भारत के प्रमुख व लम्बे बांध के नाम की सूची | List of top and longest Dams name in India with River and State in hindi
किसी भी स्थान का मौसम सदैव एक जैसा नहीं रहता. ये समय समय पर बदलता रहता है. मनुष्य को हर मौसम में जीते रहने के लिए कई तकनीकें अपनानी पड़ती हैं. बांध का आविष्कार भी उसी तकनीक से हुआ है. बांध की सहायता से किसी नदी अथवा नहर के पानी के बहाव को अवरुद्ध करके संचित किया जाता है. इस संचित जल का प्रयोग कालांतर में विभिन्न तरह से किया जाता है. सिंचाई, जल विद्युत् उत्पादन, कृत्रिम झील का निर्माण, विभिन्न शहरों में जल की पूर्ति, बाढ़ से बचने, नदी या नाहर के बहाव को संतुलित रखने आदि के लिए बांध का प्रयोग होता है. भारत में बहुत से बांधों का निर्माण हुआ है जिनके बारे में यहाँ दर्शाया गया है.
बांध का निर्माण (Dam construction method)
बांध आवश्यकतानुसार अलग अलग तरह से बनाया जाता है. इसके निर्माण के लिए मुख्यतः कंक्रीट का इस्तेमाल होता है. बांध बनाने के लिए अनुकूल जगह तय कर लेने के बाद अभियंता उसकी आकृति का निर्माण करते हैं. ये आकृति बांध के बनने की वजह पर निर्भर कर सकती है.
बांध के प्रकार (Dam Types)
बांध आवश्यकता के अनुसार कई तरह के होते हैं. लेकिन इनमें निम्न बहुत कॉमन हैं.
- अर्क बांध
- ग्रेविटी बांध
- अर्क-ग्रेविटी बांध
- बर्रगेस बांध
- तटबन्ध बांध
- रॉक फिल
- कंक्रीट फेस रॉक फिल बांध
- धरती भरने के बांध आदि
बांध बनाने से लाभ (Advantages of dams)
बांध बनाने के कई उद्देश्य हो सकते हैं. इनमे कुछ मुख्य उद्देश्यों का वर्णन नीचे किया जा रहा है.
- बांध का निर्माण विद्युत् उत्पादन के उद्देश्य से किया जाता है. विश्व भर के विद्युत् आपूर्ति में जल विद्युत् एक अहम् भूमिका निभाता है. कई देशों में बहुत ही बाधी और गह्रती नदियाँ मौजूद हैं. इस नदियों के जल में बांध बनाकर एकत्रित किया जाता है, और इस एकत्रित जल की सहायता से विद्युत् का उत्पादन होता है.
- कई शहरी क्षेत्रों में जल की कमी अक्सर देखी जाती है. इस कमी को पूरा करने के लिए बड़ी बड़ी नदियों का जल बांध बनाकर एकत्रित किया जाता है. आवश्यकता पड़ने पर शहर की तरफ इन बांध का पानी संयमित रूप से छोड़ा जाता है.
- कई बड़ी नदियों के जल, जो बहुत असंतुलित तरह से बहते हैं, उनकी गति को नियंत्रित करने और तटीय क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए बांध का निर्माण होता है. इन बाँधों का जल अक्सर सिंचाई आदि के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है.
- नदी के बहाव को मोड़ने के लिए भी बांध का इस्तेमाल होता है. किसी नदी को आवश्यकतानुसार किसी विशेष स्थान की तरफ ले जाने के लिए बांध का निर्माण करना होता है.
भारत के प्रमुख व लम्बे बांध के नाम की सूची ( List of top and longest Dams name in India with River and State in hindi)
भारत नदियों से भरा हुआ देश है. इस देश के लगभग हर क्षेत्र में अलग – अलग तरह की छोटी- बड़ी नदियाँ पायी जाती है. इन नदियों पर राज्य या केंद्र सरकार की तरफ से बांध बना कर जनहित में कई रूप से इस्तेमाल किया जाता है. नीचे कुछ प्रमुख बांधों के नाम के साथ उनके कुछ विवरण दिए जा रहे हैं.
- निज़ाम सागर बांध : ये बांध भारत के तेंलागना राज्य में मंजीरा नदी के ऊपर बनाया गया है. ये ‘अर्थेन’ क़िस्म का बांध है. ये हैदराबाद के निज़ामाबाद ज़िले में है और 21, 694 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस बांध के निर्माण का मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जल विद्युत् उत्पादन है. हैदराबाद के तात्कालिक शासक मीर उस्मान अली खान द्वारा सन 1923 में इस बांध की नींव पड़ी और सन 1931 में इस बांध का निर्माण पूरा हुआ.
- सोमासिला बांध : ये भी एक ‘अर्थेन’ क़िस्म का बांध है. इसका निर्माण आँध्रप्रदेश के पेन्नार नदी पर हुआ है. ये आँध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले के अत्मकुर नामक स्थान पर है. ये सन 1981 में बनना शुरू हुआ और सन 1989 में ये पूरी तरह से बन कर तैयार हो गया.
- श्रीसैलम बांध : ये भी अर्थेन तरह का बांध है. ये आँध्रप्रदेश के कुमुल ज़िले में कृष्णा नदी के ऊपर स्थित है. इस बांध को बनाने का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत् उत्पादन है. इसका निर्माण सन 1960 में शुरू हुआ और 21 साल के बाद सन 1981 में बन कर ये पूरी तरह तैयार हो गया.
- सिंगुर बांध : सिंगुर बांध भी भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित है. यह बांध अर्थेन और ग्रेविटी प्रकार से निर्मित है. ये तेलंगाना के मेदक जिले में मंजीरा नदी के ऊपर निर्मित है. इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युत् और पेयजल की पूर्ती है. इसका निर्माण सन 1979 में शुरू हुआ और दस वर्ष बाद सन 1989 में पूरी तरह बन कर तैयार हो गया.
- उकाई बांध : अर्थेन और मसूरी तरह का ये बांध 62, 255 वर्ग किमी में फैला हुआ है. ये सूरत और ताप्ति ज़िले के बॉर्डर पर ताप्ति नदी के ऊपर निर्मित है. इसका मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, जल विद्युत् उत्पादन और सिंचाई है. इसका निर्माण सन 1964 से सन 1972 के बीच हुआ.
- धरोही बांध : धरोई बांध गुजरात के पालनपुर ज़िले में साबरमती नदी के ऊपर निर्मित है. ये गुजरात के मेहसाना और साबरकांठा ज़िले के बीच स्थित है. इस बांध के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण आदि है. ये सन 1971 में बनना शुरू हुआ और सन 1978 तक बन के तैयार ही गया. लगभग नौ गाँव आंशिक रूप से और 28 गाँव पूर्ण रूप से इस बांध पर आश्रित हैं.
- सरद सरोवर बांध : ये एक तरह का ग्रेविटी बांध है. ये गुजरात के नवग्राम में नर्मदा नदी के ऊपर निर्मित है. इसका निर्माण सन 1987 में शुरू हुआ था. इस बांध का मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जल विद्युत् उत्पादन है. नर्मदा नदी पर बने बाँधों में ये सबसे बड़ा बांध है.
- सुखी बांध : गुजरात के वड़ोदरा जिले में सुखी नदी पर स्थित यह बांध एक तरह का तटबंध बांध है. इसका निर्माण 1978 साल में शुरू हुआ और ये सन 1987 तक बन के तैयार हो गया. इस बांध का मुख्य उद्देश सिंचाई है और इसके प्रयोग से लगभग 77 हज़ार एकड़ ज़मीन की सिंचाई होती है. इस बांध की लम्बाई 4256 मीटर है.
- भाकर बांध : भाकर एक ग्रेविटी बांध है. यह हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में सतलुज नदी के ऊपर बना हुआ है. इस बांध का निर्माण सन 1948 में शुरू हुआ था, और सन 1963 में ये बन के तैयार हो गया. ये भारत का तीसरा सबसे बड़ा जल संग्रह है. इस बांध का मुख्य उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युत् उत्पादन और मछली पालन है. इस बांध से उत्पन्न जल विद्युत् हिमाचल के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली आदि कई जगहों पर होती है. इस बांध का जलाशय गोविन्द सागर के नाम से जाना जाता है. बहुत बड़े क्षेत्र में फैले होने की वजह से ये एक तरह का टूरिस्ट प्लेस बन गया है. कई लोग घूमने के ऐतबार से इस जगह पर आते हैं.
- किशो बांध : ये भी एक तरह का ग्रेविटी बांध है. ये हिमाचल प्रदेश में यमुना नदी से निकली टौंस नदी पर निर्मित है. इस बांध के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत् उत्पादन और पेय जल की पूर्ति करना होता है. इस बांध से प्राप्त जल विद्युत् एक 660 मेगावाट की पॉवर स्टेशन को चलाने के लिए उत्तम है. इस बांध के जल से लगभग 97, 076 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई होती है.
- नाथपा बांध : हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में सतलुज नदी के ऊपर ये बांध निर्मित है. ये एक कंक्रीट ग्रेविटी बांध है जिसका निर्माण सन 1993 में शुरू हुआ था और 2004 में पूरा हुआ. इस बांध का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत् उत्पादन है. इस बांध के जल संचय से 1500 मेगावाट बिजली की उत्पति होती है.
- कडाना बांध : ये बांध गुजरात के पंचमहल जिले में माही नदी के ऊपर निर्मित है. ये कुल 25520 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. ये 1979 से सन 1989 के बीच बना. इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युत् उत्पादन और आस पास के इलाकों की बाढ़ से रक्षा करना है.
- दांतीवाडा बांध : ये एक अर्थेन किस्म का बांध है. ये गुजरात के बनासकांठा जिले में बनास नदी पर बना हुआ है. ये साल 1965 से इस्तेमाल में लाया जा रहा है. ये गुजरात के पालनपुर शहर के पास स्थित है. इस बांध का मुख्य उदेश्य सिंचाई है. लगभग 111 गाँव का विकास इस बांध के ऊपर निर्भर करता है.
- पंडोह बांध : ये एक तटीय बांध है. हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में मनाली के पास इसका निर्माण व्यास नदी के ऊपर हुआ है. इसका निर्माण सन 1967 से सन 1977 के बीच हुआ. इस बांध का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत् उत्पादन है. इस बांध से लगभग 990 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.
- चमेरा बांध : ये एक कंक्रीट ग्रेविटी बांध है. हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में रावी नदी पर इसका निर्माण विभिन्न उद्देश्यों से हुआ है. इस बांध को बनाने का मुख्य उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युत् उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण आदि है. ये सन 2001 से इस्तेमाल हो रहा है. ये लगभग 470 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इस बांध से 990 मेगावाट तक विद्युत् उर्जा उत्पन्न होती है.
- बगलिहार बांध : ये बांध जम्मू कश्मीर के दोडा जिले में चेनाब नदी पर बना हुआ है. ये एक कंक्रीट ग्रेविटी बांध है. इस बांध का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत उत्पादन है. इस बांध में संचित जल से लगभग 900 मेगावाट तक की बिजली उत्पन्न होती है. ये सन 2008 से इस्तेमाल हो रहा है.
- दमखर जलविद्युत बांध : ये एक कंक्रीट बांध है, जिसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य आस पास के क्षेत्रों में विद्युत की आपूर्ति करना है. ये जम्मू कश्मीर के लेह जिले में इंडस के नदी ऊपर बना हुआ है. ये सन 2003 से इस्तेमाल में लाया जा रहा है. इस बांध से 45 मेगावाट तक की बिजली आपूर्ति की जा रही है.
- उरी जल विद्युत बांध : ये बांध जम्मू कश्मीर और पकिस्तान बॉर्डर पर लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल के बहुत क़रीब में स्थित है. इससे 480 मेगा वाट तक की बिजली आपूर्ति की जा सकती है. ये जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले में स्थित है. ये झेलम नदी पर बना हुआ है. इसका निर्माण दो प्रोजेक्ट के तहत पूरा हुआ. पहले प्रोजेक्ट के तहत सन 1997 में पूरा हुआ और दूसरा 2007 में पूरा हुआ.
- मैथन बांध : ये बांध झारखण्ड के धनबाद जिले में बराकर नदी पर स्थित है. इस बांध का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत् उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, और सिंचाई है. ये आसनसोल के पास ही स्थित है. ये सन् 1958 से काम में लगाया जा रहा है. इस बांध में संचित जल से 60 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन है.
इन बांधों के अलावा जगह जगह पर कई अन्य बांध भी बनाये गये हैं. इनमे तेहरी, हरंगी, कदरा, चांडिल, मुला, तानसा, गिरना, वैतरण, गिरना, पंशेत, विल्सन आदि बांध प्रमुख हैं.
भारत का सबसे बड़ा बांध (India’s most biggest dam)
भारत का सबसे बड़ा बांध टिहरी बांध है. ये उत्तराखंड में भागीरथी नदी के ऊपर स्थित है. ये एक तटीय बांध है. इस बांध का निर्माण कई अलग अलग कारणों से हुआ है. इस बांध की ऊंचाई 260 मीटर और लम्बाई 575 मीटर है. इस बांध में संचित जल से विद्युत उत्पादन के साथ साथ बहुत बड़े पैमाने पर सिंचाई भी होती है. इस बांध के जलाशय का आयतन 2.6 घन किलोमीटर है.
टिहरी बांध से लाभ (Tehri dam benefits)
टिहरी बांध के कई लाभ है. इससे 2400 मेगा वाट तक की बिजली उत्पन्न की जाती है, जो एक बहुत बड़े क्षेत्र की बिजली आपूर्ति करता है. यहाँ पर संचित जल से दिल्ली में रहने वाले लगभग 40 लाख लोगों को पेय जल की प्राप्ति होती है. उत्तराखंड में लगभग 30 लाख लोगों के पेय जल की पूर्ती भी इसी बांध से होती है. उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार के समुद्र तल से नीचे स्थित शहरों में बाढ़ के खतरे को कम करता है. इस बांध से कई लोगों को रोज़गार की प्राप्ति होती है. उत्तराखंड के कुल बिजलीखपत का 12 प्रतिशत इसी बांध से मुहैया हो जाता है.
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