नीलम संजीवा रेड्डी जीवन परिचय | Neelam Sanjiva Reddy biography in hindi

नीलम संजीवा रेड्डी जीवन परिचय  Neelam Sanjiva Reddy biography in hindi

नीलम संजीवा रेड्डी भारत के छठें राष्ट्रपति थे. उन्हें एक राजनेता और प्रशासक के रूप में याद किया जाता है. रेड्डी जी ने बचपन से ही स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया. उन्हें स्वतंतत्रा के पहले व बाद में एक अच्छे राजनेता के तौर पर उच्च स्थान में रखा गया. नीलम संजीवा रेड्डी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिनको राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पहली बार असफलता मिली थी एवं दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने पर राष्ट्रपति पद के लिए इनका चुनाव हुआ था.

नीलम संजीवा रेड्डी जीवन परिचय ( Neelam Sanjiva Reddy biography in hindi )

Neelam Sanjiva Reddy

रेड्डी जी जन्म, परिवार व शिक्षा (Neelam Sanjiva Reddy history)–

क्रमांकजीवन परिचय बिंदु रेड्डी जी जीवन परिचय
1.       पूरा नामनीलम संजीवा रेड्डी
2.       जन्म19 मई 1913
3.       जन्म स्थानअनंतपुर, आंध्रप्रदेश
4.       पितानीलम चिनप्पा रेड्डी 
5.       पत्नीनीलम नागरत्नम्मा
6.       बच्चे1 बेटा 3 बेटी
7.       राजनैतिक पार्टीजनता पार्टी
8.       मृत्यु1 जून 1996 बैंगलोर

रेड्डी जी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में मध्यम वर्गीय परिवार हुआ था.  कृषक परिवार में जन्मे होने के बावजूद वे एक कुशल नेता थे. नीलम संजीवा रेड्डी के पिता का नाम नीलम चिनप्पा रेड्डी  था. वे कॉग्रेस के पुराने कार्यकर्ता और प्रसिद्ध नेता टी. प्रकाशम के साथी थे. इनका परिवार भगवन शिव में बहुत अधिक आस्था रखते था.

रेड्डी जी (Neelam Sanjiva Reddy) की प्रारंभिक शिक्षा थियोसोफिकल हाई स्कूल अडयार, मद्रास में शुरू हुई थी. इसी विद्यालय में रेड्डी जी (Neelam Sanjiva Reddy) अध्यात्म की ओर आकर्षित हुए थे और उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने आर्ट्स कॉलेज अनंतपुर में प्रवेश लिया. किन्तु जुलाई 1929 में गांधीजी से मिलने के बाद रेड्डी जी का जीवन पूरी तरह से बदल गया.

नीलम संजीवा रेड्डी राजनैतिक सफ़र (Neelam Sanjiva Reddy political career) –

गांधीजी ने उन्हें अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने को प्रेरित किया. महात्मा गांधी की बातों, कार्यों का रेड्डी जी (Neelam Sanjiva Reddy) पे बहुत गहरा असर हुआ और उन्होंने मात्र 18 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी उपस्थिती दर्ज कराई. अंग्रेजो के विरुद्ध अनेको आन्दोलन में वे खड़े रहे, इस  दौरान उन्होंने विदेशी वस्त्रों को त्याग दिया और खादी को अपने पहनावे के रूप में अपनाया. पढाई छोड़ने का उन्हें कभी भी पछतावा नहीं हुआ.

रेड्डी जी (Neelam Sanjiva Reddy) के राजनैतिक सफ़र की शुरुवात में ही वे युवा कॉग्रेस के सदस्य बन गए और कांग्रेस की सभी गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई. 1936, मात्र 23 वर्ष की आयु में वे आंध्र प्रदेश प्रोविशिनल  कांग्रेस कमिटी के सचिव चुने गए. अपनी योग्यता और गुणों के चलते उन्होंने इस पद पर लगातार दस वर्षो तक कार्य किया. रेड्डी जी 1946 में मद्रास  विधानसभा के लिए चुने गए और मद्रास कांग्रेस विधान मंडल दल के सचिव  निर्वाचित हुए.

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् 1949 में नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjiva Reddy) संयुक्त मद्रास राज्य में नशाबंदी,  आवास, मद्य निषेध एवं वन मंत्री बन कार्य किया. 1951 में उन्होंने इस पद से त्यागपत्र देकर आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए खड़े हो गए एवं जीत हासिल की.

1951 में रेड्डी जी (Neelam Sanjiva Reddy) आंध्रप्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष बने. 1952 में अपने जोश राजनैतिक सूझ-बूझ के कारण वे आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बन गए. अक्टूबर 1956 आंध्र प्रदेश राज्य का गठन  हुआ और मुख्यमंत्री का कार्यभार रेड्डी जी (Neelam Sanjiva Reddy) को सौंपा गया. 1959 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के  अध्यक्ष बन गए. दो बार कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का कार्य सँभालने के बाद वे वापस आंध्र प्रदेश लौट आए और 1964 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. किन्तु कुछ कारणवश उन्होंने खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

1964 में नीलम संजीवा रेड्डी (Neelam Sanjiva Reddy) राष्ट्रीय राजनीति में आ गए. प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें केन्द्र में स्टील एवं खान मंत्रालय का भार सौंप दिया. 1964-1977 तक रेड्डी जी राज्यसभा के सदस्य रहे. 1967 में इंदिरा गाँधी जी की सरकार में वे थोड़े समय के लिए परिवहन, विमानन, नौवहन और पर्यटन मंत्री भी रहे। डॉ जाकिर हुसैन की मौत के बाद एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव हुए. इस बार कांग्रेस सरकार अपने सबसे काबिल उमीदवार के तौर पर रेड्डी जी को खड़ा किया. इस समय इंदिरा गाँधी का शासन था, उन्हें लगता था रेड्डी जी उनकी बात नहीं सुनेगें और दोनों की सोच में काफी अंतर है. इसलिए उन्होंने सभी वोटर से कहकर रेड्डी जी को वोट न देने को कहा और उनकी जगह वी वी गिरी को जिताया गया और राष्ट्रपति बना दिया गया. इस हार से निराश हो कर रेड्डी जी अपने गाँव अनंतपुर वापस चले गए और कृषि करने लगे. 1975 में वे वापस राजनीती में आए एवं 1977 में जनता पार्टी की सदस्यता प्राप्त की.

राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी (President Neelam Sanjiva Reddy) –

अगले लोकसभा चुनाव में वे आंध्र प्रदेश की नंड्याल सीट से खड़े हुए और विजयी हुए. 26 मार्च 1977 में वे लोकसभा के स्पीकर नियुक्त हुए. स्पीकर के पद को उन्होंने बखूबी निभाया, जिससे उन्हें बेस्ट स्पीकर का ख़िताब भी मिला. 1977 में ही 13 जुलाई को उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त हुए. राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दों पर अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिये.

अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण संबंधी समिति का गठन रेड्डी जी(Neelam Sanjiva Reddy) ने अपनी लोकसभा की अध्यक्षता के दौरान किया था. वे एक राष्ट्रवादी व्यक्तित्व  वाले व्यक्ति थे. सामान्य स्वाभाव किन्तु पक्के  राष्ट्रवादी थे. श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, त्रिमूर्ति द्वारा 1958 में नीलम संजीव रेड्डी को डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई.

नीलम संजीवा रेड्डी मृत्यु (Neelam Sanjiva Reddy Death) –

जून 1966, 83 वर्ष की आयु में रेड्डी जी (Neelam Sanjiva Reddy) का निधन उनके पैतृक स्थान में हुआ. उनका दूरदर्शी नेतृत्व, मिलनसारिता और उपलब्धता ने उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों का परम प्रिय बना दिया था.

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