृतिका है. दोनों मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.

राकेश शर्मा का जीवन घटनाक्रम (Rakesh Sharma life story)

वर्ष घटनाएँ
1949पंजाब के पटियाला में एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में जन्म.
1966राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) के लिए चयनित.
1970भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट के पद पर नियुक्ति.
1971रूस में निर्मित लड़ाकू विमान मिकोयाँ गुरेविच को उड़ाने का गौरव प्राप्त हुआ.
1982राकेश शर्मा का चयन भारत-रूस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए हुआ. इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा का गौरव प्राप्त होना था.
19842 अप्रैल को राकेश शर्मा ने दो रुसी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. यह गौरव प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय बने.
1987विंग कमांडर के पद से भारतीय वायुसेना से सेवा में नियुक्त हुए.
1987टेस्ट पायलट के तौर पर ‘हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ को अपनी सेवाएं दी.
2006भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बोर्ड में सदस्य नामित हुए.
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