वंशवाद पर निबंध लेख, इतिहास, लाभ व हानि | Dynasty Meaning, History, Poem, Essay In Hindi

वंशवाद पर लेख निबंध , इतिहास, लाभ व हानि Dynasty Meaning, History, Poem Essay In Hindi

वंशवाद अर्थ और परिभाषा निबंध Dynasty (Vanashavad) Meaning and Definition

वंशवाद का अर्थ कोई भी क्षेत्र में एक ही वंश के लगातार सत्ता या शक्ति का हस्तांतरण करना हैं, फिर चाहे वो कला हो,खेल हो या राजनीती हो. उदाहरण के लिए वैसे तो कुम्हार के अपने बेटे को कुम्हार बनाने की परम्परा सदियों से ही रही हैं लेकिन इसे वंशवाद तब तक नहीं कहा जा सकता, जब तक कि इस बात का प्रभाव बाकी के समाज पर भी ना पड़े. वंशवाद केवल तब देखने को मिलता है जब ये किसी ऐसे क्षेत्र विशेष से सम्बन्धित हो, जो कि वरिष्ठ और विशेष हो जिससे कि पूरा समाज और देश जुडा हो, जिसमे किसी व्यक्ति विशेष को बिना प्रतिस्पर्धा के मिलने वाली सफलता एक बड़े वर्ग को प्रभावित करती हो. जैसे कि राजनीति या आर्थिक सम्पन्नता लिए ऐसा क्षेत्र जहाँ पर मेहनत और योग्यता की जरुरत  हो. लेकिन सिर्फ वंशवाद के चलते अयोग्य व्यक्ति को भी अपनी योग्यता से ज्यादा सम्मान मिलना शुरू हो जाए. इसलिए यदि इसे सिर्फ राजनीति से जोडकर देखें तो गलत होगा,क्युकी वंशवाद सिर्फ लोकतंत्र का विलोम ही नहीं है बल्कि यह असमानता का  वो आधार  हैं जो किसी व्यक्ति विशेष को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को आगे बढ़ने से रोकता है. 

वंशवाद

वंशवाद की उत्पति और इतिहास (Origin and History of Dynasty)

भारत में राजवंश की स्थापना के साथ ही वंशवाद का भविष्य तय हो गया होगा, इसे मनु के वंश से शुरू होना मान सकते हैं. जिसमे एक के बाद एक कई वंशों तक होने वाले राजाओं ने राज किया. ये इक्ष्वाकु वंश था जिसके पहले राजा इक्ष्वाकु थे जो सूर्य वंश के जनक थे. इक्ष्वाकु ने कौशल राज्य पर शासन किया था, जो कि अभी उतर-प्रदेश में सरयू नदी की किनारे पर स्थित हैं. इस वंश के कई राजा हुए जिन्होंने अलग-अलग कामों से ख्याति अर्जित की, जैसे भागीरथ जो की धरती पर गंगा लाने के लिए वहीँ हर्शिचंद्र अपनी सच्चाई के लिए और राम जिन्होंने वंशवाद के वाहक होते हुए भी समाज की परिभाषा ही बदल दी, उन मुख्य नामों में से एक है जो इक्ष्वाकु वंश से आते है.

इसके बाद कुरु वंश,यादव वंश,और पूरे देश में ही अलग-अलग राज्यों में फैले हुए वंशों ने सदियों तक शासन किया. ऐसा नहीं हैं कि सिर्फ भारत में ही वंशवाद का राजनीति में प्रभाव रहा है भारत के बाहर भी यूरोपियन देशों में वंशवाद प्रबल रूप से हावी रहा हैं. भारत को अपना उपनिवेश बनाने वाले ब्रिटेन में भी एक ही वंश का शासन हुआ करता था. लेकिन इसके बढ़ते दुष्परिणाम के कारण वंशवाद को समाज से हटाना आवश्यक होने लगा. हालांकि वंशवाद का राजनीति से समूल अंत बीती सदी में ही हो सका, लेकिन इसके खिलाफ कोशिशे कई सदियों पहले शुरू हो चुकी थी.

भारत में वंशवाद के उदाहरण (Examples of Dynasty in India)

भारतीय इतिहास में वंशों का क्रमिक शासन काफी लबे समय तक रहा हैं,इन वंशों का उत्थान और पतन के कारण देश ने बहुत परिवर्तन देखे इन सभी वंशों ने किसी ना किसी तरह से इतिहास में अपनी पहचान बनाई है जिनमे मुख्य और महान वंशों के नाम निम्न है

  1. मौर्य वंश (300-184ईसा पूर्व )
  2. चन्द्रगुप्त मौर्य (324-300ईसा पूर्व)
  3. कुषाण वंश (40-176 ईसा पूर्व)
  4. कनिष्क (78-101ईस्वी)
  5. गुप्त वंश (320-550ईस्वी)
  6. वर्धन या पुश्य्भुती वंश (560-670 ईस्वी)
  7. गजनी वंश (962-1116 ईस्वी)
  8. मुहम्मद गजनी (997-1030)
  9. मुहम्मद गोरी (1186-1206 ईस्वी)
  10. गुलाम वंश (1206-1290 ईस्वी)
  11. कुतुबदीन ऐबक (1206-1210 ईस्वी)
  12. खिलजी वंश (1290-1320 ईस्वी)
  13. अला-उद्दीन खिलजी ( 1296- 1316 ईस्वी)
  14. तुगलक वंश (1320-1414 ईस्वी)
  15. मोहम्मद तुगलक (1325-1351 ईस्वी)
  16. लोढ़ी वंश (1451-1526 ईस्वी)
  17. इब्राहीम लोढ़ी (1517-1526 ईस्वी)
  18. मुघल शासक (1526-1857)
  19. बाबर (1526-1530 ईस्वी)
  20. अकबर (1556- 1605 ईस्वी)
  21. जहांगीर (1605-1627 ईस्वी)
  22. शाहजहाँ (1627-1659 ईस्वी)
  23. औरेंगजेब (1659-1707)
  24. सूरी वंश (1540-1555 ईस्वी)
  25. मराठा (1649-1818 ईस्वी)
  26. चालुक्य वंश ( 543-1156)
  27. चोल वंश (301-1279 ईसा पूर्व)
  28. बहमनी मुस्लिम राज्य( 1346-1526 ईस्वी)
  29. विजयनगर राज्य (1336-1565 ईस्वी)

वर्तमान भारत में राजनीति मे वंशवाद (Dynasty In Indian Politics)

भारत  की राजनीति में वंशवाद का काफी प्रभाव अब भी कायम हैं,जिसका सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रीय स्तर की विपक्षी पार्टी जिसने वषों तक शासन किया हैं. उसके परिवार के पीढ़ी दर पीढ़ी प्रधानमन्त्री के पद पर होना इसका उदाहरण हैं.इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में भी राजनीति का हस्तांतरण एक ही परिवार में होता रहता है. इसमें बेटा,पत्नी और भतीजे और कई बार तो दूर के रिश्तेदारों तक को शामिल किया जाता हैं. अभी के समय में 50 से ज्यादा स्थापित राजनेताओं के बच्चे राजनीति में आ चुके है और आने वाले है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ही नहीं बल्कि और भी कई नाम है जो अपने परिवार के प्रभाव से राजनीति में जगह बनाये हुए है,फिर चाहे वो उत्तर-प्रदेश हो, पंजाब हो या दक्षिण के राज्य. सब जगह लोकतंत्र के होते हुये भी  सत्ता के  हस्तांतरण की कोशिश जारी हैं उड़ीसा मात्र के ही 5 पूर्व मुख्यमंत्री इस सूची में शामिल हो चुके हैं. अभी के समय की ही यदि बात करें तो 40 साल के भीतर की उम्र के 2/3 विधायक वंशवाद की उपज हैं. कांग्रेस के अलावा जो पार्टी के नाम शामिल हैं वो हैं राष्ट्रिय लोक दल,अकाली दल,बीजू जनता दल और नेशनल कांफ्रेंस. और इन सबके  कारण जो सबसे बड़ी मुश्किल पैदा होती हैं वो हैं विकास का मार्ग अवरुद्ध होना. क्यूंकि एक ही परिवार को यदि शक्ति का लाभ मिलता रहे, तो जनता की समस्याए उनके लिए गौण हो जाती है,और शायद इसीलिए लोकतंत्र का उद्भव हुआ हैं जिससे शासन “जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा” ही हो.

कला और खेल में वंशवाद (Dynasticism in Art and Sport)

खेल में वंशवाद कितना प्रभावी है ये समय-समय पर देखने को मिलता रहता हैं.लेकिन यहाँ प्रतिभा को निखार के लिए सफलता की आवश्यकता होती है,इसलिए कोई वंश विशेष अपने उतराधिकारी पर कितनी भी कोशिश करे यदि प्रतिभा ना हो तो एक हद से आगे जाकर रुक जाती हैं. लेकिन इतना समय काफी है इसकी प्रतिस्पर्धा में अन्य प्रतिभाओं के लुप्त होने के लिए. जबकि बॉलीवुड की बात करे तो यहाँ मिलने वाले मौके और खुदको स्थापित करने के लिए समय बहुत ज्यादा हैं इसलिए सफल कलाकारों में अपने वंश को स्थायित्व प्रदान करने काफी समय मिल जाता है. लेकिन इस कारण उभरती हुई प्रतिभाए और मेहनती प्रतिभागी बहुत से सुनहरे अवसर गँवा देते हैं,ऐसे में यह मुद्दा समय-समय पर विवाद का विषय बनता रहता हैं.

वंशवाद के परिणाम (Result of dynasty)

वंशवाद के परिणामो में जो सबसे बड़ा परिणाम उभरकर सामने आया वो था अयोग्य व्यक्ति का सत्ता को हासिल करना,क्यूंकि समाज की निर्भरता पूरी तरह से एक शक्ति पर ही केन्द्रित हो जाती थी. ऐसे में यदि शासक अयोग्य या क्रूर हो तो उसे राज मिलना राज्य के आम लोगों के लिए बहुत घातक होता था.इस तरह से वंशवाद जो कहने को तो सिर्फ राजीनति से ही सम्बन्ध नहीं रखता था लेकिन इसके कारण पूरे देश को हानि होने लगी थी. और ये सामने तब आई जब कुछ शासकों का अत्याचार बहुत बढ़ गया. इसीलिए शायद स्वतन्त्रता के बाद देश को जो सबसे पहले जरूरत महसूस हुई वो थी लोकतंत्र की. इसके अलावा वंशवाद का जो प्रभाव आज भी देश में देखने को मिल रहा हैं वो हैं खेल,अभिनय,संगीत इत्यादि के क्षेत्र जहाँ प्रतिभा को प्रोत्साहन मिलना कम हो रहा हैं और वंशवाद अपना असर दिखाने लगा है. इसका परिणाम ये हैं कि सच्ची प्रतिभा को मौका नहीं मिलता और वो वंशवाद के नीचे दबकर पीछे रह जाती हैं.

वंशवाद के लाभ (advantage of dynasty)

वंशवाद के लाभ सबसे ज्यादा उस व्यक्ति को ही मिलते हैं जिन्हें वंशवाद के परिणामस्वरूप कम मेहनत में  ही सत्ता या सफलता मिल जाती हैं.राजनीति में वंशवाद का लाभ यह होता हैं कि व्यक्ति को अपने प्रभावशाली रिश्तेदार के कारण पता रहता हैं कि किस तरह से लोगों से और समस्याओं का सामना करना है.

वास्तव में वंशवाद के फायदे सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं मिलते, उसके साथ उसकी पूरी टीम होती है, जिसे इसका फायदा मिलता है,इस कारण उस फ़ायदे के लिए मेहनत भी सभी के द्वारा की जाती हैं जो की स्वत: वंशानुगत हो जाती है.इसी कारण जहाँ किसी बाहरी व्यक्ति को राजनीति,खेल,कला,साहित्य में लम्बे समय तक मेहनत और संघर्ष का सामना करना पड़ता है,वो अकेले ही सभी समस्यायों से निपटता हैं वही उस क्षेत्र में किसी वंश विशेष से संबंध रखने वाले व्यक्ति को प्रारम्भिक समस्याएं तो देखनी ही नहीं होती.

वंशवाद की हानियाँ (disadvantages of dynasty)

वास्तव में वंशवाद का सिद्धांत पितृ सत्ता को दर्शाता हैं. वंशवाद को स्थापित करने वाले हमेशा संविधान का निर्माण करना चाहते है ताकि उनकी आने वाली पीढ़िया इसका समुचित लाभ उठा सके. जबकि जो वंशवाद के साथ नहीं होते वो सदा प्रजा के हित में काम करते हैं जो की निश्चित रूप से दीर्घकालीन नहीं होता लेकिन वो प्रजा का बहुत ही फायदा पहुंचता हैं. इसीलिए एक शोध के अनुसार वंशवाद से बने राजनीतिज्ञ बिना किसी वंश के अपनी मेहनत से राजनीति में आये राजनीतिज्ञों से कम अच्छा प्रदर्शन करते हैं.

फिलीपिंस इसे समझने का  एक अच्छा उदाहरण है.1987 में लोकतंत्र के पुन:निर्माण के समय देश में 60% से भी ज्यादा प्रतिनिधि वंशवाद की उपज थे.बहुत सारे शोधों से पता चला हैं कि ये किसी भी देश की प्रगति के लिए बहुत ही हानिकारक है. 2012 में एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट में अर्थशाशस्त्र के प्रोफेसर रोलैंड मेंडोज़ा द्वारा किये गए एक शोध में ये साफ बताया गया कि राजवंशियों द्वारा बनाया जाने वाला संविधान ज्यादा गरीबी और आर्थिक असमानता को बढाता है. इससे स्वास्थय,रोजगार और विकास पर बुरा प्रभाव तो  पड़ता ही हैं, साथ ही आपराधिक गतिविधियों को भी बल मिलता हैं. फिल्लीपिंस ही नहीं ब्राजील में शहरी स्तर पर हुए शोध में भी यही  बात पाई गयी.

वंशवाद पर कविता (Poem on dynasty in hindi)

आओ देख लो मेरे रक्त का रंग

शायद वो ही है…

जिसे तुम खोज रहे हो

उस रक्त में,

जिसमें मिली हैं उसके

पूर्वजों के मेहनत की पसीने की बुँदे

जिसके कारण तुम्हे लगता हैं,

उसका रक्त हैं मुझसे कुछ अलग

लेकिन यदि मिला सको तो

मिलाना मेरा स्वेद भी उससे कभी

आह! याद आया

ये कभी नहीं होगा तुमसे

क्यूंकि

जिसने सोंखा हैं उसका  ये स्वेद

वो थी उसकी पिछली पीढ़ी

जो अब उसमे आता ही नहीं हैं

तो सौदा बराबर का मानूँ मैं??

मेरे पास उस जैसा विशेष रक्त नहीं हैं

तो उसके पास मुझसी जिजीविषा आदिप्त नहीं है||

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