दीवाली पर हिंदी कविता ( Diwali Kavita or Poem 2020 in Hindi)
यह पर्व सभी त्यौहारों का राजा माना जाता हैं. अमावस की रात को दीपों से सजाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व माना जाता हैं. हर तरह खुशियों का आलम होता हैं अपनों से मिलने का सुखद अनुभव होता हैं. हर वर्ष इस त्यौहार का चाव से इन्तजार करते हैं और कई सपनों के साथ इसे मनाते हैं.
आज के व्यस्त समय में और रुपये पैसों के इस दौर में घर के बच्चे अपनों से दूर जाकर जीवन का संघर्ष करते हैं और घर में बूढ़े माँ बाप उनकी आस लगाये दरवाजे पर टकटकी लगाये बैठे रहते हैं, ऐसे में क्या दीपावली के फटाके क्या पकवान की महक वो सभी तो बस कुछ पल साथ बिताना चाहते हैं, आधुनिक दौर में त्योहारों की परिभाषा बदल गई हैं धार्मिक रीति रिवाज़ तो बहाना हैं बस किसी तरह अपनों के करीब आना हैं.
दिवाली 2020 में कब है : जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि विस्तार से
दीवाली पर हिंदी कविता (Diwali Kavita and Poem in Hindi)
आई रे आई दीपावली हैं आई
आई रे आई जगमगाती रात हैं आई
दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं आई
हर तरफ है हँसी ठिठोले
रंग-बिरंगे,जग-मग शोले
परिवार को बांधे हर त्यौहार
खुशियों की छाये जीवन में बहार
सबके लिए हैं मनचाहे उपहार
मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान
कराता सबका मिलन हर साल
दीपावली का पर्व सबसे महान
फिर से सजेगी हर दहलीज़ फूलों से
फिर महक उठेगी रसौई पकवानों से
मिल बैठेंगे पुराने यार एक दूजे से
फिर से सजेगी महफ़िल हँसी ठहाको से
चारों तरफ होगा खुशियों का नज़ारा
सजेगा हर आँगन दीपक का उजाला
डलेगी रंगों की रंगोली हर एक द्वार
ऐसा हैं हमारा दीपावली का त्यौहार
मेरी दीपावली (व्यस्त जीवन की भावना)
ना फुलजड़ी फटाके बुलाते मुझे
ना गुलाब जामुन की खुशबू ललचाती मुझे
ना फुलजड़ी फटाके बुलाते मुझे
ना गुलाब जामुन की खुशबू ललचाती मुझे
ना नए कपड़ों की चाहत खीचें मुझे
ना गहनों चमक लुभाए आये मुझे
मुझे तो चाहिए कुछ अनमोल घड़ी
जब फिर से जुड़ती अपनों से कड़ी
दिवाली की रंगत ना भाती मुझे
बस माँ की गोद ही याद आती मुझे
नहीं वो बचपन की दिवाली सजे
बस मुझे मेरे अपनों का साथ मिले
बस साथ मिले ||
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