महाराजा अग्रसेन कौन थे, जयंती, इतिहास, जीवन परिचय एवम अनमोल वचन (Agrasen Maharaj kab hai, Biography, Jayanti, History, Quotes, sons, birth In Hindi)
महाराज अग्रसेन, अग्रवाल अर्थात वैश्य समाज के जनक कहे जाते हैं. अग्रसेन जी का जन्म क्षत्रिय समाज में हुआ था. उस समय आहुति के रूप में पशुओं की बलि दी जाती थी, जिसे अग्रसेन महाराज पसंद नहीं करते थे और इस कारण उन्होंने क्षत्रिय धर्म त्याग कर वैश्य धर्म स्वीकार किया था. कुल देवी लक्ष्मी जी के मतानुसार उन्होंने अग्रवाल समाज की उत्त्पत्ति की इस प्रकार वे अग्रवाल समाज के जन्मदाता देव माने जाते हैं. इन्होने व्यापारियों के राज्य की स्थापना की थी. यह उत्तरी भाग में बसाया गया था, जिसका नाम अग्रोहा पड़ा था. अग्रवाल समाज के लिए अठारह गौत्र का जन्म इनके अठारह पुत्रो के द्वारा ऋषियों के सानिध्य अठारह यज्ञों द्वारा किया गया था.
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महाराजा अग्रसेन जीवन परिचय व इतिहास (Agrasen Maharaj Biography and History In Hindi)
अग्रसेन राजा वल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे. कहा जाता हैं इनका जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था, जिस वक्त राम राज्य हुआ करते थे अर्थात राजा प्रजा के हित में कार्य करते थे, देश के सेवक होते थे. यही सब सिधांत राजा अग्रसेन के भी थे जिनके कारण वे इतिहास में अमर हुए. इनकी नगरी का नाम प्रतापनगर था. बाद में इन्होने अग्रोहा नामक नगरी बसाई थी. इन्हें मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं एवम जानवरों से भी लगाव था, जिस कारण उन्होंने यज्ञों में पशु की आहुति को गलत करार दिया और अपना क्षत्रिय धर्म त्याग कर वैश्य धर्म की स्थापना की इस प्रकार वे अग्रवाल समाज के जन्म दाता बने. इनकी नगरी अग्रोहा में सभी मनुष्य धन धान्य से सकुशल थे. यह एक प्रिय राजा की तरह प्रसिद्द थे. इन्होने महाभारत युद्ध में पांडवो के पक्ष में युद्ध किया था.
इनका विवाह नागराज कन्या माधवी से हुआ था. माधवी बहुत सुंदर कन्या थी. उनके लिए स्वयंबर रखा गया था, जिसमे राजा इंद्र ने भी भाग लिया था, लेकिन कन्या ने अग्रसेन को चुना, जिससे राजा इंद्र को अपमान महसूस हुआ और उन्होंने प्रताप नगर में अकाल की स्थिती निर्मित कर दी, जिसके कारण राजा अग्रसेन ने इंद्र देव पर आक्रमण किया. इस युद्ध में अग्रसेन महाराज की स्थिती बेहतर थी. इस प्रकार उनका जीतना तय लग रहा था, लेकिन देवताओं ने नारद मुनि के साथ मिलकर इंद्र और अग्रसेन के बीच का बैर खत्म किया.
महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय सम्मान
अग्रसेन महाराज ने अपने विचारों एवम कर्मठता के बल पर समाज को एक नयी दिशा दी. उनके कारण समाजवाद एवम व्यापार का महत्व सभी ने समझा. इसी कारण भारत सरकार ने 24 सितम्बर 1976 को सम्मान के रूप में 25 पैसे के टिकिट पर महाराज अग्रसेन की आकृति डलवाई. भारत सरकार ने 1995 में जहाज लिया, जिसका नाम अग्रसेन रखा गया था.
आज भी दिल्ली में अग्रसेन की बावड़ी हैं जिसमे उनसे जुड़े तथ्य रखे गए हैं.
कैसे हुई अग्रोहा धाम की स्थापना (Agroha Dham Haryana):
महाराज अग्रसेन प्रताप नगर के राजा थे. राज्य खुशहाली से चल रहा था. समृद्धि की इच्छा लेकर अग्रसेन ने तपस्या में अपना मन लगाया, जिसके बाद माता लक्ष्मी ने उन्हें दर्शन दिये और उन्होंने अग्रसेन को एक नवीन विचारधारा के साथ वैश्य जाति बनाने एवम एक नया राज्य रचने की प्रेरणा दी, जिसके बाद राजा अग्रसेन एवम रानी माधवी ने पुरे देश की यात्रा की और अपनी समझ के अनुसार अग्रोहा राज्य की स्थापना की. शुरुवात में इसका नाम अग्रेयगण रखा गया, जो बदल कर अग्रोहा हो गया. यह स्थान आज हरियाणा प्रदेश के अंतर्गत आता हैं. यहाँ लक्ष्मी माता का भव्य मंदिर हैं.
इस संस्कृति की स्थापना से ही व्यापार का दृष्टिकोण समाज में विकसित हुआ. राजा अग्रसेन ने ही समाजवाद की स्थापना की जिसके कारण लोगो में एकता का भाव विकसित हुआ.साथ ही सहयोग की भावना का विकास हुआ जिससे जीवन स्तर में सुधार आया.
कैसे हुई अग्रवाल समाज की उत्पत्ति :
राजा अग्रसेन ने वैश्य जाति का जन्म तो कर दिया, लेकिन इसे व्यवस्थित करने के लिए 18 यज्ञ हुए और उनके आधार पर गौत्र बनाये गए.
अग्रसेन महाराज के 18 पुत्र थे. उन 18 पुत्रों को यज्ञ का संकल्प दिया गया, जिन्हें 18 ऋषियों ने पूरा करवाया. इन ऋषियों के आधार पर गौत्र की उत्त्पत्ति हुई, जिसने भव्य 18 गोत्र वाले अग्रवाल समाज का निर्माण किया.
अग्रसेन महाराज के गोत्र (Agrasen Maharaj Gotra)–
गोत्र | भगवान् | गुरु (ऋषि) |
एरोन/ एरन | इन्द्रमल | अत्री/और्वा |
बंसल | विर्भन | विशिस्ट/वत्स |
बिंदल/विन्दल | वृन्द्देव | यावासा या वशिष्ठ |
भंडल | वासुदेव | भरद्वाज |
धारण/डेरन | धवंदेव | भेकार या घुम्या |
गर्ग/गर्गेया | पुष्पादेव | गर्गाचार्य या गर्ग |
गोयल/गोएल/गोएंका | गेंदुमल | गौतम या गोभिल |
गोयन/गंगल | गोधर | पुरोहित या गौतम |
जिंदल | जैत्रसंघ | बृहस्पति या जैमिनी |
कंसल | मनिपाल | कौशिक |
कुछल/कुच्चल | करानचंद | कुश या कश्यप |
मधुकुल/मुद्गल | माधवसेन | आश्वलायन/मुद्गल |
मंगल | अमृतसेन | मुद्रगल/मंडव्य |
मित्तल | मंत्रपति | विश्वामित्र/मैत्रेय |
नंगल/नागल | नर्सेव | कौदल्या/नागेन्द्र |
सिंघल/सिंगला | सिंधुपति | श्रृंगी/शंदिला |
तायल | ताराचंद | साकाल/तैतिरेय |
तिन्गल/तुन्घल | तम्बोल्कारना | शंदिलिया/तन्द्य |
इस यज्ञ के समय जब 18 रवे यज्ञ में पशु बलि की बात आई, तो राजा अग्रसेन ने इस बात का विरोध किया. इस प्रकार अंतिम यज्ञ में पशु बलि को रोक दिया गया.
इस प्रकार गठित इस वैश्य समाज ने धन उपार्जन के रास्ते बनाये और आज तक यह जाति व्यापार के लिए जानी जाति हैं.
अग्रसेन महाराज अंतिम समय (Agrasen Maharaj Last Time):
सकुशल राज्य की स्थापना कर राजा अग्रसेन ने अपना यह कार्यभार अपने जेष्ठ पुत्र विभु को सौंप दिया. और स्वयं वन में चले गए. इन्होने लगभग 100 वर्षो तक शासन किया था. इन्हें न्यायप्रियता, दयालुता, कर्मठ एवम क्रियाशीलता के कारण इतिहास के पन्नो में एक भगवान के तुल्य स्थान दिय गया. भारतेंदु हरिशचंद्र ने इन पर कई किताबे लिखी गई. इनकी नीतियों का अध्ययन कर उनसे ज्ञान लिया गया.
इन्होने ही लोकतंत्र, समाजिकता, आर्थिक नीतियों को बनाया एवम इसका महत्व समझाया. सन 29 सितंबर1976 में इनके राज्य अग्रोहा को धर्मिक धाम बनाया गया. यहाँ अग्रसेन जी का मंदिर भी बनवाया गया, जिसकी स्थापना 1969 वसंतपंचमी के दिन की गई. इसे अग्रवाल समाज का तीर्थ कहा जाता हैं.
अग्रवाल समाज में अग्रसेन जयंती सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाई जाती हैं. पूरा समाज एकत्र होकर इस जयंती को विभिन्न तरीकों से मनाता हैं
अग्रसेन जयंती कब मनाई जाती हैं ? (Agrasen Jayanti 2024 Date)
आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात नवरात्री के प्रथम दिन अग्रसेन जयंती मनाई जाती हैं. इस दिन भव्य आयोजन किये जाते हैं एवम विधि विधान से पूजा पाठ की जाती हैं.
इस वर्ष 2024 में यह जयंती 3 अक्टूबर दिन गुरूवार को मनाई जाएगी.
वैश्य समाज के अंतर्गत अग्रवाल समाज के साथ जैन, महेश्वरी, खंडेलवाल आदि भी आते हैं, वे सभी भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. पूरा समाज एकत्र होकर इस जयंती को मनाता हैं. इस दिन महा रैली निकाली जाती हैं. अग्रसेन जयंती के पंद्रह दिन पूर्व से समारोह शुरू हो जाता हैं. समाज में कई नाट्य नाटिका एवम प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं. बच्चों के लिए कई आयोजन किये जाते हैं. यह उत्सव पुरे समाज के साथ मिलकर किया जाता हैं. यही इसका मुख्य उद्देश्य हैं.
अग्रसेन महाराज अनमोल वचन (Agrasen Maharaj Quotes)
- जिस प्रकार हमें मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता हैं हमें ऐसा जीवन बनाना होगा कि हम कह सके कि हम मृत्यु से पहले स्वर्ग में थे.
- मैंने किसी पक्षी को तीर का निशाना बनाने के बजाय उन्हें उड़ता देखना पसंद करता हूँ.
- घोड़े पर बैठकर जब चलते हैं अग्रसेन बच्चा-बच्चा कहता हैं हैं हम इनकी देन
- पशुओं से प्रेम में परंपरा को झुठला डाला पशु बलि को रोकते हुए नये समाज का निर्माण कर डाला
- कर्मठता का प्रतीक हैं इनके स्वभाव में ही सीख हैं ऐसी परंपरा बनाई आज तक जो चली आ रही वही रीत हैं.
- जनक पिता बनकर इन्होने नव समाज निर्माण किया इनके ही विचारों के कारण आज वैश्य जाति ने उद्धार किया
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FAQ
Ans : अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की बैठकी को
Ans : 3 अक्टूबर
Ans : अग्रोहा समाज के संथापक
Ans : आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को
Ans : महाराजा अग्रसेन को श्रीराम का वंशज माना गया है.
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