हर हल छठ और बलराम जयंती पूजा विधि, महत्व एवम व्रत कथा 2024 (Har chhath Hal Shashthi or Balaram Jayanti Vidhi in Hindi)
हर छठ/ हल छठ की पूजा का हिन्दू पर्व में बहुत अधिक महत्व हैं. आमतौर पर यह उत्तर भारत में मनाया जाता हैं. यह व्रत पुत्रवती स्त्रियाँ अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए करती हैं. यह हर छठ का व्रत बहुत नियम कायदों के साथ किया जाता हैं.
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क्या हैं हल छठ व्रत एवम बलराम जयंती (What is Har Chhath or Hal Shashthi Vrat)
हल छठ किसानों का विशेष पर्व होता हैं. यह बलराम के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता हैं. बलराम श्री कृष्ण के बड़े भाई थे, जिनका प्रिय शस्त्र हल था, इन्हें हलधर भी कहा जाता हैं, इसलिये इसे किसानो का त्यौहार कहते हैं. इस दिन हल की पूजा की जाती हैं साथ ही बैल की भी पूजा की जाती हैं.
कब मनाया जाता हैं हर छठ या बलराम जयंती (When is Balaram jayanti)
हल छठ का त्यौहार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता हैं, कुछ लोग हल छठ का त्यौहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाते हैं. महिलायें अपने पुत्र की रक्षा के लिए यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ पुरे विधि विधान से करती हैं.
इस वर्ष 2024 में हर / हल छठ कब मनाई जाएगी (Har chhath Hal shashthi Vrat Date)
इस वर्ष 2024 में हर छठ का त्यौहार 25 अगस्त दिन रविवार को मनाया जायेगा.
हर हल छठ बलराम जयंती पूजा विधि महत्व एवम व्रत कथा (Har chhath Hal shashthi Vrat Balaram Jayanti Vidhi in Hindi)
हल हर षष्ठी कैसे मनाई जाती हैं ( Har chhath Hal shashthi Vrat Celebration)
इस व्रत का पालन करने वाली महिलायें इस दिन हल से जुती हुई सामग्री अर्थात अनाज नहीं खा सकती. ना ही गाय का दूध अथवा घी खा सकती हैं. उस दिन उन्हें केवल वृक्ष पर लगे खाद्य पदार्थ खाने की अनुमति होती हैं.
हर छठ की पूजा सामग्री (Har chhath Hal shashthi Vrat Samagri)
क्र | सामग्री |
1 | भेंस का दूध, घी, दही गोबर. |
2 | महुये का फल, फुल एवम पत्ते |
3 | जवार की धानी |
4 | ऐपन |
5 | कुल्वे (छोते से मिट्टी के कुल्हड़ ) |
6 | देवली छेवली (बांस और महुये के पत्ते से बना होता हैं.) |
हल हर षष्ठी के नियम एवम पूजा विधि ( Har chhath Hal shashthi Vrat Puja Vidhi)
- प्रातः काल उठकर महुयें से दांत साफ़ किये जाते हैं.
- इस दिन बिना हल से जूते खाद्य पदार्थ खाये जाते हैं. पसई धान के चावल, भेंस के दूध का उपयोग भोजन में किया जाता हैं. भोजन पूजा के बाद किया जाता हैं.
- यह व्रत पुत्रवती स्त्रियाँ ही करती हैं.
- इस व्रत की पूजा हेतु भेंस के गोबर से पूजा घर में घर की दिवार पर हर छठ माता का चित्र बनाया जाता हैं. एपन तैयार किया जाता हैं. उससे चित्र का श्रृंगार किया जाता हैं.
ऐपन बनाने की विधि : पूजा के चावल को पानी में भीगा कर रखा जाता हैं. फिर उसे सिल बट्टे पर पिस कर उसमे हल्दी मिलाई जाती हैं. एक लेप की तरह घोल तैयार होता हैं उसे ऐपन कहते हैं.
- इस चित्र में हल, सप्त ऋषि, पशु ,किसान मान्यतानुसार कई चित्र बनाये जाते हैं.
- कई परिवार केवल हाथों के छापे बनाकर उनकी पूजा करते हैं.हाथो में ऐपन लगाकर उसके छापे दीवार पर बनाकर उनकी पूजा की जाती हैं.
- पूजा के लिए पाटे पर कलश सजाया जाता हैं. गणेश जी एवम माता गौरा को स्थापित किया जाता हैं.
- साथ ही मिट्टी के कुल्वे में ज्वार की धानी एवम महुआ का फल भरा जाता हैं.
- एक मटकी में देवली छेवली को रखा जाता हैं.
- सबसे पहले कलश की पूजा कर गणेश जी एवम माता गौरा की पूजा की जाती हैं.
- फिर हर छठ माता की पूजा की जाती हैं.
- उसके बाद कुल्वे एवम मटकी की पूजा की जाती हैं.
- पूजा के बाद हर छठ की कथा पढ़ी जाती हैं.
- माता जी की आरती की जाती हैं.
- आरती के बाद वही बैठकर महुयें के पत्ते पर महुये का फल रख कर उसे भेस के दूध से बने दही के साथ खाया जाता हैं.
- पूजा के बाद व्रत पूरा करने हेतु भोजन में पसई धान के चावल एवम भेंस के दूध से बनी वस्तुयें खा सकते हैं.
हर छठ पूजा कथा एवम महत्व ( Har chhath Hal shashthi Vrat Katha Mahtva):
एक ग्वालिन थी वो दूध दही बेचकर अपना जीवन व्यापन करती थी. वह गर्भवती थी.एक दिन जब वह दूध बेचने जा रही थी उसे प्रसव का दर्द शुरू हुआ. वो समीप पर एक पेड़ के नीचे बैठ गई जहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया. ग्वालिन को दूध ख़राब होने की चिंता थी इसलिये अपने पुत्र को पेड़ के नीचे सुलाकर वो गाँव में दूध बेचने चली गई. उस दिन हर छठ व्रत था सभी को भेंस का दूध चाहिए था. ग्वालिन के पास केवल गाय का दूध था उसने झूठ बोलकर सभी को भेस का दूध बताकर पूरा गाय का दूध बेच दिया. इससे हर छठ माता क्रोधित हो गई. और उसके पुत्र के प्राण हर लिये. जब ग्वालिन आई उसे अपनी करनी पर बहुत संताप हुआ और उसने गाँव में जाकर सभी के सामने अपने गुनाह को स्वीकार किया. सभी से पैर पकड़कर क्षमा मांगी. उसके इस तरह से विलाप को देख कर उसे सभी ने माफ़ कर दिया. जिससे हर छठ माता प्रसन्न हो गई. और उसका पुत्र जीवित हो गया. तब ही से पुत्र की लंबी उम्र हेतु हर छठ माता का व्रत एवम पूजा की जाती हैं.
कहा जाता हैं जब बच्चा पैदा होता हैं तब से लेकर छः माह तक छठी माता बच्चे की देखभाल करती हैं. उसे हँसती हैं. उसका पूरा ध्यान रखती हैं इसलिये बच्चे के जन्म के छः दिन बाद छठी की पूजा भी की जाती हैं. हर छठ माता को बच्चो की रक्षा करने वाली माता भी कहा जाता हैं.
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FAQ
Ans : भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.
Ans : 25 अगस्त
Ans : हरछठ माता की
Ans : पुत्रव्रती स्त्रियाँ
Ans : वृक्ष में होने वाली चीजें
Ans : हल से जुती चीजें एवं गाय के दूध से बनी चीजें
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