Indian President Election Process and Power in hindi भारत के संविधान में भारत को एक सामाजिक, धर्म – निरपेक्ष और लोक – तांत्रिक गणतंत्र [Democratic Republic ] देश घोषित किया गया हैं. देश के गणतांत्रिक रूप को सुरक्षित बनाये रखने के उद्देश्य से संविधान में लोकतान्त्रिक चुनाव प्रणाली की रचना की गयी हैं, जिसका प्रमुख होता हैं – देश का राष्ट्रपति. इसकी खास बात यह हैं कि राष्ट्रपति के चुनाव प्रणाली के प्रमुख होने के बाद भी इसका चुनाव इसी पद्धति के द्वारा किया जाता हैं.
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भारत के राष्ट्रपति चुनाव की विधी, चरण और राष्ट्रपति की शक्तियां Indian President Election Process and Power in hindi
भारत के राष्ट्रपति के चुनाव की अप्रत्यक्ष विधि :
हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद [ Article ] 54 में राष्ट्रपति के चुनाव की अप्रत्यक्ष विधी का वर्णन किया गया हैं. अप्रत्यक्ष विधी के अंतर्गत दोनों सदनों अर्थात् लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की एक निर्वाचन समिति [ Electoral College ] के द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता हैं.
राष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएं (Eligibility for president):
अगर कोई व्यक्ति भारत का राष्ट्रपति बनने के इच्छुक हैं, तो उसमे निम्नलिखित योग्यताएं होना आवश्यक हैं :
- उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए,
- उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष अथवा उससे अधिक होना चाहिए,
- उम्मीदवार में लोक – सभा का सदस्य बनने की योग्यता होना चाहिए,
- वह कोई लाभ प्राप्त करने की स्थिति [ Office of Profit ] न रखता हो,
- वह लोक – सभा या राज्य – सभा का सदस्य न हो.
राष्ट्रपति के चुनाव हेतु बनाई गयी निर्वाचन समिति का गठन :
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचन समिति का गठन निम्न प्रकार से किया जाता हैं -:
- संसद के दोनों सदनों के चुने गये सदस्य, इस समिति के सदस्य होंगे अर्थात चुने गये सभी मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट,
- राज्य – सभा के लिए चुने गये सदस्य अर्थात् सभी एम्. एल. ए. [ MLAs ].
राष्ट्रपति के चुनाव की विधियाँ (President selection process):
संविधान में राष्ट्रपति के चुनाव की अप्रत्यक्ष विधी के अंतर्गत निर्वाचित समिति के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व [ Proportional Representation ] में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम एंड सीक्रेट बेलोट द्वारा चुनाव किया जाता हैं.
“ एम. पी. और एम. एल. ए. के वोट में दो नियमों का पालन जरुरी हैं – युनिफोर्मीटी और पेरिटी. ”
- युनिफोर्मीटी : इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमारे संविधान में यह बताया गया हैं, कि हर राज्य के एम्. एल. ए. के वोट की वेल्यु उस राज्य की जनसंख्या के अनुपात में होगी. इसे ज्ञात करने के लिए निम्न फ़ॉर्मूला प्रयोग किया जाता हैं -:
(राज्य की कुल जनसंख्या या राज्य में चुने गये एम्. एल. ए. की कुल संख्या ) /1000
इस फ़ॉर्मूला का प्रयोग करके हर राज्य के एम्. एल. ए. के वोट की वेल्यु ज्ञात कर ली जाती हैं और फिर इस तरह ज्ञात की गयी सभी वेल्यूज़ का एग्रीगेट निकाल लिया जाता हैं.
- पेरिटी : संविधान द्वारा राज्य और केंद्र के बीच पेरिटी को सुरक्षित रखने के लिए यह निर्धारित हैं कि सभी MPs के वोट की वेल्यु, सभी MLAs के वोट की वेल्यु के बराबर होनी चाहिए. इसे ज्ञात करने के लिए निम्न फ़ॉर्मूला प्रयोग किया जाता हैं-:
एक MP के वोट की वेल्यु = सभी राज्यों के MLAs के वोट्स की टोटल वेल्यु / लोक – सभा और राज्य – सभा में चुने गये MPs की कुल संख्या
चुनाव जीतने के लिए आवश्यक वोट :
राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को एक न्यूनतम आवश्यक वोट [ Minimum Fixed Quota ] प्राप्त करना होता हैं, जिसे निम्न प्रकार से ज्ञात किया जाता हैं -:
विनिंग कोटा = वैध वोटो की कुल संख्या / सीटों की संख्या + 1 i.e. 1 + 1 + 1
- एक वोट पद्धति [ Single Vote System ] :
राष्ट्रपति के चुनाव में एक मतदाता एक ही वोट दे सकता हैं. हालाँकि इसकी वैल्यू विभिन्न मतदाताओं के अनुसार बदलती रहती हैं. एम. पी. के वोट की वैल्यू युनिफोर्मली समान रहती हैं, जबकि एम. एल. ए. के वोट की वैल्यू राज्य के अनुसार बदलती हैं.
- निर्वाचकों द्वारा वरीयता / प्राथमिकता प्रदान करना [ Indication of Preferences by the Electors ] :
प्रेसिडेंशियल इलेक्टोरल कोलेज का प्रत्येक सदस्य वोट देता हैं और वोट देने के साथ ही वो अन्य उम्मीदवारों के चुनाव की प्राथमिकता को 1, 2, 3, 4, 5, आदि इस प्रकार से व्यक्त करता हैं. जिस उम्मीदवार को उस सदस्य ने प्राथमिकता में 1 क्रमांक पर रखा हैं, उसे उसका वोट जाता हैं, परन्तु यदि वह प्रथम उम्मीदवार विनिंग कोटा प्राप्त नहीं कर पता और साथ ही अन्य उम्मीदवार भी विनिंग कोटा प्राप्त करने में असमर्थ रहता हैं, तो उसका वोट स्वतः ही सदस्य द्वारा दी गयी द्वितीय प्राथमिकता को चला जाता हैं.
- विनिंग कोटा प्राप्त ना करने की स्थिति में वोट के हस्तांतरण के प्रावधान [ Provisions for Transfer of Votes in case no candidate gets the required Winning Quota of Votes ]:
राष्ट्रपति चुनाव के वोटो की प्रथम गणना के परिणाम – स्वरुप जब किसी भी उम्मीदवार को विनिंग कोटा प्राप्त नहीं होता हैं तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को चुनाव प्रक्रिया से निष्कासित [ Eliminate ] कर दिया जाता हिया. और उसके वोट दूसरी प्राथमिकता वाले उम्मीदवार को हस्तांतरित कर दिए जाते हैं.
यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती हैं, जब तक कि कोई एक उम्मीदवार विनिंग कोटा प्राप्त न कर ले. यह प्रक्रिया हमारे देश में केवल एक ही बार उपयोग की गयी हैं – सन 1969 में पांचवे राष्ट्रपति फखरुद्दीन अहमद चुनाव के समय, क्योकिं इस चुनाव के अलावा अन्य सभी चुनावों में एक उम्मीदवार को बहुमत से राष्ट्रपति चुना गया हैं.
उदाहरण के तौर पर, जुलाई 2007 में श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने श्री भैरों सिंह शेखावत के खिलाफ बहुमत से विजय प्राप्त की थी. उन्हें 6,38,116 वोट प्राप्त हुए थे, जबकि श्री शेखावत को 3,31,306 वोट ही प्राप्त हुए थे. 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने तत्कालीन राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा राष्ट्रपति पद प्राप्त किया. उन्हें देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त हैं और इसके बाद जुलाई 2012 में हुए चुनावो में श्री प्रणब मुख़र्जी राष्ट्रपति चुने गये थे.
राष्ट्रपति चुनाव के चरण [ Stages in a Presidential Election ] :
- चुनाव का नोटिफिकेशन और रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति [ Notification of Election and Appointment of the Returning Officer ]:
राष्ट्रपति चुनावो की घोषणा तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं और इस चुनाव को कराने की जिम्मेदारी भारतीय चुनाव आयोग [ Election Commission of India ] की होती हैं. भारतीय चुनाव आयोग इस हेतु एक रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति करता हैं, साथ ही नॉमिनेशन पेपर भरने की अंतिम तिथी, नॉमिनेशन वापस लेने की अंतिम तिथी और मतदान का कार्यक्रम भी निर्धारित करता हैं.
- नॉमिनेशन पेपर भरना, जांच और नॉमिनेशन वापस लेना [ Filing of Nomination Papers, Scrutiny and Withdrawals ]:
सभी उम्मीदवारों द्वारा पूर्व निर्धारित तिथी तक अपने नॉमिनेशन पेपर रिटर्निंग ऑफिसर के पास जमा कराये जाते हैं. प्रत्येक उम्मीदवार 50 निर्वाचकों [ Electors ] द्वारा प्रस्तावित होना चाहिए और अन्य 50 निर्वाचकों द्वारा समर्थित होना चाहिए. इसके साथ ही रूपये 15,000 /- मात्र सिकुरिटी मनी के रूप में जमा कराए जाते हैं. इसके बाद उम्मीदवार की योग्यता जानने के लिए नॉमिनेशन पेपर की सूक्ष्म जांच [ Scrutiny ] की जाती हैं. जो नॉमिनेशन पेपर पूरे नहीं भरे गये हैं या गलत भरे गये हैं, उन्हें निरस्त [ Reject ] कर दिया जाता हैं. इस प्रक्रिया के बाद एक निश्चित तिथी तक अपना नाम इस चुनाव से वापस ले सकते हैं.
- चुनाव अभियान [ Election Campaign ] :
उपरोक्त औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद सभी उम्मीदवार अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर देते हैं. ये चुनाव अभियान प्रायः सम्बंधित दल के सहयोग से चलाया जाता हैं. यह चुनाव अभियान निर्वाचन समिति तक सीमित रहता हैं, आम जनता प्रायः इसमें नहीं जुड़ती हैं.
- मतदान [ Polling ] :
पूर्व निर्धारित तिथी पर चुनाव किये जाने हेतु मतदान किया जाता हैं. प्रत्येक मतदाता एक वोट देता हैं और बेलोट पेपर पर उम्मीदवारों की प्राथमिकता भी बताता हैं. यह मतदान पूर्णतः गोपनीय रखा जाता हैं.
- मतगणना [ Counting of Votes ] :
मतदान के बाद मतगणना की जाती हैं. मतगणना में वैध मतों की गणना ही की जाती हैं. कोटा निश्चित किया जाता हैं. बेलोट में जिस उम्मीदवार को प्रथम प्राथमिकता दी गई हैं, उसे वह वोट जाता हैं और अन्य गणनाएँ भी उपरोक्त बिन्दुओं में दर्शाये गये फ़ॉर्मूला के अनुसार की जाती हैं.
जो उम्मीदवार विनिंग कोटा प्राप्त करता हैं या उसे पार करता हैं, उसका चयन किया हैं. परन्तु यदि कोई भी उम्मीदवार विनिंग कोटा प्राप्त नहीं कर पता तो पूर्व उल्लेखित प्रक्रिया द्वारा चयन होता हैं. जिस उम्मीदवार को जीतने के लिए आवश्यक वोटों की संख्या के 1/6 से कम वोट प्राप्त होते हैं, उसकी सिकुरिटी मनी जब्त कर ली जाती हैं.
- चुनाव परिणाम की घोषणा [ Notification of the Result ] :
चुनाव के परिणाम की घोषणा भारत के गजट में की जाती हैं.
- शपथ ग्रहण और संस्थापन [ Oath – taking and Installation ] :
जिस दिन पूर्व राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म हो अथवा एक निश्चित तिथी पर चयनित उम्मीदवार राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करते हैं. चयनित उम्मीदवार द्वारा चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की उपस्थिति में शपथ ग्रहण की जाती हैं और यदि चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया उपस्थित न हो तो सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर न्यायाधीश की उपस्थिति में राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की जाती हैं.
- राष्ट्रपति चुनाव से सम्बंधित विवादों का निपटारा [ Method of Settlement Disputes regarding the Presidential Elections ]
राष्ट्रपति पद के चुनाव से सम्बंधित विवाद होने पर भारत के सर्वोच्च न्यायलय द्वारा इसका निपटारा किया जाता हैं. इसके निपटारे के लिए चुनाव परिणाम घोषित होने से 30 दिनों के अन्दर इलेक्शन पेटीशन दायर की जाती हैं. तब सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी सुनवाई की जाती हैं और निर्णय दिया जाता हैं.
- राष्ट्रपति का कार्यकाल [ Tenure of the President ] :
राष्ट्रपति का चुनाव 5 वर्षों के लिए किया जाता हैं. राष्ट्रपति जिस दिन से अपना कार्यभार संभाले, उस दिन से उनके कार्यकाल का प्रारंम्भ माना जाता हैं. परन्तु यदि पूर्व राष्ट्रपति का कार्यकाल अभी समाप्त न हुआ हो या वे कार्यभार संभाले हो, तब तक नये चयनित राष्ट्रपति का कार्यकाल प्रारंभ नहीं माना जाता हैं.
- इस्तीफ़ा देने के प्रावधान [ Provision for Resignation ]: अपना कार्यकाल ख़त्म होने से पूर्व राष्ट्रपति अगर अपना पद छोड़ना चाहें, तो उप – राष्ट्रपति को हस्त – लिखित त्याग – पत्र देकर ऐसा कर सकते हैं.
- पुनः पात्रता [ Re – eligibility ] : कोई व्यक्ति कितनी बार भी राष्ट्रपति बन सकता हैं, इसके लिए हमारे देश के संविधान में किसी प्रकार की सीमा तय नहीं की गयी हैं. वैसे आज तक हमारे पूर्व और प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के अलावा किसी ने भी पुनः राष्ट्रपति पद ग्रहण नहीं किया हैं.
- राष्ट्रपति पद का उत्तराधिकार [ Presidential Succession ] : यदि राष्ट्रपति की अपने कार्यकाल के दौरान मृत्यु हो जाती हैं या अन्य किसी कारणवश राष्ट्रपति पद रिक्त हो जाता हैं तो देश के उप – राष्ट्रपति द्वारा देश के कार्यकारी राष्ट्रपति [ Acting – President ] का पद ग्रहण करके कार्यभार संभाला जाता हैं. इसके पश्चात् पद रिक्त होने से 6 माह के अन्दर नये राष्ट्रपति का चुनाव कर लिया जाता हैं.
यदि राष्ट्रपति पद और उप – राष्ट्रपति पद दोनो ही रिक्त हो जाये तो इस स्थिति में चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया कार्यभार सँभालते हैं. यदि ये भी संभव न हो तो सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज द्वारा कार्यभार संभाला जाता हैं. इन व्यक्तियों द्वारा कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेकर तब तक कार्यभार संभाला जाता हैं, जब तक कि नए राष्ट्रपति का चुनाव न हो जाये और जो 6 माह के भीतर किया जाना आवश्यक हैं.
- पारिश्रमिक [ Emoluments ] : राष्ट्रपति का पारिश्रमिक प्रति माह रूपये 1,50,000/- मात्र होता हैं. साथ ही राष्ट्रपति को कई भत्ते [ Allowance ] और रहने के लिए एक फ्री फर्निश्ड भवन भी मिलता हैं. सेवा – निवृत्त होने के बाद भी राष्ट्रपति को प्रति माह रूपये 75,000/- मात्र की पेंशन मिलती हैं, साथ ही पर्सनल सेक्रेटरी नियुक्त करने हेतु भत्ता, फ्री भवन और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलती हैं.
- प्रतिरक्षा [ Immunities ] : संवैधानिक अधिकारों और शक्तियों का उपयोग करने हेतु राष्ट्रपति को किसी भी कोर्ट में उत्तर देने की आवश्यकता नहीं होती. अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, उन्हें नज़रबंद [ Detain ] नहीं किया जा सकता और न ही उन पर कोई आपराधिक कार्यवाही की जा सकती हैं. अगर राष्ट्रपाई के निजी कार्यों के संबंध में उन पर कोई सिविल केस किया जाना हैं तो उन्हें 2 माह पहले नोटिस देना होगा.
राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य (President powers and functions) :
देश के राष्ट्रपति देश के सर्वोच्च पद को ग्रहण करते हैं, इसीलिए भारत के राष्ट्रपति के पास देश को चलाने से सम्बंधित सभी शक्तियां होती हैं. भारतीय संवैधानिक प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में वे महत्व – पूर्ण योगदान देते हैं.
राष्ट्रपति की शक्तियां का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार से दिया जा रहा हैं -:
शक्तियां | संक्षिप्त वर्णन |
कार्यकारी शक्तियां |
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वैधानिक शक्तियां |
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वित्तीय शक्तियां |
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न्यायिक शक्तियां | किसी पेटीशन पर किसी अपराधी को माफ़ करने, उसकी सजा कम करने या बढ़ाने की शक्तियां. |
आपातकालीन शक्तियां |
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इस प्रकार हमारे देश भारत में राष्ट्रपति का चुनाव और उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य संपन्न होते हैं. स्वतंत्र भारत के अब तक के सभी राष्ट्रपति के नाम की सूची जानने के लिए पढ़े.
राष्ट्रपति चुनाव 2022 के प्रतिभागी
नामांकित | द्रोपदी मुर्मू | यशवंत सिन्हा |
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