कॉर्नफ्लोर और मक्के का आटा क्या है, इसके फायदे एवं उपयोग, मक्के के आटा और कॉर्न फ्लोर में अंतर, पोषक तत्व, स्टोरेज, नुकसान (White Cornflour Benefits and Uses, Difference between Cornflour or cornmeal flour in Hindi, Ararot, Side Effects, Nutrition Value)
दुनिया में कई तरह के अनाज उगाये जाते हैं, जोकि अलग – अलग तरह से उपयोग किये जाते हैं. जिसके विभिन्न फायदे भी होते हैं. आज हम ऐसे ही एक अनाज के स्टार्च रूप के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका उपयोग कई तरह के खाद्य पदार्थों को बनाते समय किया जाता है और वह काफी फायदेमंद भी होता हैं. उस अनाज का नाम मक्का है और यहाँ हम मक्का के स्टार्च रूप यानि मक्के के आटे (कॉर्नफ्लोर) की बात करने जा रहे हैं. तो आइये जानते हैं मक्के के आटे के उपयोग एवं उसके फायदे के बारे में.
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कॉर्नफ्लोर क्या होता है (Cornflour in Hindi)
कॉर्नफ्लोर एक तरह के मक्के के आटे का स्टार्च होता है, जिसे आजकल खाने में काफी इस्तेमाल किया जाता है। इसको सबसे ज्यादा चाईनीज खाने में इस्तेमाल करते हैं। जैसे मंचूरियन बनाने में, चिल्ली पटेटो आदि। इससे आपके खाने में एक अलग थीकनैस आती है साथ ही खाने का टेस्ट भी अलग हो जाता है। ये दिखनें में सफेद कलर का होता है, और मार्किट में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसका सेवन आप बस सब्जी या इसी तरह के व्यंजन के रूप में कर सकते हैं आप इसकी रोटी बनाकर नहीं खा सकते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल आप सिर्फ डिप फ्राई और ग्रेवी वाली सब्जी में ही करें।
मक्के के आटे और कॉर्नफ्लोर में अंतर (Difference b/w Cornflour or cornmeal flour)
कॉर्नफ्लोर, मक्के के आटे से थोड़ा अलग होता है. मक्के का आटा कॉर्नमील फ्लोर (cornmeal flour) होता है, क्योंकि यह मक्के के दानों को सुखाकर पीसकर बनाया जाता हैं, मक्के का आटा आमतौर पर पीला होता है. यह दरदरा या बारीक होता है.
जबकि कॉर्नस्टार्च (corn starch) या कॉर्न फ्लोर (Cornflour) मक्के का स्टार्च होता है. कॉर्न फ्लोर बनाने के लिए मक्के के दानों से छिलका हटाकर पीसकर बनाया जाता है. यह सफेद रंग का पाउडर की तरह होता है. इसकी बनावट चिकनी एवं स्मूथ होती हैं, जोकि बहुत हद तक गेंहू के आटे (मैदा) की तरह होती है.
कॉर्नफ्लोर में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrition Value in Cornflour)
कॉर्नफ्लोर की एक बड़ी चम्मच में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की सूची हम यहाँ प्रदर्शित करने जा रहे हैं –
पोषक तत्व | पोषक तत्वों की मात्रा |
एनर्जी | 44 कैलोरीज |
प्रोटीन | 1.1 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 9.1 ग्राम |
फैट | 0.5 ग्राम |
फाइबर | 1.2 ग्राम |
विटामिन बी 1 (थियामाइन) | 0.17 mg |
विटामिन बी 2 (राइबोफ्लेविन) | 0.09 mg |
विटामिन बी 3 (नियासिन) | 1.17 mg |
फोलेट विटामिन बी 9 | 27.9 एमसीजी |
कैल्शियम | 16.9 mg |
आयरन | 0.86 mg |
मैग्नीशियम | 13.2 mg |
फॉस्फोरस | 26.7 mg |
जिंक | 0.22 mg |
पोटैशियम | 35.7 mg |
कॉर्नफ्लोर के उपयोग (Uses of Cornflour)
कॉर्नफ्लोर का उपयोग मुख्य रूप से रसोईघर में किया जाता हैं, लेकिन इसके साथ ही साथ यह कुछ बीमारियों के लिए मेडिकल थेरेपी के रूप में भी उपयोग होता है. इस उत्पाद का उपयोग कहाँ – कहाँ किया जाता है, इसके बारे में जानकारी इस प्रकार है –
- आपके रसोई घर में कॉर्नफ्लोर का उपयोग कटलेट, कोफ्ता या इसी तरह के कुछ डीप फ्राइड फूड बनाते समय इसे बांधने के लिए किया जाता है.
- इसके अलावा जब आप कोई सॉस, स्टेव और सूप बनाते हैं, तब उसे गाढ़ा करने के लिए भी कॉर्नफ्लोर का उपयोग किया जाता है.
- जब आप दूध को गाढ़ा कर कुछ बनाना चाहते हैं, किन्तु दूध पतला होने के कारण वह जल्दी गाढ़ा नहीं हो पाता हैं, तब आप उस समय दूध में थोड़ा सा कॉर्नफ्लोर घोल कर मिला सकते हैं. ऐसे करने से दूध को गाढ़ा करने में मदद मिलती हैं. इससे कई स्वादिष्ट व्यंजन जैसे आइसक्रीम आदि घर पर बनाये जा सकते हैं.
- यह आमतौर पर पाउडर चीनी में एक एंटीकैकिंग एजेंट के रूप में शामिल किया जाता है. इसे अरारोट का सब्सटीट्यूट भी कहा जा सकता है.
- कॉर्नस्टार्च का उपयोग बेकिंग के पहले फलों को कोट करने के लिए भी किया जा सकता है, जिससे आप उससे पाई, टार्ट और अन्य डिजर्ट बना सकते हैं. कॉर्नस्टार्च की पतली परत फलों के रस के साथ मिश्रित होती है, और फिर इसे बेक करती है.
- कॉर्नस्टार्च को एक एंटी-कैकिंग एजेंट के रूप में भी उपयोग किया जाता है. कटा हुआ पनीर को अक्सर कॉर्नस्टार्च के पतले से घोल के साथ लपेटा जाता है ताकि जब इसे सेंका जाए तो यह बिखरे नहीं. और इससे पनीर अच्छी तरह से और एक सा सिक जाता है.
- खाने के व्यंजनों के अलावा कॉर्नफ्लोर या कॉर्नस्टार्च का उपयोग बेबी पाउडर में भी किया जाता है. कॉर्नस्टार्च का उपयोग बायोप्लास्टिक्स एवं एयरबैग के निर्माण में भी किया जा सकता है.
- इसके साथ ही चिकित्सा में भी कोर्नस्टार्च का उपयोग होता है, दरअसल कोर्नस्टार्च या कॉर्नफ्लोर प्राकृतिक लेटेक्स से बने मेडिकल उत्पादों जिसमें कंडोम्स, डायाफ्राम और मेडिकल ग्लव्स शामिल है. में एक पसंदीदा एंटी – स्टिक एजेंट होता हैं.
- ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज वाले लोगों के लिए ब्लड शुगर के स्तर को बनाये रखने के लिए कॉर्नफ्लोर उपयोगी होता हैं, क्योंकि इसमें ग्लूकोस की सप्लाई को सक्षम करने के गुण मौजूद होते है. इसका उपयोग 6 से 12 महीने की उम्र में शुरू किया जा सकता है, जिससे ग्लूकोस के उतार – चढ़ाव को रोका सकता है.
इस तरह से कॉर्नफ्लोर का उपयोग अपने दैनिक जीवन में किया जाता है.
कॉर्नफ्लोर के फायदे (Benefits of Cornflour)
- कॉर्नफ्लोर में ग्लूटेन नहीं होता है, और इसका उपभोग केवल वे लोग करते हैं, जो गेंहू और इसके उत्पाद जैसे मैदा और सूजी को स्टोक करके रखने में असमर्थ होते हैं. उनके लिए यह अच्छा विकल्प है.
- मूल रूप से कॉर्नफ्लोर में विशेष प्रकार का पॉलीफेनोल्स एंटीओक्सिडेंट होता हैं. जोकि आपके शरीर की सूजन को कम करके आपके स्वास्थ्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
- आश्चर्य की बात यह है, कि इसमें फाइबर की मात्रा अच्छी होती है. प्रत्येक बड़ी चम्मच में लगभग 1 ग्राम फाइबर मौजूद होता है. जोकि एक वयस्क मानव शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है. इसी तरह से इसमें प्रोटीन भी अधिक मात्रा में होता है.
- इसमें मौजूद अघुलनशील फाइबर जैसे ऐमिलोस, सेल्यूलोस और लिग्निन के कारण यह पाचन क्रिया को आसान कर देता हैं, जोकि आँतों के लिए लाभकारी होता है.
कॉर्नफ्लोर से होने वाले नुकसान (Effects of Cornflour)
कॉर्नफ्लोर एक ऐसा उत्पाद हैं जिसके फायदे के साथ – साथ कई सारे नुकसान भी है, जोकि इस प्रकार है –
- ऑर्गेनिक रूप में उगाये गये कॉर्न जिसको आटा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, उसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और रेसिस्टेंट स्टार्च होता है, जो शरीर के विभिन्न भागों के सुचारू रूप से संचालन करने में मददगार होता है. किन्तु अधिकतर बाजार में उपयोग किये जाने वाले कॉर्न जेनेटिकली रूप से संशोधित किये जाते हैं, और साथ ही उस पर खतरनाक कीटनाशकों के छिड़काव भी किये जाते हैं. जोकि मानव शरीर के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होता है. एक शोध से पता चला हैं कि यह सभी फ्रक्टोस कॉर्न सिरप में अधिक होता हैं, जोकि कैंसर, फैटी लीवर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी बीमारियों से जुड़े हैं.
- इसे जब जेनेटिकली रूप से संशोधित किया जाता हैं, तो काफी हद तक इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है. यह फ़ाइटिक एसिड में उच्च होता है, जो शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने और उसका उपयोग करने से रोकता है.
- कॉर्नफ्लोर में बहुत अधिक कैलोरीज एवं कार्बोहाइड्रेट होता है, जोकि वजन कम करने के लिए बाधा उत्पन्न करता है. इसमें अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होने के कारण यह डायबिटीज के मरीज के शरीर में ब्लड ग्लूकोस के स्तर को तुरंत बढ़ा देता है, जो बाद में फैट में परिवर्तित हो जाता है. इसलिए यह डायबिटीज एवं मोटापा की बीमारी वाले लोगों के लिए वजन कम करने वाली डाइट में शामिल नहीं किया जाता है.
- कॉर्नफ्लोर का अधिक मात्रा में उपयोग होने से यह आपके शरीर में एलडीएल को बढ़ा सकता हैं जोकि एक खराब कोलेस्ट्रॉल होता है. यदि यह आपके शरीर में ऑक्सीडाइज्ड हो जाता है तो यह एथेरोस्क्लेरोसिस का कारण बन सकता है. साथ ही इसका अधिक उपयोग करने से हृदय सम्बंधित समस्याएं भी हो सकती हैं.
नोट :- हालाँकि यह सब चीजें कॉर्न की सोर्सिंग और प्रोसेसिंग पर निर्भर करती है, कि आटा स्वस्थ है या नहीं. तो आप सेफ साइड के लिए पैक किये गये कॉर्न का उपयोग करने के बजाय ताजे कॉर्न का इस्तेमाल करें और घर पर ही आटा बनाएं, जो उपयोग करने में आसान एवं स्वस्थ होगा.
कॉर्नफ्लोर का स्टोरेज (Storage of Cornflour)
चूंकि कॉर्नफ्लोर या कॉर्नस्टार्च नमी को अवशोषित करता है, इसलिए इसे एयर – टाइट कंटेनर में रखना चाहिए, जिससे यह नमी के संपर्क में नहीं आयेगा. इसे अत्यधिक गर्म स्थान पर नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सील किये हुए कंटेनर में रखकर उस कंटेनर को ठंडी और सूखी जगह पर रखा जाना चाहिए. यदि यह सही तरीके से स्टोर किया गया हैं, तो यह कई सालों तक चल जाता है.
इस तरह से कॉर्नफ्लोर के फायदे के साथ – साथ कुछ नुक्सान भी हैं, अतः इसका उपयोग अधिक मात्रा में न करना आपके लिए बेहतर होगा.
FAQ
Ans : मक्के का आटा बनाने के लिए मक्के के दानों को सुखाकर उसे पीसा जाता है. यह दरदरा होता है, जो पीले रंग का होता है. जबकि कॉर्न फ्लोर मक्के की उपरी परत को निकालकर पीसा जाता है. यह एक चिकना और सफ़ेद होता है.
Ans : यह आटा दरदरा होता है, इसका उपयोग पराठे, मक्के की रोटी, बाफले, ढोकले बनाने में किये जाता है. जबकि कॉर्न फ्लोर का उपयोग बिलकुल अलग होता है.
Ans : कॉर्न फ्लोर से किसी तरह की रोटी पराठे तो नहीं बनाये जाते है, लेकिन इसे किसी भी स्नैक जैसे कटलेट, रोल, डीप, पास्ता आदि में उपयोग किया जाता है.
Ans : एनर्जी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर
Ans : डीप फ्राई फूड, सूप आदि के लिए किया जाता है।
Ans : कॉर्नफ्लोर में ग्लूटेन नहीं होता है।
Ans : कैंसर, फैटी लीवर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसे रोग हो सकते हैं।
Ans : इसे एयर – टाइट कंटेनर में रखना चाहिए, जिससे यह नमी के संपर्क में नहीं आयेगा।
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