इंदिरा एकादशी कथा महत्व एवम पूजा विधि 2024

इंदिरा एकादशी या श्राद्ध पक्ष एकादशी व्रत कथा महत्व एवम पूजा विधि (Indira Ekadashi Vrat significance, Puja Vidhi, story, 2024 Date In Hindi)

भारतीय संस्कृति में एकदशी व्रत का महत्व बहुत अधिक माना जाता हैं. इसे समस्त पापो से मुक्त करने वाला व्रत कहा जाता हैं. उन में भी श्राद्ध पक्ष की इंदिरा  एकादशी का महत्व बहुत अधिक होता है, इससे मनुष्य जाति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. इससे पुरखो एवम आने वाली वंशजों तक का उद्धार होता हैं.

Indira Ekadashi

कब मनाई जाती हैं इंदिरा एकादशी ? (Indira Ekadashi Vrat Date 2024)

यह एकादशी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती हैं. श्राद्ध पक्ष में आने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता हैं. इसे मोक्ष प्राप्ति का सहज मार्ग कहा जाता हैं. इससे पितरो को मोक्ष मिलता हैं.

वर्ष 2024 में इंदिरा एकादशी 28 सितंबर को मनाई जाएगी.

इन्द्राणी एकादशी से सम्बंधित महत्वपूर्ण समय (Indira Ekadashi Vrat Parana Time)

एकादशी तिथि प्रारभ 27 सितंबर को दोपहर 01:20 से
एकादशी तिथि अंत28 सितंबर को दोपहर 02:49 तक 
परना का समयसुबह  6:13  से 8:36

इंदिरा एकादशी व्रत कथा व कहानी (Indira Ekadashi Vrat Story)

सतयुग के समय की बात हैं इंद्रसेन नामक राजा हुआ करते थे. राजा भगवान विष्णु के प्रचंड भक्त थे. यज्ञ एवम उपवास के सभी धार्मिक कार्य पूरी श्रद्दा से करते थे. उनके नगर में भी इन नियमो का पालन होता था. नगर में सुख शांति एवम उन्नति का कारण शायद सभी का धार्मिक एवम कर्मठ होना ही था.  इस कारण इंद्रसेन बहुत खुश थे.

एक दिन आकाश से नारद मुनि ने इंद्रसेन के दरबार में कदम रखा. उन्हें आता देख इंद्रसेन राजा अपने स्थान से उठ खड़े हुए और पुरे आदर के साथ उन्होंने नारद मुनि को आसीत किया. उनके चरणों को धोकर स्पर्श किया. उनका इस तरह का सत्कार देख नारद मुनि बहुत प्रसन्न हुए.

कुछ देर बाद नारद मुनि ने राजा से पूछा कि आपके जीवन एवम राज्य में सब सकुशल तो हैं ? राजा इन्द्रसेन ने कहा भगवान विष्णु की कृपा से सब सह कुशल हैं. तब नारद मुनि ने फिर से पूछा आपके राज्य में धार्मिक सत्संग एवम यज्ञ आदि के कार्य भी नियमित हो रहे हैं ? राजा ने इसमें भी हामी जताई. इन्द्रसेन ने नारद मुनि से उनके दरबार में आने का कारण पूछा – तब नारद मुनि ने कहा कि मैं यमलोक गया था. वहां मैंने तुम्हारे पिता जी को देखा वे बेहद दुखी थे. उन्होंने तुम्हारे लिए संदेशा भेजा हैं. मृत्यु के उपरांत उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई है, इसलिए वे चाहते हैं तुम उनके लिए कुछ करो. उन्होंने बताया कि उनके पूर्व जन्म में उन से एकादशी का व्रत भंग हुआ था. इसके कारण ही उन्हें मोक्ष नहीं मिला.

राजा इन्द्रसेन ने नारद मुनि से पूछा, मुझे इसके लिए क्या करना होगा ? तब नारद मुनि ने कहा – श्राद्ध पक्ष में ही पितरो को मोक्ष मिलता हैं इसलिए तुम श्राद्ध पक्ष की एकादशी का व्रत करो. इस व्रत को करने से तुम्हारी कई पुश्तों को मोक्ष की प्राप्ति होगी. राजा इन्द्रसेन ने नारद जी से व्रत का विधि विधान पूछा.

इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि ( Indira Ekadashi Vrat Puja Vidhi in hindi)

यह श्राद्ध पक्ष की एकादशी है, इसको करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.

  • यह व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष की दशमी से ही शुरू हो जाता हैं. दशमी के दिन प्रातः स्नान कर घर में पूजा पाठ करे फिर दोपहर में नदी में स्नान करके तर्पण की विधि करे.
  • श्राद्ध की विधि के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाए एवम स्वयं भी भोजन ग्रहण करें.
  • दुसरे दिन एकादशी के दिन सुबह स्नान करे एवम पुरे दिन के निराहार व्रत का संकल्प ले.
  • फिर से श्राद्ध विधि करें एवम ब्राह्मणों को फलाहार करायें.
  • इसके बाद गाय, कौए एवम कुत्ते को आहार का हिस्सा दे.
  • दुसरे दिन पूजा करके ब्राहमणों को भोजन करायें एवम दक्षिणा दे. पुरे कुटुंब के साथ भोजन ग्रहण करे.

इस प्रकार राजा इंद्र सेन ने नारद जी के द्वारा बताई विधि का अनुसरण किया, जिसके प्रताप से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वे यमलोक से विष्णुलोक में चले गए. इस इंदिरा एकादशी के प्रताप से राजा इंद्रसेन को भी वैकुण्ड लोक की प्राप्ति हुई.

सभी एकादशी व्रत का विधान स्वयं श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा हैं एवम इनके फल के बारे में भी बताया हैं.

FAQ

Q : इंदिरा एकादशी कब होती है?

Ans : अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है.

Q : इंदिरा एकादशी का क्या महत्व है?

Ans : श्राद्ध पक्ष में आने के कारण इसका महत्व बहुत अधिक है.

Q : इंदिरा एकादशी 2024 में कब है?

Ans ; 28 सितंबर

Q : इंदिरा एकादशी की तिथि क्या है?

Ans : 27 सितंबर को 01:20 pm से 28 सितंबर को 02:49 pm तक

Q : इंदिरा एकादशी व्रत खोलने का समय क्या है?

Ans : सुबह 6:13 am से 8:36 अप तक

अन्य पढ़े :

  1. देव उठनी एकादशी व्रत कथा
  2. शिवरात्रि व्रत कथा एवम विधि
  3. प्रदोष व्रत कथा एवम विधि
  4. चौमासा या चातुर्मास व्रत का महत्त्व

Leave a Comment