पारिवारिक मतभेद को जग जाहिर ना करे

पारिवारिक मतभेद को जग जाहिर ना करे यह ज्ञान स्वयं युधिष्ठिर ने अपने भाईयों को दिया था और इस कहानी के जरिये हम आपसे यह बात कह रहे हैं कि कभी घर के झगड़ो को बाहर ना लायें | जानिये किस घटना के कारण युधिष्ठिर ने अपने भाईयों को यह ज्ञान दिया |

Pariwarik Matbhed Ko Jag Jahir Na Kare

पारिवारिक मतभेद को जग जाहिर ना करे

महाभारत काल में जब पांडव वनवास काल में थे तो अपना जीवन एक कुटियाँ में रहकर बिता रहे थे जिसके बारे में जब दुर्योधन को पता चला तो उसने पांडवों को नीचा दिखाने के लिए पूर्ण ऐशवर्य के साथ वन में जाने की सोची ताकि वो पांडवो को इर्षा से जलता देख सके |

जब दुर्योधन वन के लिए निकला | तब उसकी रास्ते में गंधर्वराज से मुलाकात हुई | उसी वक्त दुर्योधन ने सोचा कि गंधर्वकुमार को हराकर पांडवो को अपनी ताकत का प्रमाण देना का अच्छा मौका हैं | ऐसा सोच उन्होंने गंधर्व राज पर आक्रमण कर दिया लेकिन गन्धर्व राज अत्यंत शक्तिशाली थे | उन्होंने दुर्योधन को हरा दिया और उसे बंदी बना दिया | जब इसकी सुचना पांडवो को मिली तब युधिष्ठिर ने भाईयों को आदेश दिया कि वे जाकर दुर्योधन को वापस लायें | यह सुनकर भीम ने कहा – भ्राता ! यूँ तो दुर्योधन हमारा भाई हैं लेकिन वो सदैव हमारा अहित सोचता हैं तो ऐसे में उसकी मदद क्यूँ की जाये | तब युधिष्ठिर ने उत्तर दिया – भले ! हमारा और हमारे भाईयों का बैर हैं लेकिन वो एक घर की बात हैं जिसे जग जाहिर करना गलत हैं |पारिवारिक झगड़े परिवार में ही रहे उसी में परिवार की इज्जत हैं |इसे यूँ प्रदर्शित करना पूर्वजो का अपमान हैं |बड़े भाई की आज्ञा मान पांडव गंधर्वराज से युद्ध करते हैं और दुर्योधन को छुड़ा लाते हैं |

आज कल परिवार में झगड़े बढ़ते ही जा रहे हैं लेकिन ये आम बात हैं परन्तु इनका बखान अन्य के सामने करना गलत हैं | इससे जग हँसाई होती हैं और आपके परिवार की कमजोरी सभी के सामने उजागर होती हैं |

परिवार में कितना ही बैर क्यूँ ना हो लेकिन विपत्ति में हमेशा अपनों का साथ देना चाहिये |

 आजकल आम बात में परिवार में मनमुटाव होना लेकिन अगर इसकी भनक दूसरों को लगती हैं तो वे आपका मजाक उड़ाते हैं | साथ ही इसका फायदा उठाकर आपको नुकसान भी पहुँचा सकते हैं |जिस तरह से अंग्रेजों ने आपसी मत भेद का फायदा उठाकर कई सालों तक हमारे देश पर राज किया |

अगर आप परिवार के झगड़ों की बाते अन्य के सामने करते हैं तो आपके बुजुर्गों एवम उनके संस्कारों पर लोग प्रश्नचिन्ह लगाते हैं जिससे परिवार की साख मिट्टी में मिल जाती हैं | अतः जहाँ तक कोशिश करें पारिवारिक मनमुटाव को परिवार में ही रहने दे उसका बखान कर परिवार की नींव कमज़ोर ना करें |

महाभारत में ऐसी कई घटनायें हैं जो हमें ज्ञान का पाठ एवम जीवन व्यवहार का ज्ञान देती हैं | जिन्हें पढ़कर एवम सुनकर या सुनाकर हम सीख एवम सिखा सकते हैं | कहानियाँ केवल मनोरंजन नहीं करती अपितु छोटे में बड़ा ज्ञान दे जाती हैं |

अतः इसी  तरह ही अन्य कहानियाँ पढ़ने के लिए हमारे पेज Hindi Story पर क्लिक करे | यहाँ कई शिक्षाप्रद हिंदी कहानियाँ हैं | अगर आपको यह कहानी पसंद आये तो कमेंट करे साथ ही अपने दोस्तों से शेयर भी करें |

Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

More on Deepawali

Similar articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here