Take a Knee Movement Kya hai, important, History, India Pakistan Cricket Latest News (टेक अ नी मूवमेंट क्या है, इतिहास, ताज़ा खबर)
दोस्तो हाल में ही टी -20 वर्ल्ड कप में भारत पाकिस्तान का मैच हुआ था। इस मैच में बल्लेबाजी के लिए आई रोहित शर्मा और केएल राहुल की जोड़ी को आपने घुटने के बल बैठे देखा होगा। इन दोनो के अलावा भारतीय क्रिकेट टीम के बाकी खिलाड़ियों को भी डग आउट के बाहर घुटने के बल बैठा देखा गया है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताएंगे कि भारतीय क्रिकेट टीम का आखिर घुटने के बल बैठने के पीछे का माजरा क्या था. साथ ही आपको ये भी बताया जायेगा कि भारतीय टीम ने टेक ए नी मुहिम में हिस्सा क्यूं लिया। साथ ही आर्टिकल के जरिए आपको ये भी पता चलेगा कि टेक ए नी से जुड़ी मुहिम है क्या और इसे प्रदर्शित करने का क्या अभिप्राय होता है। तो इस पूरी जानकारी के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।
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टेक ए नी आन्दोलन क्या है (Take a Knee Movement)
टेक ए नी एक ऐसा जेस्चर है जो सन 2016 में एक अमेरिकी फ़ुटबॉल मैच के दौरान पहली बार प्रयोग में लाया गया था। इस मुहिम का उद्देश्य रेशियल डिस्क्रिमिनेशन और इनिक्वालिटी यानि जातीय भेदभाव और असमानता की ओर अपना विरोध जताना है। इस जेस्चर से खिलाड़ी पुलिस ब्रूटलिटी के खिलाफ भी अपनी असहमति दर्ज करवाते हैं। जिन दो खिलाड़ियों ने फुटबाल मैच के दौरान इस मुहिम को शुरू किया था उन्होंने अमेरिकी झंडे के आगे घुटने के बल बैठ कर ये बताना चाहा था कि जिस देश में काले लोगो पर अत्याचार हो, वहां हम गर्व से खड़े नहीं हो सकते हैं। उस वक्त उन्हें ऐसा करने के लिए काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था। इस आन्दोलन को ब्लैक लाइव्स मैटर भी कहा जाता है.
टेक ए नी आन्दोलन इतिहास क्या है (Take a Knee Movement History)
दोस्तों, घुटने के बल बैठ कर विरोध प्रदर्शन करने के पीछे इसका ऐतिहासिक कारण भी है। 50-60 के दशकों में मार्टिन लूथर किंग द्वारा सिविल राइट्स और इक्वालिटी के लिए चलाई जा रही मुहिम को लोगो ने घुटने के बल बैठ कर सपोर्ट किया था। मार्टिन लूथर प्रोटेस्टर्स को सपोर्ट करने के लिए घुटने के बल बैठते थे, जिसका अनुसरण बाकी लोगो ने भी किया। इस मुहिम का उद्देश्य प्रोटेस्टर्स के प्रति अपना समर्थन दिखाना था।
टेक ए नी आन्दोलन महत्व (Take a Knee Movement Important)
टेक ए नी मुहिम की जड़ें मुख्यत: यूएसए से जुड़ी हैं जहां स्लेवरी और गोरे काले का भेद कभी काफी हद तक फैला हुआ था। पर ऐसा नहीं है कि ये जेस्चर सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित है। आज इसका प्रयोग किसी भी तरीके की जातीय असमानता के प्रति विरोध जताने में किया जाता है। आपको बता दें कि ये मुहिम अधिक चर्चा में तब आई जब अमेरिका में पिछले वर्ष जॉर्ज फ्लॉयड की मौत एक पुलिसकर्मी के हाथों हुई थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद से खिलाड़ियों द्वारा टेक ए नी जेस्चर को नस्लवाद के विरोध में लाया जाता है।
टेक ए नी भारत पाकिस्तान क्रिकेट ताज़ा खबर (Take a Knee India Pakistan Cricket News)
भारत पाकिस्तान के मैच के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम को घुटने के बल बैठे देखा गया। भारत की पूरी टीम ने जातीय असमानता और इससे जुड़े भेदभाव का पुरजोर विरोध किया। पर अभी भी कुछ देश घुटने के बल बैठ कर इस मुहिम में अपना समर्थन नहीं जताते हैं। यूरोपियन कंट्रीज में टेक ए नी मुहिम का पालन करने से कभी कभी खिलाड़ियों को आलोचना का सामना भी करना पड़ता है। वही हमने ये भी देखा कि भारत के साथ मैच में मुकाबला करने वाले प्रतिद्वंदी यानि पाकिस्तानी टीम ने घुटने के बल बैठने के बजाए सीने पर हाथ रख कर जातीय भेदभाव के विरुद्ध अपनी भावनाएं व्यक्त की थी। भारतीय टीम ने इस जेस्चर के माध्यम से ‘ब्लैक लाइफ मैटर्स’ संदेश देने की कोशिश की है।
FAQ
Ans : अमेरिका
Ans : जी हां
Ans : भारत पाकिस्तान टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप मैच
Ans : जातीय भेदभाव और असमानता का विरोध
Ans : पचास और साठ के दशक में मार्टिन लूथर किंग ने इसको इंट्रोड्यूस किया था। हालांकि ये दोबारा 2016 में प्रैक्टिस में लाया गया।
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