अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास जीवन परिचय कहानीAlauddin Khilji History In Hindi
अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश के दुसरे शासक थे, जो एक बहुत शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी राजा थे. अलाउद्दीन अपने चाचा जलालुद्दीन फिरुज ख़िलजी की हत्या कर, उनकी राजगद्दी अपने नाम कर ली, और वे खिलजी वंश की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, भारत वर्ष में अपना साम्राज्य फैलाते रहे. उसको अपने आपको दूसरा अलेक्जेंडर बुलवाना अच्छा लगता था. उसे सिकन्दर-आई-सनी का ख़िताब दिया गया था. खिलजी ने अपने राज्य में शराब की खुले आम बिक्री बंद करवा दी थी.
वे पहले मुस्लिम शासक थे, जिन्होंने दक्षिण भारत में अपना साम्राज्य फैलाया था, और जीत हासिल की थी. विजय के लिए उनका जुनून ही उन्हें युद्ध में सफलता दिलाता था, जिससे दक्षिण भारत में उनका प्रभाव बढ़ता गया, और उनके साम्राज्य का विस्तार बढ़ता गया. खिलजी की बढ़ती ताकत के साथ, उनके वफादारों की भी संख्या बढ़ती गई. खिलजी के साम्राज्य में उनके सबसे अधिक वफादार जनरल थे मलिक काफूर और खुश्रव खान. दक्षिण भारत में खिलजी का बहुत आतंक था, वहां के राज्यों में ये लूट मचाया करते थे, और वहां के जो शासक इनसे हार जाते थे, उनसे खिलजी वार्षिक कर लिया करते थे.
यहाँ वहां की लूट और युद्ध के साथ साथ, खिलजी अपनी दिल्ली की सल्तनत को मंगोल आक्रमणकारियों से बचाने में भी लगा रहा. मंगोल की विशाल सेना को हराकर खिलजी ने सेंट्रल एशिया में कब्ज़ा कर लिया था, जिसे आज अफगानिस्तान के नाम से जानते है. मंगोल की सेना को बार बार हराने के लिए खिलजी का नाम इतिहास के पन्नों में भी लिखा हुआ है. वारंगल के काकतीय शासकों पर हमला करके, खिलजी ने दुनिया के सबसे बेशकीमती कोहिनूर हीरे को भी हथिया लिया था. वे एक महान रणनीतिकार और सैन्य कमांडर थे, जो भारतीय उपमहाद्वीप भर अपनी सेना को आज्ञा दिया करते थे. कोहिनूर हीरे का इतिहास जानने के लिए यहाँ पढ़ें.
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अलाउद्दीन खिलजी का जीवन परिचय ( Alauddin Khilji history In Hindi)
जीवन परिचय बिंदु | खिलजी जीवन परिचय |
पूरा नाम | अलाउद्दीन खिलजी |
दूसरा नाम | जुना मोहम्मद खिलजी |
जन्म | 1250 AD |
जन्म स्थान | लक्नौथी (बंगाल) |
पिता का नाम | शाहिबुद्दीन मसूद |
पत्नी | कमला देवी |
धर्म | मुस्लिम |
मृत्यु | 1316 (दिल्ली) |
बच्चे | कुतिबुद्दीन मुबारक शाह, शाहिबुद्दीन ओमर |
अलाउद्दीन का जन्म 1250 में बंगाल के बीरभूम जिले में हुआ था, उनका नाम जुना मोहम्मद खिलजी रखा गया था. इनके पिता शाहिबुद्दीन मसूद थे, जो खिलजी राजवंश के पहले सुल्तान जलालुद्दीन फिरुज खिलजी के भाई थे. बचपन से ही अलाउद्दीन को अच्छी शिक्षा नहीं मिली थी, लेकिन वे शक्तिशाली और महान योध्या बनके सामने आये.
अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य –
सबसे पहले खिलजी को सुल्तान जलालुद्दीन फिरुज के दरबार में आमिर-आई-तुजुक बनाया गया. 1291 में मालिक छज्जू ने सुल्तान के राज्य में विद्रोह कर दिया, इस समस्या को अलाउद्दीन ने बहुत अच्छे से संभाला, जिसके बाद उसे कारा का राज्यपाल बना दिया गया. 1292 में भिलसा में जीत के बाद सुल्तान ने अलाउद्दीन को अवध प्रान्त भी दे दिया. अलाउद्दीन ने सुल्तान से विश्वासघात करते हुए, उन्हें मार डाला और दिल्ली के सुल्तान की राजगद्दी में विराजमान हो गए. अपने चाचा को मारकर दिल्ली की गद्दी में बैठने के बावजूद, उसे 2 सालों तक कुछ विद्रोहीयों का सामना करना पड़ा. इस समस्या का सामना खिलजी ने पूरी ताकत के साथ किया.
1296 से 1308 के बीच मंगोल लगातार दिल्ली पर अपना कब्ज़ा करने के लिए, बार बार अलग अलग शासकों द्वारा हमला करते रहे. अलाउद्दीन ने जालंधर (1296), किली (1299), अमरोहा (1305) एवं रवि (1306) की लड़ाई में मंगोलियों के खिलाफ सफलता प्राप्त की. बहुत सारे मंगोल दिल्ली के आस पास ही बस गए और इस्लाम धर्म को अपना लिया. इन्हें नए मुस्लमान कहा गया. खिलजी को उन पर विश्वास नहीं था, वो इसे मंगोलियों की एक साजिश का हिस्सा मानता था. अपने साम्राज्य को बचाने के लिए खिलजी ने 1298 में एक दिन उन सभी मंगोलियों जो लगभग 30 हजार के तादाद में थे, मार डाला. जिसके बाद उन सभी के पत्नी और बच्चों को अपना गुलाम बना लिया.
1299 में खिलजी को पहली बड़ी जीत गुजरात में मिली. यहाँ के राजा ने अपने 2 बड़े जनरल उलुघ खान एवं नुसरत खान को अलाउद्दीन के समस्त प्रकट किया. यहाँ मलिक कुफुर खिलजी के मुख्य वफादार जनरल बन गए. खिलजी ने 1303 में रंथाम्बोर के राजपुताना किले में पहली बार हमला किया, जिसमे वो असफल रहा. खिलजी ने यहाँ दूसरी बार हमला किया, जिसमें उनका सामना पृथ्वीराज चौहान के वंशज के राजा राना हमीर देव से हुआ. राना हमीर बहादुरी से लड़ते हुए युद्ध में मारे गए, जिसके बाद रंथाम्बोर में खिलजी का राज्य हो गया. पृथ्वीराज चौहान का इतिहास जानने के लिए पढ़े.
1303 में वारंगल में खिलजी ने अपनी सेना भेजी, लेकिन काकतीय शासक से उनकी सेना हार गई. 1303 में खिलजी ने चित्तोर में हमला किया था. वहां रावल रतन सिंह का राज्य था, जिनकी पत्नी पद्मावती थी. पद्मावती को पाने की चाह में खिलजी ने वहां हमला किया था, जिसमें उन्हें विजय तो मिली लेकिन रानी पद्मावती ने जौहर कर लिया था. वैसे इस कहानी के कोई भी पुख्ता सबूत नहीं है. रानी पद्मिनी के जीवन का इतिहास जानने के लिए पढ़े.
1306 में खिलजी ने बड़े राज्य बंग्लाना में हमला किया. जहाँ राय करण का शासन था. यहाँ खिलजी को सफलता मिली और राय कारण की बेटी को दिल्ली लाकर उसका विवाह खिलजी ने अपने बड़े बेटे से किया. 1308 में खिलजी के जनरल मलिक कमालुद्दीन ने मेवाड़ के सिवाना किले में हमला किया. लेकिन खिलजी की सेना मेवाड़ की सेना से हार गई. खिलजी की सेना को दूसरी बार में सफलता मिली.
1307 में खिलजी ने अपने वफादार काफूर को देवगिरी में राजा से कर लेने के लिए भेजा. 1308 में खिलजी ने मंगोल ने राज्य अफगानिस्तान में अपने मुख्य घाजी मलिक के साथ अन्य आदमी कंधार, घजनी और काबुल को भेजा. घाज़ी ने मंगोलों को ऐसा कुचला की वे फिर भारत पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. 1310 में खिलजी ने होयसल सामराज्य, को कृष्णा नदी के दक्षिण में स्थित था, में बड़ी आसानी से सफलता प्राप्त कर ली. वहां के शासक वीरा बल्लाला ने बिना युद्ध के आत्मसमर्पण कर दिया और वार्षिक कर देने को राजी हो गए.
1311 में मबार इलाके में मलिक काफूर के कहने पर अलाउद्दीन की सेना ने छापा मारा, लेकिन वहां के तमिल शासक विक्रम पंड्या के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि काफूर भारी धन और सल्तनत लूटने में कामयाब रहे. उत्तर भारतीय राज्य प्रत्यक्ष सुल्तान शाही के नियम के तहत नियंत्रित किये गए, वहीं दक्षिण भारत में सभी प्रदेश प्रतिवर्ष भारी करों का भुगतान किया करते थे, जिससे खिलजी के पास अपार पैसा हो गया था. खिलजी ने कृषि उपज पर 50% कर माफ़ कर दिया, जिससे किसानों पर बोझ कम हो गया और वे कर के रूप में अपनी जमीन किसी को देने के लिए बाध्य नहीं रहे.
उपलब्धियां (Achivements)–
- काफूर ने जब दक्षिण भारत के हिस्सों में विजय प्राप्त की, तब वहां उसने मस्जिद बनवाई. ये अलाउद्दीन के बढे हुए सामराज्य को बतलाता था, जो उत्तर भारत के हिमालय से दक्षिण के आदम पुल तक फैला हुआ था.
- खिलजी ने मूल्य नियंत्रण नीति लागु की, जिसके तहत अनाज, कपड़े, दवाई, पशु, घोड़े, आदि निर्धारित मूल्य पर ही बेचे जा सकते थे. मूल रूप से सभी वस्तुओं का मूल्य कम ही था, जो दिल्ली के बाजारों में बेचीं जाती थी. इसका सबसे अधिक फायदा नागरिकों और सैनिकों को होता था.
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु (Alauddin Khilji Death) –
जनवरी 1316 में 66 साल की उम्र में खिलजी की मृत्यु हो गई थी. वैसे यह माना जाता है कि उनके लेफ्टिनेंट मलिक नायब ने उनकी हत्या की थी. उनकी कब्र और मदरसे दिल्ली के महरौली में क़ुतुब काम्प्लेक्स के पीछे है.
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