कजरी कजली बड़ी तीज 2024 महत्व, इतिहास, कथा, पूजा विधि (Kajari Kajli Badi Teej Mahtva, Katha, Pooja Vrat Vidhi In Hindi)
हर तीज का अपना अलग महत्व है और ये सभी बड़ी धूमधाम से यहाँ मनाई जाती है . तीज का महत्व औरतों के जीवन में बहुत अधिक होता है. हरतालिका तीज के बारे में आप पहले के आर्टिकल में पढ़ सकते है. हमारे देश में मुख्यतः 4 तरह की तीज मनाई जाती है-
- अखा तीज
- हरियाली तीज
- कजली तीज/ कजरी तीज/ बड़ी तीज
- हरतालिका तीज
Table of Contents
कजरी कजली तीज महत्व ,कथा, पूजा विधि (Kajli Teej Kajari Vrat Mahtva Katha Pooja Vidhi in Hindi)
कजरी कजली तीज कब मनाई जाती हैं (Kajli Kajari Teej 2024 Date):
हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से पांचवे माह भादों के कृष्ण पक्ष की तीज को कजली कजरी तीज की तरह मनाया जाता है. वर्ष 2024 यानि इस साल यह 21 अगस्त दिन बुधवार को मनाई जाएगी.
कजरी कजली तीज का महत्व (Kajli Kajari Teej Mahatv)
दुसरे तीज त्यौहार की तरह इस तीज का भी अलग महत्त्व है. तीज एक ऐसा त्यौहार है जो शादीशुदा लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. हमारे देश में शादी का बंधन सबसे अटूट माना जाता है. पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तीज का व्रत रखा जाता है. दूसरी तीज की तरह यह भी हर सुहागन के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन भी पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है, व कुआरी लड़की अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है.
कजली तीज नाम क्यों पड़ा? (Kajari Kajli Teej Katha Mahtva Itihas History)
पुराणों के अनुसार मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था. इस जगह का राजा दादुरै था. इस जगह में रहने वाले लोग अपने स्थान कजली के नाम पर गीत गाते थे जिससे उनकी इस जगह का नाम चारों और फैले और सब इसे जाने. कुछ समय बाद राजा की म्रत्यु हो गई और उनकी रानी नागमती सती हो गई. जिससे वहां के लोग बहुत दुखी हुए और इसके बाद से कजली के गाने पति – पत्नी के जनम – जनम के साथ के लिए गाये जाने लगे.
इसके अलावा एक और कथा इस तीज से जुडी है. माता पार्वती शिव से शादी करना चाहती थी लेकिन शिव ने उनके सामने शर्त रख दी व बोला की अपनी भक्ति और प्यार को सिद्ध कर के दिखाओ. तब पार्वती ने 108 साल तक कठिन तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया. शिव ने पार्वती से खुश होकर इसी तीज को उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था. इसलिए इसे कजरी तीज कहते है. कहते है बड़ी तीज को सभी देवी देवता शिव पार्वती की पूजा करते है.
कजली तीज मनाने का तरीका (Kajari Kajli Teej Pooja Vidhi)
कजली तीज को निम्न तरह से मनाया जाता है :
- इस दिन हर घर में झूला डाला जाता है. और औरतें इस में झूल कर अपनी ख़ुशी व्यक्त करती है.
- इस दिन औरतें अपनी सहेलियों के साथ एक जगह इकट्ठी होती है और पूरा दिन नाच गाने मस्ती में बिताती है.
- औरतें अपने पति के लिए व कुआरी लड़की अच्छे पति के लिए व्रत रखती है.
- तीज का यह व्रत कजली गानों के बिना अधूरा है. गाँव में लोग इन गानों को ढोलक मंजीरे के साथ गाते है.
- इस दिन गेहूं, जौ, चना और चावल के सत्तू में घी मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाते है.
- व्रत शाम को चंद्रोदय के बाद तोड़ते है, और ये पकवान खाकर ही व्रत तोड़ा जाता है.
- विशेषतौर पर गाय की पूजा होती है.
- आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर गाय को खिलाया जाता है. इसके बाद ही व्रत तोड़ते है.
कजरी कजली तीज पूजा विधि (Kajali Teej Kajari Vrat Puja Vidhi)
सामग्री : कजरी कजली तीज के लिए कुमकुम, काजल, मेहंदी, मौली, अगरबत्ती, दीपक, माचिस, चावल, कलश, फल, नीम की एक डाली, दूध, ओढ़नी, सत्तू, घी, तीज व्रत कथा बुक, तीज गीत बुक और कुछ सिक्के आदि पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है.
विधि : कजरी कजली तीज की पूजा विधि इस प्रकार हैं :
- पहले कुछ रेत जमा करें और उससे एक तालाब बनाये. यह ठीक से बना हुआ होना चाहिए ताकि इसमें डाला गया जाल लीक ना हो.
- अब तालाब के किनारे मध्य में नीम की एक डाली को लगा दीजिये, और इसके ऊपर लाल रंग की ओढ़नी डाल दीजिये.
- इसके बाद इसके पास गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमा विराजमान कीजिये, जैसे की आप सभी जानते हैं इनके बिना कोई भी पूजा नहीं की जा सकती.
- अब कलश के ऊपरी सिरे में मौली बाँध दीजिये और कलश पर स्वास्तिक बना लीजिये. कलश में कुमकुम और चावल के साथ सत्तू और गुड़ भी चढ़ाइए, साथ ही एक सिक्का भी चढ़ा दीजिये.
- इसी तरह गणेश जी और लक्ष्मी जी को भी कुमकुम, चावल, सत्तू, गुड़, सिक्का और फल अर्पित कीजिये.
- इसी तरह तीज पूजा अर्थात नीम की पूजा कीजिये, और सत्तू तीज माता को अर्पित कीजिये. इसके बाद दूध और पानी तालाब में डालिए.
- विवाहित महिलाओं को तालाब के पास कुमकुम, मेंहदी और कजल के सात राउंड डॉट्स देना पड़ता है. साथ ही अविवाहित स्त्रियों को यह 16 बार देना होता है.
- अब व्रत कथा शुरू करने से पहले अगरबत्ती और दीपक जला लीजिये. व्रत कथा को पूरा करने के बाद महिलाओं को तालाब में सभी चीजों जैसे सत्तू, फल, सिक्के और ओढ़नी का प्रतिबिंब देखने की जरूरत होती है, जोकि तीज माता को चढ़ाया गया था. इसके साथ ही वे उस तालाब में दीपक और अपने गहनों का भी प्रतिबिंब देखती हैं.
- व्रत कथा खत्म हो जाने के बाद के कजरी गीत गाती हैं, और सभी माता तीज से प्रार्थना करती है. अब वे खड़े होकर तीज माता के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करती हैं.
कजरी कजली तीज की कथा (Kajali Teej Kajari Vrat Katha)–
यहाँ बहुत सी कथाएं प्रचलित है. अलग- अलग स्थान में इसे अलग तरह से मनाते है इसलिए वहां की कथाएं भी अलग है. मै आपको कुछ प्रचलित कथाएं बता रही हूँ.
सात बेटों की कहानी
एक साहूकार था उसके सात बेटे थे. सतुदी तीज के दिन उसकी बड़ी बहु नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है तभी उसका पति मर जाता है. कुछ समय बाद उसके दुसरे बेटे की शादी होती है, उसकी बहु भी सतुदी तीज के नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है तभी उसका पति मर जाता है. इस तरह उस साहूकार के 6 बेटे मर जाते है. फिर सातवें बेटे की शादी होती है और सतुदी तीज के दिन उसकी पत्नी अपनी सास से कहती है कि वह आज नीम के पेड़ की जगह उसकी टहनी तोड़ कर उसकी पूजा करेगी. तब वह पूजा कर ही रही होती है कि साहूकार के सभी 6 बेटे अचानक वापस आ जाते है लेकिन वे किसी को दिखते नहीं है. तब वह अपनी सभी जेठानियों को बुला कर कहती है कि नीम के पेड़ की पूजा करो और पिंडा को काटो. तब वे सब बोलती है कि वे पूजा कैसे कर सकती है जबकि उनके पति यहाँ नहीं है. तब छोटी बहुत बताती है कि उन सब के पति जिंदा है. तब वे प्रसन्न होती है और नीम की टहनी की पूजा अपने पति के साथ मिल कर करती है. इसके बाद से सब जगह बात फ़ैल गई की इस तीज पर नीम के पेड़ की नहीं बल्कि उसकी टहनी की पूजा करनी चाहिए.
सत्तू की कहानी
एक किसान के 4 बेटे और बहुएं थी. उनमें से तीन बहुएं बहुत संपन्न परिवार से थी. लेकिन सबसे छोटी वाली गरीब थी और उसके मायके में कोई था भी नहीं . तीज का त्यौहार आया, और परंपरा के अनुसार तीनों बड़ी बहुओं के मायके से सत्तू आया लेकिन छोटी बहु के यहाँ से कुछ ना आया. तब वह इससे उदास हो गई और अपने पति के पास गई. पति ने उससे उदासी का कारण पुछा. उसने सब बताया और पति को सत्तू लेन के लिए कहा. उसका पति पूरा दिन भटकता रहा लेकिन उसे कहीं सफलता नहीं मिली. वह शाम को थक हार के घर आ गया. उसकी पत्नी को जब यह पता चला कि उसका पति कुछ ना लाया तब वह बहुत उदास हुई. अपनी पत्नी का उदास चेहरा देख चोंथा बेटा रात भर सो ना सका.
अगले दिन तीज थी जिस वजह से सत्तू लाना अभी जरुरी हो गया था. वह अपने बिस्तर से उठा और एक किरणे की दुकान में चोरी करने के इरादे से घुस गया. वहां वह चने की दाल लेकर उसे पीसने लागा, जिससे आवाज हुई और उस दुकान का मालिक उठ गया. उन्होंने उससे पुछा यहाँ क्या कर रहे हो? तब उसने अपनी पूरी गाथा उसे सुना दी. यह सुन बनिए का मन पलट गया और वह उससे कहने लगा कि तू अब घर जा, आज से तेरी पत्नी का मायका मेरा घर होगा. वह घर आकर सो गया.
अगले दिन सुबह सुबह ही बनिए ने अपने नौकर के हाथ 4 तरह के सत्तू, श्रृंगार व पूजा का सामान भेजा. यह देख छोटी बहुत खुश हो गई. उसकी सब जेठानी उससे पूछने लगी की उसे यह सब किसने भेजा. तब उसने उन्हें बताया की उसके धर्म पिता ने यह भिजवाया है. इस तरह भगवान ने उसकी सुनी और पूजा पूरी करवाई.
कहाँ कैसे मनाते है कजरी तीज (Kajari kajli Teej festival Celebration)
हमारे देश में हर प्रान्त में हर त्यौहार को अलग अलग तरह से मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान सब जगह यह त्यौहार अलग तरीके से मनाया जाता है.
- उत्तर प्रदेश व बिहार में लोग नाव पर चढ़कर कजरी गीत गाते है. वाराणसी व मिर्जापुर में इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. वे तीज के गानों को वर्षागीत के साथ गाते है.
- राजस्थान के बूंदी स्थान में इस तीज का बहुत महत्त्व है, इस दिन यहाँ बड़ी धूम होती है. भादों के तीसरे दिन को वे बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाते है. पारंपरिक नाच होता है. ऊंट, हाथी की सवारी की जाती है. इस दिन दूर दूर से लोग बूंदी की तीज देखने जाते है.
कजरी तीज के दिन घर में बहुत से पकवान बनते है जिसमें प्रमुख –
क्र. | पकवान |
1 | खीर पूरी |
2 | घेवर |
3 | गुजिया |
4 | बादाम का हलवा |
5 | काजू कतली |
6 | बेसन का लड्डू |
7 | नारियल का लड्डू |
8 | दाल बाटी चूरमा |
कजरी कजली तीज की शुभकामनाये (Kajari Kajli Teej Festival Wishes )
- आया रे आया तीज का त्यौहार
मिलकर गायें गीतों की मल्हार
सबको मिले खुशियाँ अपार फैलता रहे बस प्यार ही प्यार
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- सावन की घटा बीत गई अब भादों की हैं बारी आयो बहनों गीत गाओ
और करों तीज की तैयारी
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- सुहाना लागे मोहे तीज का दिन गीत गाये संग झूले म्हारों बिन्द मिलकर नाचे सारी सखियाँ
बजे चूड़ी, घुंघरू और पैजनियाँ
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- भादों के गीत झूलो की सौगात सभी को मुबारक हो
तीज का त्यौहार
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- सजे थाल में मीठे पकवान गुजिया हलवा और मिष्ठान लेकर आये खुशियाँ और प्यार
शुभ हो सबका तीज का त्यौहार
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FAQ
Ans : भादों माह की कृष्ण पक्ष की तीज को
Ans : 21 अगस्त
Ans : भगवान शिव की
Ans : हिन्दू धर्म की सभी शादीशुदा महिलाएं
Ans : भगवान शिव एवं पार्वती की कथा है.
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