विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि एवम आरती, कब मनाई जाती है, डेट, शुभ मुहूर्त कैसे मनाते हैं (Vishwakarma Jayanti Puja Vidhi, 2024 date, Shubha Muhurth, Aarati In Hindi)
विश्वकर्मा देव ने पूरी श्रृष्टि का निर्माण किया इन्हें सृष्टि का निर्माण कर्ता कहते हैं. इन्हें आज के समय के अनुसार सृष्टि का इंजिनियर, आर्किटेक्ट कहा जाता हैं. इनकी पूजा भी इंजिनियर और वर्कर करते हैं. इस दिन सभी निर्माण के कार्य में उपयोग होने वाले हथियारों एवम औजारों की पूजा की जाती हैं.
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कब मनाई जाती हैं विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2024 Date, muhurt)
विश्वकर्मा जयंती प्रतिवर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, इस वर्ष यह 16 सितम्बर दिन सोमवार को मनाई जाएगी. इस दिन उद्योगों, फेक्ट्रीयों एवम कार्य क्षेत्र में विशेष पूजा की जाती हैं.
विश्वकर्मा जयंती तारीख | 16 सितम्बर |
संक्रांति का समय | 07:01 |
शुभ मुहूर्त | सुबह 07.50 मिनट से लेकर दोपहर 12.26 मिनट दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट |
विश्वकर्मा कौन हैं (Who is Vishwakarma)
विश्वकर्मा को दिव्य इंजीनियर और ब्रह्मांड के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इन्होने भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका का निर्माण किया था. इन्होने युधिष्ठिर की नगरी इन्द्रप्रस्थ का भी निर्माण किया था और अपनी कला से इसे मायावी रूप दिया था. इन्होने ने ही सोने की लंका को बसाया था. पूरी सृष्टि के निर्माण के साथ- साथ इन्होने कई औजार भी बनाये. कई दिव्य शास्त्रों का भी निर्माण किया, जिसमे देवराज इंद्र का वज्र भी हैं, जिसे इन्होने महर्षि दधिची की हड्डियों से बनाया था. महान दधिची ने जीवित रहते हुए अपने हड्डियों का दान दिया था.
जन्म के संबंध में पौराणिक कथा (Katha)
कहते हैं सर्वप्रथम भगवान विष्णु ने अवतार लिया था, उनकी नाभि में कमल पुष्प में ब्रह्म देव विराजमान थे. ब्रह्म देव को सृष्टि का रचयिता कहा जाता हैं, अतः उन्होंने सबसे पहले धर्म को जन दिया. धर्म ने वस्तु नामक एक कन्या जो कि प्रजापति दक्ष की एक पुत्री थी, से विवाह किया जिनसे उन्हें वास्तु नामक पुत्र की प्राप्ति हुई, वास्तु भी शिल्पकार थे. वास्तु की संतान थे, विश्वकर्मा जो कि अपने पिता के समान ही श्रेष्ठ शिल्पकार बने और ब्राह्मण का निर्माण किया.
विश्वकर्मा जयंती कौन और कैसे मनाते हैं (Vishwakarma Jayanti Celebration)
इस दिन इंजीनियरिंग समुदाय और पेशेवरों द्वारा पूजा की जाती है . कार्यालयों और कार्यशालाओं में सभी भगवान विश्वकर्मा देव के सामने अपने उपकरणों की पूजा करते हैं . यह पूजा सभी कलाकारों , बुनकर, शिल्पकार और औद्योगिक घरानों द्वारा सितंबर के महीने में की जाती है. इस दिन को कन्या संक्रांति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. विश्वकर्मा देव की पूजा दीपावली के समय भी की जाती हैं.
विश्वकर्मा पूजा की कथा व कहानी व महत्त्व (Vishwakarma Jayanti Puja story)
पौराणिक युग में एक व्यापारी था, जिसकी एक पत्नी थी दोनों मेहनत करके जीवन व्यापन करते थे, लेकिन कितना भी करे सुख सुविधायें उनके नसीब में न थी. उनकी कोई संतान भी न थी, इसलिए दोनों दुखी रहते थे. तभी किसी सज्जन ने उन्हें विश्वकर्मा देव की शरण में जाने कहा. उन दोनों ने बात मानी और अमावस के दिन विश्वकर्मा देव की पूजा की व्रत का पालन किया. जिसके बाद उन्हें संतान भी प्राप्त हुआ और सभी ऐशों आराम भी मिले.
इस प्रकार विश्वकर्मा देव की पूजा का महत्व मिलता हैं.
विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि (Vishwakarma Jayanti Puja Vidhi)
- इनकी प्रतिमा को विराजित कर इनकी पूजा की जाती हैं. इनके भिन्न- भिन्न चित्र पुराणों में उल्लेखित हैं.
- इस दिन इंजिनियर अपने कार्य स्थल, निर्माण स्थल (भूमि) की पूजा करते हैं.
- इस दिन मजदुर वर्ग अपने औजारों की पूजा करते हैं.
- उद्योगों में आज के दिन अवकाश रखा जाता हैं.
- बुनकर, बढ़ई सभी प्रकार के शिल्पी इस दिन विश्वकर्मा देव की पूजा करते हैं.
- इस दिन कई जगहों पर यज्ञ किया जाता हैं.
विश्वकर्मा जयंती आरती (Vishwakarma Jayanti Aarati)
इस प्रकार पुरे देश में विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती हैं. सुंदर विश्व के निर्माण में आज के समय में इंजिनियर ही विश्वकर्मा देव के रूप हैं. देव की कृपा बनी रहे इसलिए इस पर्व को प्रेम के साथ मनाया जाता हैं. कलाओ का दाता विश्वकर्मा देव को ही माना जाता हैं. उनके द्वारा बनाई गई शिल्प की कला को आज के विज्ञान के साथ जोड़ कर इन साधारण मनुष्यों ने दुनियाँ को वही माया देने की कोशिश की है, जो भगवान विश्वकर्मा ने इन्द्रप्रस्थ में दी थी.
वह आध्यात्मिक युग सतयुग था, जहाँ भगवान की लीलायें भरी पड़ी थी, उस युग से वर्तमान कलयुग की तुलना ही व्यर्थ हैं, लेकिन इस युग में विज्ञान का ज्ञान ऊँचाई पाने की होड़ में लगा हुआ हैं.
उस वक़्त की मायावी कलाओं को इस युग में विज्ञान के द्वारा साधारण मनुष्य चरितार्थ करने में लगा हुआ हैं. ऐसे में विश्वकर्मा देव का आशीर्वाद बहुत आवश्यक हैं.
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FAQ
Ans : 16 सितंबर को
Ans : 2 बार
Ans : कोई फर्क नहीं है, विश्वकर्मा जी के जन्म के दिन ही जयंती मनाई जाती है और पूजा की जाती है.
Ans : 16 सितंबर को द्वापर युग में
Ans : इंजिनियर एवं आर्किटेक्ट
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