माफ़ी मांगने से कोई छोटा नहीं होता ( Forgiveness is not weak its powerful story in hindi)
मेट्रो शहर दिल्ली की एक दिलचस्प परन्तु मन को झकझोर देने वाली घटना है. एक रईसजादे अमन से मोहल्ले भर के लोग परेशान थे. अमन एक अमीर और दबंग परिवार का लड़का था. उसकी सबसे बुरी आदत लड़कियों को छेड़ने की थी. राह चलते सरेआम वह लड़कियों को छेड़ता और विरोध करने पर उन सबके साथ बदतमीजी से पेश आता था. दबंग परिवार का होने के कारण मोहल्ले के लोग भी बीच-बचाव करने या उसका विरोध करने से डरते थे. इससे दिन-प्रतिदिन उसका अहंकार बढ़ता ही जा रहा था. मोहल्ले की लड़कियां और औरतें उसके डर से घर से बाहर निकलने से परहेज करने लगी थीं.
इसी मोहल्ले में सीमा नाम की एक लड़की रहती थी. वह कॉलेज में पढ़ती थी और साथ ही कुछ परिवार के बच्चों को ट्यूशन भी देती थी. वह रोज सुबह कॉलेज के लिए निकलती और दोपहर बाद घर को लौटती थी. मोहल्ले में एक तरफ जहाँ सीमा की सुन्दरता के चर्चे होते थे वहीँ उसकी सादगी और बुद्धिमता की तारीफ करते भी लोग नहीं थकते थे. अपने स्वभाव के मुताबिक अमन पहले तो कई दिनों तक सीमा का पीछा करता रहा और संकेत में उसे छेड़ता रहा, परन्तु जब सीमा ने कोई प्रत्युतर नहीं दिया तो गुस्से में उसने एक दिन कॉलेज से लौटते हुए उसका हाथ पकड़ लिया. अमन की इस हरकत से सीमा अवाक् रह गई परन्तु इस दफा भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. अमन की पकड़ से सीमा ने अपने आप को छुडाते हुए तेजी से घर की तरफ रुख कर लिया. कुछ दूर तक अमन भी उसके पीछे भागा परन्तु जल्दी ही सीमा एक गली की ओर मुड़कर अमन की नज़रों से ओझल हो गई. सीमा की इस हरकत से अमन काफी नाराज़ था. उसने मन ही मन सीमा को सबक सिखाने की ठानी और अगले दिन का इंतजार करने लगा.
अगले दिन अमन सुबह ही गली के नुक्कड़ पर सीमा के कॉलेज जाने का इंतजार करने लगा. परन्तु काफी समय बीत जाने के बावजूद सीमा नहीं आई. फिर अमन ने सोचा कि शायद वह उसके डर से किसी और रास्ते से कॉलेज को निकल गई होगी. तब अमन ने एक बार फिर अपने मन को समझाते हुए सीमा के कॉलेज से लौटने का इंतजार करना बेहतर समझा. आज अमन के सर पर सीमा को सबक सिखाने का भुत सवार था. वह किसी भी तरीके से आज सीमा को पूरे मोहल्ले के सामने जलील करना चाहता था. आखिर सीमा ने सरेआम उसकी बादशाहत को चुनौती दी थी. आज सीमा को सबक सिखाने के लिए अमन अपने साथ मोहल्ले के और तीन टपोरियों को भी साथ लाया था. परन्तु एक लंबे इंतज़ार के बाद भी सीमा वहां से नहीं गुजरी. सीमा के कॉलेज से आने का वक़्त भी बीत चुका था. अमन असमंजस में पड़ गया. वह यह भी नहीं जानता था कि सीमा कहाँ रहती है, और न ही अपने अहंकार में वह किसी से सीमा के घर के बारे में पूछना चाहता था.
अमन उधेड़बुन में ही था कि अचानक उसे सीमा सामने से आती हुई दिखी. वह ख़ुशी से उछल पड़ा और बीच सड़क पर आ खड़ा हुआ. सीमा ने दूर से ही अमन को देख लिया था. इसके बावजूद वह डरी-सहमी आगे बढ़ती रही. रास्ता रोके खड़े अमन के नजदीक आने पर वह रूक गई और बगल से निकलने की कोशिश करने लगी. परन्तु अमन सीमा को आगे नहीं बढ़ने दे रहे थे.
“रूक जाओ मेरी जान! जल्दबाजी अच्छी नहीं होती…”
सीमा ने हिम्मत करते हुए कहा – “मुझे जाने दो…!”
कैसे जाने दूं? जबसे तुम्हें देखा है मेरी रातों की नींद हराम हो गई है…!
“आखिर तुम मुझसे चाहते क्या हो…?
अमन ने अपने साथियों की ओर देखकर हँसते हुए कहा – “लो पूछो…, आखिर एक आशिक क्या चाह सकता है..”
“मुझे जाने दो, मैं बहुत बड़ी मुसीबत में हूँ…”
“मुझसे टकराने पर सब लड़कियां यही कहती है और बाद में मेरी बाँहों में आने पर उसे मुसीबतों से छुटकारा मिल जाता है. तुम्हारी भी मुसीबत दूर हो जाएगी. बस एक बार…”
अमन की बातों से सीमा का गुस्सा फट पड़ता है. वह मजबूती से अमन का विरोध करते हुए कहती है – “बस करो. मैं वैसी लड़की नहीं हूँ. मेरे रास्ते से हट जाओ और मुझे जाने दो. मैं एक गरीब लड़की हूँ. मेरे पापा बीमार हैं. डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ.” सीमा ने हिम्मत करते हुए एक ही सांस में सारी बातें कह डाली.
सीमा की बातों पर अमन और उसके साथी ठहाके मारकर हंसने लगे.
अमन ने कहा – “सभी लड़कियां ऐसे ही बहाने बनाती है. मगर आज मैं नहीं मानने वाला. तुम्हें तो आज मैं अपने साथ लेकर ही जाऊंगा.”
अमन की बातों से सीमा सहम गई. उसने अमन की मनसा का विरोध करते हुए गिडगिडाते हुए कहा- “आज मुझे छोड़ दो. मैं अगर समय पर डॉक्टर को लेकर घर नहीं पहुंची तो मेरे पापा की मौत हो जाएगी..”
सीमा की बातों पर अमन थोड़ा ठिठका और धूर्तता दिखाते हुए बोला- “मैं किसी डॉक्टर से कम हूँ क्या. तुम्हारे पापा का ईलाज मैं कर दूंगा. चल तुम्हारे घर चलता हूँ…” अमन इस बहाने सीमा का घर भी देखना चाहता था. परन्तु भोली-भाली सीमा को अमन की यह चाल समझ में नहीं आई और यह समझते हुए कि अमन जब उसके घर के हालात और उसके बीमार पिता को देखेगा, तो उसपर तरस खाकर उसका पीछा करना और उसे तंग करना छोड़ देगा, अमन को अपने घर ले गई. सीमा के घर के हालात को देखकर अमन को जोर का झटका लगा. एक छोटा सा घर, बेतरतीब फैले सामान और घर के एक कोने में चारपाई पर लेटा एक बुढा शख्स. कुछ देर के लिए वहां ख़ामोशी छा गई. इस ख़ामोशी को सीमा ने तोड़ा.
“यही है मेरा घर. चारपाई पर मेरे पापा लेटे हैं. पापा बीमार हैं. माँ दूसरे घरों में काम करने गई है. पापा की तबीयत ज्यादा बिगड़ने के कारण मैं आज कॉलेज नहीं जा सकी थी. डॉक्टर को बुलाने जा रही थी.” सीमा ने कहा.
सीमा की एक-एक बात अमन के दिल पर हथोड़े की तरह वार कर रही थी. वह मूर्ति की तरह जहाँ था वहीँ खड़ा रहा. उसने सीमा की ओर देखा और आत्मग्लानि से उसकी आँखों में आंसू आ गए. वह मन ही मन सोचने लगा, मैं कितना बड़ा पाप कर रहा था. मैंने तो आज तक इतनी तकलीफ की जिंदगी देखी ही नहीं है. अपनी अमीरी के घमंड में मैंने न जाने कितने लोगों का दिल दुखाया है. मुझे आज सीमा से माफ़ी मांगनी होगी और अब तक किए गए कुकर्मों के लिए मुझे पछतावा करना होगा. वह सीमा की ओर मुड़ा और हाथ जोड़ते हुए माफ़ी मांगने लगा.
“मुझे माफ़ कर दो बहन. मैं आज तक घमंड में जी रहा था. आज तक ना ही मैंने समझा और ना ही मेरे माँ-बाप ने समझाया कि जीवन कैसे जिया जाता है, जीवन का संघर्ष क्या होता है. आप महान हो बहन. इतनी गरीबी में भी आप कॉलेज में पढ़ रही हो और मैं सबकुछ होते हुए भी कॉलेज न जाकर आवारागर्दी करता रहा हूँ.”
सीमा ने कहा- “इसमें माफ़ी मांगने वाली क्या बात है भाई. अगर मेरे कारण आपके ह्रदय में परिवर्तन हुआ है, तो मेरे लिए इससे बढ़कर ख़ुशी और क्या हो सकती है. जो आपने किया उसे भूल जाइए और एक नए जीवन की शुरुआत कीजिए. अपने जीवन को ना सिर्फ अपने लिए जिएं बल्कि दूसरों के सुख-दुःख में भी हाथ बंटाना सीखिए. फिर देखिए आपके मन को कितनी संतुष्टि मिलती है.”
“बहन आपने न सिर्फ मेरी आँखें खोल दी हैं बल्कि जीने का एक रास्ता भी दिखा दिया है. आप यहीं रुको मैं डॉक्टर को बुलाकर लाता हूँ और आज से एक नए जीवन की शुरुआत करता हूँ.” सीमा कुछ कह पाती कि इससे पहले अमन यह कहते हुए अपने दोनों टपोरी दोस्तों के साथ वहां से तेजी से निकल पड़ता है.
कहानी की शिक्षा (Moral of the story)
इस कहानी से स्पष्ट होता है कि इंसान चाहे कितना बड़ा ही क्यों न हो, जब उसे अपने किए पर ठेस लगती है तो वह माफ़ी मांगने से भी गुरेज नहीं करता. अमन ने भी ऐसा ही किया. सीमा से माफ़ी मांगने के क्रम में वह अपनी अमीरी, दबंगाई सबकुछ भूल गया. इस माफीनामे में उसे छोटापन का अहसास नहीं हुआ. बल्कि उसे गर्व हुआ कि सीमा के कारण उसे आज अपने गलत कामों का अहसास हुआ और उसकी आँखें खुली. अतः हमें समझना चाहिए कि अगर कभी भी हमसे कोई गलती हो जाए, चाहे वह छोटी हो या बड़ी, हमें माफ़ी मांग लेनी चाहिए. इससे न केवल आपके दिल को सुकून मिलता है, बल्कि सामने वाले के सारे गिले-शिकवे भी दूर हो जाते हैं. अगर कुछ शब्दों में कहें तो माफ़ी माँगना बड़प्पन की सबसे बड़ी निशानी है, और माफ़ी मांगने से कोई छोटा नहीं होता.
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