दुनिया की महान महिला आविष्कारक (World’s greatest or famous female inventors in hindi)
एक ऐसी दुनिया जहां लिंगभेद के आधार पर प्रतिभा को अवसर मिलते हैं और जो एक सदी पहले तक महिलाओं को पुरूषों के बराबर न माना जाना बहुत सामान्य बात थी. ऐसी दुनिया में कुछ प्रतिभाशाली वैज्ञानिक हुईं जिन्होंने इस भेदभाव के बावजूद दुनिया को बदलने वाले आविष्कार किए. ऐसी ढेर सारी महान जिंदगियां, जिन्हें आज भी दुनिया बहुत कम जानती है या फिर उन्हें भुला दिया गया. यहां उनमें से कुछ का जिक्र किया गया है, जिन्होंने अपनी लगत और प्रतिभा से इस दुनिया को बेहतर बनाया.
- मेरी एंडरसन (Merry Anderson)
विंडशील्ड वाइपर्स का उपयोग हम सबने किया है और बरसात के दौरान उसकी उपयोगिता समझ में आती है, लेकिन हम में से ज्यादातर यह नहीं जानते कि इस नायाब उपकरण का आविष्कार किसने किया था. आप को जानकर खुशी होगी कि इस उपयोगी ईजाद के पीछे एक महिला का दिमाग था. 1903 में आविष्कारक मेरी एंडरसन ने अपने इस आविष्कार का पेटेंट प्राप्त किया. मेरी के दिमाग में विंडशील्ड वाइपर को बनाने का आइडिया तब आया, जब उन्होंने अपनी न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान बारिश में एक ड्राइवर को अपनी विंडशील्ड साफ करने के लिए बार—बार रूकते और भीगते हुए देखा. इसके बाद उन्होंने एक रबर आर्म के साथ जुड़े वाइपर को विंडशील्ड पर लगाया जिसकी लीवर कार के भीतर होता था और जरूरत पड़ने पर ड्राइवर उसे उपयोग में लेता था. उनका यह प्रयोग इतना लोकप्रिय हुआ कि 1916 तक सभी कार कंपनिया इसका उपयोग करने लगी. दूसरी अच्छी बात यह है कि आटोमेटिक विंडशील्ड वाइपर का आविष्कार भी एक महिला शारलेट ब्रिगवुड ने किया.
- रेचल जीमरमैन (Rachel Zimmerman) –
यह 1980 के मध्य की बात है, एक बारह साल की लड़की ने एक ऐसा आविष्कार कर दिखाया, जो ऐसे लोगों का मददगार बना, जो अपनी बात कहने में परेशानी महसूस करता था. ओन्टोरियो, कनाडा की रहने वाली रेचल जीमरमैन ने ब्लिससिंबल प्रिंटर की खोज की. दरअसल उन्होंने उस सॉफ्टवेयर को बनाया जो बात करने के लिए ब्लिस सिंबल का प्रयोग करता था. ब्लिस सिंबल बात करने की वह विधा है जिसमें आवाज की जगह प्रतीकों का उपयोग किया जाता है. यह मुख्य रूप से उन लोगों के काम आती है जो किसी वजह से अपनी आवाज खो बैठे हैं. दरअसल इस आविष्कार का जन्म रेचल के एक स्कूल फेयर के दौरान एक स्कूल प्रोजेक्ट बनाने के वक्त हुआ. उन्होंने एक ऐसा प्रोग्राम लिखा जिसमें कुछ खास सिंबल्स को छूने भर से प्रिंटर उसे एक संवाद की तरह प्रिंट करके बाहर निकालता था. उनके इस प्रयोग को सिल्वर मेडल से नवाजा गया. आगे चलकर इसमें कुछ सुधार के साथ इस अयोग्यता के साथ जीने वाले लोगों द्वारा यह ब्लिस सिंबल पूरी दुनिया में इस्तेमाल किए जाने लगे.
- रूथ वेकफील्ड
महिलाएं अपनी अच्छी पाक शैली के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है और हमारी इस महिला आविष्कारक ने ऐसे व्यंजन का आविष्कार किया जिसने अपने खोजे जाने के लगभग 100 साल बाद भी पूरी दुनिया में धूम मचा रखी है. चॉकलेट चीप कुकी की आविष्कारक रूथ वेकफील्ड ने अपने इस व्यंजन से पूरी दुनिया में पहचान बनाई. मूल रूप से एक बेहतरीन मेजबान रूथ एक होटल टॉल हाउस इन की मालकिन थी जो अपने यहां आने वाले मेहमानो को कुछ न कुछ नया परोसती ही रहती थी. 1930 की एक दोपहर के दौरान वेकफील्ड जब कूकीज बना रही थी तो उन्हें पता चला कि उनके पास इसमें मिलाने के लिए चॉकलेट है ही नहीं. इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने बची खुची चाकलेट चीप्स उसमें यह सोच कर डाल दी कि बेकिंग के दौरान वे पिघल जाएंगे और लोगों को चॉकलेट फ्लेवर का आनंद आएगा लेकिन हो कुछ और गया. इस घटना ने उन्हें 20 वीं सदी का सबसे मशहूर आविष्कारक बना दिया. गलती से उन्होंने दुनिया के लिए एक बेहतरीन चॉकलेट चिप कुकीज बना डाली थी.
- मार्गेट नाइट (Margaret Knight)
मार्गेट नाइट को पेपर बैग मशीन के आविष्कार के लिए जाना जाता है. एक टैक्सटाइल फैक्ट्री में दुर्घटना का सामना करने के बाद मार्गेट ने अपना पहला आविष्कार किया जिसमें किसी मशीन में कुछ फंस जाने की स्थिति में वह अपने आप रूक जाती थी. इस आविष्कार ने तहलका मचाया और ज्यादातर फैक्ट्रीज में उपयोग में लिया जाने लगा. इसके बाद उन्हें एक पेपर बैग प्लांट मे काम करने का मौका मिला तो उन्हें महसूस हुआ कि अगर पेपर बैग नीचे से समतल हुए तो इनमें पैकिंग करना ज्यादा आसान होगा. उस वक्त तक पेपर बैग का निचला हिस्सा फ्लैट नहीं हुआ करता था. उन्होंने ऐसी मशीन का आविष्कार किया जो पेपर बैग के निचले हिस्से को इस तरह गोंद लगातार मोड़ता था कि उसका निचला हिस्सा फ्लैट बन जाया करता था, जैसा कि हम आज देखते हैं. उनके इस आविष्कार ने ग्रोसरी स्टोर्स की काया पलट के रख दी और पैकिंग पहले की तुलना में ज्यादा आसान और टिकाउ बन गया.
- मेरियोन डोनोवन (Marion Donovan)
हमारी इस आविष्कारक ने बच्चों की दुनिया को बेहतर बनाया. आज हम अपने बच्चों के लिए डिस्पोजेबल डाइपर्स का उपयोग धड़ल्ले से करते हैं लेकिन इसकी आविष्कारक मेरियोन डोनोवन को इसे बनाने में कई पीछे कहानी दिलचस्प है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब पूरा यूरोप बिखरा हुआ था और ज्यादातर सिंगल पेरेंट्स को अपने बच्चों की देखभाल करने के दौरान सबसे ज्यादा उनके अपशिष्ट से निपटने में परेशानी का सामना करना पड़ता था. दो बच्चों की मां मेरियोन ने इस समस्या को समझा और उनके दिमाग में ऐसे पेंट्स बनाने का ख्याल आया जो गीलेपन को सोख ले और उसे बार—बार बदलने की जरूरत न पड़े. साथ ही वह सस्ते भी हो और बच्चों को इंफेक्शन से बचाए. उन्होंने अपनी सिलाई मशीन पर अपने विचार के हिसाब से कपड़े और कपड़े जैसी दूसरी चीजों मसलन पानी सोखने वाली रूई तथा पानी से बेअसर रहने वाले पलास्टिक पेपर को लेकर बच्चों की नाप के हिसाब से डाइपर सिलने शुरू किए. आखिर में उन्हें सफलता मिली और उनके बनाए डायपरों ने धूम मचा दी. उन्होंने अपने डायपर को नाम दिया, बोटर और 1951 में उन्होंने इसे पेटेंट भी करवाया.
अन्य पढ़े: