पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी (Deendayal Upadhyay Biography In Hindi)
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एक महान विचारक और एक राजनेता हुआ करते थे और भारतीय जनसंघ पार्टी को बनाने में इनका अहम योगदान रहा है. इन्होंने अपनी कॉलेज के दिनों में ही राजनीति में आने का निर्णय ले लिया था और बेहद ही कम समय में इन्होंने कई उपलब्धियां हासिल कर ली थी.
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी
नाम (Name) | पंडित दीनदयाल उपाध्याय |
जन्मदिन (Birthday) | 25 सितम्बर, 1916 |
मृत्यु | 11 फरवरी, 1968 |
जन्म स्थान (Birth Place) | नगला चन्द्रभान, मथुरा, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु स्थान | मुग़लसराय, उत्तर प्रदेश |
नागरिकता (Citizenship) | भारतीय |
गृह नगर (Hometown) | उत्तर प्रदेश |
कहां से हासिल की शिक्षा (Education) | बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस और सनातन धर्म कॉलेज |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
कास्ट (Cast) | पंड़ित |
भाषा का ज्ञान (Language) | हिंदी |
पेशा (Occupation) | राजनेता |
किस पार्टी से जुड़े हुए थे | भारतीय जनसंघ पार्टी |
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के परिवार के बारे में जानकारी (Family Information)
पिता का नाम (Father’s Name) | भगवती प्रसाद |
माता का नाम (Mother’s Name) | रामप्यारी |
परदादा का नाम (Great grandfather’s Name) | पंडित हरिराम उपाध्याय |
नाना का नाम (Maternal grandfather’s Name) | श्री चुन्नलाल |
भाई का नाम (Brother’s Name) | शिवदयाल |
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म और परिवार (Birth Details And Family Details)-
- इनका जन्म सन् 1916 में उत्तर प्रदेश राज्य के चंद्रभान नामक एक छोटे से गांव में हुआ था. जब ये मात्र दो साल के थे तो उस वक्त इनके पिता का निधन हो गया था, जो कि रेलवे में बतौर एक सहायक स्टेशन मास्टर की तौर पर काम किया करते थे.
- वहीं पिता की मौत के कुछ सालों बाद ही इनकी माँ का भी स्वर्गवास हो गया था. जिसके बाद इनका और इनके छोटे भाई का लालन पालन इनके नाना श्री चुन्नलाल और मामा द्वारा किया गया था.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय 18 वर्ष के थे, तो उस समय इनके छोटे भाई का भी निधन हो गया था. जिसके बाद से ये एक दम अकेले हो गए थे. जिस वक्त इनके भाई का निधन हुआ था, उस वक्त ये नौंवी कक्षा में हुआ करते थे.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की शिक्षा (Education) –
- दीनदयाल उपाध्याय जी ने अपने जीवन की परेशानियों का असर कभी भी अपनी पढ़ाई पर पड़ने नहीं दिया और इन्होंने हर परिस्थिति में अपनी पढ़ाई जारी रखी.
- इन्होंने अपनी मैट्रिक स्तर की शिक्षा राजस्थान राज्य से हासिल की थी और इंटरमीडिएट स्तर की शिक्षा इन्होंने राजस्थान के पिलानी में स्थित बिड़ला कॉलेज से प्राप्त की थी.
- राजस्थान से इंटरमीडिएट स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने उत्तर प्रदेश के कानुपर में स्थित सनातन धर्म कॉलेज में प्रवेश ले लिया था और साल 1936 में इस कॉलेज से प्रथम स्थान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.
- स्नातक स्तर की पढ़ाई करने के बाद इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर करने के लिए आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज में दाखिला लिया था, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते इन्हें अपनी ये पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय से जुडी निजी जानकारी (Personal Details) –
- दीनदयाल उपाध्याय जी पढ़ाई में काफी तेज हुआ करते थे और मैट्रिक की परीक्षा में प्रथम आने पर इन्हें सीकर के महाराजा कल्याण सिंह की और से 10 रुपये और 250 रुपये की मासिक छात्रवृत्ति और स्वर्ण पदक दिया गया था.
- जिस वक्त पंडित दीनदयाल उपाध्याय अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा ले रहे थे, उसी वक्त इनके चचेरी बहन राम देवी का निधन हो गया था. जिसके कारण ये अंग्रेजी साहित्य की परीक्षा नहीं दे पाए थे और इनकी ये पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी थी.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने प्रांतीय सेवा परीक्षा को पास कर लिया था और इन्हें सरकारी नौकरी भी लग गई थी. लेकिन इन्होंने राजनीति में आने के चलते अपनी नौकरी को छोड़ने का निर्णय ले लिया था.
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपने जीवन में विवाह नहीं किया था और इन्होंने अपना सारा जीवन अपनी पार्टी को समर्पित कर दिया था.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का करियर (Political career)
आरएसएस के प्रचारक
- जिस वक्त पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी अपने स्नातक स्तर की शिक्षा हासिल कर रहे थे. उसी वक्त ही ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए थे और ये आरएसएस के प्रचारक बन गए थे. सन् 1955 में इन्हें लखीमपुर जिले में आरएसएस का प्रचारक नियुक्त किया गया था और आरएसएस का प्रचार करने की जिम्मेदारी इन्हें दी गई थी.
- हालांकि प्रचारक बनने से पहले इन्होंने सन् 1939 और 1942 में संघ की शिक्षा का प्रशिक्षण लिया था और इस प्रशिक्षण के बाद ही इन्हें प्रचारक बनाया गया था.
भारतीय जनसंघ पार्टी में रही अहम भूमिका (Bharatiya JanSangh Party)
साल 1951 में भारतीय जनसंघ की नींव रखी गई थी और इस पार्टी को बनाने का पूरा कार्य इन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर किया था. इस पार्टी के गठन के बाद उपाध्याय जी को इस पार्टी का महासचिव भी चुना गया था और ये पार्टी आरएसएस से जुड़ी हुई थी जो हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा रखती थी. वहीं सन् 1977 में ये पार्टी, जनता पार्टी के नाम से प्रसिद्ध हो गई थी और साल 1980 में इस पार्टी का नाम भारतीय जनता पार्टी हो गया था.
पत्रकार के रूप में भी किया है कार्य
- इन्होंने बतौर पत्रकार के रूप में भी कार्य कर रखा है और ये काफी प्रसिद्ध पत्रकार रह चुके हैं. इन्होंने राष्ट्रधर्म नामक अखबार के लिए काफी लेख लिखे थे.
- इन्होंने साप्ताहिक पंचंज्या और दैनिक स्वदेश नामक दो अखबार भी शुरू किए थे. इसके अलावा इन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य पर एक नाटक भी लिखा था और शंकरचार्य के जीवन पर एक किताब भी लिखी थी.
दीनदयाल उपाध्याय का निधन (Death)
दीनदयाल उपाध्याय का निधन अचानक ही हो गया था और किसी ने भी इस महान नेता के निधन की कल्पना नहीं की थी. जिस वक्त इनकी मृत्यु हुई थी उस वक्त इनकी आयु महज 51 साल की थी और ये उस समय जनसंघ पार्टी से जुड़े हुए थे.
कैसे हुआ निधन
- 10 फरवरी, 1968 को ये अपनी पार्टी से जुड़े कार्य के लिए लखनऊ से पटना जाने वाली रेल में रवाना हुए थे और इसी दौरान इनकी हत्या कर दी गई थी.
- इनका शव अगले दिन में रहस्यमय परिस्थितियों में मुगलसराय रेलवे स्टेशन के पास मिला था. जब इनका शव मिला था, तो किसी को भी नहीं पता था कि ये दीनदयाल उपाध्याय जी हैं और इनके शव की पहचान काफी देर बाद की गई थी. वहीं इनकी हत्या किसने की थी इस बात का पता नहीं चल पाया था.
दीनदयाल उपाध्याय की उपलब्धि (Achievement)
- दीनदयाल उपाध्याय जी ने जो अपनी सेवाएं भारतीय जनसंघ पार्टी और आरएसएस को दी थी, उसको अभी भी बीजेपी पार्टी के द्वारा याद रखा गया है और इस पार्टी द्वारा इनकी याद में कई तरह के कार्य भी किए गए हैं.
- बीजेपी पार्टी की और से कई योजनाओं का नाम इनके नाम पर रखा गया है. जैसे दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना और दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना.
- इतना ही नहीं प्रधान मंत्री मोदी जी ने कई सार्वजनिक संस्थानों का नाम इनके नाम पर परिवर्तित कर दिया है. इसके अलावा इनके नाम पर एक कॉलेज और अस्पताल भी है.
दीनदयाल उपाध्याय जी से जुड़े विवाद (Controversy)
स्टेशन का नाम बदलने से जुड़ा विवाद
जिस मुगलसराय स्टेशन पर इनका शव मिला था उस स्टेशन का नाम बदलकर इनके नाम रखने का प्रस्ताव हाल ही में पेश किया गया है और इस प्रस्ताव का विरोध समाजवादी पार्टी और अन्य पार्टियों द्वारा किया गया है. हालांकि लाख विरोध के बावजूद भी इस स्टेशन का नाम साल 2018 में परिवर्तित कर दिया गया.
दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिन को लेकर विवाद
साल 2017 में केरल के सभी सरकारी स्कूलों को इनका जन्म दिवस मनाने से जुड़ा हुए एक परिपत्र, केरल निदेशक लोक निर्देश (डीपीआई) द्वारा जारी किया था. जिसका विरोध केरल छात्र संघ (केएसयू) द्वारा किया था गया. इस संघ का कहना था कि इनके जन्म दिवस के माध्यम से केरल की राज्य सरकार स्कूलों में आरएसएस का एजेंडा लागू करना चाहित है.
दीनदयाल उपाध्याय से जुड़ी अन्य जानकारी (Interesting Facts)
- इन्होंने अपनी पार्टी की और से उत्तर प्रदेश राज्य से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन दीनदयाल उपाध्याय जी इस चुनाव को हार गए थे.
- ये अपनी पार्टी के प्रथम महासचिव थे और ये इस पद पर सन् 1951 से लेकर सन् 1967 तक बने रहे थे. इसके अलावा ये 43 दिनों तक 29 दिसंबर, 1967 से लेकर 10 फरवरी, 1968 तक जनसंघ पार्टी के राष्ट्रपति भी रहे थे.
- कहा जाता है कि जब ये महज आठ साल के थे तो इनके घर में डकैतों ने हमला कर दिया था और इनका घर लूटने लगे थे. वहीं दीनदयाल उपाध्याय ने बिना किसी डर के इन डकैतों का सामना किया था और इनसे कहा था कि आप गरीब लोगों को क्यों लुट रहे हैं. जिसके बाद ये डकैत बिना कोई लुटपाट किए इनके घर से चले गए थे.
निष्कर्ष
भारत की राजनीति आज जिस स्तर पर है उसे बनाने के पीछे कई महान लोगों का योगदान रहा है और इन्ही महान लोगों में से एक दीनदयाल उपाध्याय जी भी थे. जिन्होंने हमारे देश को एक मजबूत राजनीतिक पार्टी देने का कार्य किया था.
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