कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल | Cambridge Analytica scandal Details In Hindi
कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल राजनीति से जुड़ा हुआ एक नया स्कैंडल है. इस स्कैंडल के सामने आने से कई राजनीति पार्टियों की जीत पर सवाल उठ रहे हैं. इस स्कैंडल का खुलासा अभी हाल ही में हुआ है और इस स्कैंडल को अंजाम देने के पीछ कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी का हाथ है.
आखिर क्यों इस स्कैंडल के चलते अमेरिका के राष्ट्रपित चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को मिली जीत पर सवाल उठ रहे हैं और इस स्कैंडल से जुड़ी अन्य जानकारी नीचे इस लेख में दी गई है.
कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी और इस स्कैंडल की जानकारी (Cambridge Analytica scandal Information In Hindi)–
कैम्ब्रिज एनालिटिका डाटा माइनिंग और डेटा विश्लेषण के जरिए कैम्पेनिंग का कार्य करती है. इस कंपनी को साल 2013 में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर शुरू किया गया था. इस कंपनी के स्थापक क्रिस्टोफर वाइली और स्टीव बेनन थे. इन दोनों ने साथ मिलकर इस कंपनी की नींव रखी थी और अमेरिका के व्यापारी रॉबर्ट मर्सर ने इस कंपनी में निवेश किया था.
ये कंपनी राजनीति पार्टी को चुनाव जिताने के लिए कैम्पेनिंग तैयार करती है और ये सुनिश्चित करती है, वो अपने क्लाइंट को चुनावों में जीत दिलाए. इस कंपनी ने साल 2015 में अमेरिका के राजनेता टेड क्रुज के प्रेसिडेंटियल कैंपेन का काम देखा था. इसके बाद इस कंपनी ने साल 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति अभियान के लिए और यूरोपीय संघ से यूनाइटेड किंगडम के अलग होने के लिए भी एक अभियान बनाया था.
वहीं इसी साल मार्च के महीने में अमेरिका के अखबार ‘ द न्यू यॉर्क टाइम्स’ और यूके (UK) के अखबार ‘द ऑब्ज़र्वर्वर’ ने एक रिपोर्ट अपने अखबार में छापी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी फेसबुक यूजर्स से उनकी अनुमित लिए बिना उनका डेटा इकट्ठा करती है और इस डेटा के आधार पर राजनीति पार्टी के लिए अभिनय तैयार करती है. इन दोनों अखबारों ने ये जानकारी क्रिस्टोफर वाइली (कैम्ब्रिज एनालिटिका फर्म के संस्थापक) द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर छापी थी.
वाइली के मुताबिक उनकी कंपनी ने ग्लोबल साइंस रिसर्च नाम की एक कंपनी की मदद से एक एप्लीकेशन बनाई थी. ग्लोबल साइंस रिसर्च कंपनी अलेक्जेंड कोगन (Aleksandr Kogan) की कंपनी थी. कोगन की कंपनी द्वारा बनाई कई ऐप का नाम ‘thisisyourdigitallife’ रखा गया था. ये फेसबुक की एक क्विज ऐप थी जिसको डायनलोड करने से यूजर्स के फेसबुक प्रोफाइल डेटा और फ्रेंड लिस्ट डेटा तक आसानी से पहुंचा जा सकता था. इस ऐप में शोधकर्ताओं ने एक क्विज तैयार किया था. इस क्विज के जवाबों और यूजर्स के प्रोफाइल से मिली जानकारी को एकत्र किया जाता था. जानकारी प्राप्त होने के बाद ग्लोबल साइंस रिसर्च कंपनी ये जानकारी कैम्ब्रिज एनालिटिका के सौंप देती थी और इसी जानकारी के आधार पर कैम्ब्रिज एनालिटिका ऐसे विज्ञापन और अभियान तैयार करती थी, जिससे लोगों उनके क्लाइंट को वोट दें.
इस एप्लीकेशन को करीब 3 लाख लोगों द्वारा डाउनलोड किया गया था और इस ऐप की मदद से करीब पांच करोड़ फेसबुक यूजर्स के बारे में जानकारी हासिल की गई थी.
चुनाव जिताने में कैसे मदद करती थी ये कंपनी
कैम्ब्रिज एनालिटिका ने लोगों की निजी जानकारी प्राप्त करने के बाद उस जानकारी से लोगों के व्यवहार के बारे में अध्ययन किया करती थी. इस अध्ययन की मदद से विज्ञापनों को तैयार कर लोगों की राय को अपने क्लाइंट के पक्ष में करती थी. इस कंपनी पर आरोप है कि इसने हाल ही में यूएस में हुए राष्ट्रपति चुनाव और ब्रेक्सिट वोट के नतीजों को प्रभावित किया था.
ब्रिटेन के एक चैनल ने भी किया खुलासा
इस स्कैंडल के सामने आने के बाद ब्रिटेन के चैनल 4 न्यूज़ ने इस खबर पर हाल ही में एक और खुलासा किया है. इस चैनल ने हाल ही में एक टैप जारी की है और टैप में कैम्ब्रिज एनालिटिका के वरिष्ठ अधिकारी सहित सीईओ अलेक्जेंडर निक्स ये कहते हुए दिखाई दी हैं, कि इनकी फर्म सेक्स वर्कर्स, रिश्वत और गलत सूचनाओं का उपयोग करके अपने राजनीतिक उम्मीदवारों को जिताने की कोशिश करते हैं. वहीं इस खबर के सामने आने के बाद कैम्ब्रिज एनालिटिका ने तुंरत ही इन दोनों आधिकारियों को अपनी कंपनी से बाहर निकाल दिया है.
फेसबुक कंपनी भी घिरी विवादों में
जिस तरह से फेसबुक के यूजर्स का डेटा उनकी अनुमति के बिना चुराया गया है, उसको लेकर फेसबुक कंपनी पर भी कई सवाल उठ रहे हैं. हालंकि फेसबुक इस स्कैंडल में शामिल होने से इंकार कर रही है. लेकिन जिस तरह से लोगों की निजी जानकारी हासिल की गई है उसके चलते इस कंपनी की छवि खराब हो गई है.
वहीं न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार के दावे की माने तो फेसबुक को इस लीक के बारे में जानकारी पहले ही मिल गई थी. लेकिन अपनी कंपनी की छवि को खराब होने से बचाने ते लिए इस कंपनी ने इस डेटा चोरी को सार्वजनिक नहीं किया. बल्कि कैम्ब्रिज एनालिटिका पर कानूनी तरीके से कार्यवाही की.
भारत के राजनेताओं के लिए भी किया हैं कार्य
इस कंपनी ने भारत के कई राजनेताओं के लिए भी कैंपेन तैयार किए हुआ है. दरअसल इस कंपनी की पैरेंट कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस लेबारेटरीज (SCL) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कैंपेन तैयार किया था. इस कंपनी के मुताबिक साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में जिन भी सीटों के लिए इसने कैंपेन तैयार किए थे. उन सीटों पर नीतिश को जीत हासिल हुई थी. भारत के अलावा ये कंपनी अन्य देशों की राजनीति पार्टी के लिए भी कार्य करती है.
वहीं इस स्कैंडल के सामने आने के बाद फेसबुक और कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी ने उन पर लग रहे, हर आरोप को गलत बताया है और कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. इनकी कंपनियों के बदनाम करने के लिए ऐसी गलत खबरें फैलाई जा रही हैं.
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