इंजीनियर्स डे या अभियन्ता दिवस क्यों मनाया जाता है, कब मनाया जाता है, निबंध, कविता, शायरी, भाषण, अनमोल वचन (Engineer’s Day Date, Celebration, Speech, Quotes, Shayari in Hindi) मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जीवन परिचय
आज के वक्त में दुनियाँ के हर क्षेत्र में इंजिनियर का नाम हैं. दुनियाँ की प्रगति में इंजिनियर का हाथ हैं फिर चाहे वो कोई भी फील्ड हो. तकनिकी ज्ञान के बढ़ने के साथ ही किसी भी देश का विकास होता हैं. इससे समाज के दृष्टिकोण में भी बदलाव आता हैं. इस तरह पिछले दशक की तुलना में इस दशक में दुनियाँ का विकास बहुत तेजी से हुआ इसका श्रेय दुनियाँ के इंजिनियर को जाता हैं. उन्हें ही सम्मान देने के उद्देश्य के साथ इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. आइये इस लेख में हम आपको इस दिन को मनाने के बारे में जानकारी देते हैं.
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इंजीनियर्स डे (अभियन्ता दिवस) (Engineer’s Day in Hindi)
इसके उदहारण के लिये अगर हम अपने हाथ में रखे स्मार्ट फोन को ही देखे और पीछे मुड़कर इसके इतिहास को याद करे, तो हमें होने वाले बदलावों का अहसास हो जाता हैं. अभी से लगभग 15 वर्ष पहले एक टेलीफोन की जगह लोगो के हाथों में मोबाइल फोन आये थे, जिसमे वो कॉल और एस एम एस के जरिये अपनों के और भी करीब हो गये. वहीँ कुछ वक्त बीतने पर यह मोबाइल फोन, स्मार्ट फ़ोन में बदल गया. कल तक अपने करीब आये थे. आज दुनियाँ मुट्ठी में आ गई. अपनों से बात करने से लेकर बिल भरना, शॉपिंग करना, बैंक के काम आदि कई काम एक स्मार्ट फोन के जरिये संभव हो पाये. और ऐसे परिवर्तन हर कुछ मिनिट में बदलकर और बेहतर रूप लेते जा रहे हैं, इस तरह के विकास का श्रेय इंजिनियर्स को जाता हैं. यह तो केवल एक उदाहरण था. ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ इंजिनियर ने अपने करतब दिखाये हैं और दुनियाँ को एक जगह पर बैठ- बैठे आसमान तक की सैर करवाई हैं.
इंजीनियर्स डे कब मनाया जाता है (Engineers Day Date)
अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) 15 सितम्बर को मनाया जाता हैं. यह दिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म दिवस हैं, जो कि एक महान इंजिनियर थे, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को इंजीनियर्स डे के नाम पर समर्पित किया गया. इन्हें एक अच्छे इंजिनियर के तौर पर सफलतम कार्य करने हेतु 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. इंजिनियर डे के द्वारा दुनिया के समस्त इंजिनियरों को सम्मान दिया जाता है. देश के बड़े बड़े वैज्ञानिक, इंजिनियर ने देश के विकास के लिए अनेकों अनुसन्धान किये. जैसे डॉक्टर को सम्मान देने के लिए डॉक्टर्स डे मनाया जाता है, टीचरों को सम्मान देने के लिए टीचर डे मनाया जाता है, बच्चों को सम्मान देने के लिए बाल दिवस मनाया जाता है, माता को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है, उसी तरह इंजिनियरों को भी एक दिन विशेष सम्मान दिया जाता है.
क्यों मनाया जाता है इंजीनियर दिवस (Why We Celebrate Engineer’s Day)
- इंजीनियर दिवस हमारे देश के प्रसिद्ध इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के याद में मनाया जाता है और ये दिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के बर्थड़े के दिन आता है.
- इन दिन को मनाने का लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग के करियर के प्रति प्रेरित करना है और जिन इंजीनियरों ने हमारे देश के उत्थान में अपना योगदान दिया गया है उनकी सराहना करना है.
साल 2024 का इंजीनियर दिवस (Engineer’s Day 2024 Date)
साल 2024 में इंजीनियर दिवस पर हम मोक्षगुंडम विश्वेश्या का 161 वा जन्म दिवस समारोह मनाया जाना है, और इस दिन को लेकर कई इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम किए जाने हैं. हालांकि पिछले साल से कोरोना महामारी के चलते स्कूल एवं कॉलेज बंद होने के कारण इस दिन का सेलिब्रेशन नहीं हो पाया है. किन्तु इस साल उम्मीद की जा रही है. कि इस साल 161 वां जन्म दिवस समारोह अवश्य मनाया जायेगा.
इंजिनियर डे सेलिब्रेशन (Engineers Day Celebration)
इंजिनियर डे के दिन सभी इंजिनियर को बधाई दी जाती है. इंजीनियरिंग कॉलेज, ऑफिस में कार्यक्रम होते है. आजकल बढाई देने के लिए सोशल मीडिया, फ़ोन का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. लोग एक दुसरे को मेसेज भेजते है, कविता शायरी शेयर की जाती है. विश्वेश्वरैया जी को याद करके, कार्यक्रम आयोजन किया जाता है.
दुनिया के अन्य क्षेत्र में इंजिनियर डे (Engineers Day in World)
देश | तारीख |
अर्जेंटीना | 16 जून |
बांग्लादेश | 7 मई |
बेल्जियम | 20 मार्च |
कोलंबिया | 17 अगस्त |
आइसलैंड | 10 अप्रैल |
ईरान | 24 फ़रवरी |
इटली | 15 जून |
मैक्सिको | 1 जुलाई |
पेरू | 8 जून |
रोमानिया | 14 सितम्बर |
तुर्की | 5 दिसम्बर |
भारत देश में इंजिनियर डे महान इंजिनियर और राजनेता मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया की याद में मनाया जाता है, तो चलिए इनके जीवन को करीब से जानते है.
मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जीवन परिचय (Mokshagundam Visvesvaraya Biography)
एम. विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजिनियरों में से एक थे, इन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और भारत को नया रूप दिया. उनकी दृष्टि और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में समर्पण भारत के लिए कुछ असाधारण योगदान दिया।
जीवन परिचय बिंदु | विश्वेश्वरैया जीवन परिचय |
पूरा नाम | मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया |
जन्म | 15 सितम्बर, 1960 |
जन्म स्थान | मुद्देनाहल्ली गाँव, कोलर जिला, कर्नाटका |
माता-पिता | वेंकचाम्मा – श्रीनिवास शास्त्री |
मृत्यु | 14 अप्रैल 1962 |
मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया शुरुवाती जीवन (Mokshagundam Visvesvaraya Life History)
विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है. इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी. जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था. चिकबल्लापुर से इन्होंने प्रायमरी स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए. 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की. इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया. 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया. (ये परीक्षा आज के समय BE की तरह है)
मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया करियर (Mokshagundam Visvesvaraya Career)
इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला. एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये. उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ‘ब्लाक सिस्टम’ को शुरू किया. इन्होने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके. उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जिसकी लिस्ट अंतहीन है.
1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया. इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था. इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गया. कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया था, इसके बाद इस बांध का उद्घाटन हुआ. जब ये बांध का निर्माण हो रहा था, तब एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय था.
1906-07 में भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था की पढाई के लिए ‘अदेन’ भेजा. उनके द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को अदेन में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया. हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है. उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की, जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम हो गया. उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता था. इन्होने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया, तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना करवाई. इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना की गई. विश्वेश्वरैया ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
दीवान ऑफ़ मैसूर (Diwan of Mysore)
1908 में विश्वेश्वरैया ने अपने काम से थोड़े समय का ब्रेक लिया और विदेश यात्रा में चले गए, यहाँ उन्होंने देश के औद्योगिक विकास के बारे में गहन चिंतन किया. विदेश से लौटने के बाद इन्होने थोड़े समय के लिए हैदराबाद के निज़ाम के रूप में कार्य किया. उस समय हैदराबाद की मूसी नदी से बाढ़ का अत्याधिक खतरा था, तब विश्वेश्वरैया जी ने इससे बचाव के लिए उपाय सुझाये. नवम्बर 1909 में विश्वेश्वरैया जी को मैसूर राज्य का मुख्य इंजिनियर बना दिया गया. इसके बाद 1912 में विश्वेश्वरैया जी को मैसूर रियासत का दीवान बना दिया गया, वे इस पद पर सात सालों तक रहे. उन्होंने 1918 में इस पद से इस्तीफा दे दिया.
मैसूर के राजा कृष्णराजा वोदेयार की मदद से विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर राज्य के विकास के क्षेत्र में अनेकों कार्य किये. उन्होंने उपर बताये गए कार्यों के अलावा भी, बहुत से सामाजिक कार्य किये. इन्होने 1917 में बैंग्लोर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, यह देश का पहला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज था. बाद में इस कॉलेज का नाम बदल कर यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग रखा गया. विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर स्टेट में नयी रेलवे लाइन की भी स्थापना की. मैसूर के दीवान के रूप में, वे राज्य के शैक्षणिक और औद्योगिक विकास के लिए अथक प्रयासरत रहे.
विश्वेश्वरैया जी का व्यक्तित्व (Visveswaraya Personality)
- एम् विश्वेश्वरैया जी बहुत साधारण तरह के इन्सान थे.
- जो एक आदर्शवादी, अनुशासन वाले व्यक्ति थे.
- वे शुध्य शाकाहारी और नशा से बहुत दूर रहते थे.
- विश्वेश्वरैया जी समय के बहुत पाबंद थे, वे 1 min भी कही लेट नहीं होते थे.
- वे हमेशा साफ सुथरे कपड़ों में रहते थे. उनसे मिलने के बाद उनके पहनावे से लोग जरुर प्रभावित होते थे.
- वे हर काम को परफेक्शन के साथ करते थे. यहाँ तक की भाषण देने से पहले वे उसे लिखते और कई बार उसका अभ्यास भी करते थे.
- वे एकदम फिट रहने वाले इन्सान थे. 92 साल की उम्र में भी वे बिना किसी के सहारे के चलते थे, और सामाजिक तौर पर एक्टिव भी थे.
- उनके लिए काम ही पूजा थे, अपने काम से उन्हें बहुत लगाव था.
- उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सी परियोजनाओं के कारण भारत आज गर्व महसूस करता है, उनको अगर अपने काम के प्रति इतना दृढ विश्वास एवं इक्छा शक्ति नहीं होती तो आज भारत इतना विकास नहीं कर पाता.
- भारत में उस ब्रिटिश राज्य था, तब भी विश्वेश्वरैया जी ने अपने काम के बीच में इसे बाधा नहीं बनने दिया, उन्होंने भारत के विकास में आने वाली हर रुकावट को अपने सामने से दूर किया था.
एम. विश्वेश्वरैया जी अवार्ड (Mokshagundam Visvesvaraya Awards)
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था.
- लन्दन इंस्टीट्यूशन सिविल इंजीनियर्स की तरफ से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मान दिया गया था.
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की तरह से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मानित किया गया.
- विश्वेश्वरैया जी कर्नाटका के सबसे प्रसिद्ध लोगों में से एक है.
- इसके अलावा देश के आठ अलग अलग इंस्टिट्यूट के द्वारा उन्हें डोक्टरेट की उपाधि दी गई.
- विश्वेश्वरैया जी के 100 साल के होने पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में स्टाम्प निकाला.
- इनके जन्म दिवस पर समस्त भारत में इंजिनियर डे मनाया जाता है.
एम. विश्वेश्वरैया जी की मृत्यु (Mokshagundam Visvesvaraya Death)
14 अप्रैल 1962 को विश्वेश्वरैया जी की मृत्यु हो गई.
Engineer’s Day Quotes (इंजीनियर्स डे अनमोल वचन)
- एक अच्छा इंजिनियर वही हैं जो किताबी ज्ञान को वास्तविक रूप दे पाये.
- जो Ctrl + C और Ctrl + V का सही इस्तेमाल जानता हैं वही एक अच्छा इंजिनियर बन सकता हैं.
- बचपन में जो खिलोने को तोड़कर खुश होता हैं असल में वही बड़ा होकर इंजिनियर बन सकता हैं.
- जो सेशनल मार्क्स की परवाह नहीं करते अंत में वही अच्छे इंजिनियर बनते हैं.
- जो मिड टर्म में कॉलेज आना भूल जाये वही सफल इंजिनियर कहलाता हैं.
- किताबो के ज्ञान को खटमल की तरह चूस लेने से कोई इंजिनियर नहीं बनता.
- इंजिनियर सफलता से नहीं असफलता से बनता हैं.
- जो चल कर उपर जाता हैं और गिरता हुआ निचे आता हैं लेकिन फिर मुस्कुराता हुआ दौड़कर उपर जाता हैं असल में वही शिखर पर अपना घर बनाता हैं.
- हर इंसान इंजिनियर हैं कुछ मकान बनाते हैं कुछ सॉफ्टवेयर बनाते हैं कुछ मशीन बनाते हैं और कुछ सपने बनाते हैं और हम जैसे उनकी कहानियों को स्याही में डुबोकर उन्हें अमर बनाते हैं.
Engineer’s Day Shayari (इंजीनियर्स डे शायरी)
- जो ऊंचाई पर जाने से नहीं डरता
जो गिरने से नहीं डरता
जो एग्जाम से नहीं डरता
वही असल इंजिनियर हैं होता - जो खिलोने के टूटने से रोता नहीं
जो फ़ैल होने से डरता नही
कोड कितना ही फट जाये
पर वो किये बिना मानता नही
कोई पागल कहे या आवारा
यही होता हैं इंजिनियर बैचारा - जो फ़ैल होने पर हँसता हैं
जो रात में जागता दिन में सोता हैं
उल्लू नही हैं यारो
आज के टाइम में इंजिनियर कहलाता हैं - पुरे चार साल जो जानवर सा जीता हैं
जो सेशनल के पीछे कॉलेज को जाता हैं
जो 33 नंबर के लिए पूरी एक रात जागता हैं
कुछ आये ना आये एग्जामिनर के लिए जो लिखकर आता हैं
अरे भाईयों वही तो एक दिन इंजिनियर बन पाता हैं
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FAQ
Ans : 15 सितंबर के दिन
Ans : मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया
Ans : हमारे देश के इंजिनियर्स को सम्मान देने के लिए, एवं उनके कार्यों की सराहना करने के लिए.
Ans : इसकी जानकारी नहीं दी गई है.
Ans : अलग अलग जगह पर अलग अलग दिन मनाया जाता है.
Ans : इस दिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में कार्यक्रमों का योजना किया जाता है, और साथ ही इंजिनियर्स को सम्मान भी दिया जाता है.
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