अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला (AgustaWestland VVIP Chopper Scam in Hindi)
देश की सुरक्षा किसी भी देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी होती है. इसलिए सभी देश के लोग अपनी सुरक्षा के लिए अच्छे से अच्छे इन्तेजामात करते हैं. लोग दूसरे देशों से हथियार, मिसाइलें एवं अन्य चीजें खरीदते हैं. किन्तु क्या आप जानते हैं, कुछ लोग दूसरे देशों के साथ ऐसी डील कर करोड़ों का घोटाला करते हैं. हालही में बोफोर्स घोटाले के बाद अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले की ख़बरें जोर पकड़ रही हैं, जोकि भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे जाने थे. रिपोर्ट के अनुसार इस घोटाले के संबंध में जिनके नाम सामने आ रहे हैं, वह भारत का गाँधी परिवार और पूर्व आईएएफ प्रमुख एसपी त्यागी हैं. इस घोटाले एवं इससे जुड़ी सभी जानकारी को आप हमारे इस लेख में देख सकते हैं.
अगस्ता वेस्टलैंड क्या है ? (What is AgustaWestland ?)
यह हेलीकॉप्टर डिजाइन करने वाली और बनाने वाली एक विदेशी कंपनी है. इस कंपनी का गठन जुलाई सन 2000 में एक एंग्लो – इटालियन बहुराष्ट्रीय कंपनी के रूप में हुआ था. जिसमें फिनमेक्निका और जीकेएन ने अपनी सहायक कंपनियों अगस्ता और वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर को एक – दूसरे के साथ जोड़ दिया था. इसमें दोनों कंपनियों का 50% हिस्सा था. किन्तु फिनमेक्निका ने सन 2004 में जीकेएन की भी हिस्सेदारी हासिल कर ली. और इस तरह से ये दोनों अगस्ता और वेस्टलैंड कंपनी पूरी तरह से फिनमेक्निका के हाथ में आ गई. अगस्ता कंपनी कमर्शियल हेलीकॉप्टर बनाने में प्रसिद्ध थी, जबकि वेस्टलैंड कंपनी ब्रिटेन की सैन्य हेलीकॉप्टर बनाने वाली एकमात्र कंपनी थी.
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की विशेषताएं (What is The Features of AgustaWestland Choppers)
इस कंपनी में बनने वाले हेलीकॉप्टर जिसकी डील की गई थी, की विशेषता यह है कि इसमें 30 यात्रियों के बैठने की क्षमता है. यह 278 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की रफ्तार से उड़ सकते हैं. इस हेलीकॉप्टर की बाहरी बॉडी बुलेटप्रूफ है, और सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाएँ, तो इसमें मशीनगन भी फिट की जा सकती है. इसमें 2 पायलट सवार हो सकते हैं. इसमें 3 शक्तिशाली इंजन भी लगे होते हैं, और साथ ही इसमें हवा में ईंधन भरने की भी क्षमता है. इस हेलीकॉप्टर की सबसे खास विशेषता यह है, कि इसका केबिन बहुत बड़ा है जोकि 8.3 फीट चौड़ाई का और 6.1 फीट ऊंचाई का है.
डील क्या थी ? (What was the Deal)
फरवरी सन 2010 में कांग्रेस यूपीए की सरकार सत्ता में थी. उन्होंने भारतीय वायुसेना के लिए एवं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी लोगों के लिए 12 अगस्ता वेस्टलैंड यानि एडब्ल्यू – 101 हेलीकॉप्टरों को 3,600 करोड़ रूपये में खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किये थे. किन्तु फरवरी सन 2013 में सरकार ने इस डील को होल्ड पर डाल दिया. इसके बाद जनवरी सन 2014 में कांग्रेस यूपीए सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड के साथ वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील रद्द कर दी थी. फिर जून 2014 में भारत ने कंपनी को चुकाए गये 1,818 करोड़ रूपये की पूरी राशि भी वसूल कर ली थी.
घोटाला क्या था ? (What was The Scam ?)
इस डील में घोटाले की खबरे जोर दे रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार द्वारा की गई इस डील को करने के लिए 360 करोड़ रूपये तक की रिश्वत के लेनदेन का मामला सामने आया था. जिसके बाद ही भारत सरकार द्वारा इस कॉन्ट्रैक्ट को ख़त्म कर दिया गया. लेकिन उस समय तक भारत ने 30 प्रतिशत तक का भुगतान कर दिया था और बचा हुआ भुगतान करना बाकी था. दरअसल इस घोटाले में अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ ब्रूनो स्पैग्नोलिनी और तत्कालिक चेयरमैन फिनमेक्निका जिएसेपे ओर्सी पर यह आरोप लगा हुआ है कि उन्होंने भारत के साथ इस डील को करने के लिए बिचौलिये यानि मध्यस्थ व्यक्ति को 362 करोड़ रूपये की रिश्वत दी थी. इस आरोप के चलते दोनों ही कंपनी के सीईओ को इटली की अदालत द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया है. और विशेष कर ऑर्सी को इसके लिए कम से कम 4 साल की सजा सुनाई गई है. लेकिन इस घोटाले में न सिर्फ इन दोनों ही कंपनियों को दोषी ठहराया जा रहा है, बल्कि इसमें 18 और लोगों के शामिल होने की भी खबरें सामने आई है. और साथ ही बिचौलिये को भी गिरफ्तार किया गया है.
क्रिस्चियन मिशेल कौन हैं और उनकी डील में भूमिका क्या है ? (Christian Michel and His Role in Deal)
क्रिस्टियन मिशेल एक ब्रिटिश के व्यापारी हैं जिसकी इस हेलीकॉप्टर घोटाले के खुलासे में अहम भूमिका थी. ये भारतीय रक्षा क्षेत्र में काफी सक्रिय थे. दरअसल इस डील को करने के लिए अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी ने मिशेल को भारत के राजनेताओं, अधिकारीयों और पत्रकारों सहित कुछ लोगों को प्रभावित के लिए किराये पर लिया था. और ये उन 3 बिचौलियों में से एक थे, जिन पर इस डील को सुरक्षित करने के लिए कई लोगों से रिश्वत के लेनदेन करने का आरोप है. मिशेल ने सन 1980 के दशक से कंपनी के साथ काम किया और यहाँ तक कि उनके पिता भी भारतीय क्षेत्र के लिए उस कंपनी के सलाहकार थे. वे कथित तौर पर भारत के लिए फ्रीक्वेंट विजिटर थे और आईएएफ में रक्षा स्त्रोतों के वाइड नेटवर्क के माध्यम से रक्षा खरीद के लिए एक मध्यस्थ के रूप में काम कर रहे थे. इन्हें सन 2015 में इस मामले की सीबीआई जाँच होने के बाद नई दिल्ली की पटयाला हाउस कोर्ट द्वारा गिरफ़्तारी का फैसला सुनाया गया था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी फरवरी सन 2017 में दुबई में हुई. और वे दुबई की ही जेल में हैं.
डील और गाँधी परिवार (Relation Between Deal and Gandhi Family)
8 अप्रैल को भारतीय उच्च न्यायालय की तरह ही मिलान कोर्ट ऑफ अपील ने फैसला सुनाया, कि 3,600 करोड़ रूपये के एडब्ल्यू कॉन्ट्रैक्ट में भारतीय अधिकारीयों का भुगतान शामिल है. हालाँकि निचली अदालत का फैसला आने तक भ्रष्टाचार का मामला साबित नहीं हो सका. कोर्ट ऑफ अपील ने पाया, कि फिनमेक्निका के पूर्व शक्तिशाली चेयरमैन जिएसेपे ओर्सी और ब्रूनो स्पग्नोलिनी जोकि अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार और मनी लांडरिंग के दोषी हैं, उन्होंने हेलीकॉप्टर डिवीज़न एडब्ल्यू का नेतृत्व किया है. अदालत में एक नोट प्रस्तुत किया गया था, जोकि क्रिस्चियन मिशेल द्वारा पीटर हुलेट को लिखा गया था. जिसमे यह खुलासा किया गया, कि सन 2008 में एंग्लो – इटालियन कंपनी के भारत के प्रमुख ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के करीबी लोगों को टारगेट करने के लिए कंपनी की तरफ से वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील करने वाले लोगों को सलाह दी थी, जिसमे प्रधानमंत्री और उनके कुछ करीबी सलाहकार शामिल थे.
घोटाले में एसपी त्यागी की भूमिका (What is the Connection of SP Tyagi in the Scam)
पूर्व आईएएफ प्रमुख एसपी त्यागी पर वीवीआईपी हेलीकॉप्टर प्रतियोगिता के लिए अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा है. हालही में इटली की अदालत द्वारा एक प्रकाशन में यह बताया गया हैं कि इस हेलीकॉप्टर डील में त्यागी भी प्रतिभागी हैं. एक ईटी रिपोर्ट के मुताबिक, इटली की अदालत ने कहा था कि यह ‘वैध साबित’ हुआ है, कि अवैध धन में 10 से 15 मिलियन डॉलर के हिस्सा पर, भारतीय अधिकारीयों ने अपना रास्ता बनाया हैं. मिलान कोर्ट ऑफ अपील द्वारा 225 पेज के फैसले में त्यागी पर एईटी द्वारा एक्सेस किये गये एक अलग 17 पेज का अध्याय है, जिसमे “भारतीय लोक अधिकारी” के भ्रष्टाचार के बारे में बताया गया है. इटली की अदालत के फैसले में कहा गया है कि त्यागी और उनके परिवार समेत यानि उनके 3 चचेरे भाई को नकद और वायर ट्रान्सफर के माध्यम से भुगतान किया गया था. हालाँकि एसपी त्यागी जोकि ईटी के संपर्क में थे, ने आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं दी, इसके बजाय उनका कहना था, कि कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले उनके लिए पूर्ण ट्रांस्लेटेड दस्तावेज की प्रतीक्षा करना जरूरी है.
इसकी आवश्यकता क्यों थी ? (Why were the Choppers needed? What’s the Back Ground)
दरअसल सन 2000 यह माना जा रहा था, कि मौजूदा हेलीकॉप्टर मिल एमआई – 8, मेजर ऑपरेशन में कुछ बाधाएँ उत्पन्न होने के कारण ज्यादा प्रचलित नहीं हैं, उनमें रात के समय और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान कुशलता से ऑपरेट करने में असमर्थ होने जैसी बाधाएँ उत्पन्न होती है. इसके साथ ही सन 1999 के कारगिल युद्ध के बाद, यह आवश्यक था, कि ऐसे हेलीकॉप्टरों की खरीद की जाएँ, जोकि 6000 मीटर यानि सियाचिन ग्लेशियर की ऊंचाई तक ऑपरेट हो सकें, और साथ ही वीवीआईपी लोगों के परिवहन में भी इसका इस्तेमाल किया जा सके. क्योकि यह एमआई – 8 जैसे हेलिकॉप्टर इतने आरामदायक नहीं थे. इसलिए तत्कालिक सरकार द्वारा ऐसे हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए अगस्ता वेस्टलैंड जैसे हेलिकॉप्टर की डील की गई.
हेलीकॉप्टर के लिए मापदंड (Criteria For Chopper)
ऊपर दी हुई आवश्यकताओं के साथ प्रस्ताव (आरएफपी) के लिए 12 विक्रेताओं को जारी किया गया था, जिनमे से 4 ने जवाब दिया और आईएएफ की टेक्निकल इवैल्यूएशन कंपनी ने एडब्ल्यू – 101, ईएच – 101 के साथ ही 3 और को सूचीबद्ध किया. लेकिन चूंकि ईएच – 101 को उस समय तक 6000 मीटर पर उड़ान भरने के लिए प्रमाणित नहीं किया गया था, इसलिए यह आगे फ्लाइट इवैल्यूएशन में भाग नहीं ले सका. ऐसे ही कई सारे हेलिकॉप्टर के फ्लाइट इवैल्यूएशन के साथ परिक्षण किये गये. इसके बाद आईएएफ परीक्षण पायलट के मुताबित एडब्लू अपने 3 इंजनों के साथ काफी चर्चित हुआ. क्योकि यदि इसका एक इंजन विफल होता, तो उनके पास 2 इंजन और थे जो उसे ऑपरेट कर सकते थे. सन 2009 में एयर मुख्यालय ने रक्षा मंत्रालय को अपनी सिफारिश भेजी और तकनीकी आवश्यकताओं के माध्यम से फरवरी 2010 में इसके कॉन्ट्रैक्ट के लिए हस्ताक्षर किये गये.
इस तरह से इस हेलिकॉप्टर की डील की गई और इसमें घोटाले की खबर आने के चलते इसे रद्द कर दिया गया. इस घोटाले की सीबीआई द्वारा जाँच की जा रही है अब देखना यह होगा कि इस मामले में कौन दोषी हैं और कौन नहीं.
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