जूनागढ़ गिरनार रोपवे क्या है, कहाँ स्थित हैं, इतिहास, लम्बाई, उद्घाटन, टिकिट, समय, उद्घाटन किसने और कब किया, [Girnar Ropeway kya hai in Hindi, History, Online booking charges, Ticket Price, Length, Project, Time]
गुजरात के जूनागढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिरनार रोपवे का उद्घाटन 24 अक्टूबर 2020 को कर दिया है जिससे श्रद्धालु अत्यधिक खुश है क्योंकि इसके माध्यम से सभी लोगों को पर्वत तक जाने के लिए सुविधा मिलेगी। अगर आपको इसके बारे में सारी जानकारी चाहिए तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
Table of Contents
गिरनार रोपवे की मुख्य जानकारी
प्रोजेक्ट नाम | गिरनार रोपवे |
गिरनार रोपवे की लंबाई (Girnar Ropeway Length) | 2.3 किलोमीटर |
कहां स्थित है (Place) | जूनागढ़, गुजरात भारत |
किसने उद्घाटन किया | भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
कब उद्घाटन किया | 24 अक्टूबर 2020 |
टिकट (Ticket Prize) | दोनों तरफ के-700 रुपए एक तरफ के-400 रुपए |
समय (Time) | 7 मिनट |
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गिरनार रोपवे क्या है
यह हमारे देश के गिरनार पर्वत पर बना सबसे बड़ा रोपवे है और जानकारी के लिए बता दें कि गिरनार रोपवे के माध्यम से सभी लोग गिरनार पर्वत पर बने अंबे मंदिर पर दर्शन के लिए बिना किसी समस्या के जा सकते हैं। यहां बता दें कि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 9999 सीढ़ियां चढ़ने पड़ती थी परंतु अब इस रोपवे से लोगों को काफी राहत मिलेगी। साथ ही बता दें कि इस रोपवे की सहायता से लोग इतनी ऊंची चढ़ाई को केवल 7 मिनट में पूरा कर सकते हैं।
गिरनार रोपवे की विशेषता
यहां जानकारी के लिए बता दें कि यह गुजरात का चौथा रोपवे है और इसकी लंबाई 2.3 किलोमीटर है। इसकी सबसे मुख्य विशेषता यह है कि अब लोगों को अपने देवी देवताओं के दर्शन के लिए हजारों सीढ़ियां नहीं चढ़नी पड़ेगी बल्कि इसमें बैठकर लगभग 7 मिनट में पर्वत के ऊपर होंगे। इसके अलावा बता दें कि इसमें एक ही बार में लगभग 192 लोग आराम से जा सकते हैं।
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गिरनार रोपवे का इतिहास
यहां बता दें कि गिरनार पर्वत एक दर्शनीय स्थल है जहां पर अंबे मां के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर बने हुए हैं जिसके कारण यह एक बहुत ही प्रमुख तीर्थ स्थल है परंतु यहां तक जाने के लिए लोगों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ता था। इसी समस्या को देखते हुए पर्यटन निगम लिमिटेड ने पहली बार 1983 में गिरनार रोपवे प्रोजेक्ट प्रस्तावित किया था जिसमें लगभग 22 एकड़ वन की जमीन को इस योजना के लिए प्रयोग में लिए जाने का सुझाव दिया गया था जो कि बाद में 1994 में गुजरात सरकार ने 18 एकड़ कर दी थी। बाद में 1995 में भारत सरकार की तरफ से भी इस योजना पर कार्य किए जाने की अनुमति मिल गई थी।
परंतु इस प्रोजेक्ट में काफी देर हो गई क्योंकि वहां पर पालकी चलाने वालों ने इसका विरोध किया था। बता दें कि पालकी चलाने वाले तीर्थ यात्रियों को अपनी पालकी में बिठाकर पर्वत तक ले जाते थे और रोपवे बनने से उन्हें ऐसा लग रहा था कि उनकी आजीविका प्रभावित होगी और इसीलिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी जो कि बाद में रोपवे का निर्माण होने के बाद खारिज कर दी गई थी।
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रोपवे निर्माण की जगह
जानकारी दे दें कि यह रोपवे गुजरात के जूनागढ़ में स्थित गिरनार पर्वत पर बनाया गया है जहां मां अंबे के साथ-साथ गोरखनाथ और गुरु दत्तात्रेय शिखर भी है। इसके अलावा कई जैन मंदिर भी वहां बने हुए हैं। इस प्रकार सभी लोगों को पर्वत पर बने तीर्थ स्थल तक पहुंचने में बहुत ही ज्यादा सुविधा हो जाएगी क्योंकि हर इंसान इतनी ऊंची चढ़ाई पर नहीं चढ़ सकता।
जूनागढ़ में बढ़ेगा पर्यटक
बता दें कि जूनागढ़ में गिरनार रोपवे बनने से देश के पर्यटन क्षेत्र में काफी अधिक वृद्धि होगी क्योंकि अब तक लोग हजारों सीढ़ियां चढ़कर पर्वत के ऊपर स्थित तीर्थ स्थल पर दर्शन के लिए नहीं जा सकते थे परंतु इस रोपवे के द्वारा लोग सरलता पूर्वक पर्वत पर जा सकेंगे। इसीलिए यह रोपवे साल भर सूर्यास्त होने तक खुला रहेगा जिससे लोग आसानी से आना जाना कर सकेंगे। इस प्रकार वहां पर अधिक से अधिक पर्यटक आएंगे तो फिर लोगों के रोजगार में भी वृद्धि होगी और नए नए काम के अवसर भी मिलेंगे जिसके कारण ज्यादा से ज्यादा लोग आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इस प्रकार इस रोपवे के बनने से जहां एक ओर लोग आसानी से दर्शन के लिए जा सकेंगे तो दूसरी ओर यह पर्यटन का आकर्षण केंद्र बनेगा।
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FAQ
Ans: गुजरात के जूनागढ़ में गिरनार पर्वत पर।
Ans: अगर आप आने जाने के लिए गिरनार रोपवे का इस्तेमाल करते हैं तो आपको 700 रुपए देने होंगे और यदि आप केवल आने या फिर जाने के लिए केवल एक बार इसका प्रयोग करेंगे तो तब आपको 400 रुपए देने होंगे।
Ans: 2.3 किलोमीटर।
Ans: 100 करोड़ रुपए।
दोस्तों यह था हमारा आज का आर्टिकल जिसमें हमने आपको गिरनार रोपवे के बारे में सारी जानकारी दी। हम आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपके लिए लाभदायक रहा होगा।
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