आश्रित जिंदगी का कोई अस्तित्व नहीं होता यह कहानी एक बहुत बड़ी बात की और हमारा ध्यान इंगित करती हैं | ओ जब तक आप योग्य नहीं हैं तब तक अगर आप किसी पर आश्रित हैं तो उसमे कोई गलती नहीं हैं लेकिन अगर आपने उसे अपना अधिकार मान लिया हैं और अब आप उससे मांग करने लगे हैं तो यह उस मदद की तौहीन हैं |
इसमें झाँक कर देखे और अपने आपका अवलोकन करे कि क्या आप ऐसा ही कुछ कर रहे हैं ? अगर ऐसा हैं तो समय रहते अपनी आदतों को बदले |
आश्रित जिंदगी का कोई अस्तित्व नहीं होता
एक बार एक चिड़िया अपना खाना चौंच में दबाकर ले जा रही थी तभी उसकी चौंच से पीपल के पेड़ का बीज नीम के तने में गिर गया | उस बीज को नीम से भरपूर पोषक तत्व, पानी और मिट्टी मिल गई और वो पीपल का बीज पनपने लगा और नीम के आश्रय में बड़ा होने लगा चूँकि वह नीम पर आश्रित था इसलिए उसे फलने फूलने एवम उसकी जड़ो को पर्याप्त जगह नहीं मिल रही थी | उसका विकास ठीक से नहीं हो पा रहा था |
एक दिन पीपल को गुस्सा आया और उसने नीम से लड़ने की ठानी और बोला – ऐ! दुष्ट तू खुद तो फैलता ही जा रहा हैं | तेरा कद गगन छू रहा हैं और जड़े पसरे जा रही हैं और मुझे तू जरा भी पनपने नहीं दे रहा | मुझे भी जगह और खनिज दे वरना तेरे लिए अच्छा नहीं होगा |
उसकी बात खत्म होने पर नीम ने हंसकर उत्तर दिया हे मित्र ! दूसरों की दया पर इतना ही विकास संभव हैं और अगर अधिक की अपेक्षा हैं तो स्वयम का भार खुद वहन करों, अपनी नींव बनाओं अपने पैरो पर खड़े हो | यह सुनकर पीपल को बहुत गुस्सा आया पर बात सच थी इसलिए वो बस नीम को कोसने में लगा रहा |
एक दिन, बहुत आंधी तूफान आया | नीम का वृक्ष तो ज्यों का त्यों खड़ा रहा लेकिन वह आश्रित पीपल अपनी कमजोरी के कारण धराशाही हो गया और जमीन चटाने लगा और उसका क्षण का अस्तित्व भी खत्म हो गया |तभी दूर से एक बुजुर्ग यह सभी देख रहे थे | उन्होंने ने यह देख कर कहा – जो दूसरों के बल पर अपना आशियाना बनाते हैं वो इसी तरह मुँह के बल गिरते हैं |
शिक्षा
कभी- कभी परिस्थिती वश हम दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं लेकिन अगर हम उसे अपना हक़ मानने लगे तो गलत हैं क्यूंकि किसी की योग्यता का पता तब ही चलता हैं जब वह स्वयम के बल पर कुछ करता हैं |
वास्तविकता के बहुत करीब हैं लेकिन इसका एक और पहलु भी जाने |
जैसे कोई परिवार हैं जिसमे कोई कमाने वाला नहीं हैं और उस परिवार में एक बच्चा हैं जो अभी छोटा हैं | आप उसकी मदद करते हो उसे पढ़ाते हो, काबिल बनाते हो |
अब वह बच्चा योग्य हैं | अपने परिवार को संभाल सकता हैं लेकिन अब वो कह रहा हैं कि उसे अभी नहीं संभालना घर, उसे अभी और पढ़ना हैं | आप सोचते हो इतना किया और सही | इस तरह दिन प्रतिदिन उस बच्चे की महत्वकांक्षाए बढ़ रही हैं और आप पूरी कर रहे हैं | इसमें जितनी गलती उसकी हैं उससे ज्यादा आपकी | आपने उसे सहारा दिया ताकि वो संभले, लेकिन अनजाने में आपने उसे बेसाखी देदी और उसे अपंग बना दिया | अगर वक्त रहते आप उसे ज़िम्मेदारी दे देते तो वो अपने पैरो पर खड़ा होता ना की आप पर आश्रित | आपकी मदद ने संभावनाओ को खत्म कर दिया |
यह कहानी कहीं ना कहीं मेरे दिल के बहुत करीब हैं आपको कैसी लगी मुझे जरुर बतायें |
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