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विश्व के विभिन्न हिस्सों में दो भिन्न युद्धों (रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास) की ज्वालाएं अभी ठंडी भी नहीं पड़ीं थीं कि लाल सागर क्षेत्र में उत्पन्न हुए संकट ने नया मोड़ ले लिया है। 19 अक्टूबर 2023 को प्रारंभ हुए इस संकट ने अब धीरे-धीरे विकट रूप धारण कर लिया है, और यह ऐसी आग बन चुका है जिसने मध्य पूर्व के पूरे क्षेत्र को प्रभावित किया है। अब लाल सागर संघर्ष की उष्णता भारत की आर्थिक स्थिति तक में प्रभाव डाल रही है।
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क्या है लाल सागर विवाद
2023 की 19 अक्टूबर से प्रज्वलित इस संघर्ष के मूल में यमन के हूथी बागियों और दक्षिणी इजरायल के मध्य बढ़ती असहमति है। हूथी समूह ने इजरायली सहयोगी जहाजों पर हमले आरंभ किए, जो कि उनके अनुसार इजरायली प्रभाव को बढ़ावा दे रहे थे। कई मौकों पर, इजरायल से असंबंधित जहाज भी हमलों का शिकार हुए। इस घटनाक्रम ने मध्य-पूर्व में एक व्यापक संघर्ष की संभावना को जन्म दिया है। वर्षों से चल रहे सऊदी अरब और ईरान के बीच के तनाव ने अब तीव्रता पकड़ ली है। सऊदी अरब, जो कि इजरायल का सहयोगी है, और ईरान, जो हूथियों को समर्थन देता है, के बीच सीधे टकराव से क्षेत्र में बड़े बदलाव आ सकते हैं और वैश्विक तेल की आपूर्ति में भी रुकावट आ सकती है।
लाल समुद्र हिन्द महासागर और मध्य सागर के बीच एक प्रमुख मार्ग है। इसकी स्थिति में ‘आंसू का द्वार’ भी शामिल है। यह वह जलमार्ग है जिसके माध्यम से विश्व का लगभग 40 प्रतिशत व्यापार संचालित होता है। यह विश्व के महत्वपूर्ण आयात-निर्यात मार्गों में से एक है, जहां से विभिन्न देशों के माल का परिवहन किया जाता है। इस मार्ग में कोई भी बाधा आने पर वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है। इस समुद्र को लाल क्यों कहा जाता है, इसका कारण यह है कि लाल समुद्र, अफ्रीका और एशिया के बीच स्थित हिन्द महासागर की एक नमकीन खाड़ी है, जो दक्षिण में अदन की खाड़ी से मिलकर हिन्द महासागर में समाहित होती है।
इसके पानी का रंग वास्तव में लाल नहीं होता, किन्तु मौसमी प्रवालों की उपस्थिति के कारण कभी-कभार इसका पानी लाल दिखाई देता है, इसीलिए इसका नाम लाल समुद्र पड़ा। लाल समुद्र के मार्ग की महत्ता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वेज नहर से प्रतिवर्ष 17,000 से अधिक जहाज गुजरते हैं, और इसी मार्ग से विश्व का लगभग 12 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है। इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि हर वर्ष इस मार्ग से 10 अरब डॉलर मूल्य के सामान का आयात-निर्यात होता है।
भारतीय अर्थशास्त्र पर संकट का प्रभाव बढ़ा
हालिया आर्थिक संकट से भारत की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ रहा है। लाल सागर, जो कि भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग है, इसके कारण खाड़ी देशों से आने वाले तेल और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद, साथ ही अफ्रीका से आने वाले कच्चे माल पर प्रभाव पड़ रहा है। इस संकट के चलते, जहाजों को अपना मार्ग बदलना पड़ रहा है जिससे यात्रा की लंबाई और ढुलाई लागत में वृद्धि हो रही है। इसका सीधा असर आयात-निर्यात व्यापार पर पड़ रहा है, जिसका बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर आ रहा है। इसके अतिरिक्त, लाल सागर के अवरोध से वैश्विक व्यापार में भी बाधा आ रही है। इसका परिणाम है कच्चे माल की कमी और मूल्यों में वृद्धि, जिसका नकारात्मक प्रभाव भारतीय व्यापार और उद्योग पर पड़ सकता है।
लाल सागर विवाद का भारत पर प्रभाव
इस्पात उद्योग:
भारत बड़ी मात्रा में स्टील निर्माण के लिए कोयला आयात करता है। अफ्रीकी देशों से आने वाले कोयले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लाल सागर के मार्ग से गुजरता है। शिपिंग मार्गों में परिवर्तन के कारण कोयले की कीमत में वृद्धि हो रही है, जिसका प्रभाव स्थानीय स्टील उत्पादन की लागत पर भी पड़ रहा है।
तेल उद्योग:
भारत अपनी तेल जरूरतों का एक बड़ा भाग खाड़ी देशों से पूरा करता है। लाल सागर के अवरुद्ध होने से भारत को वैकल्पिक मार्गों से तेल आयात करना पड़ रहा है, जिससे लागत में बढ़ोतरी हो रही है और यह विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डाल रहा है।
औषधि उद्योग:
भारत कई दवाइयों के लिए जरूरी कच्चे माल चीन से आयात करता है। लाल सागर के अवरोध से चीन से होने वाले आयात पर प्रभाव पड़ रहा है, जिससे दवाओं की सप्लाई में रुकावट आ सकती है।
इस समस्या का निवारण कैसे किया जा सकता है?
लाल सागर संघर्ष का निवारण अत्यंत आवश्यक है। विश्व संघ की सुरक्षा परिषद, क्षेत्र की महत्वपूर्ण शक्तियाँ, और लड़ाई में शामिल समूहों को एक साथ आकर शांति का मार्ग खोजने की जरूरत है। भारत को भी इस संकट के समाधान में प्रमुख योगदान देना चाहिए, क्योंकि इससे न सिर्फ क्षेत्रीय शांति प्रभावित होती है, बल्कि भारत की आर्थिक स्थिरता पर भी असर पड़ता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि एक देश की समस्या पूरे विश्व को प्रभावित कर सकती है। लाल सागर का संघर्ष एक वैश्विक समस्या है, और इसका हल तभी निकलेगा जब सभी एकजुट होकर कार्य करें।
हूती समूह कौन हैं?
हूती विद्रोही समूह ने, इजरायल और हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के पश्चात से, लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर हमले बढ़ा दिए हैं। यह समूह यमन के उत्तरी भाग में निवासित शिया मुसलमानों से मिलकर बना है। इनका यमन सरकार के विरुद्ध संघर्ष 2014 से जारी है। उत्तरी यमन और राजधानी सना पर इनका अधिकार है और ईरान इन्हें समर्थन देता है।
इजरायल के विरोधी ईरान ने इस संघर्ष की शुरुआत में हमास को समर्थन दिया। हूती विद्रोहियों का कहना है कि वे गाजा में इजरायली सेना द्वारा फिलिस्तीनी चरमपंथियों पर की गई कार्रवाई के विरोध में ये हमले कर रहे हैं।
ये विद्रोही समूह विशेष रूप से बाब अल-मंदाब जलसंधि, जो 20 मील चौड़ी है और यमन व अफ्रीका के बीच अरब सागर में एरिट्रिया व जिबूती को विभाजित करती है, उससे गुजरने वाले विदेशी मालवाहक जहाजों पर हमला कर रहे हैं।
इस स्थिति के मद्देनजर, विश्वभर की बड़ी शिपिंग कंपनियां इस मार्ग से अपने जहाज भेजना बंद कर चुकी हैं, कुछ जहाज रुके हुए हैं जबकि अन्य को वैकल्पिक बड़े मार्गों के माध्यम से भेजा जा रहा है।
FAQ
A: यह संकट यमन के हूथी विद्रोहियों और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव से उत्पन्न हुआ है।
A: भारतीय व्यापार और तेल आयात पर इस संकट के कारण असर पड़ा है।
A: यह संकट वैश्विक तेल आपूर्ति और व्यापार में बाधा डाल सकता है।
A: समाधान के लिए वैश्विक सहयोग और कूटनीति आवश्यक है।
A: यह क्षेत्र महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों और तेल संसाधनों के लिए केंद्रीय है।
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