Indian Prime Minister HD Deve Gowda biography in hindi एच डी देवगौड़ा भारत के 11वें प्रधानमंत्री रहे, साथ ही वे कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री भी बने थे. एच डी देवगौड़ा जनता दल राजनीती पार्टी के लीडर थे, एवं वे कर्नाटका के हसन जिले से सांसद भी चुने गए. देवगौड़ा जी ने अपना ग्रेजुएशन पूरा करते ही 20 साल की उम्र में राजनीती ज्वाइन कर ली थी, शुरुवात में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे देवगौड़ा जी किसानों की समस्याओं को अच्छी तरह समझते थे, उन्होंने किसानों के हक के लिए बहुत सी लड़ाईयां लड़ी, व एक कैम्पेन भी शुरू किया.
देवगौड़ा जी अन्जनेया कॉपरेटिव सोसाइटी व तालुक डेवलपमेंट बोर्ड के सदस्य भी रहे, उनका यहाँ लीडरशिप का अनुभव व जनता को समझाने का तरीका बहुत काम आया, इसके चलते उन्होंने कर्नाटका की बहुत सी समस्याएँ सुलझा दी थी. देवगौड़ा जी हर समुदाय, जाति, समाज के लोगों की बातों को ध्यान से सुनते थे, इसलिए उन्हें ‘माटी का पुत्र’ भी कहा गया. इसके अलावा देवगौड़ा जी सांसद में अपनी प्रतिष्ठा को भी पूरी तरह से मेन्टेन करके चलते थे, उनके काम को लेकर कोई भी कभी उन पर ऊँगली नहीं उठा सकता था.
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एच डी देवगौड़ा जीवन परिचय HD Deve Gowda biography in hindi
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | एच डी देवगौड़ा जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | हरदनहल्ली दोद्देगोव्डा देवगौड़ा |
2. | जन्म | 18 मई 1933 |
3. | जन्म स्थान | हरदनहल्ली, कर्नाटक |
4. | माता-पिता | देवंमा, दोद्देगोव्दा |
5. | विवाह | चेन्नम्मा देवगौड़ा |
6. | बच्चे | 4 बेटे – एच डी रेवन्ना, एच डी कुमारस्वामी, एच डी बालकृष्ण, एच डी रमेश व 2 बेटी – एच डी अनुसूया, एच डी शैलेजा |
7. | राजनैतिक पार्टी | जनता दल (सेक्युलर) |
आरंभिक जीवन (HD Deve Gowda Personal Life)–
देवगौड़ा कर्नाटका के हसन जिले में जन्मे थे, उनके पिता दोद्देगोव्दा किसान थे व कृषि किया करते थे. देवगौड़ा जी वोक्कालीगा जाति के थे, जिसे उस समय पिछड़ी जाति कहा जाता था. देवगौड़ा जी ने एल व्ही पालीटेकनीक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढाई की. 20 साल की उम्र में पढाई करने के तुरंत बाद देवगौड़ा जी ने राजनीती में कदम रख दिया था. देवगौड़ा जी की शादी चेन्नमा से हुई, जिनसे उन्हें 6 बच्चे है. उनके एक बेटे एच डी कुमारस्वामी कर्नाटका के मुख्यमंत्री भी रह चुके है.
राजनैतिक सफ़र (HD Deve Gowda Political Life)–
राजनीती में आते ही देवगौड़ा जी ने 1953 में नेशनल कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की. उन्होंने कांग्रेस के लिए 1962 तक काम किया. इसके बाद वे कर्नाटक में चुनाव के लिए अकेले खड़े हुए, जिसमें वे विजयी भी रहे. देवगौड़ा जी होलेनारसिपुर के चुनाव क्षेत्र में लगातार तीन बार विधानसभा सदस्य के लिए निर्वाचित हुए. 1972 से 76 तक देवगौड़ा जी विधानसभा में विपक्ष के लीडर रहे. 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी का एलान किया, तब उस दौरान देवगौड़ा जी ने इसका विरोध किया, जिस वजह से उन्हें 18 महीने जेल में भी गुजारने पड़े. जेल में रहने के दौरान भी देवगौड़ा जी राजनीती से दूर नहीं रहे, वे वहां भी राजनीती से जुडी किताबें पढ़ते रहते थे, ताकि वे राजीनीति के दाव पेंच सिख सके. जेल में जो दुसरे नेता लोग बंद थे, उनसे भी देवगौड़ा जी बातें किया करते थे ताकि और ज्ञान अर्जित कर सकें. इस बात का उनके जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा, उनकी सोच को प्रभावित किया व उनका व्यक्तित्व और निखर गया.
22 नवम्बर 1982 को देवगौड़ा जी ने छटवी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. इसके कुछ समय बाद वे सामाजिक व सिचाई विभाग के मंत्री बन गए, साथ ही सातवी व आठवी विधानसभा के सदस्य बन गए. सिचाई मंत्री होने के नाते उन्होंने बहुत से सिचाई के कार्य शुरू किये. 1987 में उन्होंने कैबिनेट मंत्री मंडल से इस्तीफा दे दिया, सरकार द्वारा सिचाई विभाग में अपर्याप्त फण्ड देने का वो विरोध प्रकट कर रहे थे. 1989 में हुए विधानसभा चुनाव में वे जनता दल के द्वारा मात्र 2 सीट से हार गए. इसके बाद 1991 में वे हसन लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए. कर्नाटका के किसानो की समस्याओं को हल करने में देवगौड़ा जी ने मुख्य भूमिका निभाई. इस वजह से संसद में उनकी बहुत वाहवाही हुई, सभी सांसद उनका सम्मान करते थे, आम जनता भी उनके इस काम से अत्यधिक प्रसन्न थी.
इन सब के बाद देवगौड़ा जी को एक बार फिर जनता दल पार्टी का लीडर बना दिया गया. 11 दिसम्बर 1994 में वे एक बार फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री चुने गए. इस जीत के बाद उन्हें फिर रामनगर विधानसभा में जीत का स्वाद मिला. 1996 में जब कांग्रेस पार्टी आम चुनाव में हार गई तब पी व्ही नरसिम्हा राव ने इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद देवगौड़ा 11वें प्रधानमंत्री बनाये गए. वैसे इस चुनाव में जीत बीजेपी की हुई थी. जिसके बाद अटल बिहारी बाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाया गया, लेकिन बीजेपी बाकि पार्टियों से समर्थन नहीं मिला जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद एक गठ्बंधित सरकार जिसमें नॉन कांगेस व नॉन बीजेपी लोग थे बनाई गई, इस गठ्बंधित सरकार के लीडर देवगौड़ा जी बनाये गए. प्रधानमंत्री बनने के बाद देवगौड़ा जी ने कर्नाटका के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. देवगौड़ा जी 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक प्रधानमंत्री रहे.
देवगौड़ा जी का भारतीय राजनीती को योगदान –
देवगौड़ा जी ने देश की नीची जाति के हक के लिए बहुत से कार्य किये. कर्नाटक की स्थिति को सुधारने में देवगौड़ा जी का योगदान हमेशा याद किया जाता है. जब वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने अल्पसंख्यक, बैकवर्ड क्लास, एस टी, एस सी व औरतों को आरक्षण दिलवाने के लिए बहुत मेहनत की. उन्होंने हुबली में ईदगाह मैदान की समस्या को हल किया. देश के विकास के लिए बहुत सी योजनायें शुरू की, व देश हित को हमेशा अपना धर्म समझा.
2014 में देवगौड़ा जी एक बार 16 वी लोकसभा के सदस्य चुने गए. 82 साल की उम्र में भी देवगौड़ा जी भारतीय राजनीती में पूरी तरह से एक्टिव है, उनकी राजनीती समझ आज भी लोगों को मार्ग दिखाती है. राजनीती में अकेले खड़े होकर कैसे पैर जमाये जा सकते हैं, ये हमें देवगौड़ा जी के जीवन से सिखने को मिलता है.
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