अलेक्जेंडर सिकन्दर का जीवन परिचय इतिहास Alexander – the Great (Sikandar) Biography in hindi

अलेक्जेंडर सिकन्दर का जीवन परिचय व इतिहास | Alexander – the Great (Sikandar) Biography, history in hindi

सिकन्दर का वास्तविक नाम अलेक्जेंडर तृतीय था. भारत में उसे सिकंदर कहकर सम्बोधित किया जाता हैं. अलेक्जेंडर तृतीय मेकडोनिया का राजा और पर्शियन साम्राज्य का वो विजेता था, जिसे अपने जीवन में सबसे ज्यादा किये गए फौजी अभियानों के लिए जाना जाता हैं. ग्रीक इतिहासकारों के अनुसार अलेक्जेंडर ने पूरी दुनिया को जीत लिया था, इसलिए उसे विश्व विजेता भी कहा जाता है. और उसके नाम के साथ महान या दी ग्रेट भी लगाया जाता हैं.

 अलेक्जेंडर सिकंदर

अलेक्जेंडर सिकन्दर का जीवन परिचय

नाम (Name)अलेक्सेंडर तृतीय
उपनाम (Nick name)सिकन्दर
पिता (Father)फिलिप द्वितीय
माता (Mother)ओलिम्पिया
सौतेली  माता (Setp Mother)क्लेओपटेरा
पत्नी (Wife)रोक्जाना
नाना (GrandFather)निओप्टोलेमस
जन्म दिन (Birth Date)20 जुलाई 356 ईसा पूर्व
जन्म स्थान (Birth place)पेला में
शिक्षकों के नाम (Tutor’s name)दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस,

 

लाईसिमेक्स,एरिसटोटल

विशेषता (speciality)अलेक्सेंडर बचपन से ही एक अच्छा घुड़सवार और योद्धा था
शौक (Hobbies)गणित,विज्ञान और दर्शन शाश्त्र में रूचि थी
घोड़े का नाम (Horse’name)बुसेफेल्स
जीते हुए देश (Conquered Countries)एथेंस,एशिया माइनर,पेलेस्टाइन और पूरा पर्सिया और सिन्धु के पहले तक का तब का  भारत
मृत्यु (Death Date)13 जून 323 ईसा पूर्व
मृत्यु का कारण (Death Reason)मलेरिया
मृत्यु का स्थान (Death Place)बेबीलोन
विवाद (controversy)अलेक्जेंडर ने एक राजा के तौर पर बहुत से युद्ध किये और देश जीते लेकिन अपने पिता की दूसरी शादी पर उनका शाही दरबार में पिता और अपनी सौतेली माँ के अंकल सेविवाद हो गया.

जन्म और परिवार (Alexander: Birth and Family)

अलेक्जेंडर का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में “पेला” में हुआ था, जो की प्राचीन नेपोलियन की राजधानी थी. अलेक्जेंडर फिलिप द्वितीय का पुत्र था, जो मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे और इसके पडोसी राज्य एपिरुस की राजकुमारी ओलिम्पिया उनकी माँ थी. एलेक्जेंडर के नाना राजा निओप्टोलेमस थे.

एलेक्जेंडर की एक बहन भी थी, इन दोनों की परवरिश पेला के शाही दरबार में हुईं थी. उन्होंने अपने पिता को ज्यादातर समय सैन्य अभियानों या फिर विवाहोत्तर सम्बन्धों में व्यस्त ही देखा था, लेकिन उनकी माँ ने अलेक्जेंडर और उसकी बहन  की परवरिश में बहुत ध्यान दिया था.

अलेक्जेंडर की शिक्षा (Alexander: Education)

अलेक्जेंडर ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने रिश्तेदार दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस से ली थी, जिसे फिलीप ने अलेक्जेंडर को गणित,घुड़सवारी और धनुर्विध्या सिखाने के लिए नियुक्त किया था. लेकिन वो अलेक्जेंडर के उग्र और विद्रोही स्वभाव को नहीं सम्भाल सके थे.

इसके बाद अलेक्जेंडर के शिक्षक लाईसिमेक्स थे, जिन्होंने एलेक्जेंडर के विद्रोही स्वभाव पर नियन्त्रण किया और उसे युद्ध की शिक्षा दीक्षा दी.

जब वह 13 वर्ष का हुआ, तब फिलीप ने सिकन्दर के लिए एक निजी शिक्षक  एरिसटोटल की नियुक्ति की. एरिस्टोटल को भारत में अरस्तु कहा जाता हैं. अगले 3 वर्षों तक अरस्तु ने सिकंदर को साहित्य की शिक्षा दी और वाक्पटुता भी सिखाई, इसके अलावा अरस्तु ने सिकन्दर का रुझान विज्ञान ,दर्शन-शास्त्र और मेडिकल के क्षेत्र में भी जगाया, और ये सभी विधाए ही कालान्तर में सिकन्दर के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई.

अलेक्जेंडर और उसका युद्ध कौशल (Alexandra as a Warrior) 

अलेक्जेंडर ने अपने पिता द्वारा मेक्डोनिया को एक सामान्य राज्य से महान सैन्य शक्ति में बदलते देखा था. अपने पिता की बालकन्स में जीत पर जीत दर्ज करते हुए देखते हुए सिकन्दर बड़ा हुआ था.

12 वर्ष की उम्र में सिकन्दर ने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी और ये उन्होंने अपने पिता को तब दिखाई, जब सिकन्दर ने एक प्रशिक्षित घोड़े ब्युसेफेलास को काबू में किया, जिस पर और कोई नियन्त्रण नहीं कर पा रहा था. इसके बारे में प्लूटार्क ने लिखा “फिलिप और उनके दोस्त पहले चिंता भरी ख़ामोशी से परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे थे, और ये मान रहे थे की फिलीप के पुत्र का करियर और जीवन अब ख़त्म होने वाला हैं, लेकिन अंत में उन लोगों ने जब सिकन्दर की जीत को देखा, तो खुश होकर तालियाँ बजाने लगे, सिकन्दर के पिता की आँखों से आंसू आ गये, जो कि ख़ुशी और गर्व के आंसू थे. वो अपने घोड़े से नीचे उतरे और उन्होंने अपने बेटे को किस करते हुए कहा “मेरे पुत्र तुमको खुद की तरफ और इस महान साम्राज्य की तरफ देखना चाहिए, ये मेक्डोनिया का राज्य तुम्हारे सामने बहुत छोटा है,तुममे असीम प्रतिभा हैं” (अलेक्स.6.8)”  अलेक्जेंडर ने अपने जीवन के कई युद्धों में बुसेफेल्स की सवारी की,और अंत तक वो घोडा उनके साथ रहा.

340 में जब फिलिप ने अपनी विशाल मेकडोनियन आर्मी को एकत्र करके थ्रेस में घुसपैठ शुरू की, तब उसने अपने 16 वर्ष के पुत्र सिकन्दर को मेक्डोनिया राज्य पर अपनी जगह शासन करने के लिए छोड़ दिया था, इससे ये पता चलता हैं कि इतनी कम उम्र में ही सिकन्दर को कितना जिम्मेदार माना जाने लगा था.

जैसे-जैसे मेक्डोनियन आर्मी ने थ्रेस में आगे बढ़ना शुरू किया, मेडी की थ्रेशियन जनजाति ने मेक्डोनिया के उत्तर-पूर्व सीमा पर विद्रोह कर दिया, जिससे देश के लिए खतरा बढ़ गया. सिकंदर ने आर्मी इकट्ठी की और इसका इस्तेमाल विद्रोहियों के सामने शुरू किया,और तेज़ी से कारवाही करते हुए मेडी जनजाति को हरा दिया, और इनके किले पर कब्ज़ा कर लिया और इसका नाम उसने खुद के नाम पर एलेक्जेंड्रोपोलिस रखा.

2 वर्षों बाद 338 ईसा पूर्व में फिलिप ने मेकडोनीयन आर्मी के ग्रीस में घुसपैठ करने पर अपने बेटे को आर्मी में सीनियर जनरल की पोस्ट दे दी. चेरोनेआ के युद्ध में ग्रीक की हार हुयी और सिकन्दर ने अपनी  बहादुरी दिखाते हुए ग्रीक फॉर्स-थेबन सीक्रेट बैंड को खत्म कर दिया. कुछ इतिहासकारों का कहना हैं कि  मेक्डोनियन की ये जीत पूरी तरह से सिकन्दर की वीरता आधारित थी.

परिवार का बिखरना और फिल्लिप द्वितीय की हत्या (Family disturbance and Phillip’s Murder)

चेरोनेआ में ग्रीक की हार के बाद शाही परिवार बिखरने लगा. फिलीप ने भी  क्लेओपटेरा से शादी कर ली. शादी के समारोह में क्लेओपटेरा के अंकल ने फिलिप के न्यायसंगत उत्तराधिकारी होने पर सवाल लगा दिया. सिकन्दर ने अपना कप उस व्यक्ति के चेहरे पर फैंक दिया, और उसे बास्टर्ड चाइल्ड कहने के लिए अपना क्रोध व्यक्त किया. फिलिप खड़ा हुआ और उसने सिकन्दर पर अपनी तलवार तानी जो कि उसके अर्ध-चेतन अवस्था में होने के कारण चेहरे पर ही गिर गयी. सिकन्दर तब क्रोध में चिल्लाया कि “देखो यहाँ वो आदमी खड़ा हैं जो यूरोप से एशिया तक जीतने की तैयारी कर रहा हैं लेकिन इस समय अपना संतुलन खोये बिना एक टेबल तक पार नहीं कर सकता. इसके बाद उसने अपनी माँ को साथ लिया और एपिरिस की तरफ चला गया. हालांकि उसे लौटने की अनुमति थी,लेकिन इसके बाद काफी समय तक सिकन्दर मेक्डोनियन कोर्ट से विलग ही रहा.

अलेक्जेंडर का सत्ता अधिग्रहण (Alexander as a King)

336 अलेक्जेंडर की बहन ने मोलोस्सियन के राजा से शादी की, इसी दौरान होने वाले महोत्सव में पौसानियास ने राजा फिलिप द्वितीय की हत्या कर दी. अपने पिता की मृत्यु के समय अलेक्जेंडर 19 वर्ष का था और उसमें सत्ता हासिल करने का जोश और जूनून चरम पर था.

उसने मेकडोनियन आर्मी के शस्यागार के साथ जनरल और फ़ौज को एकत्र किया, जिनमे वो सेना भी शामिल थी जो केरोनिया से लड़ी थी. सेना ने अलेक्जेंडर को सामन्ती राजा घोषित किया और उसकी राजवंश के अन्य वारिसों की हत्या करने में मदद की.

ओलिम्पिया ने भी अपने पुत्र की इसमें मदद की,उसने फिलीप और क्लेओपटेरा की पुत्री को मार दिया और क्लेओपटेरा को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया.

अलेक्जेंडर के मेक्डोनिया के सामन्ती राजा होने के कारण उसे कोरिंथियन लीग पर नियन्त्रण ही नहीं मिला बल्कि ग्रीस के दक्षिणी राज्यों ने फिलीप द्वितीय की मृत्यु का जश्न मनाना भी शुरू कर दिया और उन्होंने विभाजित और स्वतंत्र अभिव्यक्ति शुरू की.

एथेन के पास भी एक खुदका एजेंडा था. डेमोक्रेटिक डेमोस्थेनेस के नेतृत्व में राज्य को लीग का चार्ज मिलने की आशा थी. उन्होंने जैसे ही स्वतंत्र आन्दोलन शुरू किया,अलेक्जेंडर ने तुरंत अपनी आर्मी को दक्षिण में भेजा और उन्हें अपना नेतृत्व मानने के लिए कहा.

 336 के अंत तक कोर्निथीयन लीग से सम्बन्धित शहरों ने ग्रीक राज्यों के साथ पुन: संधि कर ली,जिनमें एथेंस ने इसके लिए मना कर दिया और अपने सबल सेना को पर्शियन राज्य के खिलाफ लड़ने को भेज दिया. लेकिन युद्ध की तैयारी करने से पहले अलेक्जेंडर ने 335 में थ्रासियन जनजाति को पराजित करके मेक्डोनिया के उत्तरी सीमा को सुरक्षित किया.

अलेक्जेंडर का विजय अभियान (Alexander’ s Campaigns and Conquests)

अलेक्जेंडर जब अपने उतरी अभियान को खत्म करने के करीब था,तब उसे ये खबर मिली की ग्रीक राज्य के शहर थेबेस ने मेक़डोनियन फ़ौज को अपने किले से भगा दिया हैं, अन्य शहरों के विद्रोह के डर से अलेक्जेंडर ने अपनी सेना के साथ दक्षिण का रुख किया.

इन सब घटनाक्रमों के दौरान ही अलेक्जेंडर के जनरल परनियन ने एशिया की तरफ अपना मार्ग बना लिया है. अलेक्जेंडर और उसकी सेना थेबेस में इस तरह से पहुंची कि वहां की सेना को आत्म-रक्षा तक का मौका नहीं मिला.

अलेक्जेंडर का मानना था की थेबेस को तबाह करने पर अन्य राज्यों पर भी उसका डर कायम होगा,और उसका यह अंदेशा सही साबित हुआ ऐसा करने पर एथेंस के साथ ग्रीक के अन्य शहर भी मकेडोनियन राज्य के साथ संधि करने को तैयार हो गए.

334 में अलेक्जेंडर ने एशियाई अभियान के लिए नौकायन शुरू किया और उस वर्ष की वसंत में ट्रॉय में पंहुचा. अलेक्जेंडर ने ग्रेंसियस नदी के पास पर्शियन राजा डारियस तृतीय की सेना का सामना किया, उन्हें बुरी तरह से पराजित किया. पतझड़ के आने तक अलेक्सेंडर और उसकी सेना ने दक्षिणी समुन्द्र किनारे को पार करते हुए एशिया माइनर से गोरड़ीयम में प्रवेश किया,जहाँ पर सर्दियों के समय तो उन्होंने सिर्फ आराम किया.

333 की गर्मियों में अलेक्जेंडर की सेना और डारियस की सेना के मध्य एक बार फिर से युद्ध हुआ. हालांकि अलेक्जेंडर की सेना में ज्यादा सैनिक होने के कारण उसकी फिर से एक तरफा जीत हुई, और अलेक्जेंडर ने डारीयस को पकडकर तड़ीपार करके खुदको पर्शिया का राजा घोषित कर दिया

अलेक्जेंडर का अगला लक्ष्य इजिप्ट को जीतना था, गाज़ा की घेराबंदी करके अलेक्जेंडर ने आसानी से इजिप्ट पर कब्ज़ा कर लिया. 331 में उसने अलेक्जांद्रिया शहर का निर्माण किया और ग्रीक संस्कृति और व्यापार के लिए उस शहर को केंद्र बनाया. उसके बाद अलेक्जेंडर ने गौग्मेला के युद्ध में पर्शिया को हरा दिया. पर्शियन आर्मी की हार के साथ ही अलेक्जेंडर बेबीलोन का राजा, एशिया का राजा और दुनिया के चारो कोनो का राजा बना गया.

अलेक्जेंडर का अगला लक्ष्य ईस्टर्न ईरान था, जहाँ उसने मेक्डोनियन कालोनी बनाई और अरिमाज़ेस में 327 किलों पर अपना कब्ज़ा जमाया. प्रिंस ओक्जियार्टेस को पकड़ने के बाद उसने प्रिन्स की बेटी रोक्जाना से विवाह कर लिया.

अलेक्जेंडर और भारत (Alexander and India)

328 में अलेक्जेंडर ने भारत में पोरुस की सेना को हराया, लेकिन वो पोरुस के पराक्रम से बहुत प्रभावित हुआ और उसे वापिस राजा बना दिया. अलेक्जेंडर ने सिन्धु के पूर्व की तरफ बढ़ने की कोशिश की, लेकिन उसकी सेना ने आगे बढने से मना कर दिया और वापिस लौटने को कहा. 325 में अलेक्जेंडर ने ठीक होने के बाद अपनी सेना के साथ उत्तर की तरफ पर्शियन खाड़ी के सहारे का रुख किया, उस समय बहुत से लोग बीमार पड गए, कुछ चोटिल हो गए, तो कुछ की मृत्यु हो गयी. अपने नेतृत्व और प्रभाव को बनाए रखने के लिए उसने पर्शिया के प्रबुद्ध जनों को मेक्डोनिया के प्रबुद्ध जनो से मिलाने का सोचा, जिससे एक शासक वर्ग बनाया जा सके. इसी क्रम में उसने सुसा में उसने मेक्डोनिया के बहुत से लोगो को पर्शिया की राजकुमारियों से शादी करवाई.

अलेक्जेंडर ने जब 10 हजार की संख्या पर्शियन सैनिक अपनी सेना में नियुक्त कर लिए, तो उसने बहुत से मेक्डोनियन सैनिको को निकाल दिया. इस कारण सेना का बहुत बड़ा हिस्सा उससे खफा हो गया और उनहोंने पर्शियन संस्कृति को अपनाने से भी मना कर दिया.

अलेक्जेंडर ने तब 13 पर्शियन सेना नायकों को मरवाकर मेक्डोनीयन सैनिकों का क्रोध शांत किया. इस तरह सुसा में पर्शिया और मेक्डोनिया के मध्य सम्बन्धों को मधुर बनाने के लिए किया जाने वाला आयोजन सफल नहीं हो सका.  

अलेक्सेंडर की मृत्यु (Alexander :Death)

कार्थेज और रोम पर विजय प्राप्त करने के बाद अलेक्सेंडर की मृत्यु मलेरिया रोग के कारण बेबीलोन में हुयी.

अलेक्जेंडर की मृत्यु 13 जून 323 में हुई थी, तब वह मात्र 32 वर्ष का था. उसकी मृत्यु के कुछ महीनो बाद उसकी पत्नी रोक्जाना ने एक बेटे को जन्म दिया. उसकी मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य बिखर गया, और इसमें शामिल देश आपस में शक्ति के लिए लड़ने लगे. ग्रीक और पूर्व के मध्य हुए सांस्कृतिक समन्वय का एलेक्जेंडर के साम्राज्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा.

FAQ

Q- अलेक्जेंडर सिकन्दरका जन्म कब और कहां हुआ था?

Ans- अलेक्जेंडर सिकन्दर का जन्म 356 वीं ईसवी मेंदी स्टर्न लियोनीडास ऑफ़ एपिरुस, लाईसिमेक्स,एरिसटोटल हुआ था।

Q- अलेक्जेंडर सिकन्दर और पोरस की लड़ाई में कौन जीता था?

Ans- अलेक्जेंडर सिकन्दर और पोरस की लड़ाई में सिकंदर जीता था।

Q- अलेक्जेंडर सिकन्दर की क्या खासियत थी?

Ans- अलेक्जेंडर सिकन्दर की खासियत ये थी कि, वो बचपन से ही अच्छे घुड़सवार थे।

Qअलेक्जेंडर सिकन्दर को किस चीज का शौक था?

Ans- अलेक्जेंडर सिकन्दर को गणित और विज्ञान का काफी शौक था।

Q- अलेक्जेंडर सिकन्दर मृत्यृ कब हुई थी?

Ans- अलेक्जेंडर सिकन्दर की मृत्यृ 13 जून 323 ईसा में हुई थी।

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