क्या है भीम आर्मी और कैसे इसकी स्थापना हुई? [Bhim Army in hindi, Official Website Registration, Contact Number, Protest, Chief Chandrashekhar Azad Ravan Biography, Real Name, Caste] [रजिस्ट्रेशन, चंद्रशेखर आजाद रावण जीवन परिचय, भाषण, संस्थापक, असली नाम, इतिहास, व्हाट्सप्प मोबाइल नंबर]
रावण राज के बारे में तो आपने सुना ही होगा. त्रेता युग में रावण ने अपने अत्याचारों से सबको ही परेशान कर रखा था ऐसा ही एक रावण आज कलयुग में भी देखा जा सकता है। जी हां हम बात कर रहे हैं सहारनपुर में रहने वाले दलित संगठन के युवा नेता रावण की। सहारनपुर का नाम आज से पहले तो कोई जानता नहीं था लेकिन वहां पर उठे बवाल को लेकर और वहां पर बनी भीम आर्मी के नाम से आज सहारनपुर को भारत देश में एक अलग जान पहचान मिल गई है। आखिर क्या है यह भीम आर्मी आज हम आपको बताएंगे कि भीम आर्मी क्यों बनाई गई कैसे बनाई गई और यह क्या काम करती है?
Table of Contents
क्या है भीम आर्मी संगठन?
सहारनपुर में दलित समाज के लोगों पर होने वाले अन्याय को रोकने और उन के समर्थन में बनाई गई एक पार्टी जिसको भीम आर्मी संगठन का नाम दिया गया है। भीम आर्मी सेना को अंबेडकर सेना के नाम से भी जाना जाता है। यह एक व्यक्ति ने दलितों के समर्थन और उनके अधिकारों के हनन को रोकने के लिए बनाई है जिसमें उसके साथ कई सारे दलित लोग आज के समय में जुड़ चुके हैं। लगभग कुछ साल पहले साल 2011 में गांव के कुछ दलित युवाओं ने मिलकर चंद्रशेखर के साथ भारत एकता मिशन भीम आर्मी का गठन किया था। यह संगठन सहारनपुर, शामली, मुज़फ़्फ़रपुर समेत पश्चिमी यूपी के बहुत सारे संगठनों के बीच अपनी एक खास पहचान बना चुका है। इस संगठन में सोशल मीडिया के जरिए पंजाब और हरियाणा के सिख युवा भी जुड़ चुके हैं।
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कौन है भीम आर्मी का संस्थापक?
आपको बता दें कि भीम आर्मी का संस्थापक कोई नेता या अभिनेता नहीं बल्कि एक वकील है जिसका नाम चंद्रशेखर उर्फ रावण है। इसे आज रावण के नाम से जाना जाता है। इस आर्मी के संगठन में विनय रतन सिंह ने भी उनका बराबर सहयोग किया। चंद्रशेखर आजाद रावण एक सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ और भीम आर्मी के मुख्य संस्थापक के रूप में आज के समय में जाने जाते हैं वे मुख्य रुप से उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं। चंद्रशेखर ने अपनी पढ़ाई देहरादून शहर से पूरी की. शुरू से ही वे दलित के अधिकारों को लेकर सोशल कैंपेन चलाया करते थे।
चंद्रशेखर ने अपने नाम के साथ रावण स्वयं ही जोड़ा है ना कि उनकी प्रवृत्ति को देखकर उनका नाम रावण रखा गया है। दरअसल चंद्रशेखर रामायण से आरंभ से ही प्रभावित रहे हैं और रामायण में उनका सबसे पसंदीदा किरदार रावण रहा है, इसलिए उन्होंने अपने नाम के आगे रावण नाम उपयोग करना शुरू कर दिया।
चंद्रशेखर आजाद का परिचय ( Chandra Shekhar Azad Introduction)
परिचय बिंदु | परिचय |
पूरा नाम (Full Name) | चंद्रशेखर आजाद |
अन्य नाम (Other Name) | रावण |
निक नाम (Nick Name) | रावण |
पेशा (Profession) | वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता |
शैली (Genre) | वकालत करना, सामाजिक कार्य |
जन्म (Birth) | 3 दिसंबर 1986 |
जन्म स्थान (Birth Place) | छूटमालपुर, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
गृहनगर (Hometown) | उत्तर प्रदेश |
जाति (Caste) | दलित (SC) |
पसंद (Hobbies) | समाज सेवा |
शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification) | वकालत |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | – |
पत्नी का नाम (Wife’s name) | – |
प्रेरणा स्त्रोत (Role Model) | रामचरितमानस का किरदार रावण |
बालों का रंग (Hair Color) | ब्लैक |
आँखों का रंग (Eye Color) | ब्लैक |
भीम आर्मी की शुरुआत कब और कैसे हुई?
वैसे यदि सामाजिक रूप से देखा जाए तो दलितों और राजपूतों के बीच उनके वर्चस्व को लेकर लड़ाई सदियों से चली आई है लेकिन इसको एक आर्मी का रूप देने की पहल औपचारिक रूप से सन 2015 में चंद्रशेखर आजाद द्वारा की गई। भीम आर्मी की शुरुआत सहारनपुर के एएचपी कॉलेज से हुई क्योंकि वही पर प्रेरणा लेकर वहां के लोग धीरे-धीरे भीम आर्मी से जुड़ते चले गए।
इस संगठन द्वारा सहारनपुर के भांदो गांव में एक स्कूल खोला गया जो उस गांव का पहला स्कूल था। आरंभ से ही यह संगठन दलितों पर होने वाले अत्याचारों के लिए जंग लड़ते आए हैं और उनके लिए विरोध प्रदर्शन भी करते आए हैं जिसमें उनका सभी दलित लोग साथ देते हैं। ऐसा बताया जाता है कि भीम आर्मी बनाने का यह आईडिया छुटमलपुर गांव के एक दलित निवासी को बहुत समय पहले आया था जिसका नाम सतीश कुमार है।
सतीश कुमार कई सालों से ऐसा सोचा करते थे की कोई एक ऐसा संगठन होना चाहिए जो हम जैसे दलित लोगों पर होने वाले अत्याचारों का करारा जवाब देकर समाज में हमें एक अलग पहचान दिलाए। वैसे ही व्यक्ति की खोज में थे लेकिन उन्हें कोई भी ऐसा युवा नेता नहीं मिला जिसे वह दलित समाज की कमान सौंप सकें और उसको नेतृत्व के लिए तैयार कर सकें तब उन्हें चंद्रशेखर मिले और उन्होंने भीम आर्मी के अध्यक्ष के योग्य उन्हें समझा और अपना आइडिया उन्हें बताया।
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भीम आर्मी के मुख्य उद्देश्य व कार्य
- भीम आर्मी का सबसे मुख्य उद्देश्य दलित समाज और राजपूत समाज को समाज में बराबर का हिस्सा दिलाना है उनके साथ जिस तरह से छुआछूत का व्यवहार किया जाता है या कराया जाता है उसे खत्म करना उनका मुख्य उद्देश्य है।
- दलित समाज के व्यक्तियों को बराबर से समाज में शिक्षा व सभी प्रकार के बराबर कानून के अधिकारों को दिलाना इस संगठन का उद्देश्य है। उनके मुख्य उद्देश्य में दलित समुदाय के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान कराने का भी उद्देश्य शामिल है।
- भीम आर्मी अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दलित समाज के लिए कई सारे स्कूल व कॉलेज खोलने का काम भी करते हैं।
- इस संगठन का उद्देश्य यह भी है कि वे कुछ ऐसे लोगों की वित्तीय रूप से सहायता करते हैं जो निर्धन है और अपने लिए कुछ भी नहीं कर पाते हैं।
- वे धन इकट्ठा करके गरीब घर की बेटियों की शादी कराने का भी पुण्य कमाते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य गरीब कन्याओं को पढ़ा कर शिक्षा दिलाकर उन्हें विवाहित करना भी है।
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भीम आर्मी को इस तरह मिली पापुलैरिटी
जैसा कि हमने बताया कि भीम आर्मी का मुख्य उद्देश्य दलित समुदाय को समाज में बराबर का सम्मान दिलाना था। इसी बात की जंग को लेकर धड़क वाली गांव के बाहर अजय कुमार नामक एक दलित नौजवान ने एक बोर्ड लगा दिया था जिस पर लिखा था ‘द ग्रेट चमार’, यह बात जैसे ही राजपूताना समाज को पता चली उन्होंने इसका विरोध कर दिया। राजपूताना समाज के समर्थकों ने जाकर द ग्रेट चमार नामक बोर्ड पर कालिख पोत दी। बस उसके बाद ही दोनों समाज में तू तू मैं मैं हो गई और कब यह बातों की लड़ाई मारपीट में बदल गई किसी को पता नहीं चला।
इस हंगामे के चलते गांव में अंबेडकर की मूर्ति मौजूद थी जिसके ऊपर भी राजपूताना समाज द्वारा कालिख पोत दी गई। इस जंग की हवा भीम आर्मी के सदस्यों तक पहुंच गई, उसके बाद सभी सदस्य जाकर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए और राजपूत समाज के लोगों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
इस प्रदर्शन की आग यहीं नहीं रुकी 5 मई 2017 को सहारनपुर जिले से 25 किलोमीटर दूर शब्बीरपुर गांव में इन दोनों समाज के बीच फिर से हिंसा शुरू हो गई। इस हिंसा में हाथापाई ने भयंकर रूप ले लिया और 25 दलितों के घरों को पूरी तरह से जला दिया जिसमें एक शख्स की मौत हो गई। जितना नुकसान दलित समाज के लोगों को पहुंचा उतना ही नुकसान राजपूत समाज के लोगों को भी इस हिंसा के दौरान पहुंचा।
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पुलिस ने कार्यवाही करते हुए दोनों दलों के खिलाफ हिंसा के विरोध प्रदर्शन को लेकर मुकदमा दर्ज कर दिया जिसकी वजह से 37 लोगों को जेल में डाल दिया गया और 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया। गिरफ्तार किए जाने वाले लोगों में दलित समाज के लोग बिजी थे जिसको लेकर चंद्रशेखर आजाद रावण ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
दिल्ली के जंतर मंतर पर उनके साथ बहुत बड़ी मात्रा में दलित समाज के लोग इकट्ठे हो गए थे। जो पुलिस की कार्यवाही के खिलाफ थे, और चाहते थे कि उनके साथियों को जमानत पर रिहा कर दिया जाए। इन सबके बीच चंद्रशेखर रावण के प्रदर्शन को देखकर सब दंग रह गए उसी समय वे भीम आर्मी के नाम से प्रसिद्ध हो गए और पुलिस के समझौते पर उन्होंने कहा कि यदि हमारे निर्दोष 37 दलित लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा तो हम स्वयं ही आत्मसमर्पण कर के इस प्रदर्शन को खत्म कर देंगे।
भीम आर्मी रजिस्ट्रेशन, व्हाट्सप्प नंबर [Bhim Army Registration, WhatsApp Number]
- भीम आर्मी से जुड़ने के लिए आप उनके फेसबुक पेज पर भी जा सकते हैं। भीम आर्मी के नाम से ही चंद्रशेखर आजाद द्वारा फेसबुक पर पेज बनाया गया है जिसके जरिए लाखों व्यक्ति आज के समय में भीम आर्मी से जुड़ चुके हैं।
- भीम आर्मी के नाम से गूगल पर एक वेबसाइट भी बनाई गई है जिसके जरिए लोग उनसे पार्टनर के तौर पर वालंटियर के तौर पर जुड़ते हैं और उनका साथ देते हैं। उस वेबसाइट पर उन्होंने अपने द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं के बारे में पूरी तरह से उल्लेख किया हुआ है।
- भीम आर्मी के संस्थापक द्वारा गूगल पर jaybheemarmy.com/ के नाम से वेबसाइट भी बनाई गई है जिसके जरिए लोग उनसे जुड़ते हैं और बातें करते हैं अपनी समस्याओं को बताने के लिए भी वे वहीं पर जाकर उनसे बात करते हैं और अपनी समस्याओं के समाधान पाते हैं।
- भीम आर्मी से जुड़ने के लिए आप व्हाट्सएप चैट ग्रुप भी ज्वाइन कर सकते हैं इसके अलावा आप उनके नंबर पर सीधे ही मैसेज करके उन्हें ज्वाइन कर सकते हैं वह अपनी समस्याओं के बारे में बता सकते हैं, उनका व्हाट्सएप नंबर है 94575 79543।
- यूट्यूब पर भी उनकी बहुत सारी वीडियोस मौजूद हैं जिनके जरिए वे पूरे देश में दलित समाज को लेकर अपने विचार विमर्श प्रकट करते रहते हैं और उन्हें बताते रहते हैं कि किस तरह से वे अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं और हमारे साथ जुड़ सकते हैं।
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भीम आर्मी संगठन का राजनीतिक जुड़ाव
अभी तक तो ऐसा ही बताया जा रहा है कि भीम आर्मी संगठन किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी हुई है। हालांकि उनके संस्थापक का और उनके सदस्यों का कहना है कि वे लखनऊ में अपना कार्यालय अवश्य स्थापित करेंगे लेकिन ऐसा नहीं है कि हम मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर काम करेंगे। हम अपनी खुद की एक अलग पार्टी बनाने वाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मिलकर काम करना हमारे लिए सौभाग्य होगा क्योंकि वह देश की उन्नति की ओर अग्रसर हैं और आगे भी देश की उन्नति के लिए हम भी उनके साथ मिलकर काम करते रहेंगे।
भविष्य में ऐसा हो सकता है कि भीम आर्मी पार्टी आगे चलकर मायावती जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी को लेकर बहुत काम किए हैं उन को पछाड़ दे क्योंकि जो पहल भीम आर्मी पार्टी ने की है ऐसा काम आज तक किसी भी नेता ने दलित समाज के लिए नहीं किया है।
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