आँखों देखा हमेशा सच नहीं (Inspirational Story Aankho Dekha Samesha Sach Nahin in hindi)
एक व्यक्ति जिसका नाम अशोक भल्ला है, वो अपने बेटे के साथ मंदिर में बैठा हुआ था. उसके बेटे का नाम आरव हैं और उसकी उम्र 25 वर्ष हैं. आरव बहुत ही खुश लग रहा हैं, जो कि उसकी हरकतों से साफ जाहीर हो रहा हैं. उसके सवाल बहुत अजीब से लग रहे हैं, जिनकी तरफ हर किसी का ध्यान जा रहा हैं. खासतौर पर वही पास में बैठे बुजुर्ग दंपत्ति वो चाह कर भी अपना ध्यान आरव से हटा नहीं पा रहे थे.
आरव अपने पिता से कहता हैं ; पापा ये गणेश जी ऐसे क्यूँ दिखते हैं ? इनकी नाक ऐसी क्यूँ हैं ?
तब पिता बड़े ही शांत मन से खुशी के साथ अपने बेटे को भगवान गणेश की कहानी सुनाते हैं और तब आरव को गणेश जी की नाक जिसे सूंड कहते हैं के बारे में पता चलता हैं.
आरव ऐसे कई सवाल करता हैं जैसे आसमान का ये रंग कौन सा रंग हैं ? पंछी का नाम क्या हैं ? नदी का रंग क्या हैं ? ऐसी अनगिनत सवाल जो कि बहुत छोटा बच्चा अपने माता पिता से करता हो. वो दंपत्ति को बहुत आश्चर्य होता हैं और वो दोनों आपस में बाते करने लगते हैं, जिसे देख आरव के पिता को कुछ महसूस होता हैं, पर वो कुछ नहीं कहते और मुस्कुराते हुये अपने बेटे के सवालों का बड़े प्यार से जवाब देने लगते हैं.
दोनों बुजुर्ग दंपत्ति को बैचेनी होने लगती हैं और वो आरव पागल हैं, ऐसा वहाँ बैठे सभी लोगो से कहने लगते हैं और अपनी जान पहचान में आरव की चर्चा करने लगते हैं, अगले दिन भी दंपत्ति को आरव और मिस्टर भल्ला मिलते हैं और इस बार वो दोनों आरव के पिता के पास पहुँच जाते हैं, वो उन्हे आरव को मेंटल चेक अप और ट्रीटमेंट की जरूरत हैं, यह कहना चाहते हैं, और बहुत ही अटक अटक कर असहजता से पुछते हैं, ये जो हैं क्या वो आपका बेटा हैं ? भल्ला साहब कहते हैं हाँ जी भाई साहब ये मेरा बेटा आरव हैं. दंपत्ति के मन में कुछ हैं, जो भल्ला साहब को समझ आ रहा हैं. तब ही भल्ला साहब दंपत्ति से कहते हैं, कि आप दोनों कुछ कहना चाहते हैं तो कह सकते हैं. तब दंपत्ति हिम्मत करते हुये कहते हैं, कि बुरा मत मानियेगा, आपने कभी आरव को किसी डॉक्टर को दिखाया. तब भल्ला साहब कहते हैं किस बात के लिए मुझे आरव को डॉक्टर को दिखाना चाहिए, वो एक दम चुस्त दुरुस्त हैं. तब दंपत्ति और अचरज में पड़ जाते हैं और संकुचाते हुये कहते हैं मिस्टर भल्ला आपके बेटे की कद काठी देख लगता हैं कि यह 25 वर्ष का होगा लेकिन …….. इसकी हरकतों से लगता हैं ये कुछ 3 से 5 साल का हैं. हम समझ रहे हैं पिता के लिए या सच स्वीकार करना बहुत मुश्किल हैं, लेकिन अगर आप इस सच को स्वीकार ले और आरव का इलाज करवाये तो शायद परिस्थिती में बदलाव हो जाये. मिस्टर भल्ला को हँसी आ जाती है. यह देख दंपत्ति को और अजीब लगने लगता हैं, तब दंपत्ति के चेहरे का भाव देख मिस्टर भल्ला उनसे कहते हैं कि भाई साहब सच यह नहीं जो आप समझ रहे हैं. असल में आरव बचपन से ही देख नहीं सकता था वो नेत्रहीन था. उसका ऑपरेशन हुआ हैं और मैं कल उससे सबसे पहले यहाँ ले आया. ज़िंदगी में पहली बार उसने अपनी आंखो से दुनियाँ देखी , जानता समझता वो सब हैं लेकिन वो वापस अपने बचपन को जी रहा हैं और मैं भी उसका साथ दे रहा हूँ.
यह सुन दंपत्ति का सिर शरम ने झुक गया क्यूंकि उन्हे अपनी भूल का एहसास हो गया.
Moral of The Story (कहानी से सीख):
कभी किसी को देखकर ही उसके लिए कोई भी राय कायम नहीं करनी चाहिए. वास्तविकता सदैव वही हो जो आप सोच रहे है जरुरी नहीं है. दंपत्ति ने बिना कुछ सोचे समझे आरव को एक पागल लड़का करार कर दिया और कई लोगो को यह बोल भी दिया. जब सच सामने आया तो उन्हे ही शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ा. ऐसा ज़िंदगी में कई बार होता हैं इसलिए हमेशा तथ्यों को जानने के बाद ही कोई सोच बनानी चाहिये। ऐसी कई हिन्दी कहानियाँ हमारे ब्लॉग पर हैं जिनसे आपको शिक्षा मिलती हैं उन्हे जरूर पढ़े और अपने बच्चो को पढ़ाये क्यूंकि ऐसी ज्ञान वर्धक कहानियाँ ही बच्चों का सर्वांगिक विकास करती हैं.
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