Mahadevi Varma Biography Quotes in Hindi आधुनिक हिन्दी साहित्य में सबसे अधिक चर्चित काल छायावाद है. इसकाल की प्रमुख कवियों में जिस कवियत्री का नाम सबसे उपर है वो हैं महादेवी वर्मा. छायावाद अंग्रेजी साहित्यिक काल स्वच्छंदतावाद के समकालीन ही था. भक्ति काल की मीरा की तरह इनका प्रेम भी अलौकिक था और उसमें रहस्य की प्रचूर मात्रा थी. इनके साहित्यिक काव्यगत विशेषताओं के कारण इन्हें आधुनिक मीरा भी कहा जाता है. 1982 में इन्हें ज्ञानपीठ भी मिला.
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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय ( Mahadevi Varma Biography in Hindi)
नाम | महादेवी वर्मा |
जन्म | 26 मार्च 1907 |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश |
उम्र | 80 साल (मृत्यृ के समय) |
मृत्यृ की तिथि | 11 सितंबर 1987 |
मृत्यृ का स्थान | प्रयागराज उत्तर प्रदेश |
पेशा | उपन्यासकार, लघुकथा लेखिका |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पति का नाम | डॉ.स्वरूप नारायण वर्मा |
पिता का नाम | श्री गोविंद प्रसाद वर्मा |
माता का नाम | हेमरानी देवी |
पुरस्कार | 1956 में पदम भूषण, 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1988 में पदम विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया |
कार्यक्षेत्र | अध्यापक, लेखक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जाति | पता नहीं |
स्कूल | मिशन स्कूल, इंदौर |
कॉलेज | क्रास्थवेट कॉलेज, इलाहाबाद |
शैक्षिक योग्यता | मैट्रिक पास |
महादेवी वकीलों के मशहूर परिवार में 1907 को फर्रूखाबाद में पैदा हुई थी. बचपन में उनकी शिक्षा दीक्षा जबलपुर मध्यप्रदेश में हुई थी. महज सात साल में ही उनका विवाह डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ. विवाहोपरान्त भी पति के शिक्षा पूरा होने तक वे अपने माता पिता के साथ रहीं. इसी समय में ये भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई कर रही थी. इन्होंने संस्कृत में परास्नातक किया. पहली बार इन्होंने अपने पति से असहयोग आन्दोलन के समय तामकोई के आसपास कहीं पर मुलाकात की थी. इसके बाद कविता लिखने के कारण ईलाहाबाद चली आईं.
दुर्भाग्यवश ये और इनके पति प्राय अलग-अलग ही रहे और अपने-अपने निजी व्यसनों के पीछे भागते रहें. बौद्ध धर्म के झुकाव के कारण वे बौद्ध भिक्षुणी भी बनी. प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना के साथ उन्होंने कुसंस्कार ग्रस्त समाजिक परंपरा के बीच लड़कियों को शिक्षा देने की व्यवस्था भी की, और उस विद्यापीठ की पहली प्राध्यापिका ये बनीं. ये महान आत्मा का देहावसान 1987 में हुआ.
महादेवी वर्मा लेखन (Mahadevi Varma Writing)
हिन्दी साहित्य के छायावाद काल के प्रमुख रचनाकारों में महादेवी अपना अलग स्थान रखती हैं. निराला, जयशंकर प्रसाद और पंत उस समय समय चरम बिन्दु पर पहुंच गये थे, महादेवी उन सबसे अलग अपनी कविताओं में नारी चित्रण के नये स्वरों को भर रही थी. विलक्षण प्रतिभा के कायल सभी आलोचकों ने इनके काव्य शैली को बहुत सराहा है. खड़ी बोली की हिन्दी कविता में उन्होंने कई मापदंड गढ़े जो कि अभी तक हिन्दी के उपबोलियों में संभव था. उन्होंने संस्कृत और बांग्ला के अलग अलग शब्दों को अपने काव्य में प्रयोग किया, जिसमें संगीत का स्वर स्पष्ट तौर पर लक्षित था. इन्हें संगीत की बेहतर पहचान थी जिसके कारण इसके गीतों के नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की शैली बहुत ही दुर्लभ थी.
महादेवी न केवल प्रतिभाशाली कवयित्री थी बल्कि एक अच्छी गद्य लेखिका और संगीत में भी सिद्धहस्त थी. वे चित्रकारी के लिए कूची भी थाम लेती थी, दीपशिखा काव्य संग्रह में उन्होंने अपनी कविताओं के साथ साथ उन पर चित्र भी बनाये. एक तरह से काव्य संग्रह उनका स्मृति ग्रंथ था. आज भी हिन्दी साहित्य के महिला लेखिकाओं में वे अग्रणी और अतुलनीय है. पंड इलाचन्द्र जोशी के साथ इन्होंने साहित्य को बढ़ावा देने के लिए ईलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की. इस संस्था की पत्रिका की संपादक भी वही रही तथा उन्हीं के नेतृत्व में एक विशाल कवि सम्मेलन भी आयोजन किया गया. महादेवी पर बाद में गाँधी का प्रभाव भी परिलक्षित रहा. महादेवी वर्मा के जीवन और काव्य दोनों का मुख्य केन्द्र प्रेम, विरह और वेदना रहा है.
महादेवी वर्मा की बड़ी रचनाएं (Major composition of the Mahadevi Varma)
क्र.म. | क्षेत्र | सन | रचना |
1. | गद्य | 1941
1956 1972 1956 1962 1974 1969 1942 1943 | अतीत के चलचित्र
क्षणदा मेरा परिवार पथ के साथी साहित्यकार की आस्था संभाषण संकल्पिता श्रृंखला की कड़ियाँ स्मृति की रेखाएँ |
2. | काव्य | 1942
1963 1934 1930 1932 1935 – | दीपशिखा
हिमालय नीरजा निहार रश्मि सांध्य गीत सप्तपर्ण |
3. | संग्रह | 1983
– 1983 1983 1983 – 1940 | गीतपर्व
महादेवी साहित्य परिक्रमा संधिनी स्मारिका स्मृतिचित्र यामा |
महादेवी वर्मा के सम्मान (Mahadevi Varma Respect)
महादेवी वर्मा की लेखनी को चारों ओर से प्रशंसा मिला. वे छायावादी आंदोलन के मुख्य स्तंभ थी.
- यामा के लिए इन्हें 1940 में ज्ञानपीठ मिला.
- 1956 में इन्हें साहित्यिक योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
- ये पहली महिला साहित्यकार थी जिन्हें 1979 में साहित्य एकाडेमी मिला.
महादेवी वर्मा के अनमोल वचन (Mahadevi Varma Quotes)
- यदि अपने आप स्वीकार हो, तो घर की संचालिका का कर्तव्य कम जरुरी नहीं है.
- विज्ञान में कुछ करने की कला का कुछ भाग अवश्य होता है.
- एक बेगुनाह को बचाने वाले का झूठ उस सच से श्रेष्ठ होता है, जो उसके अहिंसा का कारण बने.
- विज्ञान एक व्यवहारिक प्रयोग है.
- आज हिन्दू औरतें जिन्दा लाश की तरह हैं.
- हमारी जिन्दगी सबकी परेशानियाँ झेलने के लिए है?
- अपने विषय में कुछ कहना बहुत मुश्किल है क्योकि खुद की गलतियाँ देखना आपको अच्छा नहीं लगता, लेकिन इसे अनदेखा करना दूसरों को अच्छा नहीं लगता.
- मैं किसी रीती रिवाजों में विश्वास नहीं करती. मैं मोक्ष को नहीं मिट्टी को ज्यादा पसंद करती हूँ.
- वे खिलते पुष्प जिन्हें मुरझाना नहीं आता, और वे दीप जिन्हें बुझना नहीं आता, कितने अद्भुत प्रतीत होते हैं.
- जीवन में कला का सच, सुन्दरता के माध्यम से व्यक्त किये गये सच से अखंड होता है.
FAQ
Ans- महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं नीहार,रश्मि, नीरजा, अग्रिरेशा आदि हैं।
Ans- महादेवी वर्मा को ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण अवॉर्ड मिले हैं।
Ans- हिंदी छायावाद का महत्वपूर्ण स्तंभ।
Ans- जी हां, विवाहित थी महादेवी वर्मा।
Ans- 80 साल की उम्र में हुआ महादेवी वर्मा का निधन।
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