न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप क्या है और इसके भारत को फायदे | What is Nuclear suppliers group or NSG full form, benefits to India in hindi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी अपने 5 दिवसीय अमेरिका दौरे में है. यह यात्रा देश के विकास की दृष्टि से बहुत अहम है, क्यूंकि इस यात्रा के दौरान मोदी जी अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ कुछ मुख्य मुद्दों पर बात कर रहे है. उन्हीं में से एक मुख्य मुद्दा है, “न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप” . NSG में सदस्यता के लिए अमेरिका भारत का समर्थन कर रहा है. चलिए पहले जानते है NSG है क्या.
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप के भारत को फायदे
Nuclear suppliers group (NSG) benefits India in hindi
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप क्या है? (What is Nuclear suppliers group (NSG)
1974 में भारत के द्वारा किये गए परमाणु परिक्षण के बाद “न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप” (NSG) का गठन किया गया था. NSG में 48 देशों को रखा जाता है, जो परमाणु हथियार और परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार को संचालित करता है. इस ग्रुप में मौजूद सभी देश एक दुसरे से परमाणु में लगने वाले समान का आयात नियात कर सकते है, उन्हें किसी भी लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी. लेकिन ग्रुप ये सुनिश्चित करता है कि ये समान मानव हित के लिए उपयोग में लाया जाये, न कि किसी हथियार या तोप के लिए. ग्रुप के मेम्बर इस परमाणु सप्लाई का उपयोग अपने देश की आर्मी में भी नहीं कर सकते है.
48 देश के समूह में 5 परमाणु हथियार देश है, जिसमें यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका (US), यूनाइटेड किंगडम (UK), फ्रांस, चाइना व रसिया है. बाकि 43 देश परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non Proliferation Treaty एनपीटी) पर साइन करने वाले देश है. यह अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु करार था, 2008 में यह निष्कर्ष निकाला गया कि एनएसजी के सदस्य के रूप में भारत के आवेदन को मान्यता दी जाये.
एनएसजी ग्रुप में मौजूद अगर कोई भी देश किसी देश की सदस्यता का विरोध करता है, तो उसे इसमें शामिल नहीं किया जा सकता.
एनएसजी गाइडलाइन (Nuclear suppliers group guidelines )–
एनएसजी गाइडलाइन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु व्यापार, परमाणु हथियारों या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरणों का आयात निर्यात हो. साथ ही ये सुनिश्चित करना है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और परमाणु क्षेत्र में नए प्रयोगों में कोई परेशानी न आये. सप्लायर को एक ट्रिगर लिस्ट बनानी होगी, जिसमें न्यूक्लियर ट्रान्सफर से जुड़े दिशा निर्देश होंगें. इसमें भौतिक सुरक्षा, सुरक्षा उपायों, संवेदनशील निर्यात पर विशेष नियंत्रण, संवर्धन सुविधाओं के निर्यात के लिए विशेष व्यवस्था के बारे में लिखा होगा.
ट्रिगर लिस्ट (NSG trigger list)–
- रिएक्टरों के लिए गैर परमाणु सामग्री
- प्लांट के लिए उपकरण
- हैवी वाटर प्रोडक्शन के लिए प्लांट
- औद्योगिक उपकरण
- यूरेनियम सामग्री
- परमाणु विस्फोटक उपकरणों के लिए घटकों
एनएसजी समूह के सदस्य देशों के नाम की सूची (Nuclear suppliers group members countries name list)–
अर्जेंटीना | डेनमार्क | लाटविया | स्लोवाकिया |
ऑस्ट्रेलिया | एस्टोनिया | लिथुआनिया | स्लोवेनिया |
ऑस्ट्रिया | फ़िनलैंड | माल्टा | साउथअफ्रीका |
बेलारूस | फ़्रांस | मैक्सिको | साउथकोरिया |
बेल्जियम | जर्मनी | नीदरलैंड | स्पेन |
ब्राजील | ग्रीस | न्यूज़ीलैण्ड | स्वीडन |
बुल्गारिया | हंगरी | नॉर्वे | स्विट्ज़रलैंड |
कैनेडा | आइसलैंड | पोलैंड | टर्की |
चाइना | आयरलैंड | पुर्तगाल | यूक्रेन |
क्रोअटिया | इटली | रूमानिया | यूके |
सायप्रस | जापान | रूस | यूएस |
सीजेक | कजाखस्तान | सर्विया | लक्सेम्बर्ग |
भारत को एनएसजी की सदस्यता क्यूँ चाहिए (why India need NSG membership)
अभी भारत में न्यूक्लियर रिएक्टर को चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम उपलब्ध नहीं है. देश में न्यूक्लियर रिएक्टर बढ़ाने के लिए हमें नियमित रूप से यूरेनियम का आयात चाहिए. अभी एनएसजी का मेम्बर न होने की वजह से, भारत बहुत से उत्पादों का आयात नहीं कर पाता है. अभी सिर्फ ऑस्ट्रेलिया व कनाडा के पास ये अधिकार है कि वह यूरेनियम एनएसजी मेम्बर से अलग दुसरे देशों को भी दे सकता है. अगली पीढ़ी के रिएक्टरों के प्रौद्योगिकी के लिए यूरेनियम अधिक मात्रा में चाहिए, इसके लिए रसिया व फ्रांस से भी बात की गई, लेकिन एनएसजी ग्रुप द्वारा उन्हें ये अधिकार नहीं दिया गया है.
एनएसजी सदस्यता से भारत को होने वाले फायदे (how will NSG benefits to India)-
- जिस पद्धिति का प्रयोग दवाई बनाने में होता है, भारत अब न्यूक्लियर पॉवर प्लांट बनाने में कर सकेगा. एनएसजी का हिस्सा बनने के बाद भारत को दुसरे देश की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सिखने को मिलेगा, जिससे भारत की प्रौद्योगिकी विकसित होगी.
- परमाणु केंद्र के द्वारा बिजली का उत्पादन आसान व अधिक मात्रा में होगा. मेम्बर बनने के बाद भारत को ये सुनिश्चित करना होगा कि वह इस उर्जा का उपयोग अच्छे व स्वच्छ स्त्रोत के लिए करेगा.
- यूरेनियम का रेगुलर आयात होने लगेगा.
- एनएसजी मेम्बर को न्यूक्लियर रिएक्टर निर्यात किये जा सकते है. नवीनतम प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ, भारत परमाणु ऊर्जा उपकरणों के उत्पादन का व्यवसायीकरण कर पायेगा. इससे आर्थिक व रणनीतिक लाभ होगा. जैसे अभी भारत श्रीलंका को न्यूक्लियर एनर्जी के बारे ट्रेंनिग देता है, साथ ही इससे जुड़े उत्पाद का निर्यात करता है. अगर भारत को न्यूक्लियर पॉवर के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी मिल जाती है, तो विकसित नए न्यूक्लियर बनेंगें. जिसे हम बांग्लादेश, श्रीलंका आदि को बेच सकते है. बांग्लादेश वर्तमान में विद्युत उत्पादन के लिए रूसी रिएक्टर खरीदने को देख रहा है।
- मिसाइल, उपग्रह का निर्माण आसान हो जायेगा. साथ ही भारत खुद इसे निर्मित करके अंतरिक्ष में छोड़ भी सकता है. उपग्रह छोड़ने की आजादी अभी तक भारत के पास नहीं है.
- न्यूक्लियर टेस्ट की आजादी.
- अपना खुद का पॉवर प्लांट होगा, जहाँ उद्योग और प्रौद्योगिकी संबंधित विकास मुमकिन हो पायेगा. इससे मेक इन इंडिया कैम्पेन को बड़ा फायदा मिलेगा.
- भारत को एनएसजी मेम्बरशिप मिलने से पाकिस्तान का इस समूह में आना नामुकिन हो जायेगा. यही वजह चीन भारत की जगह पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा है. चीन बोल रहा है भारत ने एनपीटी में साइन नहीं किया है, जिससे इस ग्रुप का मेम्बर बनने के वो लायक नहीं है. चीन पॉवर गेम खेल रहा है, वो चाहता है भारत बाहर रहे, जिससे विकसित टेक्नोलॉजी का प्रयोग भारत न सीख पाए.
एनएसजी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन करने वाले देश –
नरेन्द्र मोदी जी के अमेरिका दौरे के दौरान बराक ओबामा से अधिकारिक रूप से घोषणा की है कि वो भारत का एनएसजी सदस्यता के लिए समर्थन करते है. इसकी अभी औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई है. इसके अलावा आज ही एनएसजी के मुख्य देश मैक्सिको ने भी भारत का समर्थन कर दिया है. यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड भी भारत के समर्थन में है.
अमेरिका ने एनएसजी के अलावा मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में भी भारत को समर्थन दे दिया है. यह 34 देश का ग्रुप है. इसमें शामिल होने के बाद भारत मिसाइल का आयात नियात कर सकेगा. इसमें सदस्यता के लिए सभी 34 देशों ने भारत का समर्थन किया है, इसका मतलब है, MTCR में भारत भी अब शामिल हो जायेगा.
इन ग्रुपों में शामिल होकर भारत का नाम ऊँचा उठेगा, साथ ही उसे एक ताकतवर देश के रूप में देखा जायेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाने वाला यह एक अनोखा काम है, जिसका जिक्र इतिहास के पन्नों में स्वर्ण शब्दों में लिखा जायेगा.
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