याद (यादें) शायरी कविता yaadein shayari hindi

याद / यादें शायरी yaadein shayari hindi

हर बीतते लम्हे याद बनते जाते हैं कभी ख़ुशी तो कभी गम  की गठरी बनाते जाते हैं | यादें ही हमें अहसास दिलाती हैं कि समय कैसे भागता चलता हैं जो पल हम जी रहे थे वो कैसे अगले पल याद बन जाता हैं | ऐसी ही कई यादें पर लिखी शायरियों का आनन्द ले और कैसी लगी इस पर अपनी राय जरुर दे :

yaad yaadein shayari

याद / यादें शायरी
Yaad Yaadein Yadein Hindi Shayari

  • यादे तू बहुत सताती हैं
    हर एक पल पास आकर
    मुझे उसकी याद दिलाती हैं
    यादें तू बहुत सताती हैं

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  • दिल जल रहा हैं उसकी यादों के साथ
    आँखे नम हैं उसके ख्यालों के साथ
    साँसे हैं कि चले जा रही हैं
    वरना धड़कने तो हैं उस परवाने के साथ

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  • यादों का बिछौना लिए उसकी राह तकते हैं
    उसी के ख्यालों में ज़िन्दगी जिया करते हैं
    कभी तो आयेगी उसे भी हमारी याद
    इसी आस के सहारे
    हम उन यादों को रोज माला में पिरोया करते हैं

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  • कैसे याद करूँ मैं उसे
    जो भुला ही नहीं पाता
    कैसे इंतजार करूँ उसका
    जो मुझसे जुदा ही नहीं हो पाता
    हर वक्त हैं वो मेरे जहन में
    बिन उसके मुझे जीना ही नहीं आता

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  • वो बीते पल जब हम रोये थे
    वो अक्सर ही यादों में आकर हमें हँसा जाते हैं
    वो बीते जब हम तेरे साथ हँसे थे
    वो यादों में आकर हमें आँसुओं में भिगो जाते हैं

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  • यादों की गलियों में मैं एक शहजादी सी नाच रही थी
    उसकी बाँहों में मैं चैन से सो रही थी
    जब भी उन यादों से बाहर आती हूँ
    सफ़ेद लिबास में बस उन्ही यादों के साथ सिमट जाती हूँ

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  • वो बचपन के खेल कैसे याद बन गये
    वो रेत के घरौंदे कैसे आज ढह गये
    वो कागज की कश्ती में हम जमाना घूम आते थे
    आज बुढ़ापे में वो सुनहरे पल बस एक याद बन गये

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  • याद आता हैं वो बचपन सुहाना
    वो खेल खेल में दोस्तों से लड़ जाना
    रंग बिरंगी बॉल लिए डब-डब आंसू बहाना
    नन्ही सी गुड़ियाँ के लिये रोज आशियाना सजाना
    रोज-रोज चॉकलेट के लिये जिद्द कर जाना
    डांट पड़ने पर दादी माँ के आँचल में छिप जाना
    न जाने कहाँ छुट गये वो प्यार भरे तराने
    बस यादों में छिप गये मेरे बचपन के अफ़साने

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  • यादें वो अहसास हैं जो पल को बांधे रखती हैं
    एक झलक में ही वो समय को उलट देती हैं
    जब भी दस्तक देती हैं
    होठो पर मुस्कान,आँखों को नम कर देती हैं
    यादें वो अहसास हैं जो जिन्दगी को थामे रखती हैं

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  • उसकी नजरो को दिल भुला नहीं सकता
    उसकी बातों को दिल भुला नहीं सकता
    इस तरह यादों में कैद हैं हर लहमे
    कि चाहकर भी दिल उन्हें मिटा नहीं सकता

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  • दोस्तों के साथ बीते हर पल याद आते हैं
    नुक्कड़ के झगड़े अब मुस्कान लाते हैं
    छोटे-छोटे किस्से कैसे महीनों चलते थे
    कोई रोता,कोई हँसता,कोई रूठकर दूर हो जाता था
    रूठना भी ऐसा जैसे अब ना मिलेंगे एक दूजे को
    एक बार कोई हाथ बढ़ा ले फिर से थाम लेते एक दूजे को
    कितना मासूम था वो बचपन का जमाना
    दो पल का झगड़ा, दो पल में मान जाना
    सोचा न था एक दिन यह भी आएगा
    अकेला बैठ मैं बस उन यादों को गुनगुनायेगा

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  • रात को सोते ही यादें दस्तक देती हैं
    आँखों के बंद पटल पर वो पुराने नाटक खेलती हैं
    दिखाती रोज-रोज मुझे नये मंजर
    कराती यादों से मुलाकात
    कैसी यादें होती हैं
    कभी मीठी,तो कभी कड़वी कहती हैं
    हर लम्हे होते हैं  कैद इन यादों में
    जो रोजाना आते मेरे ख्वाबों में

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  • बिछड़े पलो को हमने इजाज़त क्या दे दी
    वो हमसे जुदाई के सारे फंसने कह गये

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  • दिल डरने लगा यादों की आहाट से
    खुद को छुपाने लगा यादों की परछाई से
    बहुत मुश्किल से बीते थे वो दर्द भरे लम्हे
    जिन्हें झोली में भर लाया यादों का दूत फिर से

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  • उसे भुलाने को रोया करते हैं
    उसकी यादों को आंसुओं में बहाया करते हैं
    कमबख्त ये यादें पीछा ही नहीं छोड़ती
    जितना हम दूर जाते वो पास आया करते हैं

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  • खुद को बदल दिया सिरे से
    अंत तक
    ना बदल पाये बस
    तेरी यादों के पन्नो को पलटना
    आज तक

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  • अँधेरा मुझे अपना लगता हैं
    वो अक्सर मेरे गम को छुपा जाता हैं
    वो यादों की परछाई को छिपा जाता हैं
    बस इसलिए अँधेरा मुझे अपना सा लगता हैं

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  • वो बचपन के खिलोने सच्चाई बन गए
    वो गुड्डे गुड़ियों के खेल सच हो गये
    लेकिन यादों में जो बचपन के ख्वाब थे
    वो हकीकत में न जाने क्या से क्या बन गये

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  • नटखट बचपन के ख्वाब भी नटखट थे
    घर घर का खेल बहुत निराला लगता था
    आज जब यादों में उन लम्हों को याद करते हैं
    तो अपनी मासूमियत पर हँसी आ जाती हैं

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  • यादों में एक घर था
    जहाँ मैं परी जैसी जी रही थी
    अपनी माँ के आँचल में लोरी सुना करती थी
    पापा के पास बैठ कर घंटो बोला करती थी
    भाई के साथ खेल-खेल में रूठा करती थी
    जीवन का एक ख्वाब पूरा हो गया
    न जाने कब बचपन बीता, शादी का ढोल बज गया
    अब ना माँ की लोरी हैं, ना पापा संग बाते
    अब मैं एक नारी हूँ जिसमे किसी को अवगुण ना भाते
    ना मैं जोर-जोर से हँस सकती, ना जब चाहे जब खा सकती
    ना मन करे तब सो पाती, ना कभी झल्ला पाती
    अब यही जीवन का सच हैं
    परियों का वो जीवन बस एक याद हैं
    बस एक याद हैं

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  • पुरानी यादों के साथ दिन बीत जाते हैं
    दोस्त ख्यालों में अक्सर कहीं ठहर जाते हैं
    मुलाकात हो या ना हो वो आँखों में बस जाते हैं
    कभी मुस्कान के साथ, तो कभी अश्को के साथ याद आते हैं

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  • यादें कुछ कह नहीं पाती
    वो बस दिल को पसीज जाती हैं
    जब भी यादें जवाब मांगती हैं
    बस आँखों को रोता ही पाती हैं

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  • यादों का कोई तोड़ नहीं होता
    जो छुट गया उसका जोड़ नहीं होता
    बस आँख बंद कर अहसास किया जा सकता हैं
    अगर वो साथ ना छुटता तो यादों का हिस्सा ना बनता

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  • अक्सर ख्यालों में ही उससे बात कर लेते हैं
    ख्वाबों की ज़िन्दगी को पल में जी लेते हैं
    कोई गिला शिक्वा नहीं अब उनसे हमें
    क्यूंकि हर रोज उनसे यादों में मुलाकात कर लेते हैं

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  • कैसे कह दे कुछ न रहा अब हमारे पास
    वो यादों के पिटारे तुम छीन नहीं सकते
    कितना भी दर्द दे दो ए सनम
    पर हमें अपने को याद करने से रोक नहीं सकते
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