नवपत्रिका पूजा विधि महत्व 2024, पूजा मंत्र (Nabapatrika or Navpatrika or Kalabou Significance, Puja Vidhi, date In Hindi)
नवपत्रिका और नवापत्रिका को नौ तरह की पत्तियों ने मिलकर बनाई जाती है, और फिर इसका इस्तेमाल दुर्गा पूजा में होता है. यह मुख्य रूप से बंगाली, उड़ीसा एवं पूर्वी भारत के क्षेत्रों में मनाया जाता है. बंगाली समुदाय में दुर्गा पूजा का बहुत महत्व होता है, वे इसे बड़ी धूमधाम से मनाते है. नवपत्रिका पूजा को महा सप्तमी भी कहते है, यह दुर्गा पूजा का पहला दिन होता है. नवा मतलब नौ एवं पत्रिका का संस्कृत में मतलब पत्ती होता है, इसलिए इसे नवपत्रिका कहा गया. इन नवपत्रिका को महा सप्तमी के दिन दुर्गा पंडाल में रखा जाता है
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कब मनाई जाती है नवपत्रिका पूजा (Nabapatrika Puja Date) –
नवरात्री के दौरान इसे मनाया जाता है, यह एक रिवाज है, जो दुर्गा पूजा के दौरान किया जाता है. नवरात्री के दौरान महासप्तमी के दिन इसकी पूजा होती है. इस बार 2024 में ये 10 अक्टूबर को रहेगी.
नवपत्रिका पूजा महत्त्व (Nabapatrika Puja Significance) –
नवपत्रिका को कोलाबोऊ पूजा भी कहते है, साथ ही इसे नबपत्रिका तरह से भी बोला जाता है. इसका कारण यह है कि गणेश जी की पत्नी का नाम कोलाबोऊ था, लेकिन सच्चाई में इनका गणेश जी के साथ कोई रिश्ता नहीं था. इसे ही पुरानों के अनुसार नवपत्रिका कहा जाता है. यह अनुष्ठान किसानों द्वारा भी किया जाता है, ताकि उन्हें अच्छी फसल मिले. ये लोग किसी प्रतिमा की पूजा नहीं करते है, बल्कि प्रकति की आराधना करते है. शरद ऋतू के दौरान, जब फसल काटने वाली होती है, तब नवपत्रिका की पूजा की जाती है. ताकि कटाई अच्छे से हो सके.
इसके अलावा बंगालियों एवं उड़ीसा के लोगों द्वारा दुर्गा पूजा के समय नौ तरह की पत्तीओं को मिलाकर दुर्गा जी की पूजा की जाती है.
नवपत्रिका या नवापत्रिका (Nabapatrika or Navpatrika leaves Significance) –
नवपत्रिका में जो नौ पत्ते उपयोग होते है, हर एक पेड़ का पत्ता अलग अलग देवी का रूप माना जाता है. नवरात्रि में नौ देवी की ही पूजा की जाती है. नौ पत्ती इस प्रकार है- केला, कच्वी, हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिलवा एवं जौ. केला खाने के फायदे यहाँ पढ़ें.
- केला – केला का पेड़ और उसकी पत्ती ब्राह्मणी को दर्शाते है.
- कच्वी – कच्वी काली माता का प्रतिनिधित्व करती है. इसे कच्ची भी कहा जाता है.
- हल्दी – हल्दी की पत्ती दुर्गा माता का प्रतिनिधित्व करती है.
- जौ – ये कार्त्तिकी का प्रतिनिधित्व करती है.
- बेल पत्र – वुड एप्पल या बिलवा शिव जी का प्रतिनिधित्व करता है, इसे बेल पत्र या विलवा भी कहते है.
- अनार – अनार को दादीमा भी कहते है, ये रक्तदंतिका का प्रतिनिधित्व करती है. अनार के फायदे एवं नुकसान यहाँ पढ़ें.
- अशोक – अशोक पेड़ की पत्ती सोकराहिता का प्रतिनिधित्व करती है.
- मनका – मनका जिसे अरूम भी कहते है, चामुंडा देवी का प्रतिनिधित्व करती है.
- धान – धान लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती है.
नवपत्रिका पूजा कथा (Nabapatrika Puja Katha) –
कोलाबोऊ को गणेश जी की पत्नी माना जाता है, इसके अलावा इससे एक और कहानी जुड़ी है. कोलाबोऊ जिसे नवपत्रिका भी कहते है, माँ दुर्गा की बहुत बड़ी भक्त थी. वे देवी के नौ अलग अलग रूप के पेड़ के पत्तों से उनकी पूजा करती थी.
नवपत्रिका पूजा विधि (Nabapatrika Puja Vidhi and Snan) –
- महासप्तमी की पूजा महास्नान (Nabapatrika Snan) के बाद शुरू होती है, इसे कोलाबोऊ स्नान (Kolabou Snan) भी कहते है. महास्नान का इस दिन बहुत महत्व होता है, कहते है इससे दुर्गा जी की असीम कृपा उन पर होती है.
- इन सभी 9 पत्ती को एक साथ बांधा जाता है, और फिर इसे भी पवित्र नदी में स्नान कराते है.
- इस नवपत्रिका के साथ पवित्र नदी में स्नान किया जाता है. आप चाहे तो घर में भी स्नान कर सकते है. इस नवपत्रिका से अपने उपर पानी छिड़का जाता है.
- इसके बाद नवपत्रिका को कई तरह के पवित्र पानी से भी स्नान कराया जाता है, पहले में पवित्र गंगा जल, दुसरे में वर्षा का पानी, तीसरे में सरस्वती नदी का जल, चौथे में समुद्र का जल, पांचवे में कमल के साथ तालाब का पानी, छठे में झरने का जल रखते है.
- स्नान के बाद नवपत्रिका को बंगालियों की पारंपरिक सफ़ेद साड़ी, जिसमें लाल बॉर्डर होती है, उससे इस नवपत्रिका को सजाया जाता है, उसे फूलों की माला से भी सजाते है. कहते है, जिस तरह एक पारंपरिक बंगाली दुल्हन तैयार होती है, इसे भी वैसे ही सजाना चाहिए.
- महा स्नान के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. इसमें माता दुर्गा की प्रतिमा को पूजा वाले स्थान में रखा जाता है. इस स्थान को अच्छे साफ किया जाता है, फूलों एवं साडी से इसे सजाया जाता है.
- कई लोग घाट के किनारे ही इस नवपत्रिका की पूजा करते है.
- प्राण प्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा की जाती है. इसमें माता दुर्गा की 16 अलग अलग आइटम्स से पूजा करते है.
- यहाँ पर नवपत्रिका को एक प्रतिमा के रूप में रखते है, फिर इसको चंदन लगाकर, फूल चढ़ाकर पूजा करते है.
- फिर इसे गणेश जी की प्रतिमा के दाहिनी और रखा जा है, क्युकी ये उनकी पत्नी मानी जाती है.
- अंत में दुर्गा पूजा की महा आरती होती है, जिसके बाद प्रसाद वितरण होता है.
नवापत्रिका दुर्गा पूजा (Nabapatrika in Durga Puja) –
बंगाल में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. वहां माँ दुर्गा के बड़े बड़े पंडाल नवरात्री के दौरान लगाये जाते है. ये 10 दिन का महोत्सव होता है, जिसे देखने देश दुनिया से लोग पश्चिम बंगाल जाते है. कहते है दुर्गा पूजा के दौरान स्वयं दुर्गा कैलाश पर्वत को छोड़ धरती में अपने भक्तों के साथ रहने आती है. माँ दुर्गा, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, कार्तिक एवं गणेश के साथ धरती में अवतरित होती है. दुर्गा पूजा का पहला दिन महालय का होता है, जिसमें तर्पण किया जाता है. कहते है इस दिन देवों और असुरों के बीच घमासान हुआ था, जिसमें बहुत से देव, ऋषि मारे गए थे, उन्ही को तर्पण देने के लिए महालय होता है.
दुर्गा पूजा सही तौर पर षष्टी के दिन शुरू होती है, कहते है माँ इसी दिन धरती पर आई थी. इसके अगले दिन सप्तमी होती है, जिस दिन नवपत्रिका या कोलाबोऊ की पूजा की जाती है. फिर अष्टमी को दुर्गा पूजा का मुख्य दिन माना जाता है, इस दिन संधि पूजा भी होती है. जो अष्टमी एवं नवमी दोनों दिन चलती है. संधि पूजा में अष्टमी ख़त्म होने के आखिरी के 24 मिनट और नवमी शूरू होने के शुरुवात के 24 मिनट को ‘संधिक्षण’ कहते है. यह वही समय था, जब माँ दुर्गा ने विशाल असुर चंदा एवं मुंडा को मार गिराया था. दशमी को विजयादशमी भी कहते है, जिस दिन देवी ने महासुरों को मारा था. इस दिन दुर्गा माँ की पूजा के बाद उन्हें पानी में सिरा दिया जाता है. कहते है, इसके देवी अपने परिवार के साथ वापस कैलाश में चली जाती है.
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FAQ
Ans : नवरात्री के दौरान महासप्तमी के दिन
Ans : 10 अक्टूबर को
Ans : इसकी जानकारी ऊपर दी हुई है.
Ans : इस दिन नौ देवियों की पूजा की जाती है.
Ans : 9 अक्टूबर को 12:14 पीएम से 10 अक्टूबर को 12:31 पीएम तक
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