लॉक-इन अवधि प्लान क्या है | Lock-in Period definition and meaning in hindi

क्या है लॉक-इन अवधि वाले प्लान (Lock-in Period definition and meaning in hindi)

आज हम आपको आपकी इस पोस्ट के जरिए लॉक इन पीरियड के बारे में विस्तार से समझाने वाले हैं. लॉक इन पीरियड क्या होता है और यह किस तरह से लागू किया जाता है? इसके बारे में जानने से पहले हम जान लेते हैं, लॉक इन पीरियड किस पर और किस प्रकार लागू होता है?

लॉक इन पीरियड किसी निवेश से संबंध रखता है. “बाजार में निवेश करना जोखिम के अधीन है” यह बात आपने अक्सर सुनी होगी, परंतु इसको गहराई से जानने के लिए इससे जुड़ी सभी बातें जानने के के लिए बेहद जरूरी होती है.

Lock-in Period

निवेश बाजार क्या होता है?

बाजार एक ऐसा स्थान है, जहां पर बड़ी-बड़ी कंपनीज द्वारा या फिर कुछ छोटे व्यापारियों द्वारा पैसा निवेश किया जाता है. उस निवेश के बदले वह कंपनीज के कुछ शेयर अपने नाम कर लेते हैं या फिर उन शेयर्स को एक सीमित समय अवधि के लिए खरीद लेते हैं.

यह सभी निवेश जोखिमो के अधीन होते हैं, इससे हमारा तात्पर्य है, कि बाजार में कभी भी गिरावट आने की वजह से आपके शेयर्स की वैल्यू कम हो जाती है, और बाजार में जब इसमें कुछ बढ़ोतरी होती है, तो आपके शेयर्स की वैल्यू अपने आप बढ़ जाती है.

अब बात करते हैं लॉक इन अवधि की….

लॉक इन अवधि क्या होती है (Lock-in Period  meaning)

यदि सही शब्दों में लॉक इन पीरियड को परिभाषित किया जाए, तो इसका सही अर्थ यही होगा, कि एक सीमित धनराशि को लंबे समय तक लॉग इन कर देना, लॉक इन पीरियड के अंतर्गत आता है. निवेश बाजार में आप कई तरह की स्कीम के अनुसार अपनी धनराशि को लंबे समय तक के लिए निवेश कर सकते हैं और साथ ही उसे एक लॉक इन पीरियड में बांध सकते हैं. इसके कुछ नुकसान भी होते हैं, तो साथ ही फायदे भी होते हैं.

लॉक इन अवधि 30 से 60 दिन तक की भी हो सकती है और दीर्घकालिक लॉक इन अवधि की बात करें, तो वह 3 से 5 साल तक की होती है.

  • निवेश की गई राशि को एक सीमित समयावधि में बांध दिया जाता है. यदि निवेशक लॉक इन अवधि के अंतर्गत आता है, तो वह समय से पहले ना तो किसी परिसंपत्ति से बाहर निकल सकता है और ना ही उसे बेच सकता है.
  • यह लॉक इन अवधि ऋण धारकों पर भी लागू होती है. इसके अनुसार ऋण धारक समय से पहले उधार के दंड का भुगतान किए बिना ऋण का भुगतान नहीं कर सकता है.

लॉक इन पीरियड के नुकसान तथा फायदे (Lock-in Period advantage and disadvantage)

इसमें कई सारी स्कीम्स आती है, जिनसे आम आदमी को सुविधाओं के साथ-साथ नुकसान की भी भरपाई करनी होती है. आइए एक नजर उन पर भी डाल लेते हैं….

लॉक इन पीरियड के अंतर्गत बच्चों के लिए प्लान और रिटायरमेंट प्लान जैसे प्लान शामिल है. यह प्लान लगभग 5 साल तक के लिए लॉगिन किए जाते हैं. उपभोक्ताओं के लिए सबसे बड़ी समस्या यही रहती है, कि वे इन प्लान्स में अपनी दिलचस्पी दिखाएं या नहीं.

रिटायरमेंट प्लान (Retirement Plan)

लॉक इन अवधि के अनुसार रिटायरमेंट प्लान की समय अवधि पूरी तरह से रिटायरमेंट पर निर्भर करती है. यदि आपकी रिटायरमेंट में 5 साल से भी कम समय बाकी है, तो आपकी लॉक इन अवधि जल्द ही समाप्त हो जाएगी.

यदि विशेषज्ञों की मानें, तो वह लॉक-इन अवधि के अनुसार निवेश करने के विरोध में रहते हैं. यदि विशेषज्ञों की मानें तो उनके अनुसार सामान्य इक्विटी या बैलेंसड स्कीम में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद है.

विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकइन के जरिए 5 साल तक लगातार निवेश करना सही नहीं है. परंतु यदि  धनात्मक  दृष्टि से देखा जाए, तो इससे निवेश में एक अनुशासन आएगा और एक निश्चित राशि निर्धारित समय के लिए लॉक हो जाएगी.

आइए जान लेते हैं ELSS स्कीम लॉक इन पीरियड में कैसे काम करती है?

ELSS स्कीम से निकलने की ना करें जल्दी…

ELSS स्कीम की समय अवधि 3 वर्ष होती है। वैसे तो इस स्कीम से 3 वर्ष पहले निकलना नुकसानदायक साबित हो सकता है परंतु यदि बेंचमार्क ने निर्धारित प्रदर्शन से कहीं अधिक ज्यादा खराब प्रदर्शन किया है तो निवेश को आप अन्य दूसरी ओपन एंडेड इक्विटी में ट्रांसफर कर सकते हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो म्यूच्यूअल इक्विटी फंड में लंबे समय तक के लिए निवेश करना ही फायदेमंद होता है। लंबे समय से हमारा अर्थ कम से कम 7 साल है। यदि आप कम समय अवधि जैसे 2 या 3 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो म्यूच्यूअल इक्विटी फंड से बचे। आप इसमें 7 साल या उससे ज्यादा समयके लिए निवेश करेंगे तो ही आप के लिए यह फायदेमंद साबित होगा।

कभी-कभी निवेशक ऐसा भी करते हैं कि 3 साल के समय अवधि के दौरान इक्विटी फंड से पैसा निकाल लेते हैं और एक नई ईएलएसएस स्कीम में पैसा लगाने की सोच लेते हैं। इससे उनको कोई भी फायदा हासिल नहीं होगा क्योंकि इससे निवेश किए गई राशि में कोई वृद्धि नहीं होती है।

जरूरत के समय ही निकाले पैसा

यदि आप इक्विटी फंड में निवेश कर चुके हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप अपनी आर्थिक जरूरत के समय ही पैसे को निकालने की कोशिश करें। आपातकालीन स्थिति जैसे स्वास्थ्य बिगड़ने है या फिर परिवार में किसी चीज की जरूरत के दौरान ही निवेश की गई राशि का इस्तेमाल आप कर सकते हैं जो आपके लिए बेहतर होगा।

ध्यान रखें कि यह राशि सिर्फ 3 साल तक के लिए ही लॉक इन पीरियड रहती है उसके बाद यह ओपन एंडेड स्कीम में बदल जाती है। 3 साल के बाद आप ईएलएसएस स्कीम में से कभी भी पैसा निकाल सकते हैं इसमें आपको टैक्स की भरपाई नहीं करनी होती है।

टैक्स से बचने का आसान तरीका

विशेषज्ञों की मानें तो टैक्स से बचने का आसान तरीका ईएलएसएस स्कीम है। इस स्कीम के 2 फायदे ऐसे हैं जो निवेशक को बेहद पसंद आते हैं।

  • इसमें पैसा लंबी समयावधि के लिए निवेश किया जा सकता है। जो 3 साल तक के लिए लॉक इन पीरियड में रहता है उसके बाद ओपन एंडेड हो जाता है।
  • यह एक बहुत अच्छी टैक्स सेविंग निवेश स्कीम है। यदि कोई निवेश तारक टैक्स मरने से बचना चाहता है तो वह यह स्कीम अपना सकता है।

विशेषज्ञों का इस बारे में यही कहना है कि उच्च व्यवसाय करने वाले निवेशक इस स्कीम में कम से कम डेढ़ लाख रुपए की राशि का निवेश करें। उनका यह कहना है कि यदि आप टैक्स से फायदा पाना चाहते हैं तो सेक्शन 80c के अंतर्गत आपको डेढ़ लाख की राशि पर ही टैक्स से छूट का प्रावधान प्राप्त होता है।

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Ankita
अंकिता दीपावली की डिजाईन, डेवलपमेंट और आर्टिकल के सर्च इंजन की विशेषग्य है| ये इस साईट की एडमिन है| इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी आर्टिकल लिखना पसंद है|

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